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टाइप 2 डायबिटीज के कारण स्ट्रोक (Stroke) की समस्या
टाइप 2 डायबिटीज के लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन (Long Term Complications of Diabetes Type 2) में स्ट्रोक की समस्या भी शामिल है। ब्रेन में जब ब्लड क्लॉट ब्लड वैसल्स बंद कर देते हैं, तो स्ट्रोक की समस्या पैदा हो जाती है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) की मानें, तो टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित पेशेंट में स्ट्रोक का खतरा 1.5 गुना बढ़ जाता है। हाय ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, हाय कोलेस्ट्रॉल, स्मोकिंग, मोटापा आदि भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देता है।
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विजन प्रॉब्लम (Vision problems)
डायबिटीज के कारण आंखों की छोटी ब्लड वैसल्स को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में आय कंडीशन जैसे कि ग्लूकॉमा (Glaucoma), मोतियाबिंद, डायबिटीज रेटिनोपैथी (Diabetic retinopathy) आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको डायबिटीज की बीमारी हुई है, तो आपको समय-समय पर आंखों की जांच करानी चाहिए। अगर आप आंखों की देखभाल नहीं करते हैं, तो रेटीना डैमेज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। अधिक गंभीर स्थिति में आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। अगर आपको देखने में किसी भी तरह की समस्या महसूस हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर समय पर आंखों की जांच करा ली जाए, तो आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज के लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन में शामिल है फूट अल्सर (Foot ulcers)
टाइप 2 डायबिटीज के लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन (Long Term Complications of Diabetes Type 2) में फूट अल्सर (Foot ulcers) भी बड़ी समस्या के रूप से सामने आ सकता है। ऐसा नर्व डैमेज (Nerve damage) हो जाने के कारण होता है। डायबिटीज के पेशेंट को फूट प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है। अगर समय पर अल्सर का ट्रीटमेंट नहीं कराया जाता है, तो ये गैंग्रीन ( Gangrene) का कारण भी बन सकता है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes के पेशेंट को अपने पैरों को साफ रखना चाहिए और साथ ही किसी भी चोट या फिर इंजुरी से बचाना चाहिए। पैरों में आरामदायक सॉक्स पहना भी बहुत जरूरी है ताकि पैर सुरक्षित रहें। अगर डायबिटीज पेशेंट को किसी भी समस्या का सामना करना पड़े, तो तुरंत डॉक्टर को जानकारी दें और ट्रीटमेंट कराएं।
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गैस्ट्रोपरीसेस (Gastroparesis)
टाइप 2 डायबिटीज के लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन (Long Term Complications of Diabetes Type 2) में गैस्ट्रोपरीसेस भी एक बड़ी समस्या है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल हमेशा ही हाय रहता है, तो ये वेगस नर्व को डैमेज करने का काम करता है। वेगस नर्व फूड के मूवमेंट को डायजेस्टिव ट्रेक्ट में कंट्रोल करने का काम करती है। इसे अन्य प्रकार की ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी (Autonomic neuropathy) भी कहते हैं। गैस्ट्रोपरीसेस (Gastroparesis) के कारण वेगस नर्व काम करना बंद कर देती है और इस कारण से स्टमक को खाली होने में अधिक समय लग सकता है। इसे डिलेट गैस्ट्रिक एम्पटींग (Delayed gastric emptying) के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या के कारण पेशेंट को वॉमिटिंग (Vomiting), हार्टबर्न, ब्लोटिंग (Bloating), भरेपन का एहसास, भूख की कमी, वेट लॉस आदि का एहसास होता है। अगर आपको भी ये समस्या महसूस हो, तो आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
टाइप 2 डायबिटीज के लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन : डायबिटीज के कारण किडनी डैमेज (Kidney damage)
अगर हाय ब्लड प्रेशर के साथ ही व्यक्ति को लंबे समय तक हाय ब्लड शुगर भी समस्या के कारण किडनी की समस्या हो जाती है। इस कारण से किडनी फिल्टर का काम सही से नहीं कर पाती है और वेस्ट फिल्टर नहीं हो पाता है। अगर आप अपनी हेल्थ को मेटेंन करना चाहते हैं, तो समय-समय पर ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर जरूर चेक कराएं। अगर आपकी किडनी संबंधित फैमिली हिस्ट्री है, तो आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। अगर आपको वीकनेस के साथ ही सोने में समस्या महसूस हो रही है, तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से जांच कराएं। ऐसा करने से आप किडनी को डैमेज (Kidney damage) होने से बचा सकते हैं।
दांतों में समस्या (Tooth decay)
डायबिटीज के कारण दांतों में भी समस्या पैदा हो सकती है। टाइप 2 डायबिटीज के लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन (Long Term Complications of Diabetes Type 2) में दांतों से संबंधित समस्या मुख्य रूप से शामिल है। डायबिटीज की समस्या में स्मॉल ब्लड वैसल्स डैमेज हो जाती हैं। जो ब्लड वैसल्स टीथ या गम को नरिश करती हैं, वो धीरे-धीरे डैमेज होने लगती हैं, जो टूथ डिके के रिस्क को बढ़ा देता है। ये गम इंफेक्शन का कारण भी बन सकता है। आपको समय-समय पर दांतों की जांच करानी चाहिए
डायबिटीज की बीमारी को कंट्रोल करने के लिए आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए और साथ ही समय पर दवाओं का सेवन करना चाहिए। दवाओं का सेवन करने के साथ ही आपको एक्सरसाइज, कुछ फूड्स से परहेज भी करना चाहिए। ऐसा करके आप डायबिटीज और उससे संबंधित बीमारियों को कंट्रोल में कर सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको टाइप 2 डायबिटीज के लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन (Long Term Complications of Diabetes Type 2) से संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा। डायबिटीज को मैनेज करने के लिए आपको अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। बीमारियों को दूर रखने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल बहुत जरूरी है। अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो डॉक्टर से जरूर पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।