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शरीर में यूरिक एसिड के उच्च स्तर को हाइपरयूरिसीमिया (hyperuricemia) कहते हैं। इस स्वास्थ्य स्थिति की वजह से गाउट की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। गाउट की वजह से जोड़ों में दर्द के साथ ही सूजन की समस्या भी पैदा हो सकती है जिससे गठिया रोग हो सकता है। बहुत से लोग जिन्हें हाइपरयूरिसीमिया या गाउट की समस्या होती है, वे अल्टरनेटिव मेडिसिन और जीवनशैली में बदलाव करते हैं। यह शरीर में यूरिक एसिड को कम करने का एक तरीका है। ऐसी ही एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद है। यूरिक एसिड का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of uric acid) क्या है, यह कितना प्रभावी है। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में इस विषय पर ही बताया गया है।
आयुर्वेद में शरीर का दोष (वात, पित्त और कफ) निर्धारित करता है कि आप किन बीमारियों से पीड़ित हैं। दोष को समझने से आपको यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि एनर्जी में बैलेंस के लिए आपको कौन से उपचार और जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में, गाउट को वात रोग कहा जाता है। यह माना जाता है कि वात दोष असंतुलित होने पर गाउट होता है। आयुर्वेद में गाउट (gout) को वात रक्त (vat rakta) कहा जाता है। वात रक्त दोष में पित्त, वात और रक्त दोष जिम्मेदार होते हैं। यह माना जाता है कि वात दोष असंतुलित होने पर गाउट होता है।
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बीमारी की शुरुआत में शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने का पता नहीं लग पाता है। अधिकतर लोग समझ नहीं पाते हैं कि बढ़े हुए यूरिक एसिड की पहचान कैसे करें। नीचे कुछ सामान्य से लक्षण बताए जा रहे हैं, जिन्हें देख आप समझ सकते हैं कि यूरिक एसिड बढ़ रहा है या नहीं:
एक केस स्टडी के अनुसार, “47 साल के पुरुष को यूरिक एसिड का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of uric acid) करने के लिए विरेचन और योगराज गुग्गुलु, पुनर्वा, गुग्गुलु जैसे कई ट्रीटमेंट दिए गए। ट्रीटमेंट के 15 दिनों के बाद पाया गया कि रोगी में गाउट के लक्षण लगभग पूरी तरह से खत्म हो गए थे।
इसी तरह एक क्लिनिक्ल स्टडी जिसमें 40 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इनमें यूरिक एसिड के बढ़े हुए लेवल को कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार के रूप में अभ्यंग और रस मोक्षना के साथ बस्ती थेरेपी दी गई। अध्ययन के नतीजे ये आए कि गाउट पर बस्ती थेरेपी 25% ज्यादा प्रभावी साबित हुई।
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गाउट और यूरिक एसिड बिल्डअप के लिए कई आयुर्वेदिक उपचार हैं। इनमें से कुछ उपचार हर्बल हैं, जबकि अन्य ट्रीटमेंट में जीवन शैली में बदलाव शामिल हैं।
स्नेहन (Snehana)
स्नेहन में कई तरह की जड़ी-बूटियों के गुणों से प्रभावित तेलों का उपयोग करके शरीर के अंदर और बाहर लुब्रिकेट किया जाता है ताकि अमा (विषाक्त पदार्थों) को इकट्ठा होने से रोकने में मदद मिल सके। स्नेहापना (internal oleation) औषधीय तेलों को मौखिक रूप से दिया जाता है। ये औषधीय तेल शरीर के संतुलन बनाए रखने के साथ ही विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करते हैं। नतीजन, उच्च यूरिक एसिड के कारण हुई गाउट और गुर्दे की पथरी की समस्या में लाभ मिलता है।
उपनाहा (Upanaha)
यह एक तरह की आयुर्वेदिक स्वेट थेरेपी है, जिसमें, शरीर के प्रभावित हिस्सों पर जड़ी-बूटियों से युक्त गर्म पोटली की सिकाई की जाती है। यह शरीर के उत्तेजित दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। वात दोष की वजह से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए यह सबसे अच्छी थेरेपी है जो गाउट के इलाज में फायदेमंद होती है।
इन दोनों थेरेपी के अलावा सिट्ज़ बाथ (sitz bath), विरेचन (virechana), बस्ती (basti) जैसी थेरेपी भी यूरिक एसिड का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of uric acid) करने में मददगार साबित हो सकती हैं।
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त्रिफला
त्रिफला एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “तीन फल।” जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें तीन फल होते हैं, जैसे कि बिभिटकी (Terminalia bellirica), अमलाकी या आंवला और हर्ताकी या हरड़ (Chebulic myrobalan)। त्रिफला के एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुण गाउट की वजह से होने वाली जुड़ी सूजन को कम कर सकता है। हालांकि, ये शोध एनिमल स्टडीज तक ही सीमित है। यूरिक एसिड के आयुर्वेदिक इलाज में त्रिफला की प्रभावशीलता के बारे में अभी और रिसर्च की आवश्यकता है।
गिलोय
आयुर्वेद में गिलोय आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटी है। गिलोय के चिकित्सीय लाभों पर 2017 में हुई एक रिव्यु स्टडी में कहा गया है कि “गिलोय के तने का रस गठिया के आयुर्वेदिक उपचार के लिए अत्यधिक प्रभावी है क्योंकि यह शरीर में यूरिक एसिड के बढ़े स्तर को कम करने में मदद करता है।”
इसके अलावा, 2014 में चूहों पर हुई एक स्टडी से पता चला है कि गिलोय के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द से राहत देने में कारगर साबित होते हैं। हालांकि, मनुष्यों में इसके लाभों को लेकर और अधिक शोध की आवश्यकता है।
गोक्षुरा (Tribulus terrestris)
गोक्षुरा यानी गोखरू यूरिनरी, श्वसन, प्रजनन और तंत्रिका तंत्र पर कार्य करता है और इसमें दर्द से राहत देने वाले और ड्यूरेटिक (Diuretic) गुण होते हैं। इस आयुर्वेदिक हर्ब का इस्तेमाल गुर्दे की समस्याओं और यूरिनरी स्टोन में खूब किया जाता है। गोक्षुरा का उपयोग गाउट, पीठ दर्द, खांसी, इंफर्टिलिटी जैसी कई समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसका उपयोग काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।
भूम्यामलकी (Bhumiamalaki)
यह आयुर्वेदिक हर्ब सूजन और घाव में उपयोगी है। इसलिए, यह गाउट में भी प्रभावी मानी जाती है। लगभग 2000 वर्षों से किडनी स्टोन के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें मौजूद अल्कलॉइड (alkaloids), लिग्नन्स (lignans) और फ्लेवोनोइड (flavonoids) जैसे तत्व अपने लिथोलिटिक गुण (litholytic properties) के लिए जाने जाते हैं जो यूरिन स्टोन को तोड़ने में मददगार होते हैं। भूम्यामलकी को पाउडर, टेबलेट आदि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
पुनर्नवा
पुनर्नवा डाइजेस्टिव, फीमेल रिप्रोडक्टिव, तंत्रिका और संचार प्रणालियों पर काम करता है। इसमें भूख बढ़ाने वाले, डायूरेटिक, इमेटिक (उल्टी को प्रेरित करने वाला) और रेजुवेनटिव (rejuvenative) गुण होते हैं। यह गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली प्राथमिक जड़ी बूटियों में से एक है। साथ ही ऑस्टियोअर्थराइटिस और गाउट के प्रबंधन में प्रभावी है। इसे काढ़े, पाउडर, तेल, पेस्ट आदि के रूप में लिया जा सकता है।
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पुनर्नवा गुग्गुलु (Punarnava Guggulu)
पुनर्नवादि गुग्गुलु बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम करने के लिए उपयोगी है। इस यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा में मौजूद डायूरेटिक प्रॉपर्टीज यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मददगार साबित होती हैं।
गोक्षुरादि गुग्गुलु (Gokshuradi guggulu)
यूरिक एसिड के आयुर्वेदिक इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवा गोक्षुरादि गुग्गुलु का सेवन प्रभावी माना जाता है। इस दवा में गुग्गुलु, त्रिफला, पिप्पली, मरिचा (काली मिर्च) जैसे तमाम जरूरी हर्ब्स पाई जाती हैं। यह यूरिन स्टोन को तोड़कर उसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें मौजूद गुग्गुलुस्टरोन (guggulsterone) नामक रासायनिक घटक दर्द और सूजन से राहत देता है।
चंद्रप्रभा वटी
यूरिक एसिड की यह आयुर्वेदिक दवा दर्द और सूजन में आराम दिलाती है। साथ ही यूरिन पास करने के दौरान जलन को कम करने में भी प्रभावी है। वात रक्त की वजह से होने वाली यूरिन स्टोन का इलाज इस दवा से किया जाता है। यह बच्चों और बुजुर्ग व्यक्तियों के सेवन के लिए सुरक्षित और प्रभावी यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा है।
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ऐसे बहुत से योग आसन हैं जो नियमित रूप से किए जाने पर न केवल यूरिक एसिड को कम करने में मदद कर सकते हैं बल्कि यूरिक एसिड क्रिस्टल को जोड़ों में जमा होने से रोक सकते हैं। इससे अर्थराइटिस में भी लाभ मिलता है। ये आसन हैं:
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बढ़े हुए यूरिक एसिड के उपचार के लिए किसी भी तरह के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है। हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है। इसलिए, सबको एक ही आयुर्वेदिक दवा या हर्ब फायदा करे, यह जरूरी नहीं है।
यूरिक एसिड का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of uric acid) खुद से ही न करें। किसी भी नई हर्ब या आयुर्वेदिक सप्लीमेंट का उपयोग करते समय या जीवन शैली में बदलाव के दौरान डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
आयुर्वेद के अनुसार हाइपरयूरिसीमिया के रोगियों के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव जरूरी है। तभी आयुर्वेदिक दवाएं और अन्य उपचार प्रभावी हो सकते हैं।
क्या करें?
क्या न करें?
हम उम्मीद करते हैं कि आपको यूरिक एसिड के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जरूरी व पर्याप्त जानकारी इस आर्टिकल में मिल गई होगी। अगर आप आयुर्वेदिक उपचार को अपनाना चाहते हैं, तो हम आपको यह जरूर बता दें कि वैसे तो आयुर्वेदिक औषधियां हर किसी के लिए सुरक्षित होती हैं। लेकिन कुछ विशेष स्थितियों में इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स को नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए आप जब भी किसी भी समस्या के लिए आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लें, तो किसी एक्सपर्ट या अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा करना न भूलें। यह जानकारी किसी भी डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है।
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