स्किन का फिजिकल एग्जामिनेशन करके डॉक्टर को कैंसर के बारे में अंदाजा हो सकता है। इसके बाद वे लक्षणों का मूल्यांकन करेंगे और मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता करेंगे। अगर उन्हें कैंसर की आशंका होती है तो वे कुछ टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।
ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests)
कंप्लीट ब्लड काउंट और पेरिफेरल ब्लड स्मियर (Peripheral blood smear) के जरिए मरीज के रेड और व्हाइट ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। ब्लड फ्लो साइटोमेट्री टेस्ट (Blood flow cytometry Test) के जरिए ब्लड में होने वाले कैंसरस सेल्स के बारे में पता चल जाता है।
इम्यूनोफीनोटायपिंग (Immunophenotyping)
इस टेस्ट में ब्लड और टिशू सैम्पल लिया जाता है। जिसमें सेल्स के सरफेस पर मार्कर्स का पता लगाया जाता है। मार्कर्स स्पेसिफिक प्रकार के लिम्फोमा का संकेत देते हैं।
टी सेल रिसेप्टर टीसीआर जीन रिअरेंजमेंट टेस्ट (T-cell receptor (TCR) gene rearrangement test)
इसमें ब्लड या बोन मैरो टेस्ट किया जाता है जिसे जीन में होने वाली प्रॉब्लम्स का पता लगाया जाता है जो टी सेल फंक्शन को कंट्रोल करते हैं।
बायोप्सी (Biopsy)
डॉक्टर स्किन, लिम्फ नोड्स और बोन मैरो की बायोप्सी कर सकते हैं। जिसमें टिशू के सैम्पल को कैंसर के लक्षणों के लिए चेक किया जाता है।
सेजरी सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है? (Sezary Syndrome Treatment)
सेजरी सिंड्रोम में दिया जाने वाला ट्रीटमेंट इसके लक्षणों को कम करने के लिए दिया जाता है। यह कैंसर का इलाज नहीं कर सकता। डॉक्टर कैंसर की स्टेज और लक्षणों के हिसाब से ट्रीटमेंट रिकमंड करते हैं। जो निम्न प्रकार से किया जाता है।
और पढ़ें: ल्यूकेमिया vs लिंफोमा: ल्यूकेमिया और लिंफोमा के लक्षण और इलाज के बारे में यहां जानें!
सोरालेन और यूवीए (पीयूवीए) Psoralen and UVA (PUVA)
इस प्रक्रिया में एक ड्रग सोरालेन जो कैंसर सेल्स को कलेक्ट करने का काम करती है उसे वेन्स में इंजेक्ट किया जाता है। जो अल्ट्रावॉयलेट ए लाइट के संपर्क में आने पर एक्टिवेट हो जाती है। यह प्रक्रिया कैंसर सेल्स को मारने का काम करती है और इससे हेल्दी टिशूज को भी नुकसान नहीं होता।
एक्स्ट्राकोर्पोरियल फोटोफेरेसिस (ईसीपी) (Extracorporeal Photopheresis) (ECP)
इस प्रॉसेस में फोटोफेरेसिस बॉडी से ब्लड को बाहर निकालता है और कैंसर सेल्स का इलाज ऐसी दवाओं के द्वारा किया जाता है जो उसे लाइट के प्रति सेंसटिव बना देती हैं। ब्लड के शरीर में अंदर जाने से पहले यूवी लाइट हॉर्मफुल सेल्स को मार देती है।
इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy)
इम्यूनोथेरिपी में दवाओं के उपयोग से इम्यून सिस्टम को कैंसर सेल्स से लड़ने के लिए स्टिम्यूलेट किया जाता है।
रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy)
हाय एनर्जी एक्स रेज का उपयोग कैंसर सेल्स को मारने के लिए कया जाता है। एक्टर्नल बीम रेडिएशन में मशीन के द्वारा बॉडी के टार्गेटेड एरिया पर किरणें भेजी जाती हैं। रेडिएशन थेरिपी दर्द और दूसरे लक्षणों में भी राहत प्रदान करती है। मरीज को यूवीए (UVA) और यूवीबी (UVB) रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) की जरूरत भी पड़ सकती है। जिसमें स्पेशल लाइट का उपयोग स्किन पर किया जाता है।
कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
कीमोथेरिपी में पावरफुल ड्रग्स का उपयोग कैंसर सेल्स को किल करने के लिए किया जाता है। कुछ दवाएं ही पिल के फॉर्म में उपलब्ध होती हैं। ज्यादातर दवाओं को वेन्स के जरिए ही दिया जाता है।
टार्गेटेड थेरिपी (Targeted Therapy)
टार्गेटेड थेरिपी में ड्रग का उपयोग टार्गेट प्रोटीन्स और जीन्स पर किया जाता है जो कैंसर सेल्स को बढ़ने और सर्वाइव करने में मदद करते हैं। उदारहण के लिए कुछ ड्रग्स लिम्फोमा सेल्स में पाए जाने वाले प्रोटीन पर अटैक करते हैं।
और पढ़ें: एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया : इस ल्यूकेमिया से क्या संभव है बचाव?
सेजरी सिंड्रोम से कैसे बचा जा सकता है? (How to Prevent Sezary syndrome)
सेजरी सिंड्रोम के निश्चित कारण के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं इसलिए इस कैंसर से बचने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन ह्यूमन टी लिम्फोट्रोफिक वायरस के संपर्क में आने के रिस्क को कम किया जा सकता है। यह वायरस निम्न तरीकों से फैलता है।
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन
- सेक्शुअल कॉन्टैक्ट
- ब्रेस्टफीडिंग
- नीडल्स शेयरिंग
उम्मीद है कि आपको सेजरी सिंड्रोम (Sezary Syndrome) संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।