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यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच निगेटिव आए तो हो सकती हैं ये बीमारियां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच निगेटिव आए तो हो सकती हैं ये बीमारियां

    आधे से ज्यादा महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) की समस्या देखी गई है। यूटीआई के लक्षण महसूस होने पर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच (UTI Test) कराई जाती है। लेकिन  यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आती है, तो क्या ये अच्छी बात है? शायद नहीं, अगर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच निगेटिव आती है, तो आप खुश नहीं होएं, क्योंकि यूटीआई के लक्षणों के जैसी दिखने वाली समस्या किसी अन्य यौन रोग या यूरिनरी ट्रैक्ट (UTI) डिजीज के हो सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य आपको बताएगा कि यूटीआई जैसी दिखने वाली अन्य बीमारियां कौन सी हैं?

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लक्षण (Symptoms of UTIs)

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTIs) जैसी दिखने वाली अन्य बीमारियों को जानने से पहले आपको यूटीआई के लक्षणों के बारे में जानना चाहिए। यूटीआई के लक्षण निम्न प्रकार हैं : 

    अगर आप गर्भवती हैं और आपको यूटीआई की समस्या हुई है तो आप डॉक्टर से तुरंत मिलें। क्योंकि यूटीआई के अलावा यीस्ट इंफेक्शन (Yeast infection) या कुछ और भी हो सकता है। जिसके लिए डॉक्टर यूरीन टेस्ट (Urine test) के द्वारा ही आपके यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच व अन्य इंफेक्शन की जांच करते हैं। 

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    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का कारण क्या होता है? (Cause of UTI)

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन महिलाओं में होने वाली सबसे आम बीमारी मानी जा रही है। जिसका प्रमुख कारण उचित साफ-सफाई न बरतना होता है। रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 40 फिसदी महिलाएं अपने पूरे जीवनकाल में कभी न कभी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) की समस्या से ग्रसित होती ही है। अगर सही समय पर उचित उपचार न किए जाए तो यह जोखिम भरा भी हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यूरिन (पेशाब) में जीवाणु नहीं होते हैं और यह संक्रमण यूरिन में जीवाणु की मौजूदगी के कारण होता है। मूत्र पथ के संक्रमण, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में होना अधिक आम होता है।

    निम्न कारणों से हो सकता है यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शनः

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का नाम इश्चीरिया कोलाई (Escherichia Coli) है। ये बैक्टीरिया हमारे आंतों में रहता है। फिर यह हमारे मलाशय (Rectum) से गुदा (Anus) तक पहुंचता है। फिर वजायना से होते हुए मूत्रमार्ग तक बैक्टीरिया पहुंच जाता है। फिर हमारे मूत्राशय (Urinary Bladder) को प्रभावित कर देता है। जिससे ये संक्रमण हो जाता है।

    यूरीन कल्चर में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच सही नहीं आना

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच में किए जाने वाले यूरीन कल्चर की रिपोर्ट में अगर यूटीआई निगेटिव आए तो भी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकता है। क्योंकि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच के लिए आपका स्टैंडर्ड टेस्ट होता है। जिसके लिए आपको क्वांटिटेटिव पॉमिरेज चेन रिएक्शन टेस्ट (qPCR test) कराना पड़ेगा। क्योंकि पांच में से एक महिला का यूरीन कल्चर में यूटीआई के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया स्पष्ट रूप से नहीं आते हैं। पीसीआर टेस्ट के जरिए बेक्टीरिया स्पष्ट होते हैं। जिसके बाद आपके यूटीआई का इलाज किया जाता है।

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    सेक्स करने से मूत्रमार्ग में संक्रमण (Urethra Irritation From Intercourse)

    अगर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच पॉजिटिव नहीं आती है तो आपको यूरेथराइटिस हो सकता है। यूरेथराइटिस होने का मुख्य कारण असुरक्षित सेक्स करना है। इसे हनीमून सिस्टाइटिस भी कहते हैं। जिसके लक्षण यूटीआई के लक्षण जैसे ही होते है। यूरेथराइटिस का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) दिए जाते हैं। जिससे कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है। 

    इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस (Interstitial Cystitis)

    इंटरटिशियल सिस्टाइटिस क्रॉनिक ब्लैडर समस्या है। जिससे ब्लैडर या मूत्रमार्ग में परेशानी होती है। इंटरटिशियल सिस्टाइटिस के लक्षण यूटीआई की तरह होते हैं। जिसके बाद आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच करानी पड़ती है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद आपके ब्लैडर आदि की जांच करने के बाद डॉक्टर इलाज करना शुरू करते हैं। इंटरटिशियल सिस्टाइटिस एक ऑटोइम्यून समस्या है, जिसमें बेलैडर में सूजन, जलन और कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो जाती है। इसमें ब्लैडर की लाइनिंग डैमेज हो जाती है। डायट में बदलाव कर के और दवाओं के द्वारा इंटरटिशियल सिस्टाइटिस का इलाज किया जाता है। 

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    सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs)

    सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन जैसे गोनोरिया (Gonorrhea) और क्लामाइडिया होने पर भी यूटीआई के लक्षण सामने आते हैं। जिसमें पेशाब करने में दर्द, बार-बार पेशाब आना और ब्लैडर में दर्द होता है। ऐसे में अगर आप यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच की जाती है। जिसका रिजल्ट निगेटिव आता है तो आरएनए टेस्ट (RNA Test) कराया जाता है। जिसके रिपोर्ट के आधार पर इलाज किया जाता है। 

    ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी (Bladder Hypersensitivity)

    यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लक्षणों की तरह ही ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी के लक्षण होते हैं। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच में भी रिपोर्ट निगेटिव आती है। जिसके बाद ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी को कंफर्म करने के लिए यूरोडायनामिक्स टेस्ट कराया जाता है। जिसमें ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। जिसके बाद डायट में बदलाव कर के और दवाओं के द्वारा ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी का इलाज किया जाता है। 

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    लाइम डिजीज (Lyme Disease)

    लाइम डिजीज में यूटीआई जैसे लक्षण- बार-बार पेशाब होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना आदि समस्याएं होती हैं। क्योंकि अक्सर लाइम डिजीज के साथ इंटरटिशियल सिस्टाइटिस भी हो जाता है। जिसके लिए आपको यूरोलॉजिस्ट या गाइन्कोलॉजिस्ट से मिलना होगा। वह ब्लड टेस्ट (Blood test) जैसी कुछ जांच के द्वारा लाइम डिजीज और इंटरटिशियल सिस्टाइटिस का पता लगाते हैं। लाइम डिजीज के होने के कई कारण हैं, जैसे- ब्लैडर में बैक्टीरिया का होना और नर्वस सिस्टम में संक्रमण के कारण होता है। 

    पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन (Pelvic Floor Dysfunction)

    पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन कुल्हे से संबंधित एक समस्या है। जिसमें पेल्विक के नीचे की मसल्स अपने स्थान से हट जाती है। जैसे- ब्लैडर, आंत और प्रजनन अंगों की मांसपेशियां खिसक जाती है। जिससे ब्लैडर टाइट हो जाती है और मूत्रमार्ग में दर्द होने लगता है। पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन होने से यूटीआई हो जाता है। इससे आगे चल कर किडनी इंफेक्शन होने का भी खतरा रहता है। इसके लिए आप डॉक्टर से तुरंत मिलें। वरना आगे चल कर परेशानी और ज्यादा बढ़ जाएगी। 

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    किडनी से जुड़ी बीमारियों में क्या करें और क्या ना करें? जानने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।

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