- प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान यूट्रस पर ज्यादा भार पड़ना।
- वजायनल चाइल्ड बर्थ (Vaginal childbirth) होने की वजह से मसल्स का जरूरत से ज्यादा स्ट्रेच कर जाना।
- बॉडी वेट (Weight gain or Obesity) अत्यधिक होना।
- क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन (Chronic constipation) की समस्या होना।
- लगातार खांसना (Coughing)।
- कोई विशेष तरह की सर्जरी (Surgery), जिससे मसल्स (Muscles) पर ज्यादा दवाब पड़ना।
- मेनोपॉज (Menopause) की वजह से इस्ट्रोजन (Oestrogen) लेवल कम होना।
पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन के ये सभी अहम कारण माने जाते हैं। अगर किसी महिला को पेल्विक फ्लोर से जुड़ी परेशानी होती है, तो डॉक्टर पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन से जुड़े टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।
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पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Pelvic Floor Dysfunction)
पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन के डायग्नोसिस की प्रक्रिया थोड़ी कठिन होती है, क्योंकि डॉक्टर को पेल्विक फ्लोर के कौन से हिस्से में तकलीफ है यह समझना बेहद जरूरी होता है। इसलिए डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट्स से उनकी मेडिकल हिस्ट्री पूछते हैं और वो किस तरह के लक्षणों को महसूस करती हैं, इसकी जानकारी लेते हैं और निम्नलिखित टेस्ट की सलाह देते हैं। जैसे:
सरफेस एलेक्ट्रॉड्स (Surface electrodes)- इस टेस्ट के दौरान वजायना और रेक्टम के बीच एक पैड लगाया जाता है, जो पेल्विक मसल कंट्रोल किया जा सकता है या नहीं इसकी जानकारी मिलती है। पेनफ्री टेस्ट है सरफेस एलेक्ट्रॉड्स।
एनोरेक्टल मैनोमेट्री (Anorectal manometry)- पेल्विक मसल्स को पेशेंट आसानी कंट्रोल कर सकतीं हैं या नहीं इसकी जानकारी मिलती है। इस टेस्ट के दौरान किसी तरह का पेन नहीं होता है।
वीडियो एक्स-रे (Video X-ray)- इस टेस्ट के दौरान रेक्टम में एक मेडिकेटेड थिक जेल डाला जाता है और फिर पेशेंट को समझाया जाता है कि इसे किस तरह से पास करना है। अगर पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन की समस्या होती है, तो महिला को इसे पास करने में कठिनाई होती है या उनका इसपर कोई कंट्रोल नहीं होता है।
यूरोफ्लो टेस्ट (Uroflow test)- इससे पेशेंट की यूरिनेशन कंट्रोल को समझने में सहायता मिलती है। इस टेस्ट के दौरान भी किसी तरह की कोई पीड़ा नहीं होती है।
इन ऊपर बताये तरीकों से सबसे पहले इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल की जाती है और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर इलाज शुरू किया जाता है।
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पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन का इलाज क्या है? (Treatment for Pelvic Floor Dysfunction)
पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है। जैसे:
दवाएं (Medications)- ओवर-द-काउंटर (OTC) मिलने वाली कुछ ऐसी दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है, जिससे बॉवेल मूवमेंट (Bowel movements) को ठीक रहने में सहायता मिलती है। इसके अलावा स्टूल सॉफ्टनर भी प्रिस्क्राइब की जा सकती है।
रिलैक्सेशन टेक्निक (Relaxation techniques)- हेल्थ एक्सपर्ट आपको पेल्विक फ्लोर हो हेल्दी रखने के लिए रिलैक्सेशन टेक्निक जैसे योग yoga करना, पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करना,एक्यूपंक्चर (Acupuncture) या मेडिटेशन (Meditation) की सलाह देते हैं।
बायोफीडबैक (Biofeedback)- यह एक तरह की थेरिपी है, जिसका प्रयोग पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन के इलाज में किया जाता है। इस दौरान पेल्विक फ्लोर वीडियो और सेंसर की मदद से मॉनिटर किया जाता है। इससे पेल्विक फ्लोर मसल्स को स्ट्रॉन्ग करने में मदद मिलती है।
पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरिपी (Pelvic floor physical therapy)- बायोफीडबैक की ही तरह पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरिपी भी काम करता है। इससे मसल्स पावर को धीरे-धीरे मजबूत बनाया जाता है।
इन चार अलग-अलग तरहों से पेशेंट का इलाज किया जाता है।
नोट: पेल्विक फ्लोर (Pelvic Floor) को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए या स्ट्रॉन्ग बनाये रखने के लिए पेल्विक फ्लोर के लिए खास किये जाने वाले वर्कऑउट्स भी किये जा सकते हैं।
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अगर किसी भी कारण से पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन (Pelvic Floor Dysfunction) की समस्या हो जाए, तो इसे नजरअंदाज ना करें। इस बीमारी को इग्नोर कर आप अपनी परेशानी खुद बढ़ा रहीं हैं। इसलिए हेल्दी डायट फॉलो करें और डायजेशन को बेहतर बनाये रखें। अगर सिर्फ इन दोनों पर ध्यान देंगी आप और अपनी क्षमता अनुसार पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज (Pelvic floor workout) करने से ही इस तकलीफ को दूर किया जा सकता है। हालांकि अगर आप पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन (Pelvic Floor Dysfunction) या पेल्विक फ्लोर ((Pelvic Floor) से जुड़े किसी भी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहती हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिख सकती हैं। ध्यान रखें कि अगर आप इस बीमारी से परेशान हैं, जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्टेशन करें।
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