
खराब खानपान और असक्रिय जीवनशैली के कारण गैस या एसिडिटी होना आज के समय में आम समस्या है। साथ ही ऑइली या स्पाइसी फूड खाने से पेट में जलन, पेट का बार-बार फूलना, हार्टबर्न, पेट में दर्द आदि एसिडिटी के लक्षण दिखाई देते हैं। गर्ड (GERD) या एसिडिटी का इलाज करने के लिए आमतौर पर लोग एंटासिड की मदद लेते हैं। एसिडिटी से राहत पाने के लिए सीमित मात्रा में एंटासिड लेना सही है, लेकिन लंबे समय तक किसी भी दवा का सेवन करना समस्या पैदा कर सकता है।
इसके अलावा, प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स (पीपीआई) जैसी एसिडिटी दूर करने की दवाओं का काफी लंबे समय तक सेवन किडनी के लिए काफी खतरनाक हो सकता है। आज हम एसिडिटी से राहत दिलाने वाली दवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर करते हैं, ताकि हमारी किडनी स्वस्थ रहे।
एसिडिटी और गर्ड (GERD) क्या है?
एसिडिटी के मूल में जाएं तो यह समस्या खाना पचाने की प्रक्रिया से जुड़ी है। दरअसल, खाना पचाने के लिए पेट हाइड्रोक्लोरिक एसिड रिलीज करता है। अम्लीय खाद्य पदार्थों, एल्कोहॉल आदि के सेवन से इस एसिड का अधिक उत्पादन होने पर एसिडिटी की समस्या उत्पन्न होती है। पेट में जलन, गले में जलन, तेज आवाज के साथ डकार आना, उल्टी जैसा महसूस होना, खट्टी डकारें आना, अत्यधिक गैस पास करना, पेट फूलना आदि एसिडिटी के लक्षण के तौर पर दिखाई देते हैं। एसिडिटी के मरीजों में कब्ज और अपच की समस्या भी देखने को मिलती है। इन सभी समस्याओं से राहत पाने के लिए एसिडिटी का इलाज जरूरी है।
यही पाचन संबंधी समस्या गंभीर होने पर गर्ड यानी गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) का रूप ले लेती है। इस समस्या में खाना पचाने में मदद करने वाला हाइड्रोक्लोरिक एसिड खाने की नली (इसोफेगस यानी मुंह और पेट को जोड़ने वाली नली) में वापस आ जाता है। इसकी वजह से भोजन नली की अंदरूनी सतह में जलन होने लगती है। गर्ड के लक्षण के तौर पर सीने में जलन, निगलने में कठिनाई, खाना पेट में रुक-रुक के जाना जैसे संकेत दिखाई देते हैं। इन गैस्ट्रिक समस्याओं और एसिडिटी का इलाज प्राप्त करने के लिए डॉक्टर एंटासिड लेने की सलाह देते हैं। कुछ मामलों में भोजन नली में बार-बार एसिड के पहुंचने पर आहार नली में सूजन और घाव होने का डर रहता है, जिसे पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) भी कहते हैं।
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एसिडिटी का इलाज कैसे होता है?
गैस, हार्ट बर्न या एसिडिटी का इलाज करने के लिए डॉक्टर एंटासिड लेने की सलाह देते हैं। एंटासिड क्विक रिलीफ मेथड की तरह काम करती है, जो सीधे तौर पर पेट की अम्लता को प्रभावित करती हैं। वैसे, ये एसिड पेट में नैचुरल रूप से मौजूद रहते हैं और भोजन को पचाने में मदद करते हैं। पेट आपके पाचन तंत्र का एकमात्र ऐसा हिस्सा है, जो सबसे कम पीएच (pH) का सामना कर सकता है। जब पेट में मौजूद खाना ग्रासनली (इसोफेगस) में वापस आ जाता है, तो यह हार्ट बर्न का कारण बनता है, क्योंकि ये परत हाइड्रोक्लोरिक एसिड के लिए नहीं बनी है। एंटासिड इन एसिड को बेअसर करने में मदद करता है।
ज्यादातर एंटासिड में निम्नलिखित अवयवों में से एक या अधिक होते हैं:
- एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड (aluminum hydroxide)
- कैल्शियम कार्बोनेट (calcium carbonate)
- मैग्नीशियम ट्राईसिलिकेट (magnesium trisilicate)
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एसिडिटी को ठीक करने में उपयोगी दवाओं के प्रकार
एसिडिटी को ठीक करने में प्रभावशाली एंटासिड ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाएं हैं, जो पेट के एसिड को न्यूट्रल करके एसिडिटी से राहत दिलाने में मदद करती हैं। ये एंटी-एसिड दवाएं तीन तरह की होती हैं-
- पेट का एसिड न्यूट्रल करने वाली या ऐसी एंटी-एसिड्स जो कम समय में तुरंत राहत दिलाती हैं।
- एच2 (रिसेप्टर) ब्लॉकर्स (जैसे कि रेनिटिडिन) जो पेट की कोशिकाओं से उत्पादित एसिड की मात्रा को कम करती हैं : एसिड रिफ्लक्स के लिए प्रभावी होती हैं।
- ओमेप्राजोल, पैंटोप्राजोल, लैंसोप्राजोले जैसी पीपीआई (प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स) जो पेट द्वारा एसिड सीक्रेशन को रोकने का काम करती हैं। एच-2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स की तुलना में पीपीआई एसिड ब्लॉकर्स ज्यादा प्रभावी होती हैं। यदि किसी को लंबे समय (लगभग दो सप्ताह) से गैस्ट्रिक लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है तो ऐसी स्थिति में पीपीआई मेडिसिन्स लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक नियमित तौर पर पीपीआई के सेवन से नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं।
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क्या इन दवाओं के कोई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
एंटी-एसिड दवाओं के आमतौर पर कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन डॉक्टर के निर्देश के अनुसार अगर आप इनका इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो आपको कुछ आम समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हमें खासतौर से यह ध्यान रखने की जरूरत है कि, लंबे समय तक नियमित तौर पर पीपीआई एंटासिड का सेवन करने के नुकसान हो सकते हैं। हालांकि, इसके साइड इफेक्ट्स आपके समग्र स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है और इसके अलावा, यह भी ध्यान देना जरूरी है कि आपको पीपीआई (PPI) ड्रग्स कब तक लेनी है। इसलिए, मरीज को दवा के इस्तेमाल से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से उसके लाभ और जोखिम के बारे में जानना चाहिए।
एसिडिटी का इलाज: प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स (पीपीआई) और किडनी का संबंध
जब थोड़े समय के लिए पीपीआई (PPI) का उपयोग किया जाता है तो कुछ सामान्य से साइड इफेक्ट्स दिखाई दे सकते हैं जो क्षणिक हो सकते हैं। सबसे आम दुष्प्रभावों में कब्ज, दस्त, पेट फूलना, सिरदर्द, पेट खराब, मतली और उल्टी शामिल हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि गैस या एसिडिटी के उपचार के लिए दी जाने वाली पीपीआई दवाओं का लंबे समय तक उपयोग किडनी पर बुरा असर डालता है। स्टडी के अनुसार पीपीआई ड्रग्स के दुष्प्रयोग से ऐसे व्यक्ति में क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा बढ़ा जाता है, जिनकी किडनी पहले सामान्य रूप से काम करती थी।
इसका मतलब यह नहीं है कि पीपीआई का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को क्रोनिक किडनी रोग हो जाएगा, लेकिन उन को एंटासिड के नुकसान के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसी तरह के एक शोध ने सुझाव दिया कि, नियमित रूप से पीपीआई लेने वाले व्यक्तियों में डिमेंशिया का खतरा 44% अधिक था।
किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रदीप अरोड़ा की माने तो, ‘पीपीआई का इस्तेमाल हो सके तो आठ हफ्तों तक ही किया जाना चाहिए, अगर इससे ज्यादा इसका इस्तेमाल होता है, तो किडनी को विशेष निगरानी की जरूरत पड़ सकती है।’
एसिडिटी का इलाज : पीपीआई और एक्यूट इन्टर्स्टिशल नेफ्राइटिस (Acute interstitial nephritis)
नियमित तौर पर पीपीआई ड्रग्स का प्रयोग करने से ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें गुर्दे के अंदर सूजन आ जाती है। यह आमतौर पर आपके द्वारा ली जाने वाली दवाओं जैसे पीपीआई की एक एलर्जी की प्रतिक्रिया की वजह से होता है। यदि गुर्दे के अंदर की सूजन को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पीपीआई का उपयोग करने से एक्यूट इन्टर्स्टिशल नेफ्राइटिस विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
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एसिडिटी का इलाज : पीपीआई और हार्ट अटैक की संभावना
पीपीआई का लंबे समय तक (कई महीनों से सालों तक) उपयोग करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ सकता है। अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन ने प्रदर्शित किया था कि पीपीआई ड्रग्स का प्रयोग स्वतंत्र रूप से पुराने किडनी रोग के 20-50 प्रतिशत अधिक जोखिम के साथ किया गया था। स्टडी में बताया गया है कि कैसे पीपीआई दवाएं किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं और खून को प्रभावी ढंग से फिल्टर करने के लिए इसकी क्षमता को कम करती हैं। कई अन्य अध्ययनों में इसे दिल के दौरे की बढ़ती संभावना, विटामिन बी 12 की कमी और हड्डी के फ्रैक्चर का कारण भी माना है।
एंटासिड के नुकसान शरीर को न हो इसके लिए बेहतर होगा कि डॉक्टर की सलाह से ही इनका इस्तेमाल करें। साथ ही निर्देशित समय तक ही निश्चित खुराक लें। गैस, अपच जैसी गैस्ट्रिक समस्याओं के उपचार के लिए जीवनशैली में निश्चित बदलाव करें। नियमित रूप से व्यायाम और स्वस्थ आहार को शामिल अपनी आदतों में शामिल करें। एसिटिडी का इलाज या इससे जुड़ी किसी प्रकार की कोई समस्या के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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