और पढ़ें : दिल के साथ-साथ हार्ट वॉल्व्स का इस तरह से रखें ख्याल!
हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया के कारण (Causes of Heart Valve Dysplasia)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि हमारे दिल के चारों वॉल्व ब्लड को सही दिशा में फ्लो करने में मदद करते हैं। लेकिन अगर इन चारों वॉल्व्स में से कोई भी ठीक से काम नहीं करता है, तो उसके कारण वॉल्व संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। उन्हीं में से एक है हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia)। इस समस्या के कारणों के बारे में सही जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि जेनेटिक्स इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह समस्याएं कई बार जन्म के समय भी शिशुओं में मौजूद होती हैं। इस रोग के रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) और हार्ट वॉल्व की अन्य समस्याएं, कई जटिलताओं का कारण भी बन सकती हैं। जिनमें हार्ट फेलियर (Heart Failure) ,स्ट्रोक (Stroke) , ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots), हार्ट रिदम अब्नोर्मलिटीज़ (Heart Rhythm Abnormalities) आदि शामिल हैं। कुछ गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। इस तरह से किया जाता है इस रोग का निदान।
और पढ़ें : राइट साइड हार्ट फेलियर के लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं जानलेवा
हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of Heart Valve Dysplasia)
हार्ट वॉल्व डिस्प्लेसिया (Heart Valve Dysplasia) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी के लक्षणों की जांच करेंगे और शारीरिक जांच भी की जाएगी। शारीरिक जांच में डॉक्टर हार्ट मर्मर को सुनेंगे, क्योंकि यह हार्ट वॉल्व की समस्या का संकेत हो सकती है। इसके साथ ही डॉक्टर स्थिति के निदान के लिए कई टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं। यह टेस्ट इस प्रकार हैं:
एकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)
इस टेस्ट में रोगी के सीने पर लगे एक बैंड के समान डिवाइस (ट्रांसड्यूसर) से दिल की ओर डायरेक्टेड साउंड वेव्स रोगी के हृदय की गति की वीडियो इमेज बनाती हैं। यह टेस्ट रोगी के हृदय की संरचना, और हार्ट से ब्लड का आकलन करता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)