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डायबिटीज टाइप 2 में मेडिकेशन: सल्फोनायलयूरिया (Sulfonylureas)
डायबिटीज के मरीजों में ये आज भी उपयोग की जाने वाली सबसे पुरानी मधुमेह (Diabetes) दवाओं में से एक है। यह बीटा कोशिकाओं की मदद से अग्न्याशय (Pancreas) को उत्तेजित करने का काम करते हैं। यह शरीर में इंसुलिन के निमार्ण (Insulin Production) में मददगार है। इन दवाओं में शामिल हैं:
- ग्लिमेपाइराइड (एमेरील) (Glimepiride (Amaryl)
- ग्लिमेपाइराइड-पियोग्लिटाज़ोन (डुएटैक्ट)
- glimepiride-pioglitazone (Duetact)
- ग्लिमेपाइराइड-रोसिग्लिटाज़ोन (अवंडारील) -rosiglitazone (Avandaryl)
- ग्लिक्लाजाइड (Gliclazide)
- ग्लिपिजाइड (ग्लूकोट्रोल) (Glipizide (Glucotrol)
- ग्लिपिजाइड-मेटफोर्मिन (मेटाग्लिप) (Glipizide-metformin (Metaglip)
- ग्लाइबराइड-मेटफोर्मिन (ग्लूकोवेंस) (Glyburide-metformin (Glucovance)
- क्लोरप्रोपामाइड (डायबीनीज) (chlorpropamide (Diabinese)
- टोलजामाइड (टोलिनेज़) (Tolazamide (Tolinase)
- टोलबुटामाइड (ओरिनेज, टोल-टैब) (Tolbutamide (Orinase, Tol-Tab)
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डायबिटीज टाइप 2 में मेडिकेशन: थीयाजोलिडायनडायवनंस (Thiazolidinediones)
डायबिटीज टाइप 2 में मेडिकेशन में थियाजोलिडाइनायड्स, आपके लिवर में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मददगार है। वे आपकी वसा कोशिकाओं को इंसुलिन का बेहतर उपयोग करने में भी मदद करते हैं। ये दवाएं हृदय रोग (Heart disease ) के बढ़ते जोखिम का कारण भी बन सकती है। यदि आपका डॉक्टर आपको इनमें से कोई एक दवा देता है, तो वे उपचार (Treatment) के दौरान समय-समय पर हार्ट की कुछ जांचें भी जरूरी हैं।
- रोसिग्लिटाजोन-ग्लिमेपाइराइड (अवंडारील) (Avandaryl)
- रोसिग्लिटाजोन-मेटफोर्मिन (एमरिल एम) (Amaryl M)
- रोसिग्लिटाजोन (एक्टोस) (Actos)
- रोसिग्लिटाजोन-एलोग्लिप्टिन (ओसेनी) (Oseni)
- रोसिग्लिटाजोन-ग्लिमेपाइराइड (डुएटैक्ट) (Duetact)
- रोसिग्लिटाजोन-मेटफोर्मिन (एक्टोप्लस मेट, एक्टोप्लस मेट एक्सआर) (Actoplus Met, Actoplus Met XR)
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डायबिटीज टाइप 2 में मेडिकेशन ,इंजेक्ट मेडिकेशन: इंसुलिन थेरिपी (Insulin therapy)
डायबिटीज टाइप 2 में मेडिकेशन में इंसुलिन भी शामिल है। इंसलुिन हमारे शरीर का बहुत महत्व्पर्ण हॉर्मोन (Hormone) है, जिसमें होने वाला उताच-चढ़ाव डायबिटीज की समस्या (Diabetes Problem) का कारण बन सकता है। इंसुलिन का कार्य हमारे द्वारा खाए गए भोजन को एनर्जी में बलना है। इंसुलिन का मुख्य कार्य रक्त शर्करा के बढ़ते हुए स्तर को रोकना है। रक्त से ग्लूकोज (Glucose in Body level) को निकालने और ग्लूकोज का उपयोग करने के लिए शरीर की कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन की आवश्यकता होती है। कोशिकाएं ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए ग्लूकोज का उपयोग करती हैं। जब भोजन एनर्जी के रूप में नहीं बदल पाता है, तो ग्लूकोज के रूप में रक्त में मिल जाता है। तो ऐसे डॉक्टर कुछ पेशेंट में ओरल टैबल की जगह या कुछ ओरल टैबलेट के साथ इंसुलिन लेने की सलाह देते हैं।
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इंसुलिन के प्रकार (Types of insulin)
इंसुलिन के प्रकार (Types of insulin) कई रूप से मधुमेह का इलाज करते हैं। आपका डॉक्टर इंसुलिन के प्रकार को निर्धारित करने के लिए आपके मधुमेह (Diabetes) के बारे में पूरी जानकारी लेंगे। उसके अनुसार फिर वो तय करेंगे, जिनमें शामिल हैं:
आप कई तरीकों में से एक में इंसुलिन ले सकते हैं:
इंसुलिन इंजेक्शन (Insulin injection) : ब्लड शुगर (Blood Sugar) को सामान्य रखने के लिए इंसुलिन दिया जाता है। इसमें सीरिंज द्वारा इंसुलिन इंजैक्शन खुद को लगाया जाता है।
इंसुलिन पंप (Insulin Pump): इंसुलिन (Insulin) पंप एक छोटा यंत्र है, जिसमें एक बीपर होने के साथ यह डिजिटल है। सामान्य तौर पर इंसुलिन पंप दो प्रकार के होते हैं, पहला बेसल रेट होता है। यह लगातार दिनभर में कम मात्रा में शरीर में इंसुलिन की मात्रा को पहुंचाते रहता है।
इंसुलिन पेन (Insulin Pen): यह पेन की तरह दिखता है लेकिन इसके सिरे पर एक सुई होती है। कुछ में इंसुलिन पहले से भरा हुआ होता है।
यहां आपने डायबिटीज टाइप 2 में मेडिकेशन के बारें में जाना। लेकिन इन दवाइयों का सेवन कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना न लें, ऐसा करना आपके जान को जोखिम में डाल सकता है। क्योंकि अपके शुगर लेवल और आपके डायबिटीज की हिस्ट्री चैक करते हुए आपको दवा परामर्श करेंगे। यदि आपकी शुगर कंट्रोल में नहीं है, तो हो सकता है डॉक्टर आपको इंसुलिन की सलाह दे। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें।