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बायोआर्टिफिशियल किडनी से जुड़े कुछ आम सवाल और उनके जवाब (Question and Answers about Artificial Kidney)
बायोआर्टिफिशियल किडनी (Artificial Kidney) को लेकर लोग बहुत पॉजिटिव हैं। लेकिन, इसे लेकर कुछ सवाल मन में आना भी स्वभाविक है। जानिए आर्टिफिशियल किडनी (Artificial Kidney) से जुड़े कुछ मुख्य सवाल और उनके जवाबों के बारे में:
इस डिवाइस का साइज (Size of Device) कितना बड़ा है?
बायोआर्टिफिशियल किडनी (Bioartificial Kidney) या आर्टिफिशियल किडनी (Artificial Kidney) का साइज एक कॉफी का कप के जितना है, जिसमें दो मॉडल्स हैं, जो हानिकारक पदार्थों को बाहर निकलने के लिए मिल कर काम करते हैं।
यह सर्जिकल प्रोसेस (Surgical Process) क्या है?
आर्टिफिशियल किडनी (Artificial Kidney) का सर्जिकल प्रोसेस वैसा ही है जैसा किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी का होता है। इसे जनरल एनेस्थीसिया दे कर किया जाता है। एक बार जब यह आर्टिफिशियल किडनी डिवाइस सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा तो इस प्रक्रिया को किसी भी अस्पताल में एक ट्रेंड ट्रांसप्लांट सर्जिकल टीम के साथ पूरा किया जा सकता है। यही नहीं, यह पूरी तरह से किफायती होगी ताकि आम लोग भी इसका प्रयोग आसानी से कर सकें।
इसमें फिल्टर (Filter cleaning process) कैसे साफ होगा?
इसके फिल्टर को एक विशेष पतली बायोकंपैटिबल फिल्म (Special Thin Biocompatible Film) के साथ कोट किया गया है, ताकि इसे गन्दा होने और रक्त के थक्कों को रोका जा सके। यही कोटिंग इसे गन्दा होने से बचाएगी।
आर्टिफिशियल किडनी के उपयोग के बाद यह डिवाइस कितने समय तक ठीक रहेगा और क्या इसे बदलना पड़ेगा (Will it need to be Changed)?
इस डिवाइस को अगर एक बार मनुष्य के शरीर में लगा दिया जाएगा तो यह स्थायी होगा। वर्तमान परीक्षण और अनुसंधान से पता चलता है कि यह डिवाइस को बिना किसी असफलता के कई वर्षों तक ऑपरेट करना संभव हो सकता है। अगर कोई समस्या होती है, तो फिल्टर या कोशिकाओं की रिप्लेसमेंट में कम से कम इनवेसिव सर्जरी का सहारा लिया जाएगा। यानी यह पूरी प्रक्रिया आसान और आरामदायक है।
इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं (Side Effects of Device)
इस डिवाइस के साइड इफेक्ट भी वैसे ही होंगे जैसे उन अन्य प्रोसीजरस में होते हैं, जिनमें मेडिकल डिवाइस को इम्प्लांट किया जाता है। यह जटिलताएं ट्रामा, स्कार्स या इन्फेक्शन आदि से जुड़ी हो सकती हैं। इसके अलावा इसके कोई साइड-इफेक्ट नहीं होंगे।
रोगी इम्प्लांटेशन के बाद इम्यूनोसप्रेसिव ड्रग्स या एंटीकोगुलेन्ट ले सकता है?(Can take Immunosuppressive Drugs or Anticoagulants after Implantation?)
आर्टिफिशियल किडनी (Artificial Kidney) के बायोरिएक्टर में सेल्स को रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune Power) के स्कैफफोल्ड द्वारा अलग किया जाता है, जिस पर वे विकसित होते हैं। डिवाइस पर हुई कोटिंग ब्लड क्लॉटिंग (Blood clotting) को दूर करने में मदद करती है। पहले के ह्यूमन ट्रायल में बड़े पैमाने पर बायोएर्टिफिशियल किडनी के लिए किसी भी तरह की एंटीरिजेक्शन दवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ी थी, और हाल के प्रीक्लिनिकल प्रयोगों में, ब्लडथिनरस की जरूरत नहीं पड़ी। अब जानते हैं इससे जुडी चुनौतियों के बारे में।
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इस पूरी प्रक्रिया में क्या चुनौतियां आई (Challenges during this Process)?
विशेषज्ञों के अनुसार उन्हें इस पूरे प्रोजेक्ट के दौरान बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अगर शार्ट टर्म की बात की जाए तो रिसर्च और डेवलपमेंट में फंडिंग एक चुनौती है। एक महत्वपूर्ण बाधा दोनों डिवाइस कम्पोनेंट्स के लिए प्रीक्लिनिकल स्टडीज को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन का न होना है। इसके साथ ही ह्यूमन स्टडी के पहले दौर के लिए पूर्ण-पैमाने के प्रोटोटाइप का निर्माण करना भी एक चुनौती है। हालांकि अभी क्लीनिकल ट्रायल के बाद भी कुछ समस्याएं आ सकती हैं।

अगर कोई व्यक्ति आर्टिफिशियल किडनी का इन्तजार कर रहा है। लेकिन उसके डॉक्टर उसे डायलिसिस शुरू करने के लिए कह रहे हैं, तो उसे क्या करना चाहिए? (Should Patient wait for the Artificial Kidney or Follow Doctor’s Instructions?)
इस स्थिति में डॉक्टर अपने मरीज अच्छे से गाइड कर सकते हैं। क्योंकि वो मरीज की स्वास्थ्य स्थिति को समझने और उनकी जरूरतों को जानते हैं। ऐसे में डॉक्टर के बताए अनुसार इलाज कराने में देर न करें। अभी आर्टिफिशियल किडनी (Artificial Kidney) को उपलब्ध होने में कुछ समय लग सकता है। ऐसे में मरीज को अपने जीवन के साथ समझौता नहीं करना चाहिए।
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आने वाले समय में आर्टिफिशियल किडनी (Artificial Kidney) रोगियों के लिए एक अच्छा उपचार साबित हो सकता है। लेकिन अभी इसके लिए कुछ इन्तजार करना होगा, क्योंकि इसके लिए क्लीनिकल ट्रायल प्रोसेस के कई स्टेप्स बाकी हैं। जब यह स्टेप्स सफलतापूर्वक पूरे होंगे, उसके बाद यह बायोआर्टिफिशियल किडनी (Bioartificial Kidney) पब्लिक के लिए उपलब्ध होगी। इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस डिवाइस के आने के बाद कई लोगों की किडनी संबंधी समस्याएं कम होंगी।