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बैक्टीरियल इंफेक्शन कैसे असर डाल सकता हैं आपकी जिंदगी में? जानना चाहते हैं आप?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/03/2021

    बैक्टीरियल इंफेक्शन कैसे असर डाल सकता हैं आपकी जिंदगी में? जानना चाहते हैं आप?

    बैक्टीरिया सिंगल सेल माइक्रोऑर्गेनिज्म होते हैं। बैक्टीरिया आकार में भिन्न, विभन्न प्रकार के और विभिन्न माप के होते हैं। वातावरण में बैक्टीरिया किसी भी स्थान में पाए जा सकते हैं। मिट्टी, पानी या मनुष्य या जानवर के शरीर में बैक्टीरिया आसानी से रह सकते हैं। कुछ बैक्टीरिया अधिक तापमान या रेडिएशन एक्पोजर (Radiation exposure) से बच सकते हैं। हमारे शरीर के अंदर और बाहर बहुत सारे बैक्टीरिया पाए जाते हैं लेकिन सभी बीमारी का कारण नहीं बनते हैं। डायजेस्टिव ट्रैक्ट में पाएं जाने वाले बैक्टीरिया भोजन के पाचन में मदद करते हैं। कुछ बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर बीमारी का कारण बनते हैं। ये जानलेवा भी हो सकते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कुछ बैक्टीरिया के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकते हैं। जानिए बैक्टीरियल इंफेक्शन  के प्रकार, बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारियों और उनके बचाव के बारे में।

     बैक्टीरियल इंफेक्शन के प्रकार (Types of bacterial infections)

    बैक्टीरियल इंफेक्शन कई प्रकार के होते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। कुछ इंफेक्शन जैसे कि गले में खराश (strep throat),  बैक्टीरियल यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Bacterial urinary tract infections), बैक्टीरियल फूड पॉइजनिंग (Bacterial food poisoning), बैक्टीरियल सेल्युलाइटिस (bacterial cellulitis), बैक्टीरियल वेजिनोसिस (Bacterial vaginosis), गोनोरिया (Gonorrhea), क्लैमाइडिया (Chlamydia), सिफलिस (Syphilis) आदि शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। जानिए अन्य बैक्टीरियल इंफेक्शन प्रकार के बारे में।

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    क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (Clostridium difficile)

    बैक्टीरिया इंफेक्शन के प्रकार

    क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल एक जीवाणु संक्रण है, जिसे क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल कोलाइटिस (clostridium difficile colitis) के नाम से भी जाना जाता है। कोलाइटिस कोलन की दीवार में सूजन पैदा करने का काम करता है।इस कारण से निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं। स्वस्थ वयस्कों में 5 से 15 प्रतिशत और नवजात 84.4 प्रतिशत शिशुओं में बैक्टीरिया रहते हैं। ऐसा तब होता है, जब आंतों में अधिक मात्रा में बैक्टीरिया होते हैं। ये जीवाणू मल में होते हैं और दूषित सतह को छूने से आसानी से फैल सकते हैं।

    जानिए बैक्टीरिया का इंफेक्शन होने पर क्या लक्षण नजर आ सकते हैं।

    • पेट में दर्द या ऐंठन
    • जी मिचलाना
    • बुखार
    • भूख में कमी
    • डिहाइड्रेशन
    • मल में रक्त

    क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल का इलाज

    क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल के ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर एंटीबायोटिक्स थेरिपी देते हैं। डॉक्टर आपको फिडैक्सोमिसिन (fidaxomicin), मेट्रोनिडाजोल (Metronidazole), वैनकोमाइसिन (Vancomycin) एंटीबायोटिक्स देंगे। दवा का सेवन करीब 10 दिनों तक करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं। दवा के साथ ही पानी का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। अगर समस्या अधिक गंभीर होती है, तो डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से कोलन के प्रभावित हिस्से को हटा सकते हैं।

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    ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis)

    ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis) यानी टीबी बैक्टीरियल इंफेक्शन है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलॉसिस (Mycobacterium tuberculosis) नाम के बैक्टीरिया के कारण शरीर के ऊतक नष्ट करते हैं। टीबी की बीमारी के बैक्टीरिया वायु में रहते हैं और किसी भी व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर सकते हैं। जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन्हें ये संक्रमण आसानी से हो सकता है। जानिए ट्यूबरक्युलॉसिस के लक्षण।

    • खांसी
    • सीने में दर्द
    • खून में कफ आना
    • बुखार आना
    • भूख न लगना
    • चक्कर आना
    • वजन कम होना

    टीबी का इलाज

    टीबी की बीमारी संक्रमित व्यक्ति से आसानी से फैल सकती है। तीन हफ्तों तक खांसी न रुके, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर बीमारी की जांच करने के बाद पेशेंट को एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं। डॉक्टर करीब नौ महीने तक दवा का सेवन करने को कहेंगे। पेशेंट को पूरा इलाज करना चाहिए और दवा को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के बाद बीसीजी यानि बैसिलस केलमेट ग्यूरीन (Bacillus Calmette-Guerin) ट्यूबरक्युलॉसिस वैक्सिनेशन जरूर कराना चाहिए।

    काली खांसी  (Whooping cough)

    बैक्टीरिया इंफेक्शन के प्रकार

    काली खांसी सीरियस रेस्पायरेटरी संक्रमण होता है, जो कि बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) बैक्टीरिया के कारण फैलता है। इस संक्रमण के कारण संक्रमित व्यक्ति को लगातार खांसी के साथ ही सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। काली खांसी किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए घातक हो सकती है। काली खांसी होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

    • बुखार (Fever)
    • कफ (Cough)
    • आंखों का लाल होना 
    • नाक बहना (Runny nose)
    • नाक बंद होना
    • डिहाइड्रेशन (Dehydration)

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    कांली खांसी का इलाज

    कांली खांसी या कुकुर खांसी को फैलने से रोकने के लिए बच्चों और एडल्ट्स को DTaP और Tdap वैक्सीन दी जाती है। काली खांसी की अर्ली स्टेज में एंटीबायोटिक्स की हेल्प से बीमारी को ठीक किया जाता है। लास्ट स्टेज में भी एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है ताकि इसे फैलने से रोका जा सके। डॉक्टर बच्चे के बेडरूम में हवा को नम रखने और इंफेक्शन के लक्षणों को कम करने के लिए ह्यूमिडिफायर के इस्तेमाल का सुझाव दे सकते हैं।

    न्यूमोकोकल न्यूमोनिया (Pneumococcal pneumonia)

    निमोनिया (Pneumonia) कई प्रकार के होते हैं। सबसे आम प्रकार के बैक्टीरिया निमोनिया को न्यूमोकोकल न्यूमोनिया (Pneumococcal pneumonia) कहा जाता है।  ये बैक्टीरियल इंफेक्शन के प्रकार में शामिल है। न्यूमोकोकल न्यूमोनिया होने से अपर रेस्पायरेटरी ट्रैक्ट प्रभावित होता है और ये खांसी के माध्यम से अन्य व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकता है। न्यूमोकोकल न्यूमोनिया का यदि सही समय पर इलाज न कराया जाए, तो ये बीमारी अधिक गंभीर हो सकती है और इसके कारण पेशेंट की मृत्यु भी हो सकती है।धूम्रपान, अस्थमा और मधुमेह की बीमारी से पीड़ित लोगों को इन बीमारियों का खतरा अधिक हो सकता है। जानिए न्यूमोकोकल न्यूमोनिया होने पर क्या लक्षण नजर आ सकते हैं।

    • ठंड लगना
    • तेज बुखार
    • अधिक पसीना आना
    • खांसी आना
    • थकान
    • सांस लेने में कठिनाई
    • सीने में दर्द

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    न्यूमोकोकल न्यूमोनिया का ट्रीटमेंट

    डॉक्टर न्यूमोकोकल निमोनिया के ट्रीटमेंट के लिए एंटीबायोटिक्स मेडिसिंस का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। कुछ न्यूमोकोकल बैक्टीरिया रेसिस्टेंस के कारण (Resistant) दवाओं के इस्तेमाल पर भी ठीक नहीं होते हैं। एंटीबायोटिक सेंसिटीविटी टेस्टिंग के माध्यम से उन एंटीबायोटिक्स का चयन किया जाता है, जो बीमारी के इलाज में सकारात्मक परिणाम दे सकें।ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स इन बैक्टीरिया के खिलाफ काम करती है। आप बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और ट्रीटमेंट कराएं।

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    बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस (Bacterial meningitis)

    बैक्टीरियल इंफेक्शन के प्रकार में बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस भी शामिल है। बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड की मेंबरेन आउटलाउन में सूजन के कारण होता है। इस मेंबरेन को मेनिन्जेस (Meninges) कहते हैं। मैनिंजाइटिस की समस्या बैक्टीरिया और वायरस दोनों के कारण हो सकती है। बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस सीरियस कंडीशन है। इस कारण से पैरालिसिस, स्ट्रोक, दौरे पड़ना आदि शामिल है। इस बैक्टीरिया का संक्रमण व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन सकता है। अगर सही समय पर ट्रीटमेंट लिया जाए, तो बीमारी के लक्षणों से निजात पाई जा सकती है। जानिए क्या होते हैं संक्रमण के लक्षण।

    • तेज बुखार
    • गर्दन में अकड़न
    • भयानक सिर दर्द
    • जी मिचलाना
    • उल्टी
    • तेज प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
    • उलझन महसूस होना

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    बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस का इलाज

    अगर आपको बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक्स की हेल्प से किया जाता है। इस संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीनेशन कराना जरूरी है। आप डॉक्टर से पूछें कि कैसे इस बीमारी से बचा जा सकता है और किन सावधानियों को अपनाना चाहिए।

    कैसे किया जाता है बैक्टीरियल इंफेक्शन का डायग्नोसिस? (Diagnosis of Bacterial disease)

    लक्षणों के आधार पर बैक्टीरियल संक्रमण का डायग्नोसिस किया जाता है। इयर, नोज आदि के स्वैब के माध्यम से भी बीमारी डायग्नोज की जाती है। फ्लूड सैंपल को लैबोरेट्री में भेजा जाता है। जानिए बैक्टीरियाल इंफेक्शन को डायग्नोज करने के लिए अन्य कौन-से टेस्ट किए जा सकते हैं।

    यूरिन सैंपल- किडनी और ब्लैडर के संक्रमण की जांच के लिए डॉक्टर यूरिन सैंपल लेते हैं और बैक्टीरिया के होने या न होने के बारे में पता लगाते हैं।

    ब्लड टेस्ट ब्लड टेस्ट के माध्यम से भी संक्रमण का पता चल जाता है। ब्लड में कितनी वाइट ब्लड सेल्स है, ये जानकारी भी मिल जाती है।

    इमेजिंग स्टडीज- पस से भरे हिस्से की जानकारी के लिए डॉक्टर इमेजिंग स्टडीज की हेल्प लेते हैं।

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    बैक्टीरियल इंफेक्शन से छुटकारे के लिए ध्यान रखें ये बातें (Treatment of bacterial disease)

    बैक्टीरिया या वायरस से कोई भी व्यक्ति आसानी से संक्रमित हो सकता है। अगर कुछ सावधानियां रखी जाए, तो बैक्टीरिया के संक्रमण से बचा जा सकता है। अगर आपके घर में कोई व्यक्ति संक्रमित है, उससे उचित दूरी बनाकर रखें। व्यक्ति के कपड़े या फिर अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। बैक्टीरियल इंफेक्शन (bacterial infections) हवा के माध्यम से आसानी से फैल सकता है। घर में बाहर से आने पर हाथ-पैरों को अच्छे से साफ करें। आपको व्यक्ति के पास जाने पर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही डॉक्टर से भी इस बारे में जानकारी जरूर लें कि बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए।

    • अगर बीमारी के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
    • एंटीबायोटिक दवाओं का पूरा कोर्स करें।
    • अगर एंटीबायोटिक (Antibiotics) का साइड इफेक्ट दिखाई पड़े, तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
    • अक्सर लोगों को एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करने के बाद डायरिया के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। शरीर में पानी की कमी न होने दें।
    • कफिंग या स्नीजिंग के दौरान मुंह में रूमाल जरूर लगाएं।
    • आंख, नाक और मुंह को बिना हाथ धुलें न टच करें।
    • हाइजीन का पूरी तरह से ख्याल रखें।
    • अन्य व्यक्ति की रूमाल या यूज किए गए टिशू पेपर को गलती से भी दोबारा इस्तेमाल न करें।

    हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बैक्टीरियल इंफेक्शन के प्रकार के बारे में जानकारी मिल गई होगी।आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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