
अओर्टिक कोआर्कटेशन अपने साथ कई समस्याओं को साथ ला सकता है, जो समस्याएं दिल से जुड़ी हो सकती हैं। यह समस्या अक्सर फ़ीमेल चाइल्ड की तुलना में मेल चाइल्ड में अधिक देखी जाती है। हालांकि बच्चों में ये समस्या मां के गर्भ से ही शुरू हो जाती है, लेकिन इसके कारण का पूरी तरह से पता लगा पाना अब तक सम्भव नहीं हो पाया है। वहीं डॉक्टरों का मानना है की अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की समस्या हार्ट डिफेक्ट (Heart defect) के साथ जन्में सिर्फ 8% बच्चों को ही होती है। आइए जानते हैं किस तरह अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या को पहचाना जा सकता है।
अओर्टिक कोआर्कटेशन: कैसे होता है इसका निदान? (Aortic Coarctation Dignosis)
जब बात हो रही है अओर्टिक कोआर्कटेशन की, तो न्यूबॉर्न बच्चे के पहले एग्जामिनेशन में ही अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की समस्या को पहचाना जा सकता है। ब्लड प्रेशर में बदलाव के साथ अन्य लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर इस समस्या को पहचान सकते हैं। साथ ही दिल की धड़कन में बदलाव की जांच कर इस समस्या को पहचाना जा सकता है।
इसके अलावा डॉक्टर बच्चे के अलग-अलग टेस्ट भी करवा सकते हैं, जिसमें –
- इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
- एमआरआय (MRI)
- कार्डिएक कैथेटराइजेशन (Cardiac catheterization)
इन सभी का समावेश होता है। यह तो थी अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) के निदान की बात, अब बात करते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन के ट्रीटमेंट की।
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अओर्टिक कोआर्कटेशन : ये ट्रीटमेंट हैं उपलब्ध (Aortic Coarctation Treatment)
बच्चों में अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या को दो तरह से ठीक किया जाता है, जिसमें बलून एंजियोप्लास्टी और सर्जरी का समावेश होता है। बलून एंजियोप्लास्टी (Balloon Angioplasty) में आर्टरी में कैथेटर डाला जाता है, इसके बाद कैथेटर की नोक पर लगे बलून को बाहर से फुलाया जाता है, जिससे आर्टरी को चौड़ा किया जा सके।
जब बात हो रही हो वयस्कों में अओर्टिक कोआर्कटेशन के ट्रीटमेंट की, तो उन्हें सर्जरी (Surgery) की जरूरत पड़ सकती है। इस सर्जरी के दौरान आर्टरी के कमजोर हिस्से को रिपेयर किया जाता है। यदि अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) का ट्रीटमेंट ना किया जाए, तो व्यक्ति अपनी उम्र के 30 से 40 साल में हार्ट फ़ेल्योर, स्ट्रोक और अन्य ह्रदय समस्याओं के चलते मौत की गिरफ़्त में जा सकता है। आइए जानते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या में और किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) में ये समस्याएं भी देती हैं दस्तक
यदि आपको अओर्टिक कोआर्कटेशन के साथ हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो आपको इन तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है –
अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की समस्या से जूझ रहे लोगों को जरूरत पड़ने पर दवाओं का सहारा भी लेना पड़ता है, जिसमें एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम इंसिबिटर्स और बीटा ब्लॉकर का समावेश होता है। इसके अलावा अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या से जूझ रहे लोगों को हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने की जरूरत पड़ती है। इसी के साथ रोजाना एक्सरसाइज और खानपान में परहेज करके अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या में आराम पाया जा सकता है।
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यदि आपको और आपके बच्चों को अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) से जुड़े लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके इसका निदान करना चाहिए। जिससे जल्द से जल्द इस स्थिति से उबरा जा सके।