GERD के आयुर्वेदिक उपचार
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज पाचन से जुड़ी समस्या है और एसिड रिफ्लक्स इसका बहुत बड़ा कारण है। इसलिए इससे बचने के लिए एसिड रिफ्लक्स की समस्या को ठीक करना जरूरी है। GERD के आयुर्वेदिक उपचार के लिए पहले एसिड रिफ्लक्स और पेट की अन्य समस्याओं का उपचार जरूरी है। आइए, जानते हैं बार-बार परेशान करने वाली एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) और एसिडिटी की समस्या के लिए क्या आयुर्वेदिक उपचार है।
एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) की समस्या से छुटकारा दिलाने में सौंफ, तुलसी के साथ ही किचन में मौजूद अन्य मसाले भी कारगर साबित हो सकते हैं।
– एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) की समस्या होने पर सौंफ, तुलसी और लौंग चबाना फायदेमंद होता है। दरअसल, ऐसी कोई भी चीज जो मुंह में लार बढ़ाती है उससे पेट का एसिड बैलेंस रहता है
– इसके अलावा नारियल पानी और छाछ पीना भी फायदेमंद है। आयुर्वेद के मुताबिक, छाछ पाचन में मदद करने के साथ ही एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) के कारण होने वाली पेट की जलन को भी शांत करता है।
– खाने के बाद गुड़ खाने से भी पाचन (Digestion) ठीक रहता है और एसिडिटी की समस्या नहीं होती।
– यदि आप अक्सर एसिडिटी (Acidity) के परेशान रहते हैं तो जीरा और अजवायन को भूनकर पानी में उबाल लें और इस पानी को ठंडा करके उसमें थोड़ा शक्ककर मिलाकर पीएं।
– जायफल और सोंठ को मिलाकर इसका चूर्ण बना लें और रोजाना एक चुटकी लें, इससे एसिडिटी की समस्या नहीं होगी।
– रोजाना गिलोए के सेवन से भी एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है।
पाचन संबंधी परेशानियों (digestive system problem) से बचने क लिए आयुर्वेद में कुछ सलाह दी गई है जिसमें शामिल है-
- भूख लगने पर ही खाएं
- दो भोजन के बीच में कम से कम 3 घंटे का अंतराल रखें जिससे पिछला भोजन पच जाए
- ठंडा, मसालेदार, ऑयली और तला हुआ खाने से परहेज करें
- हल्का और सामान्य भोजन करें
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पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं के आयुर्वेदिक उपचार (Common stomach problems ayurvedic treatment)
यदि आपका पेट ठीक नहीं रहेगा तो आप कई तरह की बीमारियों से परेशान रहेंगे और हर बार दवा खाना ही उपचार नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि पेट का स्वसाथ्य ठीक रखने के लिए आप कुछ कुदरती और आयुर्वेदिक तरीके आजमाएं।
कब्ज (Constipation)
पेट साफ नहीं होने पर पूरे दिन आपको अच्छा महसूस नहीं होता और फ्रेश फीलिंग भी नहीं आती है। कब्ज (Constipation) होने पर मल त्याग में दिक्कत होती है इसके लिए आयुर्वेद में कुछ उपाय बताए गए हैं
– डेढ़ कप गर्म पानी में एक चम्मच घी और आधा चम्मच नमक मिलाकर भोजन के आधे घंटे बाद इसे धीरे-धीरे पीएं। घी आंत (Intestines) को अंदर से ल्यूब्रीकेट करने और नमक बैक्टीरिया (Bacteria) को बाहर निकालने में मदद करता है। जबकि घी में फैटी एसिड और एंटीइन्फ्लामेट्री तत्व होते हैं जो पाचन में मदद करता है।