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Kidney Disease: अगर हो रही हैं ये बीमारियां, तो टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकलना बन जाएगा मुश्किल!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    Kidney Disease: अगर हो रही हैं ये बीमारियां, तो टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकलना बन जाएगा मुश्किल!

    किडनी शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। ये मुट्ठी के आकार का अंग होता है, जो रिब केज (Rib cage) के नीचे स्थित होता है। स्पाइन के दोनो तरह किडनी होती है। हेल्दी बॉडी के लिए किडनी बहुत जरूरी है। किडनी शरीर से वेस्ट प्रोडक्ट, अधिक मात्रा में पानी और अन्य गंदगी को बाहर करने का काम करती है। ये सभी टॉक्सिन्स ब्लैडर में स्टोर होते हैं और यूरिनेशन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। किन्हीं कारणों से अगर किडनी के फंक्शन नहीं होते हैं या फिर धीमे पड़ जाते हैं, तो शरीर को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। किडनी डिजीज के कई कारण हो सकते हैं। ऐसा किसी हेल्थ कंडीशन के कारण भी हो सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको किडनी डिजीज (Kidney Disease) से जुड़ी अहम जानकारी के बारे में जानकारी देंगे। जानिए क्यों होती हैं किडनी डिजीज (Kidney Disease) और कैसे इनसे बचा जा सकता है।

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    किडनी डिजीज (Kidney Disease) क्या होती हैं?

    किडनी डिजीज (Kidney Disease) की समस्या कई बीमारियों के कारण हो सकती है। कुछ बीमारियां जैसे कि डायबिटीज( diabetes), हाय ब्लड प्रेशर (high blood pressure) और अन्य क्रॉनिक कंडीशन किडनी पर बुरा असर डाल सकती हैं। किडनी डिजीज के कारण हेल्थ प्रॉब्लम जैसे कि वीक बोंस, नर्व डैमेज और कुपोषण की समस्या हो सकती है। अगर समय के साथ किडनी संबंधित बीमारियों का इलाज न कराया जाए, तो किडनी काम करना बंद कर देती हैं। इस कारण से डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। डायलिसिस की हेल्प से ब्लड फिल्टर और प्यूरीफाई होता है। डायलिसिस की सहायता से किडनी की बीमारी ठीक नहीं की जा सकती है लेकिन ये जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण होती है।

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    किडनी डिजीज होने पर शरीर में दिख सकते हैं ये लक्षण (Symptoms of Kidney Disease)

    गुर्दे की बीमारी या किडनी डिजीज होने पर तुरंत लक्षण नजर नहीं आते है। जब बीमारी बढ़ जाती है, तो बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं। जानिए किडनी की बीमारी होने पर क्या लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।

    • थकान का एहसास (fatigue)
    • किसी भी काम में ध्यान न लगना (difficulty concentrating)
    • सोने में दिक्कत (trouble sleeping)
    • भूख में समस्या ( poor appetite)
    • मसल्स में ऐंठन (muscle cramping)
    • पैरों का सूजना (swollen feet)
    • आंखों में सूजन (puffiness around the eyes)
    • फ्रीक्वेंट यूरिनेशन (frequent urination)

    जब किडनी की समस्या अधिक बढ़ जाती है, तो लक्षणों में भी बदलाव होने लगता है। जानिए ऐसे में क्या लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

  • जी मिचलाना (nausea)
  • उल्टी आना (vomiting)
  • भूख में कमी (loss of appetite)
  • यूरिन कम मात्रा में होना (changes in urine output)
  • तरल पदार्थों का बनना (fluid retention)
  • एनीमिया (anemia)
  • सेक्स ड्राइव में कमी (decreased sex drive)
  • पोटैशियम लेवल का अचानक बढ़ना (sudden rise in potassium levels)
  • पेरिकार्डियम की सूजन (inflammation of the pericardium)
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    क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease)

    हाय ब्लड प्रेशर के कारण क्रॉनिक किडनी डिजीज की समस्या हो जाती है। क्रॉनिक किडनी डिजीज लॉन्ग टर्म कंडीशन है, जिसमे आसानी से सुधार नहीं होता है। हाय ब्लड प्रेशर के कारण ग्लोमेरुली (Glomeruli) का प्रेशर भी बढ़ जाता है। ग्लोमेरुली ब्लड सेल्स होती है, जहां खून साफ होता है। तेज प्रेशर के कारण वैसल्स नष्ट होने लगती हैं और किडनी फंक्शन भी ठीक तरह से नहीं हो पाता है। ऐसे में व्यक्ति को डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत पड़ती है, ताकि शरीर के एक्स्ट्रा फ्लूड को फिल्टर किया जा सके। डायबिटीज के कारण भी क्रॉनिक किडनी डिजीज की समस्या हो जाती है। डायबिटीज के कारण हाय ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है। खून में अधिक शुगर के कारण ब्लड वैसल्स नष्ट होना शुरू हो जाता है। जब किडनी काम नहीं कर पाती है, तो शरीर में विषैले पदार्थ इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में किडनी फेल होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

    क्रॉनिक किडनी डिजीज का ट्रीटमेंट

    अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की समस्या है, तो उसका ट्रीटमेंट कराएं और समय पर दवाओं का सेवन करें। अगर बीपी और ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहेगा, तो किडनी भी सुरक्षित रहेंगी। अगर क्रॉनिक किडनी डिजीज की समस्या है, तो डॉक्टर डायलिसिस (Dialysis) की सलाह देते हैं। कुछ केसेज में किडनी ट्रांसप्लांट ( kidney transplant ) की सलाह भी दी जाती है।

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    किडनी डिजीज: गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोंस (Kidney stones)

    किडनी डिजीज से जुड़ी एक समस्या है किडनी में स्टोन की समस्या। किडनी में स्टोन की समस्या किसी को भी हो सकती है। जब ब्लड में खनिज और अन्य पदार्थ किडनी के माध्यम से फिल्टर होते हैं, तो ये क्रिस्टिलाइज हो जाते हैं और कठो बन जाते हैं। गुर्दे की पथरी होने पर यूरिनेशन के दौरान दर्द, यूरिन के साथ खून आना, लोअर एब्डॉमन में दर्द होना, उल्टी या जी मिचलाना आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

    गुर्दे की पथरी का इलाज

    किडनी के स्टोन का इलाज स्टोन के साइज पर निर्भर करता है। साथ ही ये भी देखा जाता है कि किडनी स्टोन किस तरह की समस्या पैदा कर रही है और यूरीनरी ट्रेक्ट को ब्लॉक कर रही है या फिर नहीं। डॉक्टर यूरिन टेस्ट, बल्ड टेस्ट, सीटी स्कैन आदि के माध्यम से किडनी के स्टोन के बारे में जानकारी ली जाती है। डॉक्टर पानी अधिक पीने की सलाह के साथ ही कुछ दवाइयों को खाने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा करने से छोटे स्टोन के निकलने की संभावना बढ़ जाती है। अगर स्टोन यूरीनरी ट्रैक्ट को ब्लॉक कर रहा है, तो लिथोट्रिप्सी (lithotripsy) की सहायता से स्टोन को तोड़ने की कोशिश की जाती है। । मेडिकल या सर्जिकल प्रोसेस से लार्ज स्टोन को निकाला जा सकता है।

    ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis)

    ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस ग्लोमेरुली की सूजन को कहते हैं। ग्लोमेरुली किडनी के अंदर बेहद छोटी संरचनाएं होती हैं, जो ब्लड को फिल्टर करने का काम करती हैं। ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस की समस्या संक्रमण के कारण, दवाओं के सेवन से या फिर जन्मजात असामान्यताओं के कारण हो सकती है। यह समस्या अपने आप ठीक या फिर बेहतर हो जाती है। आपको इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करना चाहिए।

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    यूरीनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infections)

    यूटीआई की समस्या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है। ब्लैडर और यूरेथ्रा में ये इंफेक्शन हो सकता है। अगर समय पर यूटीआई का ट्रीटमेंट कराया जाए, तो समस्या से आसानी से राहत पाई जा सकती है। यूटीआई के कारण पेट के निचले हिस्से में ऐंठन, यूरिन पास करने के दौरान जलन, बार-बार यूरिन होना या यूरिन के रंग में बदलाव हो सकता है। अगर समय पर बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो किडनी पर बुरा असर पड़ता है। डॉक्टर यूरिन टेस्ट के माध्यम से संक्रमण का पता लगाते हैं। संक्रमण को खत्म करने के लिए एंटीबैक्टीरियल दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक व्यक्ति को जीवन में एक से अधिक बार यूटीआई की समस्या से गुजरना पड़ सकता है। महिलाओं में यूटीआई की समस्या अधिक देखने को मिलती है।  महिलाओं को मीनोपॉज के बाद और डिलिवरी के बाद  यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) होने की संभावना अधिक रहती है।

    यूटीआई से बचने के लिए ध्यान रखें ये बातें

    आपको यूरिन पास करने में समस्या हो रही है या फिर पेशाब करते समय दर्द महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। दवाओं का सेवन करने के साथ ही आपको रोजाना  आठ से नौ ग्लास पानी जरूर पीना चाहिए। साथ ही आठ से नौ बार यूरिन जरूर पास करें। यूरिन को रोकने की भूल न करें। यूरिन में ब्लड, यूरिन के दौरान दर्द आदि होने पर जांच जरूर कराएं। महिलाओं को डिलिवरी के बार बाद खासतौर पर एहतिहात बरतनें की जरूरत पड़ती है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर करें।

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    किडनी से संबंधित बीमारियों  के लिए डायग्नोसिस (Diagnosis of Kidney Disease)

    किडनी डिजीज के डायग्नोसिस से पहले डॉक्टर आपसे बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं। उसके बाद शारीरिक परिक्षण भी किया जाता है। डॉक्टर आपसे यूरिन पास करने के दौरान होने वाले चेंजेस को लेकर भी प्रश्न पूछ सकते हैं। जानिए किडनी डिजीज का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है।

    • अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds )
    • ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट (GFR)
    • इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests)
    • एक्स-रे स्कैन (X-ray)
    • किडनी बायोस्पी
    • सीटी स्कैन (CT scans)
    • ब्लड यूरिया नाइट्रोजन टेस्ट (Blood Urea Nitrogen)
    • यूरिन टेस्ट

    किडनी डिजीज से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान

    किडनी डिजीज से बचने के लिए न सिर्फ बीपी पर ध्यान देने की जरूरत बल्कि अन्य हेल्थ कंडीशन से होने वाले साइड इफेक्ट पर भी जरूर ध्यान दें। अगर परिवार में किसी को किडनी डिजीज है, तो आपको सचेत रहने की जरूरत है। जानिए कौन-सी जरूरी बातें आपकी किडनी को सुरक्षित रख सकती हैं।

  • अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो समय पर जांच कराएं और दवाओं का सेवन समय पर करें।
  • अगर परिवार में किसी को क्रॉनिक किडनी डिजीज है, तो ऐसे में आपको अपनी किडनी हेल्थ पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। आप रेग्युलर चेकअप करा सकते हैं।
  • उम्र बढ़ने पर किडनी डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है। बीमारी के लक्षण दिखने पर जांच जरूर कराएं।
  • डॉक्टर किडनी डिजीज से निपटने के लिए एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम इनहिबिटर्स लेने की सलाह देते हैं। आपको दवाओं का सेवन समय पर करना चाहिए।
  • डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए  इंसुलिन इंजेक्शन लेना न भूलें।
  • खाने में हाय कोलेस्ट्रॉल फूड्स को एवॉयड करें।
  • नमक की मात्रा कम करें।
  • आपको हार्ट हेल्दी डायट लेनी चाहिए। आप खाने में वेजीटेबल्स, फ्रूट्स, व्होल ग्रेन के साथ ही लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करें।
  • एल्कोहॉल का शरीर पर बुरा असर पड़ता है। इसे लेना बंद कर दें।
  • स्मोकिंग भी शरीर के लिए हानिकारक होती है। इससे धीरे-धीरे छोड़ने का प्रयास करें।
  • फिजिकल एक्टिविटी रोजाना करें। आप चाहे तो वॉक से शुरुआत कर सकते हैं।
  • वजन को बढ़ने न दें और संतुलित आहार लें।
  • पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।
  • कुछ बातों का ध्यान रख आप किडनी को हेल्दी बनाएं रख सकते हैं। किडनी डिजीज के लक्षण दिखने पर उन्हें इग्नोर बिल्कुल न करें। अगर आपके मन में किडनी से संबंधित रोग के बारे में अन्य प्रश्न हो, तो डॉक्टर से राय जरूर लें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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