हालांकि, अभी तक किये गए अध्ययनों से यह अंतर स्पष्ट नहीं हो पाया है। सबसे आम हायपोग्लाइसीमिया लक्षणों को फिजियोलॉजिकल स्टडी में सबग्रुप्स में बांटा गया है और स्टेटिस्टिकल मेथोडोलोजी द्वारा फैक्टर एनालिसिस का उपयोग किया गया है। टाइप 1 पेशेंट्स में हायपोग्लाइसीमिया के कारण जेंडर डिफरेंसेस (Gender differences in response to hypoglycemia in type 1 diabetes patients) के बारे में अभी और स्टडीज की जानी जरुरी हैं। यह तो थी टाइप 1 पेशेंट्स में हायपोग्लाइसीमिया के कारण जेंडर डिफरेंसेस (Gender differences in response to hypoglycemia in type 1 diabetes patients) के बारे में जानकारी। अब जान लेते हैं टाइप 1 पेशेंट्स हायपोग्लाइसीमिया की समस्या को कैसे मैनेज किया जा सकता है।

टाइप 1 पेशेंट्स हायपोग्लाइसीमिया की समस्या को कैसे मैनेज करें? (How to manage hypoglycemia)
अगर टाइप 1 पेशेंट्स हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) के लक्षणों को अधिक देर तक इग्नोर करें, तो वो बेहोशी महसूस कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे ब्रेन को फंक्शन करने के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है। ऐसे में इसके लक्षणों को शुरुआत में ही पहचानना बेहद जरूरी है। क्योंकि, अगर इसका उपचार सही समय पर न हो, तो इसके कारण कई कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। इस समस्या को इस तरह से मैनेज किया जा सकता है:
टाइप 1 पेशेंट्स में हायपोग्लाइसीमिया के कारण जेंडर डिफरेंसेस: ब्लड शुगर को मॉनिटर करें (Monitor blood sugar)
इस समस्या से पीड़ित रोगी को अपने ट्रीटमेंट के अनुसार लगातार अपने ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को रिकॉर्ड करना पड़ सकता है। इसके बारे में डॉक्टर की सलाह लें और इसके बाद नियमित रूप से अपने ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करें।
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अपने मील या स्नैक्स को स्किप न करें (Don’t skip meals or snacks)
अगर आप इंसुलिन या ओरल डायबिटीज मेडिकेशन ले रहे हैं, तो जिस आहार का आप सेवन कर रहे हैं उसकी मात्रा को लेकर कंसिस्टेंट रहें। यही नहीं, अपने मील या स्नैक को टाइमिंग को लेकर भी जागरूक रहें।
टाइप 1 पेशेंट्स में हायपोग्लाइसीमिया के कारण जेंडर डिफरेंसेस: दवाईयों का ध्यान रखें (Medications)
अपनी दवाईयों का पूरी तरह से ध्यान रखना बेहद जरूरी है। यही नहीं, इन्हें सही समय पर लें और उसी तरह से लें जैसे डॉक्टर न कहा है। अगर आपने फिजिकल एक्टिविटीज बढ़ाई ,हैं तो अपनी मेडिकेशन को एडजस्ट करें और अतिरिक्त स्नैक्स लें। यह एडजस्टमेंट आपके ब्लड शुगर टेस्ट के रिजल्ट्स, एक्टिविटी के प्रकार और लेंथ और जिस मेडिकेशन्स को आप ले रहे हैं, उन पर निर्भर करती है।
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लो ग्लूकोज रिएक्शंस को रिकॉर्ड करें (Record low glucose reactions)
लो ग्लूकोज रिएक्शंस को रिकॉर्ड करना बेहद जरूरी है। इससे आपको और आपके डॉक्टर को हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) का कारण बनने वाले कारणों को पहचानने में मदद मिलेगी। जिससे आपको बचने के उपाय जानने में भी सहायता मिल सकती है। अगर आप एल्कोहॉल का सेवन करते हैं, तो कभी भी खाली पेट इसका सेवन न करें, क्योंकि ऐसा करना हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) का कारण बन सकता है।