उपनाहा (Upanaha)
यह एक तरह की आयुर्वेदिक स्वेट थेरेपी है, जिसमें, शरीर के प्रभावित हिस्सों पर जड़ी-बूटियों से युक्त गर्म पोटली की सिकाई की जाती है। यह शरीर के उत्तेजित दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। वात दोष की वजह से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए यह सबसे अच्छी थेरेपी है जो गाउट के इलाज में फायदेमंद होती है।
इन दोनों थेरेपी के अलावा सिट्ज़ बाथ (sitz bath), विरेचन (virechana), बस्ती (basti) जैसी थेरेपी भी यूरिक एसिड का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of uric acid) करने में मददगार साबित हो सकती हैं।
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यूरिक एसिड का आयुर्वेदिक इलाज : हर्ब्स
त्रिफला
त्रिफला एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “तीन फल।” जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें तीन फल होते हैं, जैसे कि बिभिटकी (Terminalia bellirica), अमलाकी या आंवला और हर्ताकी या हरड़ (Chebulic myrobalan)। त्रिफला के एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुण गाउट की वजह से होने वाली जुड़ी सूजन को कम कर सकता है। हालांकि, ये शोध एनिमल स्टडीज तक ही सीमित है। यूरिक एसिड के आयुर्वेदिक इलाज में त्रिफला की प्रभावशीलता के बारे में अभी और रिसर्च की आवश्यकता है।
गिलोय
आयुर्वेद में गिलोय आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटी है। गिलोय के चिकित्सीय लाभों पर 2017 में हुई एक रिव्यु स्टडी में कहा गया है कि “गिलोय के तने का रस गठिया के आयुर्वेदिक उपचार के लिए अत्यधिक प्रभावी है क्योंकि यह शरीर में यूरिक एसिड के बढ़े स्तर को कम करने में मदद करता है।”
इसके अलावा, 2014 में चूहों पर हुई एक स्टडी से पता चला है कि गिलोय के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द से राहत देने में कारगर साबित होते हैं। हालांकि, मनुष्यों में इसके लाभों को लेकर और अधिक शोध की आवश्यकता है।
गोक्षुरा (Tribulus terrestris)
गोक्षुरा यानी गोखरू यूरिनरी, श्वसन, प्रजनन और तंत्रिका तंत्र पर कार्य करता है और इसमें दर्द से राहत देने वाले और ड्यूरेटिक (Diuretic) गुण होते हैं। इस आयुर्वेदिक हर्ब का इस्तेमाल गुर्दे की समस्याओं और यूरिनरी स्टोन में खूब किया जाता है। गोक्षुरा का उपयोग गाउट, पीठ दर्द, खांसी, इंफर्टिलिटी जैसी कई समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसका उपयोग काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।
भूम्यामलकी (Bhumiamalaki)
यह आयुर्वेदिक हर्ब सूजन और घाव में उपयोगी है। इसलिए, यह गाउट में भी प्रभावी मानी जाती है। लगभग 2000 वर्षों से किडनी स्टोन के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें मौजूद अल्कलॉइड (alkaloids), लिग्नन्स (lignans) और फ्लेवोनोइड (flavonoids) जैसे तत्व अपने लिथोलिटिक गुण (litholytic properties) के लिए जाने जाते हैं जो यूरिन स्टोन को तोड़ने में मददगार होते हैं। भूम्यामलकी को पाउडर, टेबलेट आदि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
पुनर्नवा
पुनर्नवा डाइजेस्टिव, फीमेल रिप्रोडक्टिव, तंत्रिका और संचार प्रणालियों पर काम करता है। इसमें भूख बढ़ाने वाले, डायूरेटिक, इमेटिक (उल्टी को प्रेरित करने वाला) और रेजुवेनटिव (rejuvenative) गुण होते हैं। यह गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली प्राथमिक जड़ी बूटियों में से एक है। साथ ही ऑस्टियोअर्थराइटिस और गाउट के प्रबंधन में प्रभावी है। इसे काढ़े, पाउडर, तेल, पेस्ट आदि के रूप में लिया जा सकता है।
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यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा
पुनर्नवा गुग्गुलु (Punarnava Guggulu)
पुनर्नवादि गुग्गुलु बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम करने के लिए उपयोगी है। इस यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा में मौजूद डायूरेटिक प्रॉपर्टीज यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मददगार साबित होती हैं।