backup og meta

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज : क्या है दोनों के बीच में संबंध, जानिए

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज : क्या है दोनों के बीच में संबंध, जानिए

टाइप 2 डायबिटीज हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल के बढ़ जाने के कारण होने वाला रोग है। इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है। डायबिटीज एक भयानक रोग है, जिसके कारण शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों में प्यास लगना, थकावट, नजर का कमजोर होना आदि शामिल है। इसके कारण हमारे शरीर के कई ऑर्गन्स और टिश्यूज डैमेज हो सकते हैं, जिनमें GI ट्रैक्ट यानी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal tract) भी शामिल है। आज हम बात करने वाले हैं टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) के बारे में।

ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज से पीड़ित लगभग 75 प्रतिशत लोगों को कोई न कोई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट समस्या होती है। आइए जानें  टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले जानते हैं कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं क्या होती हैं?

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिजीज (Gastrointestinal Disease) क्या हैं?

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डायबिटीज और डायजेस्टिव और किडनी डिजीज (National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases) के अनुसार हमारा डायजेस्टिव सिस्टम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, लिवर, गॉलब्लेडर से बना होता है जो हमें आहार को पचाने मदद करता है। आहार का न्यूट्रिएंट्स में ब्रेक डाउन होने के लिए डायजेशन जरूरी है, ताकि शरीर उसे एनर्जी ग्रोथ और सेल रिपेयर के लिए प्रयोग करें। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिजीज हमारे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को मुंह से लेकर एनस तक प्रभावित करती है। इन डिजीज का उदाहरण है जी मचलना, फूड पॉइजनिंग , लैक्टोज इनटॉलेरेंस और डायरिया आदि। आइए जानें टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) के बीच के लिंक के बारे में

और पढ़ें : Gastrointestinal (GI) bleeding: गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) ब्लीडिंग क्या होता है?

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) के बीच में क्या लिंक है?

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues)  बीच में यही लिंक है कि टाइप 2 डायबिटीज के कारण हमारा पाचन तंत्र प्रभावित होता है और इससे कई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। जब डायबिटीज के कारण नर्व्ज़ डैमेज होती है तो अन्नप्रणाली और पेट उस तरह से कॉन्ट्रैक्ट नहीं कर पाते हैं जैसे उन्हें करना चाहिए ताकि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के माध्यम से फूड पुश हो सके। डायबिटीज के उपचार में प्रयोग होने वाली कुछ दवाईयां भी GI इशूज का कारण बन सकती हैं। जानिए कुछ GI इशूज के बारे में जो टाइप 2 डायबिटीज से संबंधित हैं और जानिए उनका उपचार किस तरह से हो पाता है?

और पढ़ें : Upper Gastrointestinal Endoscopy : अपर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी क्या है?

गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease)

गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal Reflux Disease) को GERD या हार्टबर्न भी कहा जाता है। जब हम कुछ भी खाते हैं, तो भोजन अन्नप्रणाली से पेट तक जाता है, जहां एसिड्स ब्रेक-डाउन होते हैं। अन्नप्रणाली के नीचे के मसल्स एसिड्स को पेट में रखते हैं। गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की समस्या होने पर यह मसल्स कमजोर हो जाते हैं और इससे यह एसिड अन्नप्रणाली में वापस चला जाता है। इस रिफ्लक्स के कारण छाती में जलन होती है जिसे हार्टबर्न कहा जाता है। टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) में यह बीमारी शामिल है, क्योंकि जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है। उन्हें गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज और हार्टबर्न होने की संभावना बढ़ जाती है।

GERD का एक कारण मोटापा है, जो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में भी सामान्य है। इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर एंडोस्कोपी के माध्यम से पहले रोगी के रिफ्लक्स की जांच करते हैं और उसके एसिड लेवल्स का pH टेस्ट किया जाता है। एंटासिड (Antacid) और प्रोटोन पंप इन्हिबिटर्स (Proton Pump Inhibitors) जैसी दवाईयां लेने से GERD और लक्षणों जैसे हार्टबर्न से आराम मिलता है।

और पढ़ें : टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट का यूज करने से हो सकता है हायपोग्लाइसिमिया, और भी हैं खतरे

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज में गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis in Type 2 Diabetes and GI Issues) 

गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis) की समस्या उसे कहा जाता है जब पेट इंटेस्टाइन में फूड को बहुत धीरे से खाली करता है। पेट के लेट खाली होने के लक्षण इस प्रकार हैं पेट का भरा हुआ महसुस होना (Fullness) , जी मचलना (Nausea) ,उल्टी आना (Vomiting), ब्लोटिंग (Bloating) ,पेट में दर्द (Belly pain) आदि। टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) में इस समस्या के बारे में यह कहा जाता है कि टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लगभग एक तिहाई लोगों को गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या होती है। इसका कारण उस नर्व का डैमेज होना है, जो पेट को कॉन्ट्रैक्ट होने में मदद करे ताकि फूड को इंटेस्टाइन में पुश किया जा सके। इसके निदान के लिए भी एंडोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है। जानिए कैसे होता है इसका उपचार?

गैस्ट्रोपैरीसिस का उपचार (Gastroparesis treatment)

इस समस्या का उपचार करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस समस्या के कारण डायबिटीज को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है। इसका उपचार इस तरह से किया जा सकता है:

  • गैस्ट्रोपैरीसिस के उपचार के लिए मेटोक्लोप्रामाइड (Metoclopramide) और डोमपेरिडन (Domperidone) जैसी ड्रग्स का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है ताकि लक्षणों को कम किया जा सके। मोटीलियम (Motilium) का प्रयोग भी इस स्थिति के उपचार के लिए किया जाता है। इन दवाईयों के अलावा डॉक्टर अन्य दवाईयां भी दे सकते हैं।
  • इसके साथ ही रोगी को कम मात्रा में, लौ फैट आहार खाने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही रोगी को अधिक से अधिक फ्लूइड लेना चाहिए ताकि पेट को खाली करने में आसानी हो। हाय फैट और हाय फायबर फूड को नहीं लेना चाहिए इससे पेट को खाली होने में समय लगेगा।

और पढ़ें : Indigestion: बदहजमी या अपच क्या है? जानें लक्षण, कारण और उपाय

इंटेस्टाइनल एंटेरोपैथी (Intestinal Enteropathy)

एंटेरोपैथी को इंटेस्टाइन से जुड़ी किसी भी बीमारी को कहा जा सकता है। इसके लक्षणों में डायरिया, कब्ज और बॉवेल मूवमेंट्स को कंट्रोल करने में मुश्किल होना आदि शामिल है। इसके उपचार में डायबिटीज में प्रयोग होने वाली ड्रग्स और मेटफॉर्मिन (Metformin) जैसी दवाईयों का प्रयोग किया जाता है। इस समस्या के होने पर डॉक्टर सबसे पहले यह जानेंगे कि आपको कोई अन्य समस्या तो नहीं है जैसे इंफेक्शन। अगर डायबिटीज के लिए प्रयोग होने वाली ड्रग से आपको कोई परेशानी हो रही हो तो डॉक्टर अन्य दवाईयों की सलाह दे सकते हैं। इसके साथ ही डायट में बदलाव के लिए भी कहा जा सकता है।

इस दौरान लक्षणों को कम करने के लिए लौ फैट और फाइबर युक्त आहार लेना चाहिए और इसके साथ ही स्मॉल मील लेने के लिए भी कहा जाता है। डायरिया होने की स्थिति में एंटी-डायरियल ड्रग जैसे इमोडियम (Imodium) को लेने के लिए कहा जाता है। इस स्थिति में डिहायड्रेशन से बचने के लिए रोगी को इलेक्ट्रोलाइट की सलाह दी जाती है कब्ज की स्थिति में लैक्सेटिव्स (Laxatives) दिए जाते हैं

और पढ़ें : बच्चों में यह लक्षण हो सकते हैं टाइप 2 डायबिटीज का संकेत, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी!

फैटी लिवर डिजीज (Fatty Liver Disease)

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) में अगली समस्या है फैटी लिवर डिजीज। डायबिटीज के कारण नॉन एल्कोहॉलिक फैट्टी लिवर डिजीज के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसा तब होता है जब लिवर में फैट बिल्ड-अप हो जाता है और ऐसा एल्कोहल के कारण होता है। ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज से पीड़ित लगभग 60 प्रतिशत लोगों को यह समस्या होती है। फैटी लिवर डिजीज और डायबिटीज दोनों में मोटापा एक सामान्य रिस्क है। इस स्थिति के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले अल्ट्रासाउंड, लिवर बायोप्सी और ब्लड टेस्ट की सलाह दी जाती है। ताकि फैटी लीवर डिजीज का निदान हो सके।

अगर आपमें इस समस्या का निदान हुआ है तो आपको नियमित ब्लड टेस्ट (Blood test) की सलाह दी जाती है। फैटी लिवर डिजीज के कोई भी लक्षण नहीं होते हैं लेकिन इसके कारण लिवर कैंसर और लिवर सिरॉसिस (Liver cirrhosis) का जोखिम बढ़ सकता है। इसे हार्ट डिजीज के अधिक जोखिम से भी जोड़ा जाता है। इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर डायबिटीज को मैनेज करने की सलाह देते है ताकि लिवर को डैमेज होने से बचाया जा सके।

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues)

और पढ़ें : टाइप 2 डायबिटीज के मरीज कभी इग्नोर न करें इन स्किन कंडीशंस को

पैन्क्रियाटाइटिस (Pancreatitis)

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) में अगला है पैन्क्रियाटाइटिस (Pancreatitis) जो पैंक्रियाज से जुड़ी समस्या है।  पैंक्रियाज वो ऑर्गन है, जो इंसुलिन को प्रोड्यूस करता है। इंसुलिन वो हॉर्मोन है, जो ब्लड शुगर (Blood sugar) को कम करने में मदद करता है। इसके लक्षणों पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, बुखार, जी मचलना, उल्टी आना आदि। ऐसा माना जाता है कि टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में पैन्क्रियाटाइटिस का जोखिम उन लोगों से अधिक होता है जिन्हें डायबिटीज की समस्या नहीं होती। गंभीर पैन्क्रियाटाइटिस से कई जोखिम भी जुड़े हुए हैं जैसे इंफेक्शन (Infection), किडनी फेलियर (Kidney Failure) ,ब्रीदिंग  प्रॉब्लम्स (Breathing problems) आदि।

पैन्क्रियाटाइटिस के निदान के लिए कई टेस्ट भी कराए जाते हैं जैसे ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests), अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) , सिटी स्कैन (CT scan) आदि।  इस समस्या के उपचार में दवाईयों के साथ ही कुछ दिनों तक मरीज के लिए फास्टिंग करना जरूरी है। ताकि पैंक्रियाज को ठीक होने में समय मिले।

और पढ़ें : डायबिटीज के मरीजों के लिए इन 5 तरह के आटों का सेवन फायदेमंद है!

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज में डॉक्टर की सलाह कब लें?

यह तो थी टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) के बारे में पूरी जानकारी। लेकिन अगर आपको किसी भी  गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इशू से जुड़ा कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह जरूरी है। यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

  • डायरिया (Diarrhea)
  • कब्ज (Constipation)
  • खाना खाने के तुरंत बाद पेट के भरे हुए होने की फीलिंग (Feeling of fullness)
  • पेट में दर्द (Belly pain)
  • निगलने में समस्या (Trouble swallowing)
  • बॉवेल मूवमेंट्स को कंट्रोल करने में समस्या  (Trouble controlling Bowel Movements)
  • हार्टबर्न (Heartburn)
  • वजन का कम होना (Weight loss)

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) के बारे में एक बात यह भी है कि GI इशूज होने की संभावना टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अधिक रहती है जबकि जो लोग डायबिटीज का शिकार नहीं होते हैं। उन्हें यह समस्या कम होती है। इसके लक्षणों जैसे रिफ्लक्स, डायरिया या कब्ज का आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

और पढ़ें : टाइप 2 डायबिटीज के मरीज कभी इग्नोर न करें इन स्किन कंडीशंस को

क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

टाइप 2 डायबिटीज और GI इशूज (Type 2 Diabetes and GI Issues) के बारे में आप जान ही गए होंगे। इन समस्याओं से राहत पाने के लिए आपको सबसे पहले डायबिटीज के ट्रीटमेंट प्लान के बारे में जानना होगा और उसका अच्छे से पालन करना भी जरुरी है। डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए दवाईयों के साथ ही रोगी को अपने लाइफस्टाइल में खास बदलाव करने पड़ते हैं। जैसे सही आहार का सेवन, नियमित व्यायाम, तनाव से बचाव, पर्याप्त नींद आदि। ब्लड शुगर को सही से मैनेज करके आपको इसके लक्षणों को दूर करने में मदद मिलेगी। अगर आपको डायबिटीज मेडिसिन को लेने से आपको कोई समस्या हो रही है तो इस दवाई को खुद से लेना बंद न करें। बल्कि डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही ऐसा करें। अपने लिए सही मील प्लान के बारे में जानने के लिए आप डायटिशन की सलाह ले सकते हैं।

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Diabetes and the Gastrointestinal Tract. http://journal.diabetes.org/clinicaldiabetes/V18N42000/pg148.htm .Accessed on 28/7/21

Diabetes and the Gut. https://badgut.org/information-centre/a-z-digestive-topics/diabetes-and-the-gut/  .Accessed on 28/7/21

Diabetes and Digestion. https://www.cdc.gov/diabetes/library/features/diabetes-digestion.html .Accessed on 28/7/21

Gastrointestinal Disorders in Diabetes. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK553219/ .Accessed on 28/7/21

Gastrointestinal Symptoms in Diabetes: https://care.diabetesjournals.org/content/41/3/627 .Accessed on 28/7/21

THOSE WITH DIABETES AND DIGESTIVE PROBLEMS MAY BE SUFFERING FROM GASTROPARESIS. https://diabetesresearchconnection.org/diabetes-and-digestive-problems/  .Accessed on 28/7/21

https://www.niddk.nih.gov/health-information/diabetes/overview/diet-eating-physical-activity/ Accessed on 21st November 2021

https://medlineplus.gov/diabeticdiet.html/Accessed on 21st November 2021

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/diabetes/symptoms-causes/syc-20371444/Accessed on 21st November 2021

Current Version

25/11/2021

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

डायबिटीज में अधिक पसीना आना क्या सामान्य है? जानिए एक्सपर्ट से यहां.....

डायबिटीज और यूटीआई : पेशंट की स्थिति को बिगाड़ सकता है बीमारियों का ये मेल!


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/11/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement