सेक्स करने से मूत्रमार्ग में संक्रमण (Urethra Irritation From Intercourse)
अगर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच पॉजिटिव नहीं आती है तो आपको यूरेथराइटिस हो सकता है। यूरेथराइटिस होने का मुख्य कारण असुरक्षित सेक्स करना है। इसे हनीमून सिस्टाइटिस भी कहते हैं। जिसके लक्षण यूटीआई के लक्षण जैसे ही होते है। यूरेथराइटिस का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) दिए जाते हैं। जिससे कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।
इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस (Interstitial Cystitis)
इंटरटिशियल सिस्टाइटिस क्रॉनिक ब्लैडर समस्या है। जिससे ब्लैडर या मूत्रमार्ग में परेशानी होती है। इंटरटिशियल सिस्टाइटिस के लक्षण यूटीआई की तरह होते हैं। जिसके बाद आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच करानी पड़ती है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद आपके ब्लैडर आदि की जांच करने के बाद डॉक्टर इलाज करना शुरू करते हैं। इंटरटिशियल सिस्टाइटिस एक ऑटोइम्यून समस्या है, जिसमें बेलैडर में सूजन, जलन और कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो जाती है। इसमें ब्लैडर की लाइनिंग डैमेज हो जाती है। डायट में बदलाव कर के और दवाओं के द्वारा इंटरटिशियल सिस्टाइटिस का इलाज किया जाता है।
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सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs)
सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन जैसे गोनोरिया (Gonorrhea) और क्लामाइडिया होने पर भी यूटीआई के लक्षण सामने आते हैं। जिसमें पेशाब करने में दर्द, बार-बार पेशाब आना और ब्लैडर में दर्द होता है। ऐसे में अगर आप यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच की जाती है। जिसका रिजल्ट निगेटिव आता है तो आरएनए टेस्ट (RNA Test) कराया जाता है। जिसके रिपोर्ट के आधार पर इलाज किया जाता है।
ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी (Bladder Hypersensitivity)
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लक्षणों की तरह ही ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी के लक्षण होते हैं। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच में भी रिपोर्ट निगेटिव आती है। जिसके बाद ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी को कंफर्म करने के लिए यूरोडायनामिक्स टेस्ट कराया जाता है। जिसमें ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। जिसके बाद डायट में बदलाव कर के और दवाओं के द्वारा ब्लैडर हाइपरसेंसटिविटी का इलाज किया जाता है।