हार्ट का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound of Heart) इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) छाती का एक्स-रे (Chest X-Ray) कार्डियक कैथेटेराइजेशन (Cardiac Catheterization) दिल का मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging of Heart) इस समस्या का उपचार भी संभव है। उपचार के तरीकों के बारे में जानें विस्तार से।
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ट्रायकसपिड अट्रीशिया का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Tricuspid Atresia)
ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) से जुड़ी जटिलताएं जानलेवा हो सकती है, जिसमें शरीर के टिश्यू को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना और हाय रेड ब्लड सेल काउंट शामिल है। जिनके कारण ब्लड क्लॉट्स बन सकते हैं, जो स्ट्रोक या हार्ट अटैक का कारण बन सकते हैं। लेकिन इन जटिलताओं से तुरंत उपचार के माध्यम से बचा जा सकता है। जिन शिशुओं को यह समस्या होती है उन्हें कुछ दवाइयां दी जा सकती हैं या अधिकतर मामलों में इस स्थिति का उपचार सर्जरी से किया जाता है। ट्रायकसपिड अट्रीशिया की सर्जरी इस प्रकार हैं:
बैलून सेप्टोस्टॉमी (Balloon Septostomy)
शिशु के जन्म के बाद अगर शिशु का रंग नीला है, तो तुरंत इस सर्जरी को किया जाता है। इसके बाद शिशु की स्थिति के अनुसार यह अन्य सर्जिकल ऑपरेशन किए जाते हैं।
मॉडिफाइड बीटी शंट (Modified BT Shunt)
एक सायनोस्ड (Cyanosed) बच्चे के फेफड़ों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और शरीर को ऑक्सीजन की सप्लाई में सुधार करने के लिए छाती में एक बड़ी धमनी और फेफड़ों की धमनियों के बीच एक आर्टिफिशियल ट्यूब लगाई जाती है। यह आमतौर शिशु के जन्म के कुछ दिनों के भीतर एक ओपन ऑपरेशन द्वारा किया जाता है।
पल्मोनरी आर्टरी बैंडिंग (Pulmonary Artery Banding)
फेफड़े में अधिक ब्लड फ्लो के कारण हार्ट फेलियर वाले बच्चे के फेफड़ों में रक्त के प्रवाह को रिस्ट्रिक्ट करने के लिए पल्मोनरी आर्टरी के चारों ओर एक लचीली पट्टी लगाई जाती है। यह सर्जरी जन्म के कुछ दिनों से लेकर हफ्तों के भीतर करनी पड़ती है।
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द ग्लेंन प्रोसीजर (The Glenn Procedure)
यह प्रक्रिया शिशु के जन्म के चार से छे महीनों के भीतर की जाती है। जिसमें सर्जन सुपीरियर वेना कावा (Superior vena cava) को पल्मोनरी आर्टरी (Pulmonary Artery) से जोड़ते है। इससे ब्लड साइड लंग्स तक फ्लो कर पाता है।
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द फोंटेन प्रोसीजर (The Fontan Procedure)
इस सर्जरी के दौरान सर्जन एक रास्ता बनाते हैं जिससे खून सीधा आर्टरीज तक फ्लो करता है और लंग्स तक ब्लड ट्रांसपोर्ट कर पाता है। इस सर्जरी बच्चे के दो साल तक होने के बाद की जाती है। लेकिन सभी बच्चों के लिए यह सही नहीं रहती। यह तो थी ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) के उपचार के बारे में बात लेकिन इस बीमारी से पीड़ित बच्चे को उपचार के बाद भी नियमित फॉलो-अप की जरूरत होती है।
उपचार के बाद फॉलो-अप
ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) से पीड़ित शिशु को उपचार के बाद भी आजीवन फॉलोअप और देखभाल की आवश्यकता होगी, ताकि एक हृदय रोग विशेषज्ञ उसके स्वास्थ्य को मॉनिटर कर सकें। हृदय रोग विशेषज्ञ आपको यह सलाह दे सकते हैं कि इस समस्या से पीड़ित शिशु के लिए कुछ प्रक्रियाओं जैसे दंत चिकित्सा आदि से पहले प्रिवेंटिव एंटीबायोटिक्स लेने चाहिए या नहीं। इसके साथ ही डॉक्टर आपके शिशु को अधिक भारी शारीरिक गतिविधियां करने की सलाह भी नहीं देंगे। अब जानते हैं कि क्या इस स्थिति से बचाव संभव है?
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ट्रायकसपिड अट्रीशिया से बचाव (Prevention of Tricuspid Atresia)
जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defect) जैसे ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) से बचाव संभव नहीं है। अगर किसी महिला की हार्ट डिफेक्ट्स की फैमिली हिस्ट्री है तो डॉक्टर आपकी प्रेग्नेंसी से जुड़े रिस्क फैक्टर के बारे में आपको बता सकते हैं और आपकी मदद भी कर सकते हैं। गर्भावस्था में शिशु को हार्ट और अन्य बर्थ डिफेक्ट्स को कम करने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं। यह उपाय इस प्रकार हैं:
- सही मात्रा में पर्याप्त फोलिक एसिड (Folic Acid) का सेवन करने से ऐसा माना जाता है कि ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड डिफेक्ट (Brain and Spinal Cord Defect) को कम करने में मदद मिलती है। यही नहीं, फोलिक एसिड हार्ट डिफेक्ट्स से बचाने में भी सहायक है।
- प्रेग्नेंसी में अपने डॉक्टर से दवाइयों के प्रयोग के बारे में बात करें। कोई भी दवा या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें ।
- प्रेग्नेंसी में स्मोकिंग और शराब पीने से भो बचें। इससे जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defect) बढ़ सकते हैं।
- गर्भावस्था में केमिकल एक्सपोज़र में आने से बचें ।
- यदि आपके शिशु को ट्राइकसपिड एट्रेसिया है, तो उसे सफल उपचार के बाद भी वर्षों तक निरंतर देखभाल की आवश्यकता होगी।
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यह तो थी ट्रायकसपिड अट्रीशिया (Tricuspid Atresia) के बारे में पूरी जानकारी। ट्रायकसपिड अट्रीशिया के लिए की गई सर्जरी के बाद आपके शिशु को बड़े होने पर भी सही देखभाल और मॉनिटरिंग की जरूरत होती है। इस समस्या से जो बच्चे बचपन में शिकार होते हैं, उन्हें पूरी उम्र कुछ समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता है जैसे स्ट्रोक (Stroke), इंफेक्शन (Infection), जन्मजात हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure) ,एरिथमिया (Arrhythmias)आदि। उन्हें इस स्थिति से बचने के लिए दवाइयां भी लेनी पड़ सकती है। ऐसे में डॉक्टर से बात करें, ताकि पूरी उम्र आपके बच्चे की देखभाल हो सके और आपका बच्चा सामान्य जीवन जी सके।