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ट्रायकसपिड अट्रीशिया : इस तरह से बचाएं अपने बच्चों को इस जन्मजात हार्ट डिफेक्ट से!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/12/2021

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया : इस तरह से बचाएं अपने बच्चों को इस जन्मजात हार्ट डिफेक्ट से!

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) एक तरह की हार्ट डिजीज है, जो जन्म के समय शिशु को होती है। इस समस्या में ट्रायकसपिड हार्ट वाल्व या तो मिसिंग होता है या सामान्य तरीके से विकसित नहीं होता। यह डिफेक्ट दाहिने एट्रियम (Right Atrium) से दाहिने वेंट्रिकल (Right Ventricle) तक के ब्लड फ्लो को ब्लॉक कर देता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह एक  जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defect) है। ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) जैसी समस्या के साथ जन्म लेने वाले बच्चे में उसके जन्म के तुरंत बाद ही गंभीर लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। क्योंकि, उनके फेफड़ों में रक्त का प्रवाह सामान्य से बहुत कम होता है। यह लक्षण कैसे हो सकते हैं, आइए जानते हैं।

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया के लक्षण (Symptoms of Tricuspid Atresia)

    अधिकतर मामलों में ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) से पीड़ित बच्चों में इसके लक्षण पैदा होने के कुछ ही दिनों में दिखाई देने लगते हैं। इस समस्या से पीड़ित शिशु में यह लक्षण हो सकते हैं :

  • बच्चे की स्किन या होंठों का रंग का नीला होना (Blue Skin and Lips)
  • फीडिंग में मुश्किल होना (Feeding difficulty)
  • सांस लेने में समस्या होना या सांस का तेज होना (Shortness of Breath and Rapid Breathing)
  • ग्रोथ कम होना (Slow Growth)
  • हार्ट मर्मर (Heart Murmur)
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    इस स्थिति से पीड़ित कुछ बच्चों में हार्ट फेलियर (Heart Failure Symptoms) के लक्षण भी पैदा हो सकते हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं :

    यह तो थे इस समस्या के लक्षण जो कई बार डॉक्टर शिशु के जन्म लेते हैं पहचान लेते हैं। इस समस्या के कई कारण भी हैं, जो इस प्रकार हो सकते हैं।

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया के कारण (Causes of Tricuspid Atresia)

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) असामान्य जन्मजात हृदय रोग (Congenital Heart Disease) है।  सामान्य रूप से शरीर से दाहिने एट्रियम (Right Atrium) में ब्लड फ्लो होता है और उसके बाद फिर ट्राइकसपिड वाल्व के माध्यम से दाएं वेंट्रिकल में और फिर फेफड़ों तक खून पहुंचता है। अगर ट्रायकसपिड वॉल्व खुलते नहीं हैं तो खून दायें एट्रियम से दायें वेंट्रिकल  में फ्लो नहीं हो पाता। यानी, ट्रायकसपिड वॉल्व के साथ समस्या के कारण, ब्लड फेफड़ों में एंटर नहीं कर पाता है। यहीं पर उसे ओक्सिजनेटेड होना पड़ता है। इसकी जगह दाएं और बाएं एट्रियम के बीच के छेद के माध्यम से खून गुजरता है। बाएं एट्रियम में, यह ब्लड फेफड़ों से लौटने वाले ऑक्सीजन युक्त रक्त के साथ मिल जाता है।

    ऑक्सीजन युक्त और ऑक्सीजन रहित रक्त के इस मिश्रण को बाएं वेंट्रिकल से शरीर में पंप किया जाता है। इससे रक्त में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। जिससे यह समस्या होती है। रोगी को दाएं और बाएं एट्रियम के बीच के छेद या फीटल वेसल (Fetal Vessel) के मेंटेनेंस  के माध्यम से जिसे डक्टस आर्टेरियोसस (Ductus Arteriosus ) कहा जाता है, उससे खून प्राप्त होता है। डक्टस आर्टेरियोसस, पल्मोनरी धमनी (Arteriosus Pulmonary Artery) को महाधमनी (Aorta) से जोड़ता है। यह तब मौजूद होता है जब बच्चा पैदा होता है, लेकिन आमतौर पर जन्म के तुरंत बाद अपने आप बंद हो जाता है। अब जानिए क्या हैं इस रोग से जुड़े रिस्क फैक्टर?

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    ट्रायकसपिड अट्रीशिया के रिस्क फैक्टर (Risk factors of Tricuspid Atresia)

    रिस्क फैक्टर ऐसे लक्षण होते हैं, जो किसी व्यक्ति में बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति के जोखिम की संभावना को बढ़ाते हैं। ट्राइकसपिड एट्रेसिया के जोखिम कारकों में यह सब शामिल हैं:

    • डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome)
    • पेरेंट्स जिनमें जन्मजात हार्ट डिफेक्ट हो (A Parent had  Congenital Heart Defect)
    • प्रेग्नेंसी की शुरुआत में अगर मां को कोई वायरल बीमारी हो (Mother Had Viral Illness)
    • गर्भवती होने पर अधिक शराब का सेवन (Drank too much Alcohol While pregnant)
    • अगर डायबिटीज को सही से कंट्रोल न किया गया हो (Diabetes is not properly Controlled)
    • गर्भावस्था के दौरान किसी तरह की दवाइयों का प्रयोग करना जैसे एंटी-सीज़र या एक्ने मेडिकेशंस (Used some kinds of Medications)

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) एक घातक समस्या है, जिसका निदान इस तरह से संभव है।

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    ट्रायकसपिड अट्रीशिया का निदान (Diagnosis of Tricuspid Atresia)

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) की समस्या को डॉक्टर तब भी पहचान सकते हैं जब शिशु गर्भ में होता है। रुटीन प्रीनेटल अल्ट्रासाउंड (Routine Prenatal Ultrasound) से गर्भ में शिशु की ग्रोथ को मॉनिटर किया जाता है और इससे भ्रूण के दिल की असमानताओं को पहचाना जा सकता है। जब शिशु जन्म लेता है तो डॉक्टर शिशु की शारीरिक जांच से इस समस्या का निदान कर सकता है।  डॉक्टर शिशु में हार्ट मर्मर या शिशु की नीली त्वचा से भी इसका निदान कर सकते हैं।  इसके साथ ही डॉक्टर कई अन्य टेस्ट भी करा सकते हैं ताकि शिशु में इस स्थिति का निदान हो सके। यह टेस्ट इस प्रकार हैं :

  • हार्ट का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound of Heart)
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
  •  एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
  • छाती का एक्स-रे (Chest X-Ray)
  • कार्डियक कैथेटेराइजेशन (Cardiac Catheterization)
  • दिल का मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging of Heart)
  • इस समस्या का उपचार भी संभव है। उपचार के तरीकों के बारे में जानें विस्तार से।

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    ट्रायकसपिड अट्रीशिया का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Tricuspid Atresia)

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) से जुड़ी जटिलताएं जानलेवा हो सकती है, जिसमें शरीर के टिश्यू को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना और हाय रेड ब्लड सेल काउंट शामिल है।  जिनके कारण ब्लड क्लॉट्स बन सकते हैं, जो स्ट्रोक या हार्ट अटैक का कारण बन सकते हैं। लेकिन इन जटिलताओं से तुरंत उपचार के माध्यम से बचा जा सकता है। जिन शिशुओं को यह समस्या होती है उन्हें कुछ दवाइयां दी जा सकती हैं या अधिकतर मामलों में इस स्थिति का उपचार सर्जरी से किया जाता है। ट्रायकसपिड अट्रीशिया की सर्जरी इस प्रकार हैं:

    बैलून सेप्टोस्टॉमी (Balloon Septostomy)

    शिशु के जन्म के बाद अगर शिशु का रंग नीला है, तो तुरंत इस सर्जरी को किया जाता है।  इसके बाद शिशु की स्थिति के अनुसार यह अन्य सर्जिकल ऑपरेशन किए जाते हैं।

    मॉडिफाइड बीटी शंट (Modified BT Shunt)

    एक सायनोस्ड (Cyanosed) बच्चे के फेफड़ों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और शरीर को ऑक्सीजन की सप्लाई में सुधार करने के लिए छाती में एक बड़ी धमनी और फेफड़ों की धमनियों के बीच एक आर्टिफिशियल ट्यूब लगाई जाती है। यह आमतौर शिशु के जन्म के कुछ दिनों के भीतर एक ओपन ऑपरेशन द्वारा किया जाता है।

    पल्मोनरी आर्टरी बैंडिंग (Pulmonary Artery Banding)

    फेफड़े में अधिक ब्लड फ्लो के कारण हार्ट फेलियर वाले बच्चे के फेफड़ों में रक्त के प्रवाह को रिस्ट्रिक्ट करने के लिए पल्मोनरी आर्टरी के चारों ओर एक लचीली पट्टी लगाई जाती है। यह सर्जरी जन्म के कुछ दिनों से लेकर हफ्तों के भीतर करनी पड़ती है।

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    द ग्लेंन प्रोसीजर (The Glenn Procedure)

    यह प्रक्रिया शिशु के जन्म के चार से छे महीनों के भीतर की जाती है। जिसमें सर्जन सुपीरियर वेना कावा (Superior vena cava) को पल्मोनरी आर्टरी (Pulmonary Artery) से जोड़ते है। इससे ब्लड साइड लंग्स तक फ्लो कर पाता है।

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    द फोंटेन प्रोसीजर (The Fontan Procedure)

    इस सर्जरी के दौरान सर्जन एक रास्ता बनाते हैं जिससे खून सीधा आर्टरीज तक फ्लो करता है और लंग्स तक ब्लड ट्रांसपोर्ट कर पाता है। इस सर्जरी बच्चे के दो साल तक होने के बाद की जाती है। लेकिन सभी बच्चों के लिए यह सही नहीं रहती। यह तो थी ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) के उपचार के बारे में बात लेकिन इस बीमारी से पीड़ित बच्चे को उपचार के बाद भी नियमित फॉलो-अप की जरूरत होती है।

    उपचार के बाद फॉलो-अप

    ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) से पीड़ित शिशु को उपचार के बाद भी आजीवन फॉलोअप और देखभाल की आवश्यकता होगी, ताकि एक हृदय रोग विशेषज्ञ उसके स्वास्थ्य को मॉनिटर कर सकें। हृदय रोग विशेषज्ञ आपको यह सलाह दे सकते हैं कि इस समस्या से पीड़ित शिशु के लिए कुछ प्रक्रियाओं जैसे दंत चिकित्सा आदि से पहले प्रिवेंटिव एंटीबायोटिक्स लेने चाहिए या नहीं।  इसके साथ ही डॉक्टर आपके शिशु को अधिक भारी शारीरिक गतिविधियां करने की सलाह भी नहीं देंगे। अब जानते हैं कि क्या इस स्थिति से बचाव संभव है?

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    ट्रायकसपिड अट्रीशिया से बचाव (Prevention of Tricuspid Atresia)

    जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defect) जैसे ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) से बचाव संभव नहीं है। अगर किसी महिला की हार्ट डिफेक्ट्स की फैमिली हिस्ट्री है तो डॉक्टर आपकी प्रेग्नेंसी से जुड़े रिस्क फैक्टर के बारे में आपको बता सकते हैं और आपकी मदद भी कर सकते हैं। गर्भावस्था में शिशु को हार्ट और अन्य बर्थ डिफेक्ट्स को कम करने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं। यह उपाय इस प्रकार हैं:

    •  सही मात्रा में पर्याप्त फोलिक एसिड (Folic Acid) का सेवन करने से ऐसा माना जाता है कि ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड डिफेक्ट (Brain and Spinal Cord Defect) को कम करने में मदद मिलती है। यही नहीं, फोलिक एसिड हार्ट डिफेक्ट्स से बचाने में भी सहायक है।
    • प्रेग्नेंसी में अपने डॉक्टर से दवाइयों के प्रयोग के बारे में बात करें। कोई भी दवा या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें ।
    • प्रेग्नेंसी में स्मोकिंग और शराब पीने से भो बचें। इससे जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defect) बढ़ सकते हैं।
    • गर्भावस्था में केमिकल एक्सपोज़र में आने से बचें ।
    • यदि आपके शिशु को ट्राइकसपिड एट्रेसिया है, तो उसे सफल उपचार के बाद भी वर्षों तक निरंतर देखभाल की आवश्यकता होगी।

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    यह तो थी ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) के बारे में पूरी जानकारी। ट्रायकसपिड अट्रीशिया के लिए की गई सर्जरी के बाद आपके शिशु को बड़े होने पर भी सही देखभाल और मॉनिटरिंग की जरूरत होती है। इस समस्या से जो बच्चे बचपन में शिकार होते हैं, उन्हें पूरी उम्र कुछ समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता है जैसे स्ट्रोक (Stroke), इंफेक्शन (Infection), जन्मजात हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure) ,एरिथमिया (Arrhythmias)आदि। उन्हें इस स्थिति से बचने के लिए दवाइयां भी लेनी पड़ सकती है। ऐसे में डॉक्टर से बात करें, ताकि पूरी उम्र आपके बच्चे की देखभाल हो सके और आपका बच्चा सामान्य जीवन जी सके।

    डिस्क्लेमर

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