अगर किसी को अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) के लक्षण हैं तो डॉक्टर एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT Scan) के जरिए अपेंडिक्स का अवलोकन करेगा।
बायोप्सी (Biopsy)
ट्यूमर अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) है या नहीं इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर बायोप्सी (Biopsy) करेंगे। इसके लिए वे नीडल के जरिए ट्यूमर से छोटा सैम्पल लेंगे। फिर इस सैम्पल की स्टडी माइक्रोस्कोप के जरिए की जाएगी ताकि पता लगाया जा सके कि यह किस प्रकार का ट्यूमर है। अपेंडिक्स की बायोप्सी करना काफी कठिन होता है। इसलिए अकसर डॉक्टर इसके लिए उन टिशूज का उपयोग करते हैं जहां तक कैंसर फैल सकता है।
डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी (Diagnostic Laparoscopy)
इस प्रॉसीजर में इंट्रूमेंट को एब्डोमेन में इंसर्ट किया जाता है ताकि ऑर्गन के एरिया को देख जा सके। अगर डॉक्टर ट्यूमर के संकेत देखते हैं तो वे पेरीटोनियम (Peritoneum) की बायोप्सी कर सकते हैं ताकि पता चल सके कि कैंसर कहां तक फैल चुका है।
लैब टेस्ट्स (Lab tests)
यदि बायोप्सी में इस बात का पता चल जाता है कि मरीज को अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) है तो डॉक्टर कुछ लैब टेस्ट रिकमंड कर सकते हैं जिसमें ब्लड में प्रोटीन लेवल की जांच की जाती है। यह कैंसर की स्टेज का निर्धारण में मदद करता है। कैंसर की स्टेज (Appendiceal cancer stage) जानने के बाद ट्रीटमेंट करना आसान हो जाता है।
अपेंडिक्स कैंसर का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है? (Treatment Options for Appendix Cancer)
ट्रीटमेंट कैंसर के प्रकार और उसकी स्टेज पर निर्भर करता है। डॉक्टर इनके आधार पर बेस्ट ट्रीटमेंट प्लान सजेस्ट कर सकते हैं। निम्न ट्रीटमेंट्स ऑप्शन उपलब्ध हो सकते हैं।
सर्जरी (Surgery)
सर्जरी अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) का सबसे आम उपचार है। सर्जरी के द्वारा अपेंडिक्स या इसके आसपास के एरिया के अंगों या टिशूज को निकाल दिया जाता है जहां तक कैंसर फैल चुका होता है या जिनके प्रभावित होने की संभावना होती है। प्रभावित एरिया में एब्डोमेन, पेल्विक एरिया, कोलोन, इंटेस्टाइन आदि शामिल हैं।
कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
जब अपेंडिसियल कैंसर (Appendiceal cancer) एब्डोमेन के दूसरे हिस्सों में फैल चुका होता है तो कीमोथेरिपी (Chemotherapy) का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है। कीमोथेरिपी देने का भी अलग-अगल तरीका होता है। सिस्टेमिक कीमोथेरिपी (Systemic chemotherapy) इंट्रावेन्सली (intravenously) या मुंह के जरिए दी जाती है। वहीं रीजनल कीमोथेरिपी सीधे एब्डोमेन में दी जाती है। जिसमें (Hyperthermic intraperitoneal chemotherapy (HIPEC) शामिल है। कभी-कभी सिस्टेमिक और रीजनल कीमोथेरिपीज का कॉम्बिनेशन भी दिया जाता है।