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वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट दिल को किस तरह से प्रभावित करता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/05/2022

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट दिल को किस तरह से प्रभावित करता है?

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular Septal Defect) जन्म से होने वाली एक दिल की बीमारी है जिसे वेंट्रल सेप्टल डिफेक्ट (Ventral septal defect) भी कहा जाता है। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect (VSD)) ऐसी स्थिति को कहते हैं जब हृदय के निचले चैंबर या वेंट्रिकल्स में छेद होता है। यह छेद हृदय को अलग करने वाली मांसपेशियों के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसे आम भाषा में दिल में छेद होना भी कहा जा सकता है। इसके क्या कारण है और इलाज के क्या विकल्प मौजूद है जानिए इस आर्टिकल में।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट क्या है? (Ventricular Septal Defect)

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular Septal Defect)  को आम भाषा में दिल में छेद भी कहा जाता है। यह जन्मजात हृदय रोग है जिसमें हृदय के निचले चैंबर को अल ग करने वाली दीवार में छेद होता है जिसकी वजह से रक्त दिल के बाईं से दाईं ओर जाने लगता है और फिर ऑक्सीजन से भरपूर यह रक्त शरीर के बाकी हिस्सों में जाने की बजाय फेफड़ों में चला जाता है जिसकी वजह से हृदय को ज्यादा काम करना पड़ता है। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular Septal Defect) यदि छोटे हैं तो इससे किसी तरह की परेशानी नहीं होती है और बिना इलाज के अपने आप ठीक हो जाता हैं, लेकिन यदि यह डिफेक्ट ज्यादा है तो जटिलताओं को रोकने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के प्रकार (Ventricular Septal Defects types)

    जन्म से ही जिन बच्चों के दिल में छेद होता है, उन्हें सेप्टम के अलग-अलग हिस्से में एक या उससे अधिक छेद हो सकता है।

    कोनोवेंट्रिकुलर वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Conoventricular Ventricular Septal Defect)

    आमतौर पर यह छेद उस जगह होता है जहां वेंट्रिकुलर सेप्टम के कुछ हिस्से को पलमनरी और एयोर्टिक वाल्व के ठीक नीचे मिलना चाहिए।

    पेरिमेम्ब्रान्स वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Perimembranous Ventricular Septal Defect)

    यह छेद वेंट्रिकुलर सेप्टम के ऊपरी हिस्से में होता है।

    इन्लेट वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Inlet Ventricular Septal Defect)

    इसमें सेप्टम में एक छेद होता है, जहां ब्लड, ट्राइकसपिड (Tricuspid) और माइट्रल वाल्व (Mitral valves) के जरिए वेंट्रिकल्स (Ventricles) में पहुंचता है। इन्लेट  वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट एट्रियोवेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Atrioventricular septal defect (AVSD)) का भी कारण बन सकता है।

    मस्कुलर वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Muscular Ventricular Septal Defect)

    इसमें वेंट्रिकुलर सेप्टम के निचले, मस्कुलर पार्ट में छेद होता है और यह वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect) का सबसे आम प्रकार है।

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    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के लक्षण (Ventricular septal defect symptoms)

    दिल में छेद यदि छोटा है तो हर किसी में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। जिन बच्चों में लक्षण नजर आते है, उसमें शामिल है-

    • सांस लेने में दिक्कत (difficulty breathing)
    • तेजी से सांस लेना (rapid breathing)
    • त्वचा का पीला पड़ना (pale skin coloration)
    • बार-बार रेस्पिरेटरी संक्रमण (frequent respiratory infections)
    • होंठ और नाखूनों का नीला पड़ना
    • ठीक से नहीं खाना, सही तरीके से विकास नहीं होना
    • आसानी से थक जाना (easy tiring)

    बच्चे के जन्म के समय हो सकता है आपका या आपके डॉक्टर का ध्यान वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect) पर न जाए। यदि दिल में छेद बहुत छोटा है तो इसके बहुत बाद में बच्चे के बड़े होने पर दिख सकते हैं। लक्षण दिल के छेद के साइज और संबंधित दूसरे ह्रदय दोष (heart defects) पर निर्भर करता है।

    डॉक्टर को बच्चे की नियमित जांच के दौरान हृदय दोष (heart defect) का संदेह हो सकता है जब उसे जांच के दौरान बच्चे के दिल से अजीब से आवाज आती है। कभी-कभी दिल में छेद का पता बच्चे के जन्म से पहले अल्ट्रासाउंड (ultrasound) में ही चल जाता है।

    कई बार दिल में छेद का पता व्यस्क होने के बाद चलता है जब सांस लेने में परेशानी और हृदय से अजीब सी आवाज आती है।

    कब जाएं डॉक्टर के पास?

    आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है यदि बच्चे में निम्न बताए लक्षण दिखे।

    • खेलते और खाते समय आसानी से थक जाना
    • वजन नहीं बढ़ना (not gaining weight)
    • खाते और साइकल चलाते समय सांस उखड़ने लगना
    • तेजी से सास लेना

    व्यस्कों में निम्न लक्षण दिखने पर डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है।

    • एक्सरसाइज करते समय या लेटने पर सांस लेने में परेशानी
    • तेज या अनियमति दिल की धड़कन (Irregular heartbeat)
    • थकान (Fatigue)

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    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के कारण (Ventricular septal defect causes)

    जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart defects) हृदय के ठीक से विकास न होने के कारण हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसका स्पष्ट कारण नहीं पता। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect) में अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों की भूमिका हो सकती है और वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट अकेले या दूसरे जन्मजात हृदय दोष के साथ हो सकता है।

    भ्रूण के विकास (Fetal development) के दौरान, वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट तब होता है जब दिल को बाएं और दाएं साइड (सेप्टम) में अलग करने वाली मांसपेशियों की दीवार दिल के निचले चैंबर (वेंट्रिकल्स) में पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है। दिल का दाहिना हिस्सा ऑक्सीजन के लिए फेफड़ों में ब्लड पंप करता है, जबकि बायां हिस्सा ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के बाकी हिस्से में पंप करता है। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect) होने पर बिना ऑक्सीजन वाला रक्त ऑक्सीजन युक्त रक्त के साथ मिक्स होकर ब्लड प्रेशर (Blood pressure) और लंग आर्टरीज (Lung arteries) में ब्लड फ्लो बढ़ा देता है। नतीजन हृदय और फेफड़ों पर काम का दबाव बढ़ जाता है। दिल में छेद कई साइज में हो सकते हैं और वह वेंट्रिकल्स की दीवार में कई जगह हो सकते हैं, यह एक से अधिक भी हो सकता है। कुछ मामलों में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect) बाद में भी हो सकता है जैसे हार्ट अटैक (heart attack) के बाद या कुछ हार्ट प्रोसिजर (heart procedures) के कॉम्पिलकेशन्स के बाद।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के जोखिम कारक (Ventricular septal defect risk factors)

    Ventricular Septal Defects- वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defects) की समस्या परिवार में पहले से चली आ रही हो या दूसरी अनुवांशिक समस्याएं जैसे डाउन सिंड्रोम (Down syndrome)। यदि आपके पहले बच्चे को हार्ट डिफेक्ट (heart defect) है तो दूसरा बच्चा प्लान करने से पहले आप जेनेटिक काउंसलर से इस बारे में बात कर सकते हैं कि दूसरे बच्चे में इसका कितना जोखिम हो सकता है।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट से जुड़ी जटिलताएं (Ventricular septal defects complications)

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect) यदि छोटा है तो इससे किसी तरह की समस्या नहीं होती है। मध्यम से बड़े डिफेक्ट के कारण कई तरह की समस्याएं हो सकती है जो जानलेवा भी साबित हो सकती है। सही समय पर उपचार से जटिलताओं से बचा जा सकता है।

    जटिलताओं में शामिल है-

    हार्ट फेलियर (Heart failure)- यदि दिल में छेद मध्य या बड़ा है तो हृदय को ज्यादा काम करना पड़ता है और फेफड़ों में बहुत अधिक ब्लड पंप होता है। यदि समय पर उपचार न किया जाए तो इससे हार्ट फेलियर हो सकता है।

    पलमनरी हाइपरटेंशन (Pulmonary hypertension)- फेफड़ों में ब्लड फ्लो बढ़ने से लंग आर्टरीज (पलमनेरी हाइपरटेंशन) में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है जिससे यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इस जटिलता के कारण ब्लड फ्लो छेद से उल्टा जा सकता है।

    हृदय से जुड़ी अन्य समस्याएं (Other heart problems)- इसमें असामान्य हार्ट रिदम (heart rhythms) और वाल्व प्रॉब्लम (valve problems) शामिल है।

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    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट से बचाव (Ventricular septal defects prevention)

    अधिकांश मामलों में बच्चों को होने वाली इस जन्मजात हृदय दोष से बचाने के लिए आप कुछ नहीं कर सकते हैं, हालांकि आपको हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।

    प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले ही अपनी सेहत का ध्यान रखें। डॉक्टर से बात करें और प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले उन्हें अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताएं साथ ही यह भी पूछें कि हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए आपको किस तरह की लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है। साथ ही यदि आप कोई दवा ले रही हैं तो इस बारे में भी डॉक्टर को बताना जरूरी है।

    • बैलेंस डायट लें। डायट में विटामिन सप्लीमेंट (vitamin supplement) जिसमें फॉलिक एसिड (folic acid) भी हो, को शामिल करें।
    • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। कौन सा एक्सरसाइज प्लान आपके लिए सही होगा इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें।
    • तंबाकू, सिगरेट, शराब जैसी हानिकारक चीजों से परहेज करें।
    • अपने आपको किसी तरह के संक्रमण से बचाना जरूरी है इसके लिए सभी जरूरी वैक्सिनेशन लगवाएं, क्योंकि कुछ संक्रमण भ्रूण के विकास को बाधित कर सकते हैं।
    • डायबिटीज को कंट्रोल में रखें, प्रेग्नेंट होने से पहले इसे कंट्रोल करने को लेकर डॉक्टर से परामर्श करें।
    • यदि आपके परिवार में पहले से किसी को हार्ट डिफेक्ट (heart defects) या दूसरे जेनेटिक डिसऑर्डर (genetic disorders) है तो जेनेटिक काउंसलर से बात करें।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of ventricular septal defects)

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के कारण दिल से असामान्य आवाज आती है। जिसे डॉक्टर स्टैथौस्कोप की मदद से सुन सकता है। यदि डॉक्टर को ऐसी कोई आवाज आती है या हार्ट डिफेक्ट के कोई और लक्षण नजर आते हैं तो वह कई तरह के टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है जिसमें शामिल है-

    ईकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)- इस टेस्ट में ध्वनी तरंगे (sound waves) हृदय की वीडियो इमेज बनाते हैं। डॉक्टर वेंट्रिकुलर सेप्टल  डिफेक्ट के साइज, गंभीरता और स्थिति का पता लगाने के लिए यह टेस्ट करते हैं। साथ ही इससे किसी अन्य तरह की हृदय संबंधी समस्या का भी पता चल सकता है। इकोकार्डिग्राफी का इस्तेमाल भ्रूण पर भी किया जा सकता है।

    इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram (ECG))- हार्ट डिफेक्ट और रिदम प्रॉब्लम का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। इसमें स्किन से अटैच किए गए इलेक्ट्रोड्स की मदद से दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी रिकॉर्ड की जाती है।

    छाती का एक्स-रे (Chest X-ray)- एक्स रे की मदद से डॉक्टर को हृदय (Heart) और फेफड़ों (Lungs) की स्पष्ट तस्वीर दिखती है जिससे पता चलता है कि उसमें अतिरिक्त तरल तो नहीं जमा है।

    कार्डिएक कैथीटेराइजेशन (Cardiac catheterization)- इस टेस्ट में पतले, लचीले ट्यूब (catheter) को कमर या बांह में ब्लड वेसल में डाला जाता है और उन्हें हृदय में पहुंचने के लिए गाइड किया जाता है। कार्डिएक कैथीटेराइजेशन के जरिए डॉक्टर जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart defects) का पता लगता है और हार्ट वाल्व (Heart valve) और चैंबर्स (Chambers) की कार्यप्रणाली को निर्धारित करता है।

    पल्स ऑक्सिमेट्री (Pulse oximetry)- इस टेस्ट में उंगली में छोटी सी क्लिप लगाकर ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा मापी जाती है।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of ventricular septal defects)

    छोटे वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के साथ जन्में अधिकांश नवजात को छेद बंद करने के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। जन्म के बाद आपका डॉक्टर बच्चे कि निगरानी करता है और लक्षणों का इलाज करके देखता है कि छेद अपने आप बंद होता है या नहीं।

    जिन बच्चों को सर्जरी की जरूरत पड़ती है उन्हें जन्म के पहले साल ही सर्जरी करवानी पड़ती है। बच्चे और व्यस्क जिनका वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (ventricular septal defects) मध्यम या बड़ा होता है और जिसके कारण गंभीर लक्षण उभरते है, उन्हें दिल के छेद को बंद करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

    दवाएं (Medications)- हार्ट फेलियर (heart failure) के लक्षणों की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर दवा देता है। दवा का मकसद फेफड़ों में तरल पदार्थ की मात्रा कम करना है।

    सर्जरी और दूसरी प्रक्रियाएं (Surgeries or other procedures)- सर्जीकल ट्रीटमेंट में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (ventricular septal defects) के कारण हुई असामान्य ओपनिंग की पल्गिंग (plugging) या पैचिंग (patching) की जाती है। यदि आपके बच्चे की सर्जरी होने वाली है तो यह सुनिश्चित करे की सर्जरी स्पेशलिस्ट सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा की जाए।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट की अन्य प्रक्रियाओं में शामिल है-

    सर्जिकल रिपेयर- इस प्रक्रिया में ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है। इसके लिए हार्ट-लंग मशीन की जरूरत पड़ती है और छाती में चीरा (incision) लगाया जाता है। छेद को बंद करने के लिए डॉक्टर पैच या टांके (stitches) लगा सकता है।

    कैथेटर प्रक्रिया (Catheter procedure)- इस प्रक्रिया में छाती में चीरा नहीं लगाया जाता, बल्कि डॉक्टर एक पतली ट्यूब को कमर के ब्लड वेसल में डालकर उसे हृदय में निर्देशित करता है। फिर डॉक्टर छेद को बंद करने के लिए खास तरह की डिवाइस का इस्तेमाल करता है।

    सर्जरी के बाद डॉक्टर फॉलो अप चेकअप के लिए बुलाता है और इस बात की जांच करता है कि किसी तरह की जटिलता तो नहीं हुई है।

    वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट, जिसे दिल में छेद भी कहा जाता है एक जन्मजात हृदय विकार है जिसे पूरी तरह से रोक पाना या बचाव तो संभव नहीं है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान अपनी सेहत का ध्यान रखकर और अनुवांशिक रोगों के लिए एक्सपर्ट्स से सलाह लेकर कुछ हद तक बच्चे को इस दोष से बचाया जा सकता है।

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