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पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज : दोनों के बीच के लिंक के बारे में जानें यहां!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज : दोनों के बीच के लिंक के बारे में जानें यहां!

    पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) या पैंक्रियाज का कैंसर, कैंसर का एक भयानक प्रकार है। लेकिन, डायबिटीज को इस कैंसर के रिस्क फैक्टर के रूप में पाया गया है। ऐसा माना गया है कि पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित 80% रोगी डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) एक ही अंग को प्रभावित करते हैं लेकिन लोकेशन ही नहीं इनमें और भी कई चीजें कॉमन हैं। जिस व्यक्ति को एक समस्या होती है उसे दूसरी बीमारी होने भी पूरी संभावना रहती है। अगर आप इनके बारे में नहीं जाते हैं तो सावधान हो जाएं। क्योंकि, यह दोनों रोग जानलेवा हो सकते हैं। आज हम पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज(Pancreatic Cancer and Diabetes) के बारे में बात करने वाले हैं। जानिए इनके बारे में विस्तार से। सबसे पहले जानते हैं डायबिटीज के बारे में।

    डायबिटीज क्या है? (Diabetes)

    पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) के लिंक के बारे में जानने से पहले हम डायबिटीज के बारे में जान लेते हैं। डायबिटीज वो बीमारी है, जिसमें रोगी का शरीर “पैंक्रियाटिक हॉर्मोन’ (Pancreatic Hormone) जिसे इन्सुलिन कहा जाता है उसका सही से प्रयोग नहीं कर पाता है। इन्सुलिन हमारे शरीर को सही से ग्लूकोज का प्रयोग करने में मदद करता है। यही नहीं, इन्सुलिन का प्रयोग एनर्जी के रूप में भी किया जाता है। डायबिटीज के मामले में या तो शरीर पर्याप्त इन्सुलिन नहीं बना पाता है या बनायी गयी इन्सुलिन की मात्रा प्रभावी नहीं होती है। ऐसे में सेल्स में जाने की जगह ग्लूकोज खून में ही रहता है, जिसका परिणाम होता है हाय ब्लड ग्लूकोज लेवल (High Blood Glucose Level)।

    डायबिटीज के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), ब्लाइंडनेस (Blindness), किडनी की समस्या (Kidney Problems) आदि। डायबिटीज भी कई तरह की होती है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) शरीर में सही मात्रा में इन्सुलिन न बनने का परिणाम है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) शरीर के इन्सुलिन को सही से प्रयोग न कर पाने के कारण होती है। यह तो थी डायबिटीज के बारे में जानकारी। अब जानते हैं पैंक्रियाटिक कैंसर के बारे में।

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    पैंक्रियाटिक कैंसर क्या है? (Pancreatic Cancer)

    पैंक्रियाज हमारे शरीर का वो अंग है, जो स्टमक के पीछे होता है और पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही नहीं, यह ब्लड शुगर लेवल को सही बनाए रखने में मदद करता है। पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) तब होता है जब पैंक्रियाज में अनियंत्रित तरीके से सेल्स बढ़ने लगते हैं। इसकी वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनके कुछ मामलों में डायबिटीज भी शामिल है। पैंक्रियाटिक कैंसर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है लेकिन कम उम्र के युवाओं में इसकी संभावना कम होती है। जानिए क्या हैं इसके लक्षण? पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    अगर इस कैंसर का निदान जल्दी हो जाए, तो उपचार भी संभव है। लेकिन इसका निदान शुरुआत में करना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि शुरुआत में आमतौर पर इसके कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज(Pancreatic Cancer and Diabetes) के लिंक से पहले इस कैंसर के उपचार और निदान के बारे में जान लेते हैं।

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    पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान और उपचार किस तरह से संभव है?

    पैंक्रियाटिक कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से लक्षणों के बारे में जानते हैं और मेडिकल व फैमिली हिस्ट्री भी जानी जाती है। यही नहीं, इसके लिए शारीरिक जांच भी जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर रोगी को यह टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं:

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    शारीरिक जांच में डॉक्टर रोगी की आंखों और स्किन की जांच करते हैं कि कहीं उन्हें पीलिया तो नहीं है। इसके साथ पेट की जांच सूजन के लिए भी की जाती है। पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) का उपचार इन तरीकों से संभव है:

  • सर्जरी (Surgery)
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
  • रेडियोथेरेपी (Radiotherapy)
  • सपोर्टिव केयर (Supportive Care) – ताकि लक्षणों का उपचार हो सके
  • अगर इस कैंसर का निदान जल्दी हो जाता है, तो सर्जरी इसका सबसे प्रभावी उपचार है। लेकिन अगर यह एडवांस्ड लेवल पर डिटेक्ट होता है, तो कैंसर को पर्याप्त रूप से नियंत्रित करने के लिए उपचार संभव नहीं हो सकता है और इसके साथ ही सपोर्टिव केयर की भी जरूरत होती है। जिसमें इस दौरान नजर आने वाले लक्षणों का उपचार शामिल है। अब जानते हैं कि पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) में क्या लिंक है?

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    पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज में क्या संबंध है? (Link Between Pancreatic Cancer and Diabetes)

    पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज(Pancreatic Cancer and Diabetes) में सबसे मुख्य लिंक यह है कि डायबिटीज पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) का रिस्क फैक्टर या लक्षण हो सकता है। उन लोगों को यह कैंसर होने की संभावना और भी बढ़ जाती है जिन्हें लंबे समय से डायबिटीज की समस्या हो। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि पचास से अधिक उम्र के लोगों में भी इस कैंसर की स्थिति में डायबिटीज एक लक्षण के रूप में नजर आ सकती है। अगर किसी को डायबिटीज हो, लेकिन उनकी ब्लड शुगर लेवल अच्छे से कंट्रोल हों। इस कंट्रोल्ड डायबिटीज की स्थिति में भी अचानक ब्लड शुगर में बदलाव आना भी पैंक्रियाटिक कैंसर का लक्षण हो सकता है।

    सर्कुलेटिंग इन्सुलिन का सामान्य से अधिक लेवल और इन्सुलिन के उत्पादन के लिए पैंक्रियाज पर प्रेशर के बढ़ने को डायबिटीज के संभावित कारणों के रूप में सुझाया गया है। जिससे पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा अधिक होता है। लेकिन जब हम सिक्के के दूसरे पहलू को देखते हैं तो पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) पैंक्रियाज के द्वारा इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाकर इन्सुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) का कारण भी बन सकता है। यही नहीं, पैंक्रियाटिक कैंसर इन्सुलिन प्रोड्यूसिंग कैपेसिटी में कमी का कारण भी बन सकता है। यह दोनों स्थितियां ही डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती हैं। अगर कैंसर ट्रीटमेंट के भाग के रूप में पैंक्रियाज को रिमूव कर दिया जाता है तो इससे भी डायबिटीज की समस्या हो सकती है।

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    नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) की अनुसार पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) एक गंभीर समस्या है और अस्सी प्रतिशत पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित मरीजों को डायबिटीज कि समस्या से पीड़ित पाया गया है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) इस कैंसर से जुड़ा एक रिस्क फैक्टर है। जल्दी इसके निदान से रोगी सामान्य जीवन जीने में सफल हो सकता है। अब जान लेते हैं डायबिटीज के उपचार के बारे में।

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    डायबिटीज का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Diabetes)

    अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या है तो दवाईयों, थेरेपी या इन्सुलिन के साथ ही आपको अपने खानपान और जीवनशैली में बदलाव के लिए कहा जाएगा। डायबिटीज की समस्या को मैनेज करने के लिए आपको किसी खास डायटिशन की सलाह की जरूरत हो सकती है। इसके साथ ही नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को मॉनिटर करना भी जरूरी है। अगर आपको पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) दोनों की समस्या है, तो आपके लिए डायबिटीज को मैनेज करना थोड़ा मुश्किल और परेशानीभरा हो सकता है। लेकिन, अपने खानपान को सही रख कर और जीवनशैली में हेल्दी बदलाव कर के ऐसा संभव है।

    जान लेते हैं कि रोगी का पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) की स्थिति में खानपान कैसा होना चाहिए?

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    पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज में कैसा होना चाहिए आहार?

    पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) से पीड़ित लोगों की खास न्यूट्रिशनल नीड्स होती हैं। ऐसे में सही आहार का चुनाव करने से उनके ब्लड ग्लूकोज और संपूर्ण स्वास्थ्य पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। सही आहार का सेवन करने से रोगी का ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य हो सकता है। इसके साथ ही सही न्यूट्रिशन (Right Nutrition), फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activity) और न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स (Nutritional Supplements) आदि से रोगी का ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल भी सुधर सकता है, शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं और उनका वजन भी संतुलित रह सकता है। इसके साथ ही रोगी की जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। सिर्फ एक आहार से शरीर की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं। इसलिए सही न्यूट्रिशन का अर्थ है विभिन्न प्रकार के आहार का सेवन करना। आहार को पांच मुख्य भागों में बांटा गया है:

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    इस हर एक ग्रुप में से रोजाना एक खाद्य पदार्थ का सेवन करना जरूरी है। सही आहार में स्टार्च, प्रोटीन, डेयरी, फल, सब्जियां और वसा आदि भी शामिल हैं। अगर आपको पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) की समस्या है, तो अपने डायटिशन से बात करें जो इन दोनों स्थितियों के बारे में समझता हो। एक अनुभवी डायटिशन जानता है कि शरीर भोजन का उपयोग कैसे करता है। वो आपको बता सकता है कि आप जो भोजन करते हैं वह ब्लड ग्लूकोज लेवल को कैसे प्रभावित करता है और डायबिटीज की दवाओं व भोजन के कार्यक्रम का समन्वय कैसे करें। डायटिशन पोषक तत्वों की खुराक के बारे में मार्गदर्शन भी प्रदान कर सकता है, जो कैंसर से संबंधित वजन घटाने वाले रोगियों के लिए सहायक हो सकता है।

    इसके साथ ही रोगी के लिए हेल्दी आदतों को अपनाना जैसे अपने वजन को संतुलित रखें, व्यायाम रखना, तनाव से बचाव और सही नींद लेना आदि भी बेहद आवश्यक है। पैंक्रियाटिक कैंसर और डायबिटीज (Pancreatic Cancer and Diabetes) दोनों ही स्थितियों में रोगी के लिए सकारात्मक रहना भी महत्वपूर्ण है ताकि वो सामान्य जीवन जी सके और जल्दी रिकवर हो सके।

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