बॉडी में होने वाले हॉर्मोनल चेंजेंस की वजह से पीरियड्स की शुरुआत होती है। हॉर्मोन्स कैमिकल मैसेंजर हैं। ओवरी फीमेल हॉर्मोन्स ईस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्ट्रॉन (Progesterone) को रिलीज करती है। ये हॉर्मोन्स यूटेरस (Uterus) के लाइनिंग को बनाने के काम करते हैं। लाइनिंग बनने के बाद यह फर्टिलाइज्ड एग के लिए तैयार हो जाती है। अगर एग फर्टिलाइज नहीं होता है, तो यह लाइनिंग टूट जाती है और ब्लीडिंग होने लगती है। यही प्रॉसेस हमेशा चलता रहता है। जब तक महिला गर्भवती नहीं हो जाती। लाइनिंग को बनने और फिर टूटने में लगभग एक महीने का समय लगता है। इसलिए महिलाओं को एक महीने में पीरियड आते हैं। मासिक धर्म की शुरुआत होने के बाद हर महीने पीरियड्स आने के पहले और इसके दौरान महिलाओं में कुछ शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। पीरियड्स से मेनोपॉज तक बदलावों का सिलसिला जारी रहता है।
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पीरियड्स के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव (Hormonal changes during Menstruations)
इसकी शुरुआत एंडोक्राइन ग्लैंड्स से होती है। यह ग्रंथि हॉर्मोन्स को प्रोड्यूस करती है, जो पीरियड का समय, मेंस्ट्रुअल फ्लो और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं ये निर्धारित करते हैं। मस्तिष्क का क्षेत्र जिसे हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) कहा जाता है, पिट्यूटरी ग्रंथि के माध्यम से नर्वस और एंडोक्राइन सिस्टम को कनेक्ट करता है। यह पीरियड्स के लिए जरूरी हॉर्मोन्स को भी कंट्रोल करता है। मेन्ट्रुअल साइकिल के दौरान हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) सबसे पहले गोनाडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (Gonadotropin-releasing hormone) (GnRH) को रिलीज करता है। इसकी वजह से पिट्यूटरी ग्रंथि में कैमिकल रिएक्शन होते हैं और ये फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन एवं ल्यूटेनाइजिंग हॉर्मोन को स्टिम्युलेट करते हैं। इन दोनों हॉर्मोन के स्टिम्युलेट होने पर ईस्ट्रोजन (Estrogen), प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) और टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) का उत्पादन होता है। यह ये हॉर्मोन एक साथ अच्छी तरह से काम करते हैं तो सामान्य मासिक धर्म चक्र होता है।
इन हॉर्मोनल चेंजेंस के अलावा कुछ और बदलाव भी होते हैं। कुछ महिलाएं इस दौरान अलग अनुभव नहीं करती। वे एनर्जी लेवल और क्रिएटिविटी बढ़ने जैसे अनुभव करती हैं। वहीं ज्यादातर फीमेल्स इस दौरान नेगेटिव बदलाव जैसे कि मूड स्विंग्स (Mood swings), थकान, डिप्रेशन, ब्लोटिंग, ब्रेस्ट में पेन और सिर दर्द आदि का अनुभव करती हैं। ये प्रीमेंस्ट्रुअल अनुभव हल्के हो सकते हैं, लेकिन कई बार ये परेशानी का कारण बन सकते हैं।
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