हम खाने में मुख्य रूप से या तो वेज खाते हैं या नॉनवेज। फूड से मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स ही इन्हें लोगों के बीच पॉपुलर बना लेते हैं। आज हम बात करेंगे इनसेक्ट प्रोट्रीन डायट की। क्या आपको सुनकर घिन आ रही है ? आप को यकीन नहीं होगा लेकिन पश्चिमी देशों में इनसेक्ट प्रोट्रीन डायट लोगों की पसंदीदा है। लोग इसे सिर्फ इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि इसमें संपूर्ण प्रोटीन को स्थायी स्त्रोत के रूप में देखा जाता है। कीट-पतंगों में अधिक मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर क्यों कीट डायट को विदेशों में इतना पसंद किया जा रहा है।
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इनसेक्ट प्रोट्रीन डायट क्या है?
इनसेक्ट प्रोटीन डायट से साफ मतलब है खाने लायक कीड़े। ऐसे कीड़ों में सबसे लोकप्रिय हैं टिड्डे और झींगुर, जिनका इस्तेमाल प्रोटीन से भरपूर आटे और स्नैक्स बनाने में किया जाता है। अधिक मात्रा में प्रोटीन पाए जाने के कारण दुनिया के कई हिस्सों में कीड़ों को चाव से खाया जाता है। कीड़े खाने के मामले में थाईलैंड का नाम एशिया में सबसे पहले आता है। स्थानीय व्यंजनों में इनसेक्ट प्रोटीन डायट को साइड डिश के रूप में सर्व किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि FAO के मुताबिक दुनिया भर में बीटल्स और कैटरपिलर सबसे ज्यादा खाए जाने वाले कीड़े हैं। अगर विकसित देशों की बात करें तो झींगुर ने व्यंजनों में अपनी जगह बना ली है। साथ ही चींटियां, मीटवॉर्म, क्रिकेट्स, रेशम कीट और बैटल को भी इनसेक्ट प्रोट्रीन डायट में शामिल किया गया हैं।
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क्या कहना है डॉक्टर का?
इनसेक्ट प्रोट्रीन डायट को लेकर हमने दिल्ली के फोर्टिस ला फेम की क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा से बात की। हमने उनसे पूछा कि क्या इनसेक्ट प्रोटीन डायट सच में शरीर के लिए लाभकारी है या फिर ये सिर्फ कीड़ों को खाने की सनक? डॉ. ने कहा कि “कीटों में हाई क्वालिटी प्रोटीन के साथ ही विटामिन, अमीनो एसिड और प्रचुर मात्रा में फैट, कैल्शियम और आयरन होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि इनसेक्ट इनवायरमेंट फ्रेंडली होते हैं। उनके पास हाई फूड कंवर्जन की क्षमता होती है। मतलब झींगुर कैटल से छह गुना कम खाता है। कैटल शीप से चार गुना कम फीड करती है। मतलब हम लोग जो भी नॉनवेज खाते हैं, उनकी तुलना में कीटों को पालना आसान है। कीट पालन से कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। कीट ऑर्गेनिक वेस्ट में भी ग्रो कर सकते हैं। साथ ही इन्हें कम पानी की भी जरूरत होती है।”
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क्यों लेना चाहिए इनसेक्ट प्रोटीन डायट?
इस बारे में एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में डॉ. लवनीत ने कहा, “इसेक्ट में न्यूट्रिशनल वैल्यू अधिक होती है। विटामिन बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, अल्फा लिनोलेनिक एसिड और ओमेगा -3 फैटी एसिड की अधिकता के कारण ये खाने युक्त डायट है। इनसेक्ट में प्रोटीन अधिक पाई जाती है और ये ईकोफ्रेंडली होते हैं। हाई फूड कंर्वजन के कारण इन्हें पालने में भी ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। इसेक्ट का टेस्ट नट्स की तरह होता है। कुछ लोगों को पूरा इनसेक्ट खाना पसंद नहीं होता है। आप चाहें तो इनसेक्ट के आटे का प्रयोग कर सकते हैं। इनसेक्ट के आटे से बनाना केक, चॉकलेट कुकीज और फ्राइड राइस बनाया जाता है।”
हमने आपके इनसेक्ट प्रोटीन डायट के बारे में जानकारी दी। भारत में भी इनसेक्ट प्रोटीन डायट का चलन है जबकि विदेशों में बहुत अधिक है। अगर आप भी इसका उपयोग खाने में करना चाहते हैं तो पहले जरूरी जानकारी जुटा लें।
क्या कहती है रिसर्च?
फूड एंड एंग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन ऑफ द यूनाइटेड स्टेट के दावों के मुताबिक, आने वाले साल 2050 तक दुनिया भर के लगभग 90 लाख लोगों को इनसेक्ट प्रोटीन डायट अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है। जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे- कृषि का कम होना, जल, जंगल, मत्स्य और जैव विविधता संसाधनों की कमी, साथ ही पोषक तत्व और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के स्त्रोतों को बढ़ावा देनो हो सकता है।
एफएओ के मुताबिक, इन कीड़ों को खाने से मनुष्य को शरीर को उच्च गुणवत्ता में प्रोटीन, विटामिन्स और अमीनो एसिड प्राप्त होते हैं। वहीं, मवेशियों यानी मीट और अन्य मांसहारी भोजन के साधनों के मुकाबले इन कीड़ों का विकास करने में छह गुना कम भोजन की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, पारंपरिक पशुधन की तुलना में कम ये कीट ग्रीनहाउस गैसों और अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं। साथ ही इन कीड़ों को जैविक कचरे के सहारे ही उगाया जा सकता है।
इनसेक्ट प्रोटीन डायट लेनी है या फिर नहीं, इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। कई बार कुछ खास प्रकार की डायट से एलर्जी की प्रॉब्लम भी हो सकती है। इस समस्या से बचने के लिए रहेगा कि बिना डॉक्टर की सलाह के इनसेक्ट प्रोटीन डायट न लें।
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