backup og meta

फिश ऑयल के फायदे एवं नुकसान - Health Benefits of Fish Oil

फिश ऑयल के फायदे एवं नुकसान - Health Benefits of Fish Oil

परिचय और उपयोग

फिश ऑयल (Fish oils) क्या है?

फिश ऑयल एक प्रकार का फैट है, जिसे विभिन्न नस्लों की मछलियों से निकाला जाता है। आम बोलचाल की भाषा में मछली के तेल को ओमेगा-3 के नाम से जाना जाता है।

मछली के तेल में निम्न गुण पाए जाते हैंः

मछली का तेल मछली खाने या सप्लिमेंट्स लेने पर मिलता है। मैकेरल (mackerel), टूना, सैल्मन (salmon), स्टुरजोन (sturgeon), मुलेट (Mullet), ब्लूफिश (bluefish), एंकोवी (anchovy), रहू, ट्रोट (trout) और मेनहेडेन (menhaden) जैसे मछलियों में भरपूर रूप से फिश ऑयल (ओमेगा-3) फैटी एसिड होते हैं।

आमतौर पर फिश ऑयल मैकेरल, हररिंग (herring), टूना, हेलिबुट (halibut), कोड लिवर (cod liver), व्हेल ब्लुबर (cod liver) या सील ब्लुबर (seal blubber) से बनाए जाते हैं। मछली के तेल में न्यूनतम मात्रा में विटामिन E होता है, जिससे यह खराब नही होता है। इसमें कैल्शियम, आयरन या विटामिन A, B1, B2, B3, C, या D को भी मिलाया जाता है।

और पढ़ें : फिश प्रोटीन का होती हैं सबसे बेस्ट सोर्स, जानिए कौन सी फिश से मिलता है कितना प्रोटीन

फिश ऑयल (Fish oils) का इस्तेमाल किस लिए होता है?

मछली के तेल का इस्तेमाल कई परिस्थितियों में होता है। ब्लड सिस्टम और दिल से जुड़ी हुई समस्याओं में फिश ऑयल का ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है।

कुछ लोग ब्लड प्रेशर या ट्राइग्लिसराइड (कोलेस्ट्रोल से संबंधित फैट) को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। मछली के तेल का इस्तेमाल दिल की बीमारियों या स्ट्रोक को रोकने में किया जा चुका है। वैज्ञानिक सुबूत भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि मछली के तेल ट्राइग्लिसराइड को कम करते हैं और दिल की बीमारियों और स्ट्रोक से भी बचाते हैं। ऐसा सिर्फ डॉक्टर की सुझाई गई खुराक में इसके सेवन करने पर संभव है। इसके उलट अधिक मात्रा में मछली के तेल का सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।

मछली के तेल को ‘ब्रेन फूड’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि, कुछ लोग इसका इस्तेमाल डिप्रेशन, ध्यान ना लगा पाना, साइकोसिस, अल्जाइमर और सोचने के अन्य प्रकार की बीमारियों में इसका इस्तेमाल करते हैं।

कुछ लोग रूखी आंखों, ग्लूकोमा और उम्र से जुड़ी हुई मेक्युलर डीग्रेशन (AMD) की समस्याओं में मछली के तेल का इस्तेमाल करते हैं, जो बुढ़ापे में आने वाली सबसे सामान्य दिक्कतों में से एक हैं। इससे दृष्टि संबंध गंभीर खतरे रहते हैं।

महिलाएं कई बार मछली के तेल का इस्तेमाल मासिक धर्म में होने वाले दर्द, स्तनों के दर्द और गर्भावस्था से जुड़ी जटिल समस्या जैसे गर्भपात, प्रेग्नेंसी के आखिरी पड़ाव पर हाई ब्लड प्रेशर, और प्रीटर्म डिलिवरी में करती हैं।

मछली के तेल का इस्तेमाल डायबिटीज, दमा, विकासात्मक समन्वय विकार, मूवमेंट की दिक्कत, सीखने की समस्या, मोटापा, गुर्दे की बीमारी, कमजोर हड्डियां, सोरायसिस से संबंध कुछ दर्द और सूजन की बीमारियां, वजन घटने को रोकने के लिए, जो कैंसर की कुछ दवाइयों से होता है।

हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दे को क्षति पहुंचने से रोकने के लिए भी मछली के तेल का इस्तेमाल होता है ताकि दोबारा हार्ट अटैक ना आये।

कोरनरी आर्ट्रीज की बाइपास सर्जरी के बाद मछली के तेल का इस्तेमाल होता है। यह रक्त वाहिकाओं को खुला रखता है, जो पहले बंद हो गई थीं, इन्हें दोबारा खोला जाता है

और पढ़ें : Congestive heart failure: कंजेस्टिव हार्ट फेलियर

यह कैसे कार्य करता है?

बॉडी अपने आप से ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का उत्पादन नही करती है। ना ही बॉडी ओमेगा-6 से ओमेगा-3 बनाती है, जोकि पश्चिमी देशों के खाना पान में सामान्य है। ईपीए और डीएचए ने इस पर कई शोध किए हैं। अक्सर मछली के तेल सप्लिमेंट्स में दो तरह के ओमेगा-3 मिलाए जाते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स दर्द और सूजन को कम करता है। यह खून के थक्के बनने से रोकता है। इसी के चलते दिल से जुड़ी हुई कई समस्याओं में मछली के तेल मददगार होते हैं।

और पढ़ें : बस 5 रुपये में छूमंतर करें सर्दी-खांसी, आजमाएं ये 13 जुकाम के घरेलू उपचार

सावधानियां और चेतावनी

फिश ऑयल (Fish oils) का इस्तेमाल करने से पहले मुझे क्या जानना चाहिए?

फिश ऑयल को सूखी जगह में रखें। सूर्य की सीधी किरणों से इसे दूर रखें। यदि आप एंटीकोग्यूलेंट्स (anticoagulants) दवाइयां या प्रोडक्ट्स ले रहे हैं तो इनके साथ में फिश ऑयल का सेवन ना करें।

अन्य दवाइयों के मुकाबले आयुर्वेदिक औषधियों के संबंध में रेग्युलेटरी नियम अधिक सख्त नही हैं। इनकी सुरक्षा का आंकलन करने के लिए अतिरिक्त अध्ययनों की आवश्यकता है। फिश ऑयल का इस्तेमाल करने से पहले इसके खतरों की तुलना इसके फायदों से जरूर की जानी चाहिए। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बालिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें।

और पढ़ें : आयोडीन की कमी से हो सकती हैं कई स्वास्थ्य समस्याएं

फिश ऑयल (Fish oils) कितना सुरक्षित है?

ज्यादातर लोगों के लिए फिश ऑयल सुरक्षित है। प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं यदि प्रतिदिन तीन ग्राम से कम फिश ऑयल का सेवन करती हैं तो यह उनके लिए सुरक्षित है। बच्चों को फिश ऑयल नहीं देना चाहिए या अतिसंवेदनशील या ब्रेस्ट/ प्रोस्टेट कैंसर से पीढ़ित लोगों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए।

[mc4wp_form id=’183492″]

साइड इफेक्ट्स

फिश ऑयल (Fish oils) से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

फिश ऑयल के साइड इफेक्ट्स निम्नलिखित हैं:

हालांकि, हर व्यक्ति को यह साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। उपरोक्त दुष्प्रभाव के अलावा भी फिश ऑयल के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यदि आप इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंतित हैं तो अपने डॉक्टर या हर्बालिस्ट से सलाह लें।

और पढ़ें : कुछ इस तरह करें अपनी पार्टनर को सेक्स के लिए एक्साइटेड

रिएक्शन

फिश ऑयल (Fish oils) से मुझे क्या रिएक्शन हो सकते हैं?

फिश ऑयल आपकी मौजूदा दवाइयों के साथ रिएक्शन कर सकता है या दवा का कार्य करने का तरीका परिवर्तित हो सकता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या हर्बालिस्ट से संपर्क करें।

डोसेज

उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हो सकती। इसका इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें।

फिश ऑयल (Fish oils) का सामान्य डोज क्या है?

फिश ऑयल का अडल्ट्स के लिए डोज निम्नलिखित है:

  • फिश ऑयल कैप्सूल/ लिक्विड दिन में 3-9 ग्राम। हर प्रोडक्ट का डोज अलग हो सकता है। इसके देखते हुए पैकेज पर मुद्रित दिशा निर्देशों का पालन करें।

हर मरीज के मामले में औषधियों का डोज अलग हो सकता है। जो डोज आप ले रहे हैं वो आपकी उम्र, हेल्थ और दूसरे अन्य कारकों पर निर्भर करता है। औषधियां हमेशा ही सुरक्षित नहीं होती हैं। फिश ऑयल के उपयुक्त डोज के लिए अपने डॉक्टर या हर्बालिस्ट से सलाह लें।

फिश ऑयल (Fish oils) किस रूप में आता है?

फिश ऑयल निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:

  • कैप्सूल
  • लिक्विड

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Skidmore-Roth, Linda. Mosby’s Handbook Of Herbs & Natural Supplements. St. Louis, MO: Mosby, 2001. Print version. Page 268.

Fish oil. http://www.drugs.com/sfx/fish-oil-side-effects.html. Accessed on 23 January, 2020.

Fish oil: friend or foe?. https://www.health.harvard.edu/blog/fish-oil-friend-or-foe-201307126467. Accessed on 23 January, 2020.

Omega-3 Fatty Acids. https://ods.od.nih.gov/factsheets/Omega3FattyAcids-HealthProfessional/. Accessed On 10 October, 2020.

Omega-3 Supplements: In Depth. https://www.nccih.nih.gov/health/omega3-supplements-in-depth. Accessed On 10 October, 2020.

FDA Announces New Qualified Health Claims for EPA and DHA Omega-3 Consumption and the Risk of Hypertension and Coronary Heart Disease. https://www.fda.gov/food/cfsan-constituent-updates/fda-announces-new-qualified-health-claims-epa-and-dha-omega-3-consumption-and-risk-hypertension-and. Accessed On 10 October, 2020.

Current Version

12/10/2020

Sunil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Ankita mishra


संबंधित पोस्ट

Basil: तुलसी क्या है?

Aloe Vera: एलोवेरा क्या है? इस्तेमाल से पहले जरूर जान लें ये बातें!


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/10/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement