जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा हार्ट और ब्लड वेसल्स कम इलास्टिक बन जाते हैं। इससे उनके सख्त होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए बुजुर्गों में डायस्टोलिक हार्ट फेलियर होना अधिक सामान्य है। सामान्य उम्र बढ़ने के अलावा, इस बीमारी के आम कारण इस प्रकार हैं:
हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
अगर किसी व्यक्ति को हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो दिल को शरीर में ब्लड पंप करने के लिए अधिक काम करना पड़ता है। इस अतिरिक्त कार्य के कारण हार्ट मसल थिक और बड़े हो जाते हैं। यही नहीं यह अधिक सख्त भी हो जाते हैं।
डायबिटीज (Diabetes)
डायबिटीज हार्ट की वॉल को थिक बना सकती है, इससे यह सख्त हो जाती है। इसके कारण यह क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर का कारण बन सकती है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease)
इस समस्या के कारण हार्ट मसल में बहने वाले रक्त की मात्रा ब्लॉक या सामान्य से कम हो जाती है। इससे भी यह क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) का कारण बन सकती है।
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ओबेसिटी (Obesity)
मोटापे के कारण ब्लड को पंप करने के लिए अधिक काम करना पड़ता है जिससे यह भी इस हार्ट कंडीशन की वजह बन सकता है। यह थे कुछ कारण लेकिन इस बीमारी के साथ कुछ रिस्क फैक्टर्स भी जुड़े हुए हैं। इस समस्या से जुड़े रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं
- उम्र का बढ़ना (Aging) : जैसे -जैसे हमारी उम्र बढ़ती है। हार्ट मसल अधिक सख्त हो जाते हैं। जिससे यह हृदय को ठीक से रक्त से भरने से रोकते हैं।
- एओर्टिक स्टेनोसिस (Aortic Stenosis) : एओर्टिक वॉल्व की तंग ओपनिंग बाएं वेंट्रिकल को मोटा कर सकती है।
- हायपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (Hypertrophic Cardiomyopathy) :यह एक इनहेरिटेड हार्ट मसल अब्नोर्मलिटी है, जिसके कारण दाएं वेंट्रिकल्स वाल्स थिक हो जाते हैं।
- पेरिकार्डियल डिजीज (Pericardial Disease) : दिल के आसपास की सैक में होने वाली यह असामान्यता पेरीकार्डियल स्पेस (Pericardial Space) में तरल पदार्थ का निर्माण कर सकती है या पेरीकार्डियम (Pericardium) को मोटा कर सकती है। अब जानिए कैसे हो सकता है इस बीमारी का निदान?
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क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर का निदान (Diagnosis of Chronic Diastolic Heart Failure)
क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) का निदान करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर रोगी से इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही वो रोगी की शारीरिक जांच करते हैं। उसके बाद एडवांस्ड डायग्नोस्टिक प्रोसीजर और तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। ताकि प्रभावी रूप से निदान संभव हो सके, उपचार के बारे में जाना जा सके और स्थिति को ध्यान से मॉनिटर किया जा सके। क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर के निदान के सामान्य तरीके इस प्रकार हैं :
ब्लड टेस्ट (Blood Test)
ब्लड टेस्ट का प्रयोग खून में फैट्स, कोलेस्ट्रॉल, शुगर और प्रोटीन के लेवल को जानने के लिए किया जाता है। इन सब से हार्ट कंडीशन के बारे में जानकारी मिल सकती है।
चेस्ट एक्स -रे (Chest X-ray)