यह सूजन को कम करने के साथ ही घाव को जल्दी भरने के लिए भी जाना जाता है। बता दें कि पैर में चोट और अल्सर डायबिटीज के कॉमन कॉम्प्लिकेशन हैं जो सामान्य व्यक्ति की तुलना में डायबिटिक व्यक्ति में हील होने में ज्यादा समय लेते हैं। एलोवेरा में यह प्रभाव इसमें पाए जाने वाले लेक्टिन्स (Lectins), मन्नास (Mannans) और एंथ्राक्विनोन्स (Anthraquinones) के रहने से होता है।
जर्नल फिजियोथेरेपी रिसर्च में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि एलोवेरा के पत्तों का गूदा, जेल से रहित, नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद हो सकता है।
डायबिटीज में एलोवेरा का यूज करने से पहले ध्यान रखें ये बातें (Keep these things in mind before using aloe vera in diabetes)
दुर्भाग्य से एलोवेरा के उपयोग के साथ भी कुछ रिस्क जुड़े हुए हैं। यह टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित लोगों में ब्लड शुगर के लेवल को कम कर सकता है, लेकिन जो लोग ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए दवाओं का उपयोग कर रहे हैं उन्हें इसका उपयोग ओरली बेहद सावधानी से करना चाहिए। अगर आप दोनों का एक साथ उपयोग करते हैं तो यह हायपोग्लाइसिमिया (Hypoglycemia) का कारण बन सकता है। जिसकी वजह से आपको थकान, पसीना आना, आसामान्य दिल की धड़कन, कंपकंपी होना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
अगर हायपोग्लाइसीमिया बिगड़ जाता है तो यह धुंधला दिखाई देना, ध्यान केन्द्रित ना कर पाना और दौरे का कारण बन सकता है। इसलिए डायबिटीज में एलोवेरा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। ऐसा ना सोचें कि यह एक हर्बल प्रोडक्ट तो इसका कोई नुकसान नहीं होगा और हर्बल प्रोडक्ट्स सभी के लिए सेफ होते हैं ऐसा विचार दिमाग से निकाल दें।
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