9-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : ड्यूकन डायट (Dukan Diet)
ड्यूकन डायट भी वजन घटाने वाले डायट में से एक है। असल में ड्यूकन डायट लो-कार्बोहाइड्रेट, हाई प्रोटीन वाला वेट लॉस डायट होता है। इसका आविष्कार फ्रांसीसी डॉ. पियरे डुकन ने की है। उनको वेट मैनेजमेंट में माहिर माना जाता है। इस डायट को डॉक्टर ने 1970 में बनाया था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम भी रखा गया। इस डायट की विशेष बात यह है कि यह हाई प्रोटीन और लो कार्ब्स वाला होता है। इस डायट में कम फैट वाला मीट, मछली, पॉल्टरी, शेलफिश, सॉय फूड, लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स, फल, साग-सब्जियाँ आदि लेने की सलाह दी जाती है।
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10-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : फ्रूटेरियन डायट (Fruitarian diet)
फ्रूटेरियन डायट कुछ हद तक वेगन डायट जैसा होता है। इस डायट में ज्यादा फल ही खाना पड़ता है। वैसे तो यह डायट उन लोगों को अच्छा लगेगा जिनको फल खाना अच्छा लगता है। इस डायट को बिना डायटिशियन के सलाह के फॉलो करना सेहत के साथ खिलवाड़ करना होता है। इस डायट को फॉलो करने का मतलब यह नहीं कि आप सिर्फ फल पर ही निर्भर रहें। वैसे तो डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि फ्रूटेरियन डायट पर कितना भी हो आपको 50- 70 प्रतिशत फल पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे न्यूट्रिशन की कमी हो सकती है। इस डायट को आप धीरे-धीरे अपने आहार तालिका में शामिल करें। हर मील में नट्स, सीड्स, सब्जियों के साथ फल लें ताकि फैट और प्रोटीन की जरूरत पूरी हो। इससे ब्लड शुगर को कम करने में मदद मिलती है जो फल से मिलती है। इस डायट को लेते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि कम से कम तीन फल जरूर शामिल हो। ऑयली फ्रूट में एवाकाडो, केला और नारियल ले सकते हैं जो फैट को सोर्स होते हैं।
11-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : फास्ट डायट (Fast diet)
फास्ट डायट, इंटरमिटेंट डायट का ही एक फॉर्म होता है। इसको 5:2 डायट भी कहते हैं। वैसे तो जो इस डायट के समर्थक होते हैं उनका मानना है कि यह वजन को कम करने में ज्यादा दिनों तक काम नहीं करता है लेकिन वजन से दूर रखने में लंबे समय तक मदद करता है। इस डायट की विशेष बात यह है कि जो लोग इस डायट को फॉलो करते हैं उनको कम कैलोरी बर्न करनी पड़ती है (महिलाओं के लिए 500 कैलोरीज और पुरूषों के लिए 600 कैलोरीज) हफ्ते में सिर्फ दो दिन। और मजे की बात यह है कि बाकी के पाँच दिन जो चाहे खा सकते हैं। सच तो यह है कि इस डायट पर बने रहना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि हर दिन कैलोरी का इतना उतार चढ़ाव ब्लड शुगर के लेवल को बहुत प्रभावित करता है। इससे भूख बहुत लगती है और सिर दर्द होने की परेशानी भी हो सकती है। इस डायट को करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि जो दो दिन फास्टिंग की होती है उसमें प्रोटीन स्रोत वाले खाद्द पदार्थ के साथ लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स लेनी चाहिए। इसके अलावा ताजे फल, उबली हुई सब्जियाँ, लो फैट वाले दही, पनीर, चिकन, सालमन, तूना, मछली, उबले हुए अंडे खाना चाहिए। लेकिन फ्राइड फूड्स, रेड मीट, कुकिज, कैंडी, आइसक्रीम, शुगरी ड्रिंक आदि कम मात्रा में लेनी चाहिए।
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12- डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट (Glycemic Index Diet)
ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट का मूल उद्देश्य वेट लॉस करने के साथ-साथ क्रॉनिक बीमारियों में मोटापा से संबंधित रोग जैसे कि डायबिटीज और हृदय से संबंधित बीमारियों से बचाना। वैसे तो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट टर्म का मतलब होता है कि वह विशेष प्रकार का आहार योजना जिसमें वेट लॉस या वेट मैनेजमेंट के लिए कैलोरी, कार्बोहाइड्रेड या फैट को कम करने की बात नहीं कही जाती है। इस डायट में कार्बोहाइड्रेड स्रोत वाले फूड्स खा तो सकते हें लेकिन कम मात्रा में जिससे कि ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहे। डायट में हरी सब्जियाँ, फल, गाजर, किडनी बीन्स, लेन्टिल, सिरियल्स, केला, कच्चा अन्नानास, ओट्स, मल्टीग्रेन, व्हाइट राईस, आलू आदि लेने की सलाह दी जाती है।
13-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : ग्लूटेन फ्री डायट (Gluten free diet)
ग्लूटेन फ्री डायट नाम से जैसा कि आपको पता चल रहा है कि जिन अनाज में ग्लूटेन होता है उससे संवेदनशीलता होती है। ग्लूटेन फ्री डायट लेने का मुख्य लक्ष्य होता है सीलिएक रोग के लक्षणों को मैनेज करना। साथ ही ग्लूटेन लेने से जो समस्याएं होती है उससे बचना। वैसे तो यह माना जाता है कि इस डायट को लेने से वेट लॉस होने के साथ-साथ एनर्जी भी मिलती है लेकिन इस बारे में कुछ खास प्रमाण अभी तक नहीं मिला है। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन होता है जिससे कुछ लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। हां दूसरे अनाज जैसे कि कॉर्न, चावल और क्वीनो में भी ग्लूटेन होता है लेकिन गेंहूं, बार्ली से जो समस्या होती है वैसा नहीं होता है। असल में इस डायट को फॉलो करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि गेहूँ, राई, जौ से बने खाद्द पदार्थों को आहार तालिका से बिल्कुल हटा देने पर शरीर में न्यूट्रिएन्ट्स की कमी हो सकती है। इस डायट में ताजे फल, सब्जियाँ, लेग्यूम्स, अंडा, कम वसा वाले मीट और मछली, लो फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स आदि ले सकते हैं।
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14-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : हेल्दी डायट (Healthy Diet)
हेल्दी डायट शब्द से यह बिल्कुल ही स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है कि यह अच्छे स्वास्थ्य और पौष्टिकता को ध्यान में ही रखकर बनाया गया है। इस डायट को लेने से दिल की बीमारी, डायबिटीज और ओबेसिटी और कैंसर से बचने में सहायता मिलती है। तरह-तरह के खाद्द पदार्थ को लेने के साथ-साथ आहार में नमक, मीठा और सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट की मात्रा कम होनी चाहिए। हेल्दी डायट में अनाज (गेहूं, बार्ली, राई, मक्का, चावल) स्टार्ची ट्यूबर और रूट (आलू, रतालू, कसावा आदि), दहलन, बीन्स, फल, सब्जियाँ, पशु से संबंधित खाद्द पदार्थ (मीट, मछली, अंडा और दूध) आते हैं।
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15-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : हे डायट (Hay Diet)
हे डायट बहुत मशहुर डायट तो नहीं है लेकिन कुछ लोग वजन को बढ़ने से रोकने के लिए इस डायट को फॉलो करते हैं। असल में इस डायट को लेकर ऐसा कुछ प्रमाण भी नहीं मिलता है कि इस डायट को फॉलो करने से वजन बढ़ने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसलिए इस डायट के बारे में सोचने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। इस डायट में कार्बोहाइड्रेड और प्रोटीन को एक ही मील में अलग करके दिया जाता है। क्योंकि शरीर दोनों को एक साथ हजम नहीं कर पाता है जो वजन बढ़ने का कारण बन जाता है। इस डायट का मूल सिद्धांत है कि कुछ विशेष प्रकार के फूड्स को दूसरे प्रकार के फूड्स के साथ न लें। जैसे कि सालाद, फल और सब्जियाँ इन्हें बार-बार लेना चाहिए। स्टार्च और शुगर को प्रोटीन और एसिडिक फ्रूट्स के साथ नहीं लेना चाहिए। अगर आप प्रोटीन, स्टार्च और फैट एक साथ ले रहे हैं तो कम मात्रा में ले। होलग्रेन लेने से पहले कम से कम दूसरे मील से 4 घंटा समय लें । इस डायट को लेने से शरीर में पौष्टिकता की कमी हो सकती है।
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16-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : एचसीजी डायट (HCG Diet)
कुछ सालों से एससीजी डायट बहुत पॉपुलर हुआ है। इसमें एचसीजी ड्रॉप्स, इंजेक्शन्स, वजन कम करने वाले पिल्स भी लिये जाते हैं। लेकिन मुश्किल की बात यह है कि इस डायट से वेट लॉस तो जल्दी होता है लेकिन यह सेहत के नजरिये से बहुत ही नुकसानदायक है। एफडीए (FDA) इस डायट को खतरनाक और अवैध करार दिया है। लोग इस डायट को करना इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसमें भूख कम लगती है और वजन भी जल्दी घटता है। इस डायट में कैलोरी रेसट्रिक्शन इतना होता है कि लोगों में यह मशहुर होता जा रहा है। इस डायट में 500 से 800 कैलोरी प्रतिदिन की सीमा होती है। इसलिए लोगों को कम समय में वजन घटता नजर आता है। लेकिन इस डायट को करने से कैंसर, गॉल स्टोन, दिल की धड़कनों का अनियमित होना, विटामिन्स और मिनरल्स की कमी, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, सूजन, पुरूषों के ब्रेस्ट में सूजन की समस्या जैसे बहुत सारे समस्याएं होती हैं।
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17-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting)
इंटरमिटेंट फास्टिंग भी वेट लॉस डायट के रूप में बहुत पसंद किया जा रहा है। इस फास्टिंग में उपवास और खाने के बीच एक चक्र जैसा पालन किया जाता है। वैसे तो आध्यात्मिक कारणों से लोग उपवास करते ही हैं जो लगभग सभी धर्मों में होता है। या तो लोग 16 घंटा व्रत करते हैं या 24 घंटे। इस तरह से उपवास करने पर कैलोरी अनायास ही बहुत जल्दी कम होने लगता है। इससे शरीर से एक तरह का नॉरपेनेफ्रिन (नॉरएड्रेनालाईन) फैट बर्निंग हार्मोन निकलता है जिससे शरीर में मेटाबॉलिज्म का रेट बढ़ जाता है और वजन घटने में मदद मिलती है। जिन लोगों का वजन हद से ज्यादा कम होता है और ईटिंग डिसऑर्डर होता है उनको यह फास्टिंग नहीं करनी चाहिए।
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18-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : जूस फास्टिंग (Juice Fasting)
आजकल जूस फास्टिंग मशहुर हो रहा है। हर कॉलोनी के कॉर्नर में जूस सेंटर मिल ही जाता है। लोग वजन घटाने के लिए जूस पीकर रहना बेहद पसंद कर रहे हैं। उनका सोचना है कि जूस पीने से वजन जल्दी घटता है साथ ही पौष्टिकता की कमी नहीं होती। लेकिन सच तो यह है कि इससे शरीर को विटामिन और प्रोटीन तो मिल जाता है लेकिन प्रोटीन की कमी हो जाती है। इस डायट को लंबे समय तक नहीं करने की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजर्ग लोगों और जिनकी इम्युन सिस्टेम कमजोर है उनको नहीं करने के लिए कहा जाता है। इस डायट को करने से कमजोरी, थकान, दस्त, उल्टी, बेहोशी जैसी समस्याएं भी हो सकती है। आपको इस फास्टिंग को फॉलो करने के दौरान एक बात का ध्यान रखना होगा कि जूस फ्रेश हो। डायटिशियन और डॉक्टर से सलाह लिये बिना जूस फास्टिंग न करें।
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19-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड: कीटोजेनिक डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड (Ketogenic Diet)
मोटापा कहे या ओबेसिटी इस बीमारी से लड़ने का एक और हथकंडा है कीटोजेनिक डायट। हर इंसान वजन को कम करके स्लिम ट्रीम लुक पाने की चाह में कोई न कोई डायट प्लान फॉलो कर रहा है। इ्न्हीं में से एक है कीटोजेनिक डायट जिसकी बात शायद आप हर पाँच में से दो इंसान के मुँह से जरूर सुनेंगे। कीटोजेनिक डायट विशेष रूप से लो कार्ब्स, हाई फैट डायट होता है जो अधिकांशतः एकिंस डायट की तरह ही है। इस डायट में कार्बोहाइड्रेड के सेवन को कम किया जाता है जिसके जगह पर फैट को आहार में शामिल किया जाता है। कार्बोहाइड्रेड के कम होने से शरीर का मेटाबॉलिक स्टेट बदल जाता है जो वेट लॉस का कारण बन जाता है। इस प्रक्रिया में फैट एनर्जी में बदल जाता है। इस डायट के कारण ब्लड शुगर कम होने के साथ-साथ और भी फायदे शरीर को मिलते हैं। इस डायट से हार्ट डिजीज, पार्किंसन, अल्जाइमर, कैंसर, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसे बहुत रोगों से बचने में सहायता करता है। डायट को फॉलो करने के दौरान आप शुगरी प्रोडक्ट्स, फल, अनाज, स्टार्च, दलहन, अल्कोहल, शुगर फ्री डायट फूड्स खाने से परहेज करनी चाहिए। इसके जगह पर फैटी फिश, मीट अंडा, मक्खन, चीज, हेल्दी ऑयल जैसे चीजें आहार में शामिल कर सकते हैं।
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20-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड: लो कार्बोहाइड्रेड डायट (Low carbohydrate diet)
लो कार्ब्स डायट का भी एक ही लक्ष्य होता है वजन को कम करना। इस डायट में कार्बोहाइड्रेड को सीमित मात्रा में लिया जाता है। अनाज, स्टार्ची सब्जियों और फलों के जगह पर प्रोटीन और फैट से भरे फूड्स को शामिल किया जाता है। आम तौर पर कार्ब्स कम वाले डायट लेने पर डायबिटीज, हाइपरटेंशन, मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसे रोगों में फायदा मिलता है। लेकिन इस डायट को अचानक शुरू नहीं करना चाहिए इससे सिरदर्द, बदबू, कमजोरी, कब्ज और दस्त जैसी समस्या हो सकती है।
21-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : लो फैट डायट (Low fat diet)
जैसा कि नाम से आपको पता चल रहा है कि लो फैट डायट में आहार में फैट की मात्रा को कम किया जाता है। ऐसे डायट को चयन करने का एकमात्र कारण होता है आहार में कैलोरी की मात्रा को कम करना और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को लो करना होता है। इसके लिए विटामिन और मिनरल्स को डायट में शामिल करने की जरूरत होती है। इसके लिए डायट में लो फैट वाले फिश, सब्जियाँ, दाल, फल और होल ग्रेन फूड शामिल करने की जरूरत होती है।
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22-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड: मेडिटेरियन डायट (Mediterranean Diet)
अगर आप दिल को सेहतमंद रखना चाहते हैं तो आपके मेडिटेरियन डायट से अच्छा दूसरा ऑप्शन नहीं है। मेडिटेरियन डायट में जो खाने की चीजें शामिल की जाती हैं उनमें है सब्जियाँ, फल, होल ग्रेन और हेल्दी फैट्स। हफ्ते में एक बार मछली, पॉल्ट्री, बीन्स, अंडा, संतुलित मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट्स और रेड मीट आदि ले सकते हैं।घर में ऑलिव ऑयल से सब्जी, होल ग्रेन, बीन्स, आदि बनाकर खाने से दिल को स्वस्थ रखना आसान होता है। इसके साथ फल, नट्स, सीड्स, अंडा, मछली, दूध, दही, पनीर भी शामिल करना चाहिए।
23-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : माइन्ड डायट (Mind Diet)
माइन्ड डायट नाम से लग रहा है कि इसका संबंध मस्तिष्क से है तो आप सही सोच रहे हैं। असल में माइन्ड डायट मेडिटेरिनियन और डैश डायट का हाइब्रिड है। इसका लक्ष्य ब्रेन पावर को बढ़ाना और स्मृति शक्ति को बेहतर करना होता है। इस डायट में अनाज, जामुन फल, हरे पत्तेदार सब्जियां, ऑलिव ऑयल, पॉल्टरी और मछली आदि शामिल किया जाता है।
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24-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड: ओवो वेजिटेरियन डायट (Ovo-vegetarian diet)
ओवो वेजिटेरियन डायट, वेगन डायट से थोड़ा अलग होता है। इसको भी वेट लॉस करने के लिए फॉलो किया जाता है लेकिन यह दूसरे वेजिटेरियन डायट से थोड़ा अलग है। इस डायट में अंडे को छोड़कर पशु पर आधारित जो भी खाद्द पदार्थं हैं वह शामिल नहीं है। कहने का मतलब यह है कि मीट, मछली, पॉलट्री, दूध, दही, चीज जैसे फूड जिस तरह इस डायट से निकाले जाते हैं उसी तरह होल एग, एग व्हाइट, मेयोनिज, एग नूडल्स और कुछ बेक्ड चीजें इसमें शामिल हैं। यह डायट फॉलो करने पर प्रोटीन, बी विटामिन्स और एन्टी इंफ्लैमटोरी कंपाउन्ड्स की कमी दूर होती है। इस डायट से दिल स्वस्थ रहने के साथ-साथ ब्लड शुगर और वजन भी नियंत्रित रहता है।
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25-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : पैलियो डायट (Paleo diet)
पैलियो डायट में काबोहाइड्रेड और शुगर के चीजों को आहार में से कम करके वेट को बढ़ने से रोका जाता है। इस डायट में सभी प्राकृतिक खाद्द पदार्थ शामिल होते हैं। प्रोसेस्ड फूड से परहेज करने के साथ-साथ हेल्दी फूड खाने की आदत डालनी पड़ती है। इसमें मछली, सब्जियाँ, फल, नट्स, तेल, मीठा आलू, अंडा और मीट शामिल होते हैं।
26-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : प्रीटकिन डायट (Pritikin Diet)
प्रीटकिन डायट भी और दूसरे डायट की तरह लो फैट और हाई फाइबर से भरपूर होता है। प्रीटकिन डायट में लो कैलोरी, लो प्रोटीन, हाई कार्बोहाइड्रेट वाले शामिल करनी चाहिए जिससे कि डायटिशियन के सलाह के अनुसार प्रतिदिन शरीर को कम से कम 10 प्रतिशत की फैट ही मिलनी चाहिए। कैलोरी कम वाले फूड्स को ही इस डायट में शामिल किया जाता है।कहने का मतलब यह है कि डायट में हाई फाइबर और लो फैट होनी चाहिए। नियमित रूप से वॉकिंग, स्ट्रेंथ एक्सरसाइज आदि करने साथ-साथ स्मोकिंग से परहेज करनी चाहिए। इस डायट में फल, सब्जियाँ, होल ग्रेन और अनप्रोसेस्ड फूड आदि लेनी चाहिए। लेकिन हाई कैलोरी ड्रिंक और फास्ट फूड से परहेज करना जरूरी होती है।
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27-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : रॉ फूड डायट (Raw Food Diet)
इस डायट के नाम से समझ में आ रहा है वह फूड्स इसमें शामिल होते हैं जो बिना पकाये हुए हो और प्रोसेस्ड नहीं किए हुए हो। इस डायट को लेने से सूजन कम होने के साथ कार्सिनोजन की मात्रा भी कम होती है।
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28-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : साउथ बीच डायट ( South Beach Diet)
इस डायट का उद्देश्य है लोगो को हेल्दी खाना का आदि बनाना। इस डायट में गुड कार्ब्स के साथ हेल्दी फैट, थोड़ा प्रोटीन शामिल होता है। इसका टार्गेट होता है आहार में ज्यादा से ज्यादा कार्ब्स को निकाल दिया जाय और संतुलित भोजन शामिल हो जाए। इस डायट में होल ग्रेन, विशेष तरह के फल और सब्जियाँ, जरूरत लगने वाले फैट्स जैसे ऑलिव ऑयल, लो प्रोटीन के स्रोत वाले फूड्स खाने के लिए कहा जाता है। लेकिन इसके साथ ही लो ग्लिसेमिक इंडेक्स (जीआई स्कोर करने वाले) वाले फूड्स खाने से परहेज करने की बात कही जाती है।
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29-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : टीएलसी डायट (TLC- Therapeutic Lifestyle Changes- Diet)
इस डायट में सैचुरेटेड फैट को कम करके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है। इससे हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करके हार्ट एटैक और स्ट्रोक को खतरे को कम किया जाता है। इसके लिए जरूरी होता है डायट में फैट बढ़ाने वाले फूड्स को निकाल देना है। आपको विकल्प में लो फैट फूड्स को डायट में शामिल करना होता है जिससे वजन भी नियंत्रित रहे। आपको प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल नहीं लेना है। अंडे की जर्दी, पॉल्ट्री, रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स और शेल फिश में कोलेस्ट्रॉल होता है, इसलिए इन्हें डायट से निकाल देना है। पैकेज्ड स्नैक्स फूड, कूकीज,क्रैकर्स जैसे ट्रांसफूड से परहेज करना चाहिए। लेकिन इस डायट के साथ एक्सरसाइज और रेगुलर फिजिकल एक्टिवीटी बहुत जरूरी होता है।
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30-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : वेगन डायट (Veganism/ Vegan Diet)
ऐसा कौन है जिसने इस डायट के बारे में न सूना हो। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि शाकाहारी आहार का सेवन करने वाले सिर्फ साग- सब्जी और फल ही खाते हैं। उनके आहार में मांस, मछली, अंडा, डेयरी प्रोडक्ट्स आदि नहीं लेते हैं। इस डायट में हेल्दी और फ्रेश फ्रूट्स, हरे पत्ते वाली सब्जियाँ, होल ग्रेन प्रोडक्ट्स, नट्स, सीड्स और लेग्युम्स आते हैं। इस डायट में प्रोटीन, फैट, विटामिन डी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, विटामिन बी12 आदि के स्रोत शामिल करते हैं।
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31-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : वेरी लो कैलोरी डायट (Very Low Calorie Diet)
वेरी लो कैलोरी डायट डॉक्टर के तत्वाधान में ही किया जाता है। यह डायट सबके लिए नहीं होता है। जिन लोगों का वजन बहुत होता है यानि बीएमआई 30-40 से ज्यादा है और इसके लिए सर्जरी करने की जरूरत है। वजन के वजह से फर्टिलिटी की समस्या हो रही है और इसके लिए इलाज शुरू होने वाला है उनको यह डायट करने की सलाह दी जाती है। इस डायट को करना उतना आसान नहीं होता है। इस डायट में नॉर्मल फूड के जगह पर लो कैलोरी शेक, सूप, बार्स, पॉरेज आदि दिया जाता है। 12 हफ्तों तक इस डायट को मरीज से करवाया जाता है। इस डायट के साइड इफेक्ट के तौर पर सिर दर्द, कब्ज, दस्त, भूख, बेचैनी, बालों का पतला हो जाना आदि होता है।
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32-डायट एंड वेट मैनेजमेंट- ए-जेड : वेट वाचर डायट (Weight Watchers Diet)
यह डायट भी आजकल लोगों की पसंद बनने लगा है। इसमें डायट में डायटिशियन स्मार्ट तरीके से वेट को कंट्रोल करने के लिए फूड पोर्शन को कम करते हैं जिससे हेल्थ पर इफेक्ट न पड़े। वेट वाचर डायट की खास बात यह होती है कि इसमें घर का बना खाना खाने की सलाह दी जाती है। आप डायट को अपने पसंद के हिसाब से हेल्दी तरीके से बना सकते हैं। इससे खाने में बोरियत भी नहीं होगी और हेल्दी तरीके से बने होने के कारण भी वजन भी नियंत्रण में रहेगा। इस डायट को मानने वाले को अपने फिजिकल एक्टिविटी पर बहुत ध्यान देना पड़ता है। वेट वाचर प्लान में स्किनलेस चिकेन, अंडा, टोफू, मछली, शेलफिश, फैट फ्री दही, ब्रोक्ली, बंधागोभी, एस्पैरागस या शतावर, ताजे फल, ब्राउन राइस, ओटमील, बीन्स, होल ग्रेन प्रोडक्ट्स, एवाकाडो, ऑलिव ऑयल, नट्स आदि शाफैमिल होता है। इस डायट में मीठे चीजों और सैचुरेटेड फैट वाले फूड्स से परहेज किया जाता है।
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33-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : जोन डायट (Zone Diet)
इस डायट में प्रोटीन, फाइबर, फैट और कार्ब्स को इस तरह शामिल किया जाता है जिससे शरीर की सूजन कम हो और दूसरे सेहतमंद फायदे भी मिले। इस डायट की विशेष बात यह है कि जोन डायट के हर मील में सभी का अनुपात समान होता है, जैसे- 30% प्रोटीन, 30% फैट, और 40% कार्ब्स । डॉ. बेरी सियर्स ने इस डायट का आविष्कार किया था। उन्होंने इस डायट में प्रोटीन, फैट और कार्ब्स को ही शामिल किया है। डॉ. सियर्स का मानना है कि सूजन का कारण बढ़ता वजन होता है , इसलिए बीमार ज्यादा होने की संभावना बढ़ जाती है। इस डायट के पालन से शरीर के सूजन को कम किया जा सकता है। इस डायट में प्रोटीन के स्रोतों में स्किनलेस चिकन, कम फैट वाला मछली, अंडे की सफेदी, लो फैट वाला दूध, दही और चीज। फैट में मोनोसैचुरेटेड फैट शामिल होता है जिसमें पीनट बटर, कैनोला का तेल, तिल का तेल, मूंगफली और जैतून का तेल आदि आते हैं। कार्बोहाइड्रेड में फलों में सेब, संतरा, प्लम और सब्जियों में खीरा, पालक, टमाटर, मशरूम, पीला स्क्वाश, काबुली चना और अनाज में दलिया और जौ आदि शामिल किया जाता है।
अभी तक हम दुनिया भर में चलने वाले मशहुर डायट प्लान के बारे में चर्चा कर रहे थे। एक बात ध्यान रखने की बात यह है कि डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड ऐसा होना चाहिए कि जो आपके सेहत को फायदा पहुँचाये न कि नुकसान। क्योंकि सारे डायट प्लान सबके लिए सही नहीं होते हैं। डायट प्लान व्यक्ति के वजन, संरचना, बीमारी, शारीरिक समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाया जाता है इसलिए बिना डायटिशियन से सलाह लिये कोई भी डायट प्लान फॉलो न करें। सच तो यह है कि अगर आप शुरू से बैलेंस्ड लाइफस्टाइल फॉलो करें तो किसी भी डायट प्लान को फॉलो करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसलिए संयमित और संतुलित जीवनशैली का पालन करें और तंदुरूस्त और खुशहाल जीवन का रस लें।