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अओर्टिक कोआर्कटेशन : समय रहते ना हो इलाज, तो जान पर भारी पड़ सकती है ये समस्या

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    अओर्टिक कोआर्कटेशन : समय रहते ना हो इलाज, तो जान पर भारी पड़ सकती है ये समस्या

    ह्रदय से संबंधित कई ऐसी समस्याएं हैं, जिसके बारे में लोगों को पता नहीं होता। हार्ट हेल्थ से जुड़ी तकलीफों में व्यक्ति को खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है, लेकिन इन तकलीफों में कई तरह की बीमारियों और कंडिशन का समावेश होता है। आज हम आपको हार्ट हेल्थ से जुड़ी एक ऐसी ही कंडिशन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम है अओर्टिक कोआर्कटेशन। अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की समस्या कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital heart disease) के अंतर्गत होती है। आज हम हार्ट से जुड़ी इसी समस्या के बारे में बात करने जा रहे हैं। आइए जानते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन के बारे में जरूरी जानकारी।

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    क्या है अओर्टिक कोआर्कटेशन की स्थिति? (Aortic Coarctation)

    कोआर्कटेशन ऑफ़ अऑर्टा (Coarctation of the aorta – CoA) को कंजेनिटल मालफॉर्मेशन माना जाता है। इस कंडिशन को अओर्टिक कोआर्कटेशन के नाम से भी जाना जाता है। अऑर्टा आपके शरीर की सबसे बड़ी आर्टरी होती है, जिसका डायामीटर बहुत बड़ा होता है। अऑर्टा (Aorta) आपके हार्ट के लेफ्ट वेंट्रीकल से शुरू होकर शरीर के मध्य भाग तक फैली होती है, जो आपकी छाती और पेट के हिस्से को कवर करती है। यह आपके लोअर लिंब्स तक ऑक्सीजन को पहुंचाती है। अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) के दौरान जब आपकी आर्टरी सिकुड़ती है, तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। यह स्थिति आमतौर पर हार्ट के आसपस पैदा होती है। ऐसी स्थिति में आपके शरीर के ऊपरी हिस्से में ब्लड प्रेशर बढ़ता है और निचले हिस्से में ब्लड का फ्लो धीमा होता चला जाता है।

    अक्सर डॉक्टर अओर्टिक कोआर्कटेशन की स्थिति को जन्म के बाद ही सर्जरी द्वारा ठीक कर सकते हैं, जिसके बाद बच्चा एक नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जी सकता है। हालांकि इस स्थिति के साथ जन्मे बच्चे को भविष्य में हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और हार्ट प्रॉब्लम हो सकती है, इसलिए इस स्थिति के रहते भविष्य में मेडिकल मॉनिटरिंग की जरूरत पड़ सकती है। आइए अब जानते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) के लक्षणों के बारे में।

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    अओर्टिक कोआर्कटेशन : लक्षणों को जल्द से जल्द पहचानना है जरूरी (Symptoms of Aortic Coarctation)

    जैसा कि हम पहले बता चुके हैं, अओर्टिक कोआर्कटेशन की यह समस्या बच्चों और बड़ों दोनों में दिखाई दे सकती है। आइए सबसे पहले जानते हैं बच्चों में इसके लक्षण किस प्रकार दिखाई देते हैं।

    बच्चों में अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) के लक्षण 

    बच्चों में इसके लक्षण अलग-अलग तरह के होते हैं, कई न्यूबॉर्न बेबीज (Newborn baby) में इसके लक्षण पहचानना मुश्किल होता है, वहीं कुछ बच्चों में सांस लेने में दिक्कत और खाना खाने की तकलीफ को देखा जाता है। इस स्थिति को इन लक्षणों से भी पहचाना जा सकता है –

    वयस्कों में दिखाई देनेवाले लक्षण

    बड़ों में अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की कई लक्षण देखे जा सकते हैं –

    • हाथों और पैरों का ठंडा होना
    • नाक से खून आना
    • छाती में दर्द
    • सिर दर्द
    • सांस लेने में दिक्कत
    • हाय ब्लड प्रेशर
    • कमजोरी
    • चक्कर आना

    यदि आपको ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी माना जाता है। आइए अब जानते हैं कि अओर्टिक कोआर्कटेशन के क्या कारण हो सकते हैं।

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    अओर्टिक कोआर्कटेशन : क्या इसका कोई खास कारण है? (Causes of Aortic Coarctation)

    अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation)

    अओर्टिक कोआर्कटेशन अपने साथ कई समस्याओं को साथ ला सकता है, जो समस्याएं दिल से जुड़ी हो सकती हैं। यह समस्या अक्सर फ़ीमेल चाइल्ड की तुलना में मेल चाइल्ड में अधिक देखी जाती है। हालांकि बच्चों में ये समस्या मां के गर्भ से ही शुरू हो जाती है, लेकिन इसके कारण का पूरी तरह से पता लगा पाना अब तक सम्भव नहीं हो पाया है। वहीं डॉक्टरों का मानना है की अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की समस्या हार्ट डिफेक्ट (Heart defect) के साथ जन्में सिर्फ 8% बच्चों को ही होती है। आइए जानते हैं किस तरह अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या को पहचाना जा सकता है।

    अओर्टिक कोआर्कटेशन: कैसे होता है इसका निदान? (Aortic Coarctation Dignosis)

    जब बात हो रही है अओर्टिक कोआर्कटेशन की, तो न्यूबॉर्न बच्चे के पहले एग्जामिनेशन में ही अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की समस्या को पहचाना जा सकता है। ब्लड प्रेशर में बदलाव के साथ अन्य लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर इस समस्या को पहचान सकते हैं। साथ ही दिल की धड़कन में बदलाव की जांच कर इस समस्या को पहचाना जा सकता है।

    इसके अलावा डॉक्टर बच्चे के अलग-अलग टेस्ट भी करवा सकते हैं, जिसमें –

    • इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
    • एमआरआय (MRI)
    • कार्डिएक कैथेटराइजेशन (Cardiac catheterization)

    इन सभी का समावेश होता है। यह तो थी अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) के निदान की बात, अब बात करते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन के ट्रीटमेंट की।

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    अओर्टिक कोआर्कटेशन : ये ट्रीटमेंट हैं उपलब्ध (Aortic Coarctation Treatment)

    बच्चों में अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या को दो तरह से ठीक किया जाता है, जिसमें बलून एंजियोप्लास्टी और सर्जरी का समावेश होता है। बलून एंजियोप्लास्टी (Balloon Angioplasty) में आर्टरी में कैथेटर डाला जाता है, इसके बाद कैथेटर की नोक पर लगे बलून को बाहर से फुलाया जाता है, जिससे आर्टरी को चौड़ा किया जा सके।

    जब बात हो रही हो वयस्कों में अओर्टिक कोआर्कटेशन के ट्रीटमेंट की, तो उन्हें सर्जरी (Surgery) की जरूरत पड़ सकती है। इस सर्जरी के दौरान आर्टरी के कमजोर हिस्से को रिपेयर किया जाता है। यदि अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) का ट्रीटमेंट ना किया जाए, तो व्यक्ति अपनी उम्र के 30 से 40 साल में हार्ट फ़ेल्योर, स्ट्रोक और अन्य ह्रदय समस्याओं के चलते मौत की गिरफ़्त में जा सकता है। आइए जानते हैं अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या में और किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

    अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) में ये समस्याएं भी देती हैं दस्तक 

    यदि आपको अओर्टिक कोआर्कटेशन के साथ हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो आपको इन तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है –

    अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) की समस्या से जूझ रहे लोगों को जरूरत पड़ने पर दवाओं का सहारा भी लेना पड़ता है, जिसमें एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम इंसिबिटर्स और बीटा ब्लॉकर का समावेश होता है। इसके अलावा अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या से जूझ रहे लोगों को हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने की जरूरत पड़ती है। इसी के साथ रोजाना एक्सरसाइज और खानपान में परहेज करके अओर्टिक कोआर्कटेशन की समस्या में आराम पाया जा सकता है।

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    यदि आपको और आपके बच्चों को अओर्टिक कोआर्कटेशन (Aortic Coarctation) से जुड़े लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके इसका निदान करना चाहिए। जिससे जल्द से जल्द इस स्थिति से उबरा जा सके।

    डिस्क्लेमर

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