इसके अलावा डॉक्टर बच्चे के अलग-अलग टेस्ट भी करवा सकते हैं, जिसमें –
- इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
- एमआरआय (MRI)
- कार्डिएक कैथेटराइजेशन (Cardiac catheterization)
इन सभी का समावेश होता है। यह तो थी अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) के निदान की बात, अब बात करते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन के ट्रीटमेंट की।
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अओर्टिक कोआर्कटेशन : ये ट्रीटमेंट हैं उपलब्ध (Aortic Coarctation Treatment)
बच्चों में अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या को दो तरह से ठीक किया जाता है, जिसमें बलून एंजियोप्लास्टी और सर्जरी का समावेश होता है। बलून एंजियोप्लास्टी (Balloon Angioplasty) में आर्टरी में कैथेटर डाला जाता है, इसके बाद कैथेटर की नोक पर लगे बलून को बाहर से फुलाया जाता है, जिससे आर्टरी को चौड़ा किया जा सके।
जब बात हो रही हो वयस्कों में अओर्टिक कोआर्कटेशन के ट्रीटमेंट की, तो उन्हें सर्जरी (Surgery) की जरूरत पड़ सकती है। इस सर्जरी के दौरान आर्टरी के कमजोर हिस्से को रिपेयर किया जाता है। यदि अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) का ट्रीटमेंट ना किया जाए, तो व्यक्ति अपनी उम्र के 30 से 40 साल में हार्ट फ़ेल्योर, स्ट्रोक और अन्य ह्रदय समस्याओं के चलते मौत की गिरफ़्त में जा सकता है। आइए जानते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या में और किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) में ये समस्याएं भी देती हैं दस्तक