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यूरिनरी ट्रैक्ट में बनने वाले स्ट्रूवाइट स्टोन्स को नजरअंदाज करना बन सकता है मुसीबत !

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/04/2021

    यूरिनरी ट्रैक्ट में बनने वाले स्ट्रूवाइट स्टोन्स को नजरअंदाज करना बन सकता है मुसीबत !

    जब पथरी या स्टोन्स की बात आती है तो हम आमतौर पर गालब्लैडर या किडनी स्टोन्स के बारे में ही जानते हैं। पथरी शुरुआत में आकार में छोटी हो सकती है, लेकिन बाद मेंइसका आकार बढ़ सकता है। दरअसल, हमारे यूरिन में कुछ घुलनशील मिनरल और साल्ट होते हैं। जब इन मिनरल्स और साल्ट्स की मात्रा अधिक बढ़ जाती है, तो यह स्टोन्स बन सकते हैं। अगर यह स्टोन्स मूत्राशय तक पहुंच जाते हैं तो मूत्र के माध्यम से यह शरीर से बाहर निकल सकते हैं। लेकिन, अगर यह स्टोन्स मूत्रवाहिनी (Ureter) में होते हैं तो उससे किडनी से मूत्र प्रवाह को अवरुद्ध हो जाता है और दर्द हो सकता है। आज हम बात करने  वाले हैं स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) के बारे में। स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) एक दुर्लभ समस्या है, लेकिन यह गंभीर हो सकती है। जानते हैं पथरी के इस प्रकार के बारे में।

    क्या हैं स्ट्रूवाइट स्टोन्स? (What is Struvite Stones)

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) वो सख्त मिनरल है, जो किडनी में बनते हैं। यह पथरी तब बनती है जब कैल्शियम और फॉस्फेट जैसे खनिज किडनी के अंदर क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं और एक साथ चिपक जाते हैं। स्ट्रूवाइट यूरिनरी ट्रैक्ट (Urinary Tract) में बैक्टीरिया द्वारा निर्मित होता है। किडनी स्टोन्स में से लगभग दस से पंद्रह प्रतिशत मामले स्ट्रूवाइट स्टोन्स के होते हैं। इस तरह स्टोन्स पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाए जाते हैं। स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) बहुत जल्दी से बनते हैं। इनके कारण किडनी, मूत्रवाहिनी (Ureter) या मूत्राशय (Bladder) ब्लॉक हो सकते हैंऔर किडनी को नुकसान हो सकता हैऐसे में आपको इसके लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए ताकि सही समय पर इनका निदान हो सके।

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    स्ट्रूवाइट स्टोन्स के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Struvite Stones)

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) क्रोनिक यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Chronic Urinary Tract Infections) के समान हैं। कुछ बैक्टीरिया यूरिन को कम एसिडिक और अधिक एल्कलाइन या बेसिक बना देते हैं। मैग्नीशियम अमोनियम फॉस्फेट (Struvite) स्टोन्स एल्कलाइन यूरिन बनाते हैं। इसके लक्षण भी किडनी स्टोन के समान ही होते हैं। इसमें कमर या पीठ की एक तरफ तेज दर्द होती है। यह दर्द अक्सर पेट के निचले हिस्से या ग्रोइन तक जाती है और अक्सर यह दर्द एकदम होती है। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    स्ट्रूवाइट स्टोन

    • पेशाब करने की तीव्र इच्छा (Feeling of Intense need to Urinate)
    • सामान्य से अधिक बार मूत्र त्याग औरमूत्र त्याग करते हुए जलन होना (Urinating more Often or Burning Feeling During Urination)
    • मूत्र का रंग गहरा या लाल होना (Urine that is Dark or Red) 
    • जी मचलना या उलटी आना (Nausea and Vomiting)
    • पुरुषों में, लिंग के टिप में दर्द होना  (For Men, You may Feel Pain at the Tip of the Penis)
    • बुखार (Fever)

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स के क्या कारण हैं? (Struvite Stones causes)

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स आमतौर पर बहुत जल्दी बढ़ते हैं। स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) द्वारा यूरिन पैदा करने वाले बैक्टीरिया के कारण बनते हैं। जो यूरिया को अमोनियम में विभाजित करता है, और यूरिन PH को न्यूट्रल या एल्कलाइन वैल्यूज तक बढ़ा देता है। जिन लोगों को क्रोनिक यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (urinary tract infection) की समस्या होती है, उन्हें स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) का खतरा अधिक होता है। यूरिनरी ट्रैक्ट में बैक्टीरिया स्ट्रूवाइट का उत्पादन तब करते हैं, जब वे वेस्ट मटेरियल यूरिया को अमोनिया में तोड़ देते हैं।

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स का निदान किस तरह से होता है? (Diagnosis of Struvite Stones)

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे इस समस्या के लक्षणों के बारे में पूछेंगे। लक्षणों के आधार पर इस समस्या का निदान हो सकता है। इसके बाद आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है:

  • ब्लड (Blood Tests) : डॉक्टर आपके ब्लड सैंपल की जांच कर के वेस्ट प्रोडक्ट्स जैसे कैल्शियम और यूरिक एसिड के लेवल का पता कर सकते हैं, जिससे स्टोन्स बनते हैं। 
  • यूरिन टेस्ट (Urine Testing) : एक यूरिन सैंपल की जांच करके यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) का निदान कर सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर यह भी जान सकते हैं कि आपके यूरिन में बैक्टीरिया तो नहीं हैं। यूरिन कल्चर टेस्ट से स्टोन्स बनाने वाले तत्वों जैसे कैल्शियम. ऑक्सालेट और यूरिक एसिड आदि का पता चल सकता है।
  • एक्स-रे (X-Ray) : एक्स-रे से किडनी और यूरिनरी ट्रैक्ट के अन्य अंगों की तस्वीर लेकर जांच की जा सकती है।
  • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग स्कैन (Magnetic Resonance Imaging Scan) : इस टेस्ट में पावरफुल मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो वेव्स से यूरिनरी ट्रैक्ट की विस्तृत तस्वीर बनाई जा सकती है।
  • इंट्रावेनस यूरोग्राफी (Intravenous Urography): यह टेस्ट गुर्दे, मूत्रवाहिनी और मूत्राशय की समस्याओं को देखने के लिए किया जाता है।
  • कैसे किया जाता है स्ट्रूवाइट स्टोन्स का उपचार? (Treatment of Struvite Stones)

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) का उपचार स्टोन के प्रकार, इसके आकार और लक्षणों के अनुसार किया जाता है। इसका उपचार जरूरी है क्योंकि समय के साथ इसका आकार बढ़ सकता है। जिससे आपकी किडनी को नुकसान हो सकता है। स्ट्रूवाइट स्टोन का उपचार कई तरीकों से किया जाता है, जैसे:

    स्टोन का खुद से निकलने का इंतजार किया जाता है (Wait for the Stone to Pass by Itself)

    अगर स्टोन छोटा है, जो खुद ही मूत्र के माध्यम से निकल जाता है। इसलिए डॉक्टर कई बार स्टोन के साइज में छोटा होने पर इसके खुद ही निकल जाने का इंतजार करते हैं। लेकिन, ऐसा तभी करने के लिए कहा जा सकता है जब आपको कोई इंफेक्शन न हो और दर्द भी अधिक न हो। इसके लिए डॉक्टर आपको अधिक पानी पीने के लिए कह सकते हैं।

    यह भी पढ़ें: Kidney Stone : किन कारणों से वापस हो सकती है पथरी की बीमारी?

    दवाईयां (Medication)

    कुछ दवाईयां भी स्टोन के खुद ही निकल जाने की संभावना को बढ़ा देती हैं। इसके लिए जिस दवाई को दिया जाता है, वो है टेम्सुलोसिन (Tamsulosin)। यह दवाई मूत्रवाहिनी को आराम पहुंचती है, जिससे पथरी को पास करना आसान हो जाता है। 

    स्ट्रूवाइट स्टोन

    सर्जरी (Surgery)

    डॉक्टर इन स्थितियों में आपकी मूत्रवाहिनी या गुर्दे से स्टोन्स को निकालने के लिए सर्जरी की सलाह दे सकते हैं, अगर:

    • स्टोन का आकार बड़ा हो (Large Size of Stone)
    • स्टोन स्वयं न निकल पा रहा हो (The Stone Fails to Pass)
    • आपको बहुत अधिक दर्द हो रहा हो (The Pain is too great)
    • स्टोन के कारण आपकी किडनी को काम करने में समस्या हो रही हो (The Stone is Affecting Kidney Function) 
    • अगर इसके कारण आपको बार-बार यूरिन इंफेक्शन हो रहा हो (If they Cause repeated Infections in the Urine) 

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) को किडनी या मूत्रवाहिनी से निकालने के लिए इन सर्जरीज़ को किया जा सकता है:

    शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (Shock wave Lithotripsy)

    शॉक वेव लिथोट्रिप्सी का प्रयोग किडनी या मूत्रवाहिनी के स्टोन्स के उपचार के लिए किया जाता है। इस उपचार में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड का प्रयोग कर के स्टोन्स को फोकस किया जाता है। इन शॉक वेव्स से लगातार हमला कर के स्टोन्स को छोटे टुकड़ों में तोडा जाता है। कुछ हफ्तों में यह छोटे टुकड़े यूरिन के मध्यम से बाहर निकल जाते हैं।

    युरेटेरोस्कोपी (Ureteroscopy)

    युरेटेरोस्कोपी का प्रयोग किडनी और मूत्रवाहिनी के स्टोन्स के उपचार के लिए किया जाता है। युरेटेरोस्कोपी में एक छोटे टेलिस्कोप का प्रयोग किया जाता है, जिसे युरेटेरोस्कोप कहा जाता है। इसे ब्लैडर में ड़ाला जाता है। मूत्राशय के पास मूत्रवाहिनी के निचले हिस्से में मौजूद स्टोन्स के लिए कठोर टेलीस्कोप का उपयोग किया जाता है। लचीले टेलेस्कोप का उपयोग ऊपरी मूत्रवाहिनी और किडनी में स्टोन्स के उपचार के लिए किया जाता है

    परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (Percutaneous Nephrolithotomy )

    परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी किडनी के बड़े स्टोन्स के लिए बेहतरीन उपचार है। इसके लिए जनरल एनेस्थीसिया का प्रयोग किया जाता है। इसमें कमर में या शरीर के एक तरफ एक चीरा भी लगाया जाता है, ताकि टेलिस्कोप को उसमे ड़ाला जा सके। नेफ्रोस्कोप के माध्यम से पास किया गया एक उपकरण स्टोन्स को तोड़ता है और टुकड़ों को बाहर निकालता है। 

    अन्य सर्जरी (Other Surgery)

    स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) को निकालने के लिए अन्य किसी सर्जरी का प्रयोग बहुत कम किया जाता है। लेकिन किन्हीं स्थितियों में ओपन (Open), लेप्रोस्कोपिक (Laparoscopic) या रोबोटिक सर्जरी (Robotic Surgery का प्रयोग किया जा सकता है।

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    कैसा होना चाहिए आपका आहार और लाइफस्टाइल? 

     स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) का उपचार किस तरह से किया जाता है, इस बारे में तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन, स्ट्रूवाइट स्टोन के उपचार में सही डायट और लाइफस्टाइल भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं। जानिए, कैसा होना चाहिए इस दौरान आपका आहार और लाइफस्टाइल:

    पर्याप्त पानी पीना (Drink Enough Fluids Each Day)

    अगर आपका शरीर पर्याप्त यूरिन नहीं बना पा रहा है तो आपके डॉक्टर आपको रोजाना कम से कम तीन लीटर पानी पीने की सलाह दे सकते हैं। यह स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) के बनने की संभावना को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन, अधिक मीठे या एल्कोहॉलिक ड्रिंक्स का सेवन न करें।

    अपने आहार में नमक की मात्रा को कम रखें (Reduce the Amount of Salt in your Diet)

    अगर आप अधिक नमक का सेवन करते हैं तो इसका उपयोग कम करें। सोडियम के कारण यूरिन कैल्शियम और सिस्टाइन दोनों की मात्रा अधिक हो सकती है जिससे स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) बनने की संभावना अधिक होती है। 

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    डॉक्टर के बताए अनुसार ही कैल्शियम का सेवन करें  (Eat the Recommended Amount of Calcium)

    अगर आप कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम तो नहीं ले रहे हैं। कैल्शियम की सही मात्रा जानने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें।

    पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करें (Eat Plenty of Fruits and Vegetables)

    जितना अधिक हो सके अपने आहार में फल और सब्जियों को शामिल करें। इनसे हमें पर्याप्त पोटेशियम, फायबर, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट्स आदि प्राप्त होते हैं, जो स्ट्रूवाइट स्टोन्स को बनने से रोकने में मददगार हो सकते हैं।

    Struvite Stone

    कम ऑक्सालेट लेवल वाले आहार का सेवन करें (Eat Foods with Low Oxalate Levels)

    जिन मरीजों में यूरिन ऑक्सालेट की मात्रा अधिक होती है। उन्हें कम ऑक्सालेट लेवल वाले आहार का सेवन करने के लिए कहा जाता है। कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ खाने से अक्सर मूत्र में ऑक्सालेट स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन,अगर ऐसा नहीं होता है तो कम ऑक्सालेट लेवल वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने के लिए कहा जा सकता है। 

    लाइफस्टाइल में बदलाव  

    आहार के साथ ही आपको अपने लाइफस्टाइल में भी कुछ परिवर्तन लाने होंगे ताकि इस समस्या से बच सके और इनसे राहत पा सकें। इसके लिए आप:

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    अगर आपको स्ट्रूवाइट स्टोन्स (Struvite Stones) का कोई भी लक्षण नजर आता है जैसे कमर या पीठ की एक तरफ दर्द होना, बुखार या लगातार मूत्र त्याग, तो किसी भी स्थिति में इन्हें नजरअंदाज न करें। तुरंत डॉक्टर से मिलें और सही उपचार कराएं। इसका सही समय पर उपचार होना जरूरी है, अन्यथा यह किसी बड़ी समस्या का कारण भी बन सकता है। 

    डिस्क्लेमर

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    AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/04/2021

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