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किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज पर फिजिकल फिटनेस का प्रभाव होता है सकारात्मक!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/02/2022

    किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज पर फिजिकल फिटनेस का प्रभाव होता है सकारात्मक!

    इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस को टाइप 1 डायबिटीज भी कहा जाता है। यह आमतौर पर 15 साल के पहले शुरू हो जाती हैं, लेकिन यह व्यस्कों में भी डायग्नोस हो सकती है। डायबिटीज में पैंक्रियाज ग्लैंड की स्पेशल सेल्स जिन्हें बीटा सेल्स कहा जाता है इंसुलिन हॉर्मोन को प्रोड्यूस नहीं करती हैं। जो डायबिटीज की बीमारी में अहम भूमिका निभाता है। किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस डायबिटीज का कॉमन टाइप है। किशोरों में डायबिटीज का कारण कई बार करीबी किसी व्यक्ति को डायबिटीज होना होता है। साथ ही किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin dependent diabetes mellitus in adolescents) होने पर उन्हें दूसरे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे कि थायरॉइड और सीलिएक डिजीज होने का रिस्क अधिक होता है।

    इसके साथ ही एनसीबीआई (NCBI) में छपी एक स्टडी के मुताबिक टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में एथेरोस्केलेरोटिक डिजीज (Atherosclerotic disease) का हायर रिस्क होता है। इस आर्टिकल में हम आपको किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin dependent diabetes mellitus in adolescents) और लिपिड और लिपोप्रोटीन लेवल पर फिटनेस का प्रभाव कैसा होता है इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

    किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin dependent diabetes mellitus in adolescents) और उसके लक्षण

    टाइप 1 डायबिटीज वह कंडिशन है जिसमें बॉडी महत्वपूर्ण हॉर्मोन इंसुलिन (Hormone Insulin) का निमार्ण नहीं कर पाती। ऐसे में किशारों को सर्वाइव करने के लिए इंसुलिन की कमी को पूरा करने की जरूरत होती है। इसे इंजेक्शन या इंसुलिन पंप के द्वारा लिया जाता है। किशोरों में इस डायबिटीज का क्योर संभव नहीं है, लेकिन इसे मैनेज किया जा सकता है। ब्लड शुगर की मॉनिटरिंग और इंसुलिन डिलिवरी ब्लड शुगर मैनेजमेंट में सुधार लाती है और किशोरों की जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। किशोरों में डायबिटीज के लक्षण व्यस्कों की तरह ही होते हैं। आमतौर पर ये बहुत अच्छी डेवलप हो जाते हैं। जिनमें निम्न शामिल हैं।

    • बढ़ी हुई प्यास
    • अत्यधिक भूख
    • अनजाने में वजन कम होना
    • थकान
    • चिड़चिड़ापन या व्यवहार में बदलाव
    • बार-बार पेशाब जाना

    एनसीबीआई (NCBI) की स्टडी के अनुसार डायबिटीज वाले मरीजों में लिपिड कॉन्संट्रेशन सीवीडी (CVD) के जोखिम से संबंधित है। कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) से पीड़ित लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण है।

    और पढ़ें: जानिए टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार कैसे किया जाता है

    टाइप 1 डायबिटीज और लिपिड, लिपोप्रोटीन लेवल्स (Type 1 diabetes and lipid, lipoprotein levels)

    टाइप 1 मधुमेह में डिस्लिपिडेमिया को एक महत्वपूर्ण कोरोनरी हृदय रोग जोखिम कारक के रूप में दिखाया गया है। इसलिए हृदय रोग को कम करने के लिए, टाइप 1 मधुमेह के रोगियों में लिपिड असामान्यताओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण लगता है।

    टाइप 1 मधुमेह के मरीजों में लिपिड डिसऑर्डर्स के बारे में पता चलता है, ज्यादातर लिपोप्रोटीन की गुणात्मक असामान्यताएं, एथेरोजेनेसिस (Atherogenesis) को बढ़ावा दे सकती हैं। इन लिपिड असामान्यताओं के पैथोफिजियोलॉजी को पूरी तरह से समझाया नहीं गया है, लेकिन हाइपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) और पेरिफेरल हाइपरिन्सुलिनमिया (Hyperinsulinemia) की इसमें भूमिका निभाने की संभावना है।

    किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस और लिपिड और लिपोप्रोटीन लेवल पर फिटनेस का प्रभाव

    इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस से पीड़ित बच्चों में बीमारी के प्रबंधन के लिए इंसुलिन और डायट के अलावा फिजिकल फिटनेस की भी सिफारिश की जाती है। इस विषय पर डायबिटीज जर्नल में एक स्टडी प्रकाशित की गई। इस अध्ययन का उद्देश्य इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटल से पीड़ित किशोरों के फिटनेस स्तर का आकलन करना और शारीरिक फिटनेस और चयापचय नियंत्रण के बीच संबंधों का मूल्यांकन करना था।

    डायबिटीज जर्नल की स्टडी के अनुसार किशोरों में फिजिकल फिटनेस और लिपिड लेवल्स और लिपोप्रोटीन का एक सहसंबंध है। हम अनुमान लगाते हैं कि आईडीडीएम (IDDM) वाले किशोरों में उच्च शारीरिक फिटनेस स्तर लिपिड स्तरों को संशोधित करके सीवीडी के जोखिम को कम कर सकते हैं। यानी किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस को फिजिकल फिटनेस मददगार हो सकती है। चलिए अब जान लेते हैं कि फिजिकल फिटनेस बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है?

    और पढ़ें: टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट्स को फिजिकल एक्टिविटीज के बाद हो सकती हैं यह परेशानियां, रखना जरूरी है इन चीजों का ध्यान!

    किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस और फिजिकल एक्टिविटी

    8 Feb Toshini 170 धमनी और शिरा में अंतर जानें ऐसे! 7 Feb 1100 https://wp.helloswasthya.com/wp-admin/post.php?post=302764&action=edit&classic-editor 8 Feb Toshini 170 धमनी और शिरा में अंतर जानें ऐसे! 7 Feb 1100 https://wp.helloswasthya.com/wp-admin/post.php?post=302764&action=edit&classic-editor

    सभी को रेगुलर एरोबिक एक्सरसाइज करने की जरूरत होती है। किशोर भी इससे अछूते नहीं हैं। किशोरों को 60 मिनिट की फिजिकल एक्टिविटी रोजना करना चाहिए। पेरेंट्स भी उनके साथ एक्सरसाइज करके उन्हें प्रोत्साहन दे सकते हें साथ ही एक्सरसाइज को उनकी रूटीन का हिस्सा बना सकते हैं। बस एक बात का ध्यान रखें कि फिजिकल एक्टिविटी आमतौर पर ब्लड शुगर लेवल को कम करने का कारण बनती हैं और यह ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकती हैं। संभवत: रात के समय।

    अगर बच्चे ने नई एक्टिविटी शुरू की हैं तो बच्चों का ब्लड शुगर लेवल पहले से ज्यादा बार चेक करना होगा तब तक कि आपको पता न चल जाए कि एक्टिविटी के प्रति उसका शरीर कैसी प्रतिक्रिया देता है। इसके साथ ही एक्टिविटी के हिसाब से बच्चे का मील प्लान और इंसुलिन डोज भी एडजस्ट करना होगा।

    एक्सरसाइज (Exercise)

    किशोर इसके लिए जॉगिंग, स्वीमिंग और वॉकिंग को अपनी रूटीन का हिस्सा बना सकते हैं। इसके अलावा वे इसे गेम जैसे कि टेनिस, बैडमिंटन या फुटबॉल को भी रेगुलर खेल सकते हैं। यह भी एक्सरसाइज की तरह ही काम करेगा। रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (जिसमें वेट के जरिए एक्सरसाइज की जाती है। जिसमें खुद का बॉडी या वेट मशीन या डंबल की मदद ली जाती है) और फ्लैग्जिबिलिटी एक्सरसाइज भी डायबिटीज के मरीज अपना सकते हैं। बच्चों के लिए एक्सरसाइज रूटीन बनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना सही होगा।

    टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों के लिए एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है क्योंकि व्यायाम मांसपेशियों का निर्माण करता है, शरीर को आकार में रखता है, सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करता है, मानसिक रूप से सतर्क रखने में मदद करता है और हृदय की मांसपेशियों की टोन को बढ़ाता है। व्यायाम शरीर द्वारा इंसुलिन को अवशोषित और उपयोग करने के तरीके में सुधार करता है। और यह आमतौर पर रक्त शर्करा को कम कर देता है। इसलिए किशोरों के लिए एक्सरसाइज को अपने रूटीन का हिस्सा बनानाजरूरी है। फिजिकल फिटनेस और डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए हेल्दी ईटिंग भी बेहद जरूरी है।

    और पढ़ें: टाइप 1 पेशेंट्स में हायपोग्लाइसीमिया के कारण जेंडर डिफरेंसेस के बारे में क्या यह सब जानते हैं आप?

    हेल्दी ईटिंग (Healthy eating)

    भोजन किसी भी मधुमेह उपचार योजना का एक बड़ा घटक है, और फिजिकली फिट रहने के लिए जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपके बच्चे को सख्त “मधुमेह आहार” का पालन करना होगा। परिवार के बाकी सदस्यों की तरह, आपके बच्चे के आहार में नियमित रूप से ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए जो पोषण में उच्च और वसा और कैलोरी में कम हों, जैसे:

  • सब्जियां
  • फल
  • लीन प्रोटीन
  • साबुत अनाज
  • बच्चे का डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ एक ऐसा डायट प्लान बनाने में आपकी मदद कर सकता है जो आपके बच्चे की खाद्य प्राथमिकताओं और स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुकूल हो, साथ ही साथ सामयिक उपचारों की योजना बनाने में आपकी सहायता कर सके है। वह आपको यह भी सिखाएगा कि खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट कैसे गिनें ताकि आप इंसुलिन की खुराक का पता लगाते समय उस जानकारी का उपयोग कर सकें।

    और पढ़ें: टाइप 1 डायबिटीज और ऑटोइम्यून थायरॉइड डिजीज में क्या है लिंक?

    उम्मीद करते हैं कि आपको किशोरों में इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin dependent diabetes mellitus in adolescents) और फिजिकल फिटनेस इसे कैसे प्रभावित करती है इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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