जी मिचलाना (nausea) उल्टी आना (vomiting) भूख में कमी (loss of appetite) यूरिन कम मात्रा में होना (changes in urine output) तरल पदार्थों का बनना (fluid retention) एनीमिया (anemia) सेक्स ड्राइव में कमी (decreased sex drive) पोटैशियम लेवल का अचानक बढ़ना (sudden rise in potassium levels) पेरिकार्डियम की सूजन (inflammation of the pericardium) और पढ़ें: किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं ये 10 आदतें, तुरंत बदलें
क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease)
हाय ब्लड प्रेशर के कारण क्रॉनिक किडनी डिजीज की समस्या हो जाती है। क्रॉनिक किडनी डिजीज लॉन्ग टर्म कंडीशन है, जिसमे आसानी से सुधार नहीं होता है। हाय ब्लड प्रेशर के कारण ग्लोमेरुली (Glomeruli) का प्रेशर भी बढ़ जाता है। ग्लोमेरुली ब्लड सेल्स होती है, जहां खून साफ होता है। तेज प्रेशर के कारण वैसल्स नष्ट होने लगती हैं और किडनी फंक्शन भी ठीक तरह से नहीं हो पाता है। ऐसे में व्यक्ति को डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत पड़ती है, ताकि शरीर के एक्स्ट्रा फ्लूड को फिल्टर किया जा सके। डायबिटीज के कारण भी क्रॉनिक किडनी डिजीज की समस्या हो जाती है। डायबिटीज के कारण हाय ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है। खून में अधिक शुगर के कारण ब्लड वैसल्स नष्ट होना शुरू हो जाता है। जब किडनी काम नहीं कर पाती है, तो शरीर में विषैले पदार्थ इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में किडनी फेल होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
क्रॉनिक किडनी डिजीज का ट्रीटमेंट
अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की समस्या है, तो उसका ट्रीटमेंट कराएं और समय पर दवाओं का सेवन करें। अगर बीपी और ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहेगा, तो किडनी भी सुरक्षित रहेंगी। अगर क्रॉनिक किडनी डिजीज की समस्या है, तो डॉक्टर डायलिसिस (Dialysis) की सलाह देते हैं। कुछ केसेज में किडनी ट्रांसप्लांट ( kidney transplant ) की सलाह भी दी जाती है।
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किडनी डिजीज: गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोंस (Kidney stones)
किडनी डिजीज से जुड़ी एक समस्या है किडनी में स्टोन की समस्या। किडनी में स्टोन की समस्या किसी को भी हो सकती है। जब ब्लड में खनिज और अन्य पदार्थ किडनी के माध्यम से फिल्टर होते हैं, तो ये क्रिस्टिलाइज हो जाते हैं और कठो बन जाते हैं। गुर्दे की पथरी होने पर यूरिनेशन के दौरान दर्द, यूरिन के साथ खून आना, लोअर एब्डॉमन में दर्द होना, उल्टी या जी मिचलाना आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
गुर्दे की पथरी का इलाज
किडनी के स्टोन का इलाज स्टोन के साइज पर निर्भर करता है। साथ ही ये भी देखा जाता है कि किडनी स्टोन किस तरह की समस्या पैदा कर रही है और यूरीनरी ट्रेक्ट को ब्लॉक कर रही है या फिर नहीं। डॉक्टर यूरिन टेस्ट, बल्ड टेस्ट, सीटी स्कैन आदि के माध्यम से किडनी के स्टोन के बारे में जानकारी ली जाती है। डॉक्टर पानी अधिक पीने की सलाह के साथ ही कुछ दवाइयों को खाने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा करने से छोटे स्टोन के निकलने की संभावना बढ़ जाती है। अगर स्टोन यूरीनरी ट्रैक्ट को ब्लॉक कर रहा है, तो लिथोट्रिप्सी (lithotripsy) की सहायता से स्टोन को तोड़ने की कोशिश की जाती है। । मेडिकल या सर्जिकल प्रोसेस से लार्ज स्टोन को निकाला जा सकता है।