वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of ventricular septal defects)
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के कारण दिल से असामान्य आवाज आती है। जिसे डॉक्टर स्टैथौस्कोप की मदद से सुन सकता है। यदि डॉक्टर को ऐसी कोई आवाज आती है या हार्ट डिफेक्ट के कोई और लक्षण नजर आते हैं तो वह कई तरह के टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है जिसमें शामिल है-
ईकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)- इस टेस्ट में ध्वनी तरंगे (sound waves) हृदय की वीडियो इमेज बनाते हैं। डॉक्टर वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के साइज, गंभीरता और स्थिति का पता लगाने के लिए यह टेस्ट करते हैं। साथ ही इससे किसी अन्य तरह की हृदय संबंधी समस्या का भी पता चल सकता है। इकोकार्डिग्राफी का इस्तेमाल भ्रूण पर भी किया जा सकता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram (ECG))- हार्ट डिफेक्ट और रिदम प्रॉब्लम का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। इसमें स्किन से अटैच किए गए इलेक्ट्रोड्स की मदद से दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी रिकॉर्ड की जाती है।
छाती का एक्स-रे (Chest X-ray)- एक्स रे की मदद से डॉक्टर को हृदय (Heart) और फेफड़ों (Lungs) की स्पष्ट तस्वीर दिखती है जिससे पता चलता है कि उसमें अतिरिक्त तरल तो नहीं जमा है।
कार्डिएक कैथीटेराइजेशन (Cardiac catheterization)- इस टेस्ट में पतले, लचीले ट्यूब (catheter) को कमर या बांह में ब्लड वेसल में डाला जाता है और उन्हें हृदय में पहुंचने के लिए गाइड किया जाता है। कार्डिएक कैथीटेराइजेशन के जरिए डॉक्टर जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart defects) का पता लगता है और हार्ट वाल्व (Heart valve) और चैंबर्स (Chambers) की कार्यप्रणाली को निर्धारित करता है।
पल्स ऑक्सिमेट्री (Pulse oximetry)- इस टेस्ट में उंगली में छोटी सी क्लिप लगाकर ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा मापी जाती है।
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of ventricular septal defects)
छोटे वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के साथ जन्में अधिकांश नवजात को छेद बंद करने के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। जन्म के बाद आपका डॉक्टर बच्चे कि निगरानी करता है और लक्षणों का इलाज करके देखता है कि छेद अपने आप बंद होता है या नहीं।
जिन बच्चों को सर्जरी की जरूरत पड़ती है उन्हें जन्म के पहले साल ही सर्जरी करवानी पड़ती है। बच्चे और व्यस्क जिनका वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (ventricular septal defects) मध्यम या बड़ा होता है और जिसके कारण गंभीर लक्षण उभरते है, उन्हें दिल के छेद को बंद करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
दवाएं (Medications)- हार्ट फेलियर (heart failure) के लक्षणों की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर दवा देता है। दवा का मकसद फेफड़ों में तरल पदार्थ की मात्रा कम करना है।
सर्जरी और दूसरी प्रक्रियाएं (Surgeries or other procedures)- सर्जीकल ट्रीटमेंट में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (ventricular septal defects) के कारण हुई असामान्य ओपनिंग की पल्गिंग (plugging) या पैचिंग (patching) की जाती है। यदि आपके बच्चे की सर्जरी होने वाली है तो यह सुनिश्चित करे की सर्जरी स्पेशलिस्ट सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा की जाए।
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट की अन्य प्रक्रियाओं में शामिल है-
सर्जिकल रिपेयर- इस प्रक्रिया में ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है। इसके लिए हार्ट-लंग मशीन की जरूरत पड़ती है और छाती में चीरा (incision) लगाया जाता है। छेद को बंद करने के लिए डॉक्टर पैच या टांके (stitches) लगा सकता है।
कैथेटर प्रक्रिया (Catheter procedure)- इस प्रक्रिया में छाती में चीरा नहीं लगाया जाता, बल्कि डॉक्टर एक पतली ट्यूब को कमर के ब्लड वेसल में डालकर उसे हृदय में निर्देशित करता है। फिर डॉक्टर छेद को बंद करने के लिए खास तरह की डिवाइस का इस्तेमाल करता है।
सर्जरी के बाद डॉक्टर फॉलो अप चेकअप के लिए बुलाता है और इस बात की जांच करता है कि किसी तरह की जटिलता तो नहीं हुई है।
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट, जिसे दिल में छेद भी कहा जाता है एक जन्मजात हृदय विकार है जिसे पूरी तरह से रोक पाना या बचाव तो संभव नहीं है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान अपनी सेहत का ध्यान रखकर और अनुवांशिक रोगों के लिए एक्सपर्ट्स से सलाह लेकर कुछ हद तक बच्चे को इस दोष से बचाया जा सकता है।