के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
सेजरी सिंड्रोम (Sezary Syndrome) लिम्फोमा (lymphoma) का एक दुर्लभ प्रकार है। यह स्किन, ब्लड और कई बार लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है। यह बीमारी मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग लोगों में कॉमन है। सेजरी सिंड्रोम विकसित होने के बाद बहुत तेजी से बढ़ता है। इसे सेजरी लिम्फोमा और त्वचीय टी सेल लिम्फोमा (Cutaneous T-cell lymphoma) भी कहा जाता है। सेजरी सेल्स व्हाइट ब्लड सेल्स का एक प्रकार हैं। क्यूटेनियस टी सेल लिम्फोमास (Cutaneous T-cell lymphoma) तब डेवलप होते हैं जब व्हाइट ब्लड सेल्स जिन्हें टी सेल्स (T- Cells) कहा जाता है वे कैंसरस हो जाती हैं। यह कैंसर स्किन को ज्यादा प्रभावित कर सकता है, जिससे त्वचा पर विभिन्न प्रकार के घाव हो जाते हैं।
सेजरी सिंड्रोम (Sezary Syndrome) किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में यह अधिक पाया जाता है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक कॉमन है। यह पेरेंट्स से बच्चों में ट्रांसफर होने वाली बीमारी नहीं है।
सेजरी सिंड्रोम (Sezary Syndrome) रेयर है। हालांकि, क्यूटेनियस टी सेल लिम्फोमास (Cutaneous T-cell lymphoma) में यह दूसरा कॉमन कैंसर है। एक्यूटेनियस टी सेल लिम्फोमास में सेजरी सिंड्रोम का प्रतिशत 15 है।
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सेजरी लिम्फोमा के कारण के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। इससे प्रभावित होने वाले लोग एक या इससे ज्यादा क्रोमोसोमल असामानताएं (Chromosomal abnormalities) रखते हैं जैसे कि जेनेटिक मटेरियल का लॉस या गेन होना। ये असामानताएं किसी किसी व्यक्ति के जीवनकाल में होती हैं और केवल कैंसर कोशिकाओं में पाई जाती हैं। अधिकांश क्रोमोसोम्स में असामानताएं पाई गई हैं, लेकिन कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित होते हैं।
वहीं इससे प्रभावित कुछ लोगों में टी सेल ल्यूकेमिया वायरस (T-cell leukemia virus) होता है जो लिम्फोसाइट (Lymphocytes) को प्रभावित करता है। ये वायरस डीएनए (DNA) में परिवर्तन का कारण बनते हैं, लेकिन ये इनहेरिटेड (Inherited) नहीं होते।
सेजरी सिंड्रोम कई प्रकार की स्किन प्रॉब्लम्स का कारण बन सकता है। जिसमें निम्न शामिल हैं।
दूसरे लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं।
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यह कैंसर लंग्स, लिवर, स्पलीन और बोन मेरो तक फैल सकता है। इस कैंसर से पीड़ित लोगों में दूसरे टाइप के लिम्फोमा और कैंसर फैलने का रिस्क बहुत ज्यादा होता है। यह बीमारी इम्यून सिस्टम के फंक्शन को स्लो कर सकती है जिससे इंफेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है।
स्किन का फिजिकल एग्जामिनेशन करके डॉक्टर को कैंसर के बारे में अंदाजा हो सकता है। इसके बाद वे लक्षणों का मूल्यांकन करेंगे और मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता करेंगे। अगर उन्हें कैंसर की आशंका होती है तो वे कुछ टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।
कंप्लीट ब्लड काउंट और पेरिफेरल ब्लड स्मियर (Peripheral blood smear) के जरिए मरीज के रेड और व्हाइट ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। ब्लड फ्लो साइटोमेट्री टेस्ट (Blood flow cytometry Test) के जरिए ब्लड में होने वाले कैंसरस सेल्स के बारे में पता चल जाता है।
इस टेस्ट में ब्लड और टिशू सैम्पल लिया जाता है। जिसमें सेल्स के सरफेस पर मार्कर्स का पता लगाया जाता है। मार्कर्स स्पेसिफिक प्रकार के लिम्फोमा का संकेत देते हैं।
इसमें ब्लड या बोन मैरो टेस्ट किया जाता है जिसे जीन में होने वाली प्रॉब्लम्स का पता लगाया जाता है जो टी सेल फंक्शन को कंट्रोल करते हैं।
डॉक्टर स्किन, लिम्फ नोड्स और बोन मैरो की बायोप्सी कर सकते हैं। जिसमें टिशू के सैम्पल को कैंसर के लक्षणों के लिए चेक किया जाता है।
सेजरी सिंड्रोम में दिया जाने वाला ट्रीटमेंट इसके लक्षणों को कम करने के लिए दिया जाता है। यह कैंसर का इलाज नहीं कर सकता। डॉक्टर कैंसर की स्टेज और लक्षणों के हिसाब से ट्रीटमेंट रिकमंड करते हैं। जो निम्न प्रकार से किया जाता है।
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इस प्रक्रिया में एक ड्रग सोरालेन जो कैंसर सेल्स को कलेक्ट करने का काम करती है उसे वेन्स में इंजेक्ट किया जाता है। जो अल्ट्रावॉयलेट ए लाइट के संपर्क में आने पर एक्टिवेट हो जाती है। यह प्रक्रिया कैंसर सेल्स को मारने का काम करती है और इससे हेल्दी टिशूज को भी नुकसान नहीं होता।
इस प्रॉसेस में फोटोफेरेसिस बॉडी से ब्लड को बाहर निकालता है और कैंसर सेल्स का इलाज ऐसी दवाओं के द्वारा किया जाता है जो उसे लाइट के प्रति सेंसटिव बना देती हैं। ब्लड के शरीर में अंदर जाने से पहले यूवी लाइट हॉर्मफुल सेल्स को मार देती है।
हाय एनर्जी एक्स रेज का उपयोग कैंसर सेल्स को मारने के लिए कया जाता है। एक्टर्नल बीम रेडिएशन में मशीन के द्वारा बॉडी के टार्गेटेड एरिया पर किरणें भेजी जाती हैं। रेडिएशन थेरिपी दर्द और दूसरे लक्षणों में भी राहत प्रदान करती है। मरीज को यूवीए (UVA) और यूवीबी (UVB) रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) की जरूरत भी पड़ सकती है। जिसमें स्पेशल लाइट का उपयोग स्किन पर किया जाता है।
कीमोथेरिपी में पावरफुल ड्रग्स का उपयोग कैंसर सेल्स को किल करने के लिए किया जाता है। कुछ दवाएं ही पिल के फॉर्म में उपलब्ध होती हैं। ज्यादातर दवाओं को वेन्स के जरिए ही दिया जाता है।
टार्गेटेड थेरिपी में ड्रग का उपयोग टार्गेट प्रोटीन्स और जीन्स पर किया जाता है जो कैंसर सेल्स को बढ़ने और सर्वाइव करने में मदद करते हैं। उदारहण के लिए कुछ ड्रग्स लिम्फोमा सेल्स में पाए जाने वाले प्रोटीन पर अटैक करते हैं।
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सेजरी सिंड्रोम के निश्चित कारण के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं इसलिए इस कैंसर से बचने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन ह्यूमन टी लिम्फोट्रोफिक वायरस के संपर्क में आने के रिस्क को कम किया जा सकता है। यह वायरस निम्न तरीकों से फैलता है।
उम्मीद है कि आपको सेजरी सिंड्रोम (Sezary Syndrome) संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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