शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर ले जाने के लिए ब्लैडर के माध्यम से यूरिन पास होता है। ये प्रोसेस शरीर के स्वस्थ्य रहने के लिए बहुत जरूरी है। अगर किन्हीं कारणों से यूरोलॉजिक डिजीज यानी मूत्र संबंधित रोग हो जाएं, तो इससे पूरे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। जहां महिलाओं को मूत्र संबंधित रोग के कारण यूरिनरी ट्रेक्ट पर बुरा असर पड़ता है, वहीं पुरुषों में यूरिनरी ट्रेक्ट के साथ ही रिप्रोडक्टिव ऑर्गन (Reproductive organ) में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आपको इस संबंध में जानकारी नहीं है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यूरोलॉजिकल डिजीज के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही इनसे बचने के उपाय भी बताएंगे। जानिए क्या होती हैं मूत्र संबंधित समस्याएं।
मूत्र संबंधित रोग (Other urological issues) क्या हैं?
यूरोलॉजिकल हेल्थ से जुड़े रोग को मूत्र संबंधित रोग कहते हैं। मूत्र संबंधित रोग किसी भी उम्र में हो सकते हैं। पेशाब से जुड़े रोग शरीर की किसी कंडीशन का परिणाम भी हो सकते हैं। हाय ब्लड प्रेशर, डायबिटीज (Diabetes), बैक्टीरिया इंफेक्शन (Bacterial infection) आदि मूत्र संबंधित रोग का कारण बन सकते हैं। जानिए यूरोलॉजिक डिजीज के बारे में।
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हेमाट्यूरिया (Hematuria)
हेमाट्यूरिया के कारण पेशाब में रक्त आने लगता है। ये स्थिति बेहद गंभीर होती है। आमतौर पर यूरिन का रंग बदलने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन मूत्र में रक्त आने का मतलब किसी बीमारी का संकेत है। हेमाट्यूरिया महिलाओं या पुरुषों, किसी को भी हो सकता है। ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन अधिक उम्र के लोगों में इस बीमारी की संभावना अधिक रहती है। हेमाट्यूरिया होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- बुखार होना
- यूरिन पास करने के दौरान जलन
- ठंड लगना
- बीपी हाय होना
- बार-बार यूरिन आना
- मूत्र से खून आना
- पेशाब का रंग बदलना
किडनी में संक्रमण या फिर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण भी पेशाब से खून आता है। स्टोन की समस्या के कारण यूरिन में ब्लड आ सकता है। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि में सूजन आने के कारण भी यूरिन में ब्लड आता है। कुछ दवाइयां जैसे कि पेनिसिलिन का लंबे समय तक सेवन करने के कारण भी यूरिन से ब्लड निकलता है। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स खाने की सलाह देते हैं और साथ ही बीमारी के कारण पहचान कर उसका ट्रीटमेंट किया जाता है।
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बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (Benign Prostatic Hyperplasia)
बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया की समस्या में इन्लार्ज्ड प्रोस्टेट के कारण होती है। जब प्रोस्टेट ग्लैंड बड़ी हो जाती है, तो यूरिनेशन के दौरान समस्या होती है। पुरुषों में होने वाली इस समस्या के कारण हमेशा यूरिन का एहसास और ब्लैडर न खाली होने की समस्या बनी रहती है। अधिक उम्र के पुरुषों को इस समस्या से गुजरना पड़ता है। अगर आपको ऐसा लग रहा है कि यूरिन पास करने के बाद भी यूरिन प्रेशर है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। डॉक्टर कंडीशन चेक करने के बाद कुछ मेडिसिन जैसे कि अल्फा ब्लॉकर्स दे सकते हैं। जब दवाओं की सहायता से बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (Benign Prostatic Hyperplasia) का ट्रीटमेंट नहीं हो पाता है, तो डॉक्टर सर्जरी भी कर सकते हैं। आमतौर पर इस कंडीशन से छुटकारा पाय जा सकता है लेकिन आपको इस समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए।
यूरिनरी इंकॉन्टिनेंस (Urinary Incontinence)
यूरिनरी इंकॉन्टिनेंस के कारण ब्लैडर पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से कभी भी लीकेज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ये मूत्र संबंधित रोग किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन अधिक उम्र में यूरिनरी इंकॉन्टिनेंस होने की ज्यादा संभावना रहती है। यूरिनरी इंकॉन्टिनेंट के कई कारण हो सकते हैं। जानिए कौन-से कारण यूरिन लीकेज के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
- डायबिटीज (Diabetes)
- प्रेग्नेंसी या डिलिवरी (pregnancy or childbirth)
- ओवरएक्टिव ब्लैडर (overactive bladder)
- इंलार्ज्ड प्रोस्टेट (enlarged prostate)
- ब्लैडर मसल्स कमजोर होना weak bladder muscles
- यूरेथ्रा की कमजोर मसल्स (weak sphincter muscles)
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (urinary tract infections)
- मल्टिपल स्केरोसिस (multiple sclerosis)
- स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी (injury to the spinal cord)
- गंभीर कब्ज (severe constipation)
अगर आपको यूरिनरी इंकॉन्टिनेस की परेशानी है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। डॉक्टर बीमारी के कारणों को पहचान कर ट्रीटमेंट करेंगे। लाइफस्टाइल में बदलाव करके और फ्लूड इनटेक को कम कर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। डॉक्टर अधिक समस्या को देखते हुए सर्जरी भी कर सकते हैं।
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प्रोलैप्स ब्लैडर (Prolapse Bladder)
प्रोलैप्स ब्लैडर की समस्या में ब्लैडर अपनी जगह से खिसक जाता है। प्रोलैप्स ब्लैडर की समस्या महिलाओं में अधिक होती है। ब्लैडर अपनी जगह से खिसक कर योनी यानी वजायना की ओर खिसक जाता है। महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद ये स्थिति पैदा हो सकती है। डिलिवरी के बाद वजायना वॉल कुछ डैमेज हो जाती है, इस कारण से वजायना ब्लैडर को सपोर्ट नही दे पाती है। महिलाओं को खांसते, छींकते या फिर अचानक से थक्का लगने पर यूरिन लीकेज की प्रॉब्लम हो जाती है। प्रोलैप्स ब्लैडर के कारण बार-बार यूरिन होना, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यूरिन पास करने में दिक्कत आती समस्याएं आती हैं। ऐसे में महिलाओं को सेक्स के दौरान भी पेन हो सकता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए रोजाना कीगल एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। साथ ही भारी सामान न उठाने और वेट कंट्रोल की सलाह भी दी जाती है। डॉक्टर सर्जरी की मदद से भी इस बीमारी का ट्रीटमेंट करते हैं।
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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction)
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या पुरुषों से जुड़ी हुई है। पुरुषों में इस बीमारी के कारण सेक्स के दौरान इरेक्शन में समस्या होती है। पेशाब संबंधी परेशानियों के कारण भी पुरुषों को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर पुरुषों को नपुंसकता की समस्या है, तो बेहतर होगा कि बिना देरी किए डॉक्टर से मिले और बीमारी का ट्रीटमेंट कराएं। डॉक्टर दवाइयों की सहायता से या फिर टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट मैथड से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का ट्रीटमेंट करते हैं।
ब्लैडर कैंसर (Bladder cancer)
ब्लैडर कैंसर कॉमन टाइप कैंसर है, जो ब्लैडर सेल्स से शुरू होता है। कैंसर की शुरुआती यूरोथेलियल सेल्स (Urothelial cells) से होती है। ये सेल्स किडनी और यूरेटर्स (ureters) ट्यूब में पाई जाती हैं, जो किडनी और ब्लैडर को जोड़ने का काम करती है। यूरोथेलिकल कैंसर किडनी और यूरेटर्स में कॉमन होता है लेकिन ये ब्लैडर में भी हो सकता है। ब्लैडर कैंसर को अर्ली स्टेड में डायग्नोज हो जाता है। अर्ली स्टेज कैंसर (Early stage cancer) के ट्रीटमेंट के बाद दोबारा वापस आ सकते हैं। कैंसर ट्रीटमेंट के बाद फॉलोअप टेस्ट बहुत जरूरी होते हैं। ब्लैडर कैंसर के कारण ब्लड में यूरिन आने की समस्या, पेशाब करते समय दर्द महूसस होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। ब्लैडर कैंसर म्यूटेशन के कारण हो सकता है। एब्नॉर्मल सेल्स ट्यूमर का कारण बनती हैं। अगर सही समय पर ट्रीटमेंट न कराया जाए, तो कैंसर सेल्स पूरे शरीर में फैल सकती हैं। पुरुषों में ब्लैडर कैंसर का खतरा अधिक रहता है।
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मूत्र संबंधित रोग (Other urological issues) का डायग्नोज कैसे किया जाता है?
पेशाब संबंधित बीमारियों की जांच के लिए डॉक्टर यूरिन सैम्पल लेते हैं। साथ ही बीमारियों को जांचने से पहले डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। कई बार बीमारियों के लक्षण जानने के बाद सही बीमारी की जानकारी मिल जाती है लेकिन प्रमाणिकता के लिए डायग्नोसिस जरूरी होता है। डॉक्टर निम्नलिखित जांचे कर सकते हैं, जो बीमारियों के बारे में स्पष्ट जानकारी देती हैं।
- यूरिन टेस्ट ( Urin sample)
- कम्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (CT scans)
- ब्लड टेस्ट (Blood test)
- पीएसए ब्लड टेस्ट (PSA blood test)
- एक्स-रे स्कैन ( X-ray)
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds)
- इमेजिंग टेस्ट ( imaging tests)
- साइटोस्कोपी ( cystoscopy)
- ब्लड यूरिया नाइट्रोजन टेस्ट
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पेशाब संबंधित समस्याएं कर रही हैं परेशान, तो इन बातों का रखें ध्यान
यूरोलॉजिकल समस्याएं (Other urological issues) या मूत्र संबंधी रोग किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकते हैं। अगर आप स्वस्थ्य जीवनशैली का चुनाव करते हैं, तो कई बीमारियों से दूर रह सकते हैं। आपको न सिर्फ खान-पान में सुधार करना चाहिए बल्कि रोजाना एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। जानिए किन बातों का ध्यान रख यूरोलॉजिकल समस्याओं से बचा जा सकता है।
- शरीर में पानी की कमी न होने दें। एक दिन में आठ से नौ ग्लास पानी जरूर पिएं।
- आप क्रेनबेरी का जूस जरूर पिएं। कुछ स्टडीज में ये बात सामने आई है कि ये जूस ये पेशाब के संक्रमण की संभावना को कम करता है।
- खाने में सॉल्ट और कैफीन (Caffeine) की मात्रा को कम करें।
- अधिक वजन कई बीमारियों का कारण बन सकता है। हमेशा वजन को संतुलित रखें और स्वस्थ्य रहें।
- स्मोकिंग और एल्कोहॉल का सेवन (Alcohol consumption) बंद कर दें।
- आपको पेल्विक एरिया की मसल्स को स्ट्रेंथ देने के लिए पेल्विक एक्सरसाइज (Pelvic exercise) करनी चाहिए।
- रात में फ्लूड इनटेक (Fluid intake) को कम करें।
- वजायना के आस-पास सफाई बहुत जरूरी होती है। लड़कियों और महिलाओं को इस संबंध में जरूर सावधानी रखनी चाहिए।
- यूरोलॉजिकल हेल्थ (Other urological issues) को बेहतर बनाने के लिए स्वीनर्स या कोल्ड ड्रिंक की बजाय आपको पानी या बटरमिल्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
- जब भी यूरिन का एहसास हो, तुरंत बाथरूम जाएं। यूरिन को रोकने की भूल न करें नहीं तो ये संक्रमण का कारण बन सकता है।
- सेक्स के दौरान प्रोटक्शन यानी कॉन्डोम का इस्तेमाल (Condom use) करें। ये संक्रमण से बचाने का काम करता है।
- महिलाओं की तरह ही पुरुषों को भी प्राइवेट पार्ट (Private part) की सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
कुछ बातों का ध्यान रख आप मूत्र संबंधित परेशानियों से बच सकते हैं। अगर आपको बीमारी के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अन्य यूरोलॉजिकल समस्याओं (other urological issues) के बारे में जानकारी मिल गई होगी।आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।