इसके साथ ही कुछ बच्चों को छोड़कर उन सब में सी-पेप्टाइड वर्चुअल अनडेटेक्टेबल (Virtually undetectable) था। इन सभी बच्चों को घर पर दस दिनों तक हाय कार्बोहायड्रेट और हाय फाइबर डायट दी गयी जबकि चौदह दिनों तक अस्पताल में उन्हें यह डायट फॉलो करने के लिए कहा गया। इस डायट में 60% कार्बोहायड्रेट थी और 1000 Cal पर 30 g फाइबर थी। उनकी इस डायट में फल, सब्जियां, अनाज और हाय फाइबर क्रैकर्स आदि को शामिल किया गया था।
घर पर आहार से पहले और बेड टाइम में उनके केपिलरी ब्लड ग्लूकोज लेवल्स (Capillary blood glucose levels) को मॉनिटर किया गया। अस्पताल में हर मील से पहले और बाद में व रात में उनका वेनस प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल्स (Venous plasma glucose levels) को मापा गया।
हर एक डायट के साथ प्लाज्मा ग्लूकोज को भी क्रमिक रूप से मापा गया। ऐसा पाया गया कि आहार से पहले, आहार के बाद और दो डायट की फास्टिंग के दौरान ब्लड ग्लूकोज के लेवल में कोई खास फर्क नहीं था। दोनों डायट्स के दौरान प्राप्त किये 24-आर्स प्रोफाइल्स और पोस्टेस्ट मील प्रोफाइल्स (Posttest meal profiles) भी एक जैसे थे। यानी, इस स्टडी में यह पाया गया है कि टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) से पीड़ित वो बच्चे जिनमें रिजुअल बीटा-सेल फंक्शन (Residual beta-cell function) नहीं है, उनमें हाय कार्बोहायड्रेट और हाय फाइबर की लिमिटेड एप्लीकेशन है (Limited application) है।
यह तो थी इस डायट के बारे में की गयी स्टडी के बारे में जानकारी। अब बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लिए HCHF डायट (HCHF diet in Children with Type 1 Diabetes) के बारे में और जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और जान लेते हैं कि इस समस्या से पीड़ित लोगों का आहार कैसा होना चाहिए?
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टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों के लिए आहार कैसा होना चाहिए?
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) में रोगी का शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। ऐसे में उन्हें रोजाना इंसुलिन लेने की सलाह दी जाती है। इंसुलिन के साथ ही डायट और एक्सरसाइज, ब्लड ग्लूकोज लेवल को स्टेबल करने के लिए जरूरी है। हल्दी फूड चॉइसेस और कंसिस्टेंट अमाउंट में आहार का सेवन करने भी ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। इससे डायबिटीज रिलेटेड प्रॉब्लम्स जैसे हार्ट डिजीज, किडनी डिजीज और नर्व डैमेज आदि की संभावना भी कम हो सकती है।