परिचय
आलूबुखारा क्या है?
आलूबुखारा फल है, जो एक पर्णपाती वृक्ष होता है। इसका फल कच्चा रहने पर काफी हद तक सेब की तरह दिखाई देता है। इसके फल को अलूचा भी कहते हैं। आलूबुखारा को अंग्रेजी में प्लम फ्रूट (plum fruit) यानी बेर भी कहते हैं। आलूबुखारा को ताजा और सूखे दोनों ही तरह के रूप में खाया जा सकता है। सूखे प्लम को प्रूनस (Prune) कहा जाता है। साथ ही, इसके दोनों ही रूपों का इस्तेमाल एक औषधी के तौर पर भी किया जा सकता है। जहां सूखा आलूबुखारा कब्ज, ऑस्टियोपोरोसिस, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और उच्च कोलेस्ट्रॉल के लेवल को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, वहीं इसके ताजे रूप का इस्तेमाल इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके ताजे और सूखे दोनों ही रूपों से जैम, रस या प्यूरी भी बनाया जा सकता है।
आमतौर पर लोग आलूबुखारा (Aloo Bhukhara) का इस्तेमाल एक फल के तौर पर करते हैं जिससे स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जा सकते हैं। यह स्वाद में खट्टा-मीठा हो सकता है। इसके कच्चे फल का रंग हरा और पकने पर यह लाल, गरहा बैंगनी या गहरा मेहरून रंग का हो सकता है। वानस्पतिक तौर पर आलूबुखारा की दो प्रजातियां प्रूनस सालिसिना (Prunus salicina) (जिसे जापानी प्लम कहा जाता है) और प्रूनस डोमेस्टिका (Prunus domestica) (जिसे यूरोपीय बेर कहा जाता है) होती हैं। यह रोजेसी (Rosaceae) यानी गुलाब प्रजाति का फल होता है। इसे अंग्रेजी में प्लम के आलावा गार्डन प्लम (Garden plum), प्रून प्लम (Prune plum), Plum tree (प्लम ट्री), यूरोपियन प्लम (European plum) के नाम से भी जाना जाता है।
आलूबुखारा के फल का आकार लगभग टमाटर के बराबर या इससे कुछ बड़ा हो सकता है। इसके फल का छिलका काफी नरम होती है। प्लम के उत्पादन के आंकड़ों के अनुसार भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है, लेकिन अमेरिका जैसे अन्य देशों में इसकी खेती मुख्य तौर पर की जाती है। इसके फल गूदेदार होते हैं, जिनमें गुठलियां भी होती हैं। अधिकतर लोग इसके ताजे फल को खाने के साथ-साथ, इसके कच्चे फल का इस्तेमाल मुरब्बा बनाने के लिए भी करते हैं। वहीं, इनके कच्चे और पके फलों के रस का इस्तेमाल शराब बनाने के लिए भी किया जा सकता है। सूखे हुए आलूबुखारा में ऑक्सीकरण रोधी (एंटी ऑक्सीडेंट) की काफी उच्च मात्रा पाई जाती है जो रोगों से शरीर का बचाव कर सकती है।
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आलूबुखारा का उपयोग किस लिए किया जाता है?
ताजे और सूखे आलूबुखारा के फल में फाइबर के साथ ही, अन्य रसायनिक गुणों की मात्रा पाई जा सकती है। जिसकी मदद से यह आंतों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सबसे उपयोगी फल साबित हो सकता है। इसके औषधीय गुणों की वजह से इसका इस्तेमाल निम्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में किया जा सकता है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
- पेट से संबंधित विकार जैसे- भूख की कमी, बदहजमी, पाचन विकार, कब्ज आदि के उपचार के लिए
- बवासीर के उपचार के लिए
- उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) को नियंत्रित करने के लिए
- कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए
- डायबिटीज की रोकथाम के लिए
- इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए
- आंखों की देखभाल करने के लिए
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आलूबुखारा कैसे काम करता है?
स्वाद में खट्टे-मीठे फल वाले आलूबुखारा में कई पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जा सकती है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
प्रति 100 ग्राम आलूबुखारा में पोषक तत्वों की मात्रा
- पानी – 87.23%
- एनर्जी – 46 kcal
- प्रोटीन – 0.70 ग्राम
- टोलट फैट – 0.28 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट – 11.42 ग्राम
- फाइबर – 1.4 ग्राम
- शुगर – 9.92 ग्राम
प्रति 100 ग्राम आलूबुखारा में मिनरल्स की मात्रा
- कैल्शियम – 6 मिग्रा
- आयरन – 0.17 मिग्रा
- मैग्नीशियम – 7 मिग्रा
- फास्फोरस – 16 मिग्रा
- पोटैशियम – 157 मिग्रा
- जिंक – 0.10 मिग्रा
प्रति 100 ग्राम आलूबुखारा में विटामिन्स की मात्रा
- विटामिन सी – 9.5 मिग्रा
- थायमिन – 0.028 मिग्रा
- राइबोफ्लेविन – 0.026 मिग्रा
- नियासिन – 0.417 मिग्रा
- विटामिन बी6 – 0.026 मिग्रा
- फोलिक एसिड
- विटामिन ए
- विटामिन ई
- विटामिन के
प्रति 100 ग्राम आलूबुखारा में लिपिड की मात्रा
- फैटी एसिड, सैचुरेटेड – 0.017 ग्राम
- फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड – 0.134 ग्राम
- फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड – 0.044 ग्राम
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उपयोग
आलूबुखारा का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
आलूबुखारा को एक देशी इलाज के तौर पर पहचाना जाता है। हालांकि, इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए। कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में चिकित्सक इसके साथ अन्य जड़ी-बूटियों, जैसे अश्वगंधा का भी मिश्रण कर सकते है, जो इसके गुण को बढ़ाने के साथ ही इसके स्वाद को भी बेहतर बना सकते हैं। हालांकि, इसके ओवरडोज की मात्रा से बचना चाहिए। हमेशा उतनी ही खुराक का सेवन करें, जितना आपके डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो।
साइड इफेक्ट्स
आलूबुखारा से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
अधिकांश अध्ययनों से पता चला है कि आलूबुखारा का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित हो सकता है। इससे किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव के मामले बहुत ही दुर्लभ हो सकते हैं। हालांकि, इसके अधिक सेवन से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैंः
- आलूबुखारा में लैक्सेटिव जो पेट साफ करने में मदद करते हैं, के गुण पाए जाते हैं, अगर शरीर में इसका ओवरडोज हो जाए, तो यह डायरिया का कारण बन सकता है।
- सूखे रूप में आलूबुखारा बहुत अधिक खाने से गैस की समस्या हो सकती है।
- आलूबुखारा में पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जा सकता है। इसलिए इसके अधिक सेवन से शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ सकती है, जिसे हाइपरकलीमिया की स्थिति कही जाती है, जिसके कारण सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, जी मिचलाना और उल्टी जैसी समस्या हो सकती है।
हर किसी को ऐसे साइड इफेक्ट हो ऐसा जरूरी नहीं है, यानि कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट हो रहा हे या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं, तो तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
डोसेज
आलूबुखारा को लेने की सही खुराक क्या है?
आलूबुखारा का इस्तेमाल आप विभिन्न रूपों में कर सकते हैं। इसकी मात्रा आपके स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है।
प्रतिदन के लिए प्लम के सेवन की अधिकतम खुराक हो सकती हैः
- प्लम का काढ़ा – 10 से 20 मिली
- ताजे फल – 3 से 4
- सूखे प्लम का चूर्ण – 100 ग्राम
- प्यूरी, रस या पेय रूप में – एक कप
उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
प्लम आपको निम्न रूपों में मिल सकते हैं, जैसेः
- आलूबुखारा का ताजा फल
- आलूबुखारा का सूखा फल, जिसे प्रूनस कहते हैं
- आलूबुकारा के पत्ते
- आलूबुखारा के बीज का तेल
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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