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हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया : दिल की इस बीमारी में कैसे रखें अपना ख्याल?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया : दिल की इस बीमारी में कैसे रखें अपना ख्याल?

    आज हम हार्ट वॉल्व्स से संबंधित एक समस्या जिसे हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) कहा जाता है, के बारे में बात करने वाले हैं। हार्ट वॉल्व संबंधित रोग होने पर हार्ट में एक या एक से अधिक वॉल्व ठीक से काम नहीं करते हैं। कई मामलों में यह वॉल्व सही से खुल या बंद नहीं हो पाते। हमारे हार्ट के चार वॉल्व होते हैं जो ब्लड को सही दिशा में फ्लो करने में मदद करते हैं। इन वॉल्व्स को माइट्रल वॉल्व (Mitral Valve), ट्रायकसपिड वॉल्व (Tricuspid Valve), पल्मोनरी वॉल्व (Pulmonary Valve) और एयोर्टिक वॉल्व (Aortic Valve) के नाम से जाना जाता है। इन वॉल्व्स में फ्लैप्स होते हैं जो हर हार्टबीट के साथ खुलते हैं और बंद होते हैं। लेकिन कई बार यह वॉल्व सही से खुल या बंद नहीं हो पाते जिससे हार्ट से शरीर में रक्त के प्रवाह बाधित होता है।  जानिए इसके बारे में विस्तार से।

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया क्या है? (Heart Valve Dysplasia)

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) एक जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defect) है, जो माइट्रल वॉल्व (Mitral Valve), , पल्मोनरी वॉल्व (Pulmonary Valve), ट्रायकसपिड वॉल्व (Tricuspid Valve) और एयोर्टिक वॉल्व (Aortic Valve) को प्रभावित करता है। माइट्रल और ट्रायकसपिड वॉल्व डिस्प्लेसिया के कारण लीकेज और स्टेनोसिस की समस्या हो सकती है। माइट्रल वॉल्व (Mitral Valve) और ट्रायकसपिड वॉल्व (Tricuspid Valve) डिस्प्लेसिया को एट्रियोवेंट्रिक्यूलर वॉल्व (Atrioventricular Valves) भी कहा जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के मुताबिक हार्ट संबंधित समस्याओं से पीड़ित कुल लोगों में से दो प्रतिशत लोग माइट्रल वॉल्व (Mitral Valve) की समस्याओं से पीड़ित होते हैं लेकिन इनमें बहुत कम लोग इससे जुड़ी गंभीर समस्याओं का अनुभव करते हैं।

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    इस समस्या का निदान एकोकार्डियोग्राम के साथ संभव है। लेकिन सिग्निफिकेंट हार्ट एनलार्जमेंट (Significant heart Enlargement) की समस्या होने पर इस रोग का निदान मुश्किल हो सकता है। जानिए क्या हैं इसके लक्षण?

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया के लक्षण (Symptoms of Heart Valve Dysplasia)

    हार्ट वॉल्व से जुडी समस्याओं में हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) भी शामिल है। इस स्थिति में रोगी कई सालों तक कोई लक्षण महसूस नहीं करते हैं। लेकिन इनके कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    हार्ट से आने वाली एब्नार्मल साउंड (Abnormal Sound)

    छाती में दर्द (Chest Pain)

    पेट में सूजन (Abdominal swelling)

    थकावट (Fatigue)

    सांस लेने में समस्या (Breathing Problem)

    टखने और पैर में सूजन (Swelling of Ankles and Feet)

    चक्कर आना (Dizziness)

    बेहोशी (Fainting)

    असामान्य हार्टबीट (Irregular Heartbeat)

    अगर डॉक्टर को हार्ट से आने वाली असामान्य आवाज जिसे हार्ट मर्मर कहा जाता है, का संदेह हो तो वो आपको कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाने के लिए कह सकते हैं। इसके साथ ही अगर रोगी को इनमें से कोई भी लक्षण नजर आता है, तो मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है। जानिए, हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) के कारण क्या हैं ?

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    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया के कारण (Causes of Heart Valve Dysplasia)

    जैसा की पहले ही बताया गया है कि हमारे दिल के चारों वॉल्व ब्लड को सही दिशा में फ्लो करने में मदद करते हैं। लेकिन अगर इन चारों वॉल्व्स में से कोई भी ठीक से काम नहीं करता है, तो उसके कारण वॉल्व संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। उन्हीं में से एक है हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia)। इस समस्या के कारणों के बारे में सही जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि जेनेटिक्स इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह समस्याएं कई बार जन्म के समय भी शिशुओं में मौजूद होती हैं। इस रोग के रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) और हार्ट वॉल्व की अन्य समस्याएं, कई जटिलताओं का कारण भी बन सकती हैं। जिनमें हार्ट फेलियर (Heart Failure) ,स्ट्रोक (Stroke) , ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots), हार्ट रिदम अब्नोर्मलिटीज़ (Heart Rhythm Abnormalities) आदि शामिल हैं। कुछ गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। इस तरह से किया जाता है इस रोग का निदान।

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    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of Heart Valve Dysplasia)

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी के लक्षणों की जांच करेंगे और शारीरिक जांच भी की जाएगी। शारीरिक जांच में डॉक्टर हार्ट मर्मर को सुनेंगे, क्योंकि यह हार्ट वॉल्व की समस्या का संकेत हो सकती है। इसके साथ ही डॉक्टर स्थिति के निदान के लिए कई टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं। यह टेस्ट इस प्रकार हैं:

    एकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)

    इस टेस्ट में रोगी के सीने पर लगे एक बैंड के समान डिवाइस (ट्रांसड्यूसर) से दिल की ओर डायरेक्टेड साउंड वेव्स रोगी के हृदय की गति की वीडियो इमेज बनाती हैं। यह टेस्ट रोगी के हृदय की संरचना, और हार्ट से ब्लड का आकलन करता है।

    इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)

    इस टेस्ट में रोगी की त्वचा पर पैड से जुड़े तार (इलेक्ट्रोड) रोगी के हार्ट से इलेक्ट्रिकल इम्पल्सिस को मापते हैं। इस टेस्ट से हार्ट डिजीज (Heart Disease), एब्नार्मल हार्ट रिदम (Abnormal Heart Rythm) और दिल के एंलार्जड चैम्बर्स (Heart Enlarged Chambers) को भी डिटेक्ट किया जा सकता है।

    चेस्ट एक्स-रे (Chest X-Ray)

    चेस्ट एक्स-रे से डॉक्टर को इस बारे में जानने में मदद मिलती है कि हार्ट एंलार्जड है या नहीं जिससे हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) के बारे में जाना जा सकता है। इस एक्स-रे से डॉक्टर को रोगी के फेफड़ों की स्थिति का भी पता चल सकता है।

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    कार्डियक मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging )

    इस टेस्ट में मैग्नेटिक फ़ील्ड्स और रेडियो वेव्स का प्रयोग किया जाता है ताकि हार्ट की डिटेल्ड इमेज बनाई जा सके। यह टेस्ट हार्ट स्थिति की गंभीरता को जांचने के लिए किए जाते हैं।

    एक्सरसाइज टेस्ट या स्ट्रेस टेस्ट (Exercise Test or Stress Stress)

    फिजिकल एक्सेरशन के बाद हमारा हार्ट किस तरह से काम करता है, इस चीज को जांचने के लिए विभिन्न एक्सरसाइज टेस्ट किए जाते हैं।

    कार्डियक कैथेटेराइजेशन (Cardiac Catheterization)

    इस टेस्ट का प्रयोग हर बार हार्ट वॉल्व डिजीज के निदान के लिए नहीं किया जाता है। लेकिन इसे तब किया जाता सकता है, जब अन्य टेस्ट स्थिति का निदान करने में सक्षम न हों या उनसे स्थिति की गंभीरता का पता न चल रहा हो। हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) का उपचार इस तरह से संभव है।

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    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Heart Valve Dysplasia)

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) का उपचार स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर आपको हार्ट या हार्ट वॉल्व संबंधी किसी भी समस्या के लक्षणों का अनुभवव होता है, तो डॉक्टर आपको नियमित चेकअप की सलाह देंगे। इसके साथ ही आपको लक्षणों के उपचार के लिए दवाइयां और अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करने के लिए भी कहा जा सकता है। अगर हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) में हार्ट वॉल्व को अधिक नुकसान हुआ हो, तो उसे रिपेयर या रिप्लेस करने के लिए सर्जरी भी की जा सकती है। इसकी सलाह डॉक्टर तब भी दे सकते हैं अगर मरीज को कोई भी लक्षण न हो, ताकि जटिलताओं से बचा जा सके। हार्ट वॉल्व सर्जरी को छाती में एक कट के माध्यम से किया जाता है। हार्ट वॉल्व सर्जरी के लिए डॉक्टर कुछ प्रोसीजर का प्रयोग कर सकते हैं, यह प्रोसीजर इस प्रकार हैं

    • हार्ट वॉल्व रिपेयर (Heart valve repair)
    • हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट (Heart valve replacement)

    हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट तब की जाती है जब वॉल्व की रिपेयर संभव न हो। इस प्रक्रिया में डॉक्टर डैमेज्ड वॉल्व को रिमूव कर देते हैं और इसे मैकेनिकल वॉल्व या जानवरों और मनुष्य के हार्ट टिश्यू से बने वॉल्व से इसे रिप्लेस कर दिया जाता है। इन उपचारों के साथ ही रोगी को जीवनशैली में बदलाव करने के लिए भी कहा जाता है।

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    इस समस्या में जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?

    हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) के उपचारों में डॉक्टर इस स्थिति को नियमित रूप से मॉनिटर करेंगे। इसके साथ ही डॉक्टर रोगी को जीवनशैली में बदलाव के लिए भी कहा जाता है। यह बदलाव इस तरह से हैं:

    • ऐसे आहार का सेवन करें जो दिल के लिए हेल्दी हो। जैसे अधिक से अधिक फल और सब्जियां, लौ फैट या फैट फ्री डेयरी प्रोडक्ट, साबुत अनाज आदि। सैचुरेटेड फैट या ट्रांस फैट के साथ ही अधिक चीनी या नमक का सेवन करने से भी बचें।
    • अपने वजन को सही रखें। अगर आप मोटापे से पीड़ित हैं तो वजन कम करने के उपाय करें। इसके लिए डॉक्टर और डायटिशन की सलाह भी ली जा सकती है।
    • नियमित व्यायाम करें। दिन में कुछ समय इसके लिए अवश्य निकालें।
    • तनाव से बचें। क्योंकि, तनाव कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके लिए आप मैडिटेशन और योग का सहारा भी ले सकते हैं।
    • तंबाकू से बचें। अगर आपको धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ दें। इसमें भी डॉक्टर आपको मदद कर सकते हैं। शराब का सेवन करना भी छोड़ दें तो यह भी आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।
    • अगर किसी महिला को हार्ट वॉल्व से संबंधित कोई समस्या है, तो वो प्रेग्नेंट होने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें। क्योंकि आपको डॉक्टर आपको इस स्थिति में कई दवाइयों और अन्य टेस्ट्स या उपचार आदि की सलाह दे सकते हैं।

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    यह तो थी हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) से जुड़ी पूरी जानकारी। हार्ट या हार्ट वॉल्व से जुड़ी किसी भी समस्या के लक्षणों के बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए। ताकि आप समय पर इनका निदान कर सकें। सही समय पर निदान और उपचार से जटिलताओं से बचा जा सकता है। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली को सही और हेल्दी रखना भी जरूरी है। अगर आपके मन में इस समस्या से संबंधित कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।

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