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नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया और प्रीडायबिटीज के कारण: जानें एक्सपर्ट से बचाव के टिप्स !

Written by डॉ. सूर्य कान्त · रेस्पिरेटरी थेरिपी · किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ


अपडेटेड 30/03/2022

    नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया और प्रीडायबिटीज के कारण: जानें एक्सपर्ट से बचाव के टिप्स !

    डायबिटीज (Diabetes) एक लाइफस्टाइल डिजीज है, जिससे आज के समय में लाखों लोग परेशान है। आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे डायबिटीज पेशेंट की, जो नॉन डायबिटीज (Non-Diabetes)होते हुए भी कई बार डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं । यदि किसी व्यक्ति का ग्लूकोज स्तर 100 से 125 मिलीग्राम/ डीएल के बीच है तो वह सही है । किसी  का ग्लूकोज स्तर  125 डीएल  से  180 मिलीग्राम/ डीएल के बीच है, तो  उसे प्रीडायबिटीज माना जाता है,  जोकि  खाने के 2 घंटे बाद जांचा जाता है । नॉन डायबिटीज लोगों में डायबिटीज के चंगुल में फसने के बहुत से कारण हो सकते हैं।जिसे नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) की समस्या भी कहा जाता है। जिसे ध्यान न देने पर आगे जाकर डायबिटीज की समस्या में बदल जाता है। आइए जानें नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) के कारणों के बारे में भी।

    नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) के कारण

    क्या आपको पता है, नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) के कारणों बारे में, जिसके चलते कई बार नॉन डायबिटीज लोग डायबिटीज के शिकार बन जाते हैं। ऐसा बहुत सारी डिजीज के कारण होता है, जो व्यक्ति के ब्लड में रक्त की शर्करा को बढ़ा देता है। जिसकी वजह से नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) की समस्या हो जाती है।

    कुशिंग सिंड्रोम (Cushing’s syndrome)

    कुशिंग सिंड्रोम (Cushing’s syndrome) एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हाॅर्मोन के अतिरिक्त स्राव का परिणामस्वरूप है। यह एक तरह की जटिल बीमारी है, ऐसा तब होता है, जब शरीर में कोर्टीसोल नामक हॉर्मोन अधिक बढ़ जाता है।यह पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा उत्पादित एक हॉर्मोन है, जो अतिरिक्त कोर्टिसोल का उत्पादन करता है। पूरे शरीर में कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर के परिणामस्वरूप कुशिंग सिंड्रोम वाले लोगों में बढ़ा हुआ ग्लूकोज, हायपरग्लेसेमिया के विकसित होने का खतरा बढ़ा देता है। कोर्टिसोल एक हाॅर्मोन है, जो रक्तप्रवाह से ग्लूकोज के अवशोषण को अवरुद्ध करके इंसुलिन के प्रतिरोध बढ़ता है।

    पैंक्रियास के रोग

     पैंक्रियास कैंसर (Pancreas Cancer) और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी अग्नाशय संबंधी बीमारियां, हायपरग्लेसेमिया का कारण बन सकती हैं। क्योंकि इन स्थितियों में पैंक्रियास की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। पैंक्रियास की कोशिकाओं से इंसुलिन का उत्पादन और स्राव होता है। ऐसी स्थिति में पैंक्रियास में सूजन (Inflammation of the pancreas) के साथ, अग्नाशयी कोशिकाएं रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का पर्याप्त उत्पादन करना बंद कर देती हैं।

    नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), पीसीओएस की समस्या कई बार अनियमित मासिक धर्म का कारण होती है। ऐसा उनमें होने वाले हॉर्मोनल असंतुलन के कारण होता है, जैसे कि टेस्टोस्टेरोन (Testosterone), इंसुलिन के बढ़ा हुआ स्तर (Increased levels of insulin) और साइटोकाइन नामक प्रोटीन का उत्पादन करते हैं। इंसुलिन के बढ़े हुए स्तर के बावजूद, पीसीओएस की शिकार महिलाओं में इंसुलिन नामक हाॅर्मोन में गड़बड़ी  जाती है और ग्लूकोज का ऊर्जा के लिए इसका उपयोग नहीं हो पाता है।

    नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया: संक्रमण (Infection)

    हायपरग्लेसेमिया होने का एक कारण शारीरिक तनाव (Physical Stress) से भी हो सकता है, जैसे कि निमोनिया या कोई यूरिन इंफेक्शन (Urine Infection)। तनाव, हमारे शरीर में कोर्टिसोल हॉर्मोन के बढ़े हुए स्तर, रक्तप्रवाह से अतिरिक्त ग्लूकोज को हटाने के लिए इंसुलिन की क्षमता को अवरुद्ध करते हैं, जिससे शरीर उच्च रक्त शर्करा की स्थिति हो जाती है। कई बार इस तरह के इंफेक्शन भी इस स्थिति का कारण हो सकते हैं।

    दवा के दुष्प्रभाव (Medication)

    कुछ दवाएं – जैसे कैटेकोलामाइन वैसोप्रेसर्स जैसे डोपामाइन और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स जैसे टैक्रोलिमस और साइक्लोस्पोरिन, और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स – रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने वाले एंजाइमों को सक्रिय करके रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं और रक्त से ग्लूकोज को बढ़ाने के साथ इंसुलिन को बाधित कर सकते हैं।

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    नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया: मोटापा (Obesity)

    उच्च रक्त शर्करा मोटापे से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि शरीर में बढ़ा हुआ फैट कोशिकाओं में से ग्लूकोज और इंसुलिन के संतुलन को बाधित कर सकता है। जैसे कि इंटरल्यूकिन्स और ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर, जो रक्त शर्करा के उच्च होने पर इंसुलिन के उत्पादन और रिलीज करने की शरीर की क्षमता को बाधित करने वाली प्रक्रियाओं को सक्रिय करके इंसुलिन के लिए शरीर के प्रतिरोध को बढ़ाते हैं।

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    नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया: जेनेटिक (Genetic)

    मधुमेह का पारिवारिक इतिहास यानि कि फैमिल हिस्ट्री होना भी नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) की समस्या को बढ़ा सकता है। फैमली हिस्ट्री होने पर भी लोगों में इसका जोखिम बढ़ जाता है। जबकि मधुमेह को अच्छी डायट और लाइफस्टाइल के माध्यम से रोका जा सकता है। अधिकतर मामलों में डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री देखी गई है। जिनके परिवार में माता या पिता में डायबिटीज का इतिहास है, उनके बच्चों को विशेषतौर पर इससे बचाव के लिए अपने खानपान और जीवनशैली पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्हें और वैसे तो सभी को एक्सरसाइज रोज करनी चाहिए।

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    गर्भवती महिलाओं में (Pregnancy)

    गर्भवती महिलाओं को गर्भकालीन मधुमेह भी हो सकता है, जिसे हम जेस्टेशनल डायबिटीज भी कहते हैं। अक्सर गर्भावस्था के 24 से 28 सप्ताह के बीच, हाॅर्मोनल परिवर्तनों के कारण  शरीर में ग्लूकोज का स्तर प्रभावित होता है। गर्भावस्था में हाॅर्मोन का प्रभाव रक्त से अतिरिक्त ग्लूकोज को हटाने के लिए इंसुलिन की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, जिससे रक्त में शर्करा का स्तर हाय हो जाता है।

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    डायबिटीज के कारण एक नहीं बल्कि बहुत से होते हैं। आपको उनके बारे में जानने के साथ ही बीमारी से बचने के उपाय खोजने चाहिए। जैसा कि आपने जाने कि नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) के कई कारण हो सकते हैं। सबसे मुश्किल बात यह है कि प्री डायबिटीज पेशेंट में जल्दी कोई लक्षण नजर आते नहीं हैं। लेकिन जिन्हें कोई भी लक्षण महसूस हो रहे हैं, उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। ताकि प्री डायबिटीज, डायबिटीज में न बदल जाए। इसके अलावा नॉन डायबिटीज पेशेंट में हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia in non-diabetic patients) की कंडिशन से बचने के लिए हर किसी को अच्छी डायट और लाइफस्टाइल के साथ रोज एक्सरसाइज करने की जरूरत है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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