इलेक्ट्रिकल फंक्शन का आकलन करने के लिए हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को रिकॉर्ड करना नियंत्रित परिस्थितियों में ऑब्जरवेशन के लिए कुछ एब्नार्मल रिदम लाने के लिए हार्ट को पेस देना डॉक्टर रोगी की हृदय गति को बढ़ाने के लिए कैथेटर के माध्यम से इलेक्ट्रिसिटी पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम का प्रयोग करेंगे। अगर रोगी को महसूस होता है कि आपका हार्ट तेजी और मजबूती से धड़क रहा है, तो डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में जानना चाहेंगे। अगर इर्रेगुलर हार्ट रिदम शुरू होती है, तो डॉक्टर आपको कुछ दवाइयां दे सकते हैं, ताकि जान पाएं कि इन दवाइयों से यह हार्ट रिदम किस तरह से कंट्रोल होती है। यदि आवश्यक हो, तो नार्मल रिदम को वापस लाने के लिए आपकी छाती पर पैच द्वारा थोड़ी मात्रा में एनर्जी दी जा सकती है।
इस स्टडी के दौरान जो जानकारी इकट्ठी होती है, उसके बाद डॉक्टर एबलेशन प्रोसीजर (Ablation Procedure) को शुरू कर सकते हैं।
रोगी के हार्ट द्वारा प्रोड्यूस किए गए इलेक्ट्रिकल सिग्नल खास कैथेटर द्वारा पिक और रिकॉर्ड की जाती है। इसे कार्डियक मैपिंग कहा जाता है, जो डॉक्टर को जहां से एरिथमिया की समस्या हो रही है उस जगह को लोकेट करने में मदद करेगा। इसके बाद कैथेटर और IV लाइन को रिमूव कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में एक से चार घंटे लग सकते हैं।
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इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल टेस्टिंग के बाद क्या होता है?
इस टेस्ट के बाद रोगी को कुछ देर ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है। डॉक्टर रोगी के लक्षणों को मॉनिटर करते हैं। अगर रोगी को चेस्ट पेन या कसाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर को बता दें।
- कुछ घंटों के बाद शीथ (sheath) को निकाल दिया जाता है और मरीज को खाने में हल्का आहार दिया जाता है।
- इंसर्शन स्थान पर ब्लीडिंग, दर्द, सूजन आदि का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यह इंफेक्शन का संकेत हो सकते हैं। इंसर्शन साइट को साफ और सूखा रखना भी जरूरी है।
- आपको कुछ दिन तक कोई भी भारी शारीरिक गतिविधि करने के लिए मना किया जा सकता है।