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पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन: जैसे अलीबाबा के चालीस चोरों की बारात हो!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/08/2021

    पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन: जैसे अलीबाबा के चालीस चोरों की बारात हो! 

    वर्क फ्रॉम होम में हमारा रूटीन कितना बदल गया है! सुबह उठो, तैयार हो जाओ और अपना लैपटॉप लेकर काम करने बैठ जाओ। सुनने में ये जितना आसान लगता है, उतना ही करने में मुश्किल साबित होता है। खास तौर पर महीने के वो 5 दिन, जब पीरियड्स हाजिर हो जाते हैं। तब तो इस आसान से रूटीन को निभाते-निभाते हालत खराब हो जाती है। लगातार बैठ कर काम करने में भले ही आम दिनों में परेशानी ना हो, लेकिन पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट और पीठ दर्द के कारण हमारे लिए ये परेशानी का सबब बन जाता है। ऐसे में जब पीरियड्स के हैवी फ्लो के साथ कॉन्स्टिपेशन और ब्लोटिंग (Bloating) की तकलीफ होती है, तो ये किसी सजा से कम नहीं लगता। लेकिन ऐसा क्यों होता है, कभी सोचा है आपने? क्यों कुछ महिलाओं में पीरियड्स के पहले दिन से उनका पेट उनका साथ छोड़ देता है और कॉन्स्टिपेशन के साथ हो लेता है? अगर इसका जवाब आप नहीं जानते, तो ये खबर आपके काम आ सकती है। क्योंकि आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन (constipation and periods) के बीच इतना गहरा प्यार क्यों है! तो चलिए, देर किस बात की?

    पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन (constipation and periods): जब चले आए हाथों में हाथ डाले! 

    पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन क्या है दोनों के बीच कनेक्शन? पीरियड्स और कब्ज कैसे जुड़े हैं एक दूसरे से?

    अब आप सोच रहे होंगे कि पीरियड्स और कब्ज, ये दोनों तो अलग-अलग तकलीफें हैं, फिर इनका नाम साथ में क्यों लिया जा रहा है? ऐसा इसलिए है, क्योंकि कई बार पीरियड्स के कारण कब्ज (constipation) भी आपका सुकून छीनने को उतारू हो जाता है और आपको तब जरूरत पड़ती है ऐसे इलाज की, जो फूलप्रूफ हो। लेकिन पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन में ये तालमेल बनता कैसे है, पहले ये जान लेते हैं। दरअसल, कई महिलाओं को पीरियड्स और कब्ज की तकलीफ एक साथ सहनी पड़ती है। पीरियड्स में होनेवाले हॉर्मोनल बदलाव इसका कारण बनते हैं। जब आपके शरीर में पीरियड्स के दौरान हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं, तो आपको कॉन्स्टिपेशन, एसिडिटी, पेट दर्द और पीरियड्स में पेट फूलने (bloating) की समस्या होती हैं। पीरियड्स में जब प्रोजेस्टोरोन का लेवल बढ़ जाता है, तो ये कब्ज (constipation) का कारण बनता है। यही वो हॉर्मोन है, जो ऑव्युलेशन के आसपास या उसके दो दिनों के बाद शरीर में बढ़ता है, जिससे आपको इस दौरान भी कॉन्स्टिपेशन की दिक्कत महसूस हो सकती है।

    साथ ही प्रोस्टाग्लैंडिंस (Prostaglandins) या फैटी एसिड्स (fatty acids) के चलते इन्फ्लेमेशन की दिक्कत भी होती है। कई बार आपको पीरियड्स में पेट फूलना और पेट दर्द महसूस होता है, लेकिन ये तकलीफ पेट में ना होकर यूट्रस में हो रही होती है। ऐसे में आपको ऐसे इलाज की जरूरत पड़ती है, जो आपकी मदद पीरियड्स के कारण कब्ज (Constipation During Period) होने पर कर सके। इस इलाज का नाम क्या है जानते हैं? इसे कहते हैं लैक्सेटिव! लैक्सेटिव ऐसा पदार्थ है, जो एक ही रात में आपके पेट के जाम को दूर करके आपको कॉन्स्टिपेशन से राहत दिलाता है। लैक्सेटिव में आप बिसाकोडिल (Bisacodyl) पर भरोसा कर सकते हैं–जो एक स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (Stimulant Laxatives) माना जाता है। अब ये लैक्सेटिव पीरियड्स के दौरान आपकी कैसे मदद कर सकता है, आइये जानते हैं!  

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    पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन (constipation and periods) से निपटना है, तो काम आएगा लैक्सेटिव का ढाई किलो का हाथ! 

    पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन से कैसे बचें? पीरियड्स के कारण कब्ज हो तो क्या करें?

    पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन (constipation and periods) के बीच का जो रिश्ता है, उसकी पूरी-पूरी जानकारी तो हम दे चुके हैं, लेकिन इस तकलीफ के गैरेंटीड इलाज के बारे में भी आपको जरूर जानना चाहिए। इंटरनैशनल फाउंडेशन ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टेनाइल डिसऑर्डर्स के मुताबिक, “महिलाओं को अक्सर पीरियड्स के दौरान कब्ज (constipation) की शिकायत होती है, जो कुछ दिनों तक परेशानी का सबब बन सकती है। लेकिन यदि आपको कॉन्स्टिपेशन की तकलीफ ज्यादा परेशान करे, तो आप लैक्सेटिव (Bisacodyl) ले सकते हैं। आम महिलाओं के साथ-साथ पीरियड्स में और भी अधिक दिक्कत उन महिलाओं को होती है, जो इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) से जूझ रही होती हैं। आईबीएस (IBS) की तकलीफ के साथ पीरियड्स इन्हे करीब-करीब 1 सप्ताह तक परेशान कर सकता है, इसलिए लैक्सेटिव की मदद से पीरियड्स में कॉन्स्टिपेशन की दिक्कत को ठीक किया जा सकता है।”

    तो अब आप समझे, पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन (constipation and periods) जब एक साथ टीमअप करके आपको परेशान करने लगे, तो लैक्सेटिव कैसे मदद करेगा! जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं, आप स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (Stimulant Laxatives)– बिसाकोडिल (Bisacodyl) का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपकी इंटेस्टाइन को स्टिम्युलेट करके पेट में रुके हुए स्टूल (stool) को आसानी से बाहर का रास्ता दिखा देता है। इससे होता ये है कि रात को सिर्फ एक गोली लेने पर जब आप सुबह टॉयलेट जाते हैं, तो पीरियड्स के कारण कब्ज की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। ये तो हो गई लैक्सेटिव (Bisacodyl) की बात, लेकिन अब हम आपको कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको कभी न कभी, किसी न किसी ने जरूर रेकमेंड किये होंगे। आइये समय न गंवाते हुए जान लेते हैं इन उपायों के बारे में।

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    पीरियड्स में कब्ज की समस्या (Constipation During Periods) व्यायाम के टिप्स – बचाएंगे आपको उह-आह से! 

    पीरियड्स और कब्ज भी हो तो क्या करें? पीरियड्स में पेट फूलने की समस्या क्यों होती है?

    पीरियड्स के कारण कब्ज (constipation) की दिक्कत आपके दिन का चैन लूटने के लिए काफी मानी जाती है। इसलिए इस समस्या को सुलझाने के लिए आपको कुछ बातों का ख्याल रखने की जरूरत पड़ सकती है। जिसमें से एक बात है आपका खानपान। 

    1. फाइबर से भरपूर खानपान (Fibrous food): खानपान की बात करें, तो आपको कॉन्स्टिपेशन में ऐसी चीजों को खाना चाहिए, जो फाइबर से भरपूर हो। दरअसल फाइबर पेट में जाकर स्टूल (stool) को पानी की मदद से जमा करता है। जिससे इंटेस्टाइन स्टिम्युलेट होता है और फिर पेट से सारा कचरा बाहर निकल जाता है। ऐसे में जब आप पीरियड्स के कारण कब्ज (constipation and periods) की दिक्कत से परेशान रहते हैं, तो ये फाइबर आपकी मदद के लिए हाजिर हो जाता है। आप कुछ खास फल, सब्जियों और अनाज को अपने खाने में इन्क्ल्यूड कर फाइबर की मात्रा बढ़ा सकते हैं। इसमें, सेब, गाजर, ब्रॉक्ली, पीयर्स, ओट्स, रास्पबेरीज और मटर खास तौर पर इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
    2. पानी (Water Intake): इसके अलावा आप लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाकर पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन (constipation and periods) की तकलीफ से बाहर निकल सकते हैं। इन बदलावों में पहला बदलाव है पानी का इनटेक बढ़ाना। जब आप ज्यादा से ज्यादा पानी पीते हैं, तो पेट में मौजूद स्टूल (stool) नरम बनकर आसानी से बाहर निकल जाता है। जो कॉन्स्टिपेशन में मददगार साबित होता है। साथ ही पीरियड्स में भरपूर पानी पीने से आपको डिहाइड्रेशन की तकलीफ नहीं होती। 
    3. व्यायाम करना: (Regular Exercise): इसके साथ ही आपकी मदद रोजाना की कसरत भी कर सकती है। जब आप रोज कसरत को अपना दोस्त बनाते हैं, तो कॉन्स्टिपेशन जैसा दुश्मन ज्यादा दिन टिक नहीं सकता। एक्सरसाइज करने से पेट की मसल्स की अच्छी तरह से मालिश होती है और धीमी गति से काम करनेवाला इंटेस्टाइन ठीक तरह से काम करने लगता है। जिससे मोशन में आसानी होती है। 

    ये तो हुए कुछ ऐसे तरीके, जो आप हमेशा से लोगों से सुनते आए हैं। लेकिन इसके अलावा एक तरीका और भी है, जो है लैक्सेटिव। जो कि एक जेंटल ओवरनाइट रिलीफ की तरह आपकी जिंदगी में आकर तकलीफ को नौ दो ग्यारह करने में माहिर साबित होगा। लेकिन एक बात और भी गौर करने वाली है। और वो ये है कि आगे फ्यूचर में भी पीरियड्स के कारण कब्ज (Constipation During Period) की दिक्कत से बचना हो, तो क्या किया जाए? है न लाखों का सवाल? चलिए अब जानते हैं इसका जवाब। 

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    क्या करें, क्या ना करें, ये कैसी मुश्किल हाय!

    पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन

    जब पीरियड्स और कब्ज (constipation) एक साथ मिलकर आपके सुकून को तार-तार करने में लगे हों, तो कुछ उपाय करने तो बनते भी हैं। ये उपाय ऐसे हैं, जो आपको फ्यूचर में पीरियड्स के कारण होने वाली कॉन्स्टिपेशन की तकलीफ से दूर रखने में मदद करेंगे। आइये बात करें इन उपायों के बारे में – 

    डिहायड्रेटिंग ड्रिंक्स से दूरी, बहुत है जरूरी! (Ample hydration)

    जैसा कि आप पहले जान गए हैं कि पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन (constipation and periods) एक साथ चलने वाले दोस्त हैं, तो आपको इनसे बचने के लिए कुछ ड्रिंक्स से दूरी बनानी चाहिए। शरीर को डिहाइड्रेट करने वाली ड्रिंक्स, जिसे डाययुरेटिक्स ड्रिंक्स (diuretic drinks) के नाम से जाना जाता है, इनमें एल्कोहॉल,कैफीन (चाय, कॉफी) से भरपूर ड्रिंक्स, सोडा, आर्टिफिशियल फ्रूट जूस, जैसे ड्रिंक्स आते हैं। ये सभी ड्रिंक्स आपके शरीर में पानी की मात्रा कम करते हैं, जिससे स्टूल (stool) पानी अब्सॉर्ब नहीं कर पाता और कॉन्स्टिपेशन की दिक्कत होने लगती है।

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    हेल्दी डायट? होनी चाहिए, पहली पसंद!  (Balanced diet)

    हेल्दी डायट फॉलो करना, एक ऐसी आदत है, जो पीरियड्स में आपकी पहली पसंद होनी चाहिए। पीरियड्स में कब्ज (constipation) के कारण होने वाली परेशानी को दूर करना है, तो खाने में फ्रेश फ्रूट, वेजिटेबल और होल ग्रेन्स को जगह देनी चाहिए। जिससे आपके पेट को राहत मिले और आप कॉन्स्टिपेशन से दूर रहें। 

    डॉक्टर की भी सुन लीजिये! (Doctor’s advice)

    ये तो थे कुछ आम उपाय, लेकिन एक्सपर्ट की राय भी तो जरूरी है! इसलिए हमने बात की फॉर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्स्ट्रैटिशन डॉ नेहा बोथरा से, जिन्होंने बताया, “सभी महिलाओं को एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि पीरियड्स के दौरान होनेवाला कॉन्स्टिपेशन आम बात है, जो हॉर्मोन में बदलाव के कारण होती है। लेकिन अगर ये तकलीफ सीवियर हो जाती है, तो आप माइल्ड लैक्सेटिव का इस्तेमाल कर सकती हैं। लेकिन आपको ये बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि लैक्सेटिव के अलावा आप अपनी डेली रूटीन में बदलाव लाएं। वॉकिंग, योग और खाने-पीने में बदलाव लाकर आप अपने पेट का ख्याल रख सकते हैं। जिससे आपको न सर्फ पीरियड्स में, बल्कि कॉन्स्टिपेशन में भी आराम मिलेगा।” 

    तो अब आप समझे, पीरियड्स और कॉन्स्टिपेशन एक ऐसी तकलीफ है, जो आपको न आराम से काम करने देती है और ना ही आपके दिन को खुशहाल रहने देती है। ऐसे में पीरियड्स के कारण कब्ज (Constipation During Period) की दिक्कत को अपनी जिंदगी से बाहर का रास्ता दिखाना है, तो आपको इन उपायों का साथ लेना ही होगा। फिर न रहेगा पीरियड्स का रोना और ना ही कॉन्स्टिपेशन का जंजाल!

    डिस्क्लेमर

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    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/08/2021

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