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जानें क्या है स्ट्रॉबेरी सर्विक्स, इसके होने का कारण, इलाज और अन्य जानकारी के लिए पढ़ें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/02/2021

    जानें क्या है स्ट्रॉबेरी सर्विक्स, इसके होने का कारण, इलाज और अन्य जानकारी के लिए पढ़ें

    सर्विक्स (cervix) यूट्रस का निचला हिस्सा होता है, जो योनि के अंदर तक होता है। यदि सर्विक्स की सतह में असहजपन महसूस हो, खुजली हो या फिर छोटे लाल चकत्ते जैसे उभार बन जाए तो उसी को स्ट्रॉबेरी सर्विक्स (strawberry cervix) कहा जाता है। यही लाल चकत्ते छोटे रक्तस्त्राव (tiny capillary hemorrhages) होते हैं। जब यह सर्विक्स पर बनते हैं तो मेडिकल टर्म में इसे कॉलपिट्स मैकुलैरिस (colpitis macularis) कहा जाता है। स्ट्रॉबेरी सर्विक्स को मरीज खुद से नहीं देख सकते। इतना ही नहीं आपके डॉक्टर भी इसे रूटीन पेल्विक एग्जामिनेशन (routine pelvic examination) में इसे आसानी से नहीं पकड़ पाते हैं।

    इस बीमारी का पता लगाने के लिए खासतौर पर आधुनिक लाइटेट मैग्निफाइंग इक्विपमेंट (lighted magnifying instrument ) जिसे कोलपोस्कोप (colposcope) कहा जाता है, उसकी मदद से देखा जा सकता है। उस वक्त कोलपोस्कोप की मदद से जांच कर सकता है, जब आप उसे असामान्य वजायनल डिस्चार्ज के बारे में बताएं। तो आइए इस आर्टिकल में हम स्ट्रॉबेरी सर्विक्स के होने वाले कारण, लक्षण औऱ इससे कैसे बचाव किया जाए सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

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    जानें स्ट्रॉबेरी सर्विक्स की बीमारी के कारण कौन-कौन से दिखते हैं लक्षण?

    इस बीमारी के कारण होने वाले लक्षणों पर नजर

  • पेट के निचले हिस्से में दर्द (lower abdominal pain)
  • बार-बार और पेशाब करने में दर्द का एहसास
  • वाल्वा (vulva) में लालीपन
  • वजाइना में जलन (वजीनिटीस- vaginitis)
  • संवेदनशील सर्विक्स (sensitive cervix)
  • संभोग क्रिया के समय दर्द का एहसास होना
  • संभोग के समय और संभोग करने के बाद दर्द का एहसास होना, पीरियड्स के बीच दर्द होना
  • वजाइना में खुजली व जलन का एहसास होना
  • प्राइवेट पार्ट से बदबू आना और फिशी डिस्चार्ज का होना
  • क्रिमी और बबली डिस्चार्ज का होना
  • यह तमाम प्रकार के लक्षण कई कारणों से हो सकते हैं, लेकिन जरूरी है कि शरीर में इस प्रकार के परिवर्तन होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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    स्ट्रॉबेरी सर्विक्स होने के कारणों पर एक नजर

    स्ट्रॉबेरी सर्विक्स की बीमारी होने पर महिला को ट्राइकोमोनिएसिस (trichomoniasis) बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। माना जाता था कि यह बीमारी सामान्य बीमारी है, यह सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexually transmitted infection) की श्रेणी में आने वाली बीमारी है। यह बीमारी प्रोटोजोआ (protozoan ) ट्राइकोमोनास वेजिनेलिस (Trichomonas vaginalis (T. vaginalis)) के कारण होती है। यह पैरासाइट (parasite ) 5 से 28 दिनों तक इंफेक्शन फैला सकता है। इसलिए जरूरी है कि बीमारी से सतर्क रहा जाए।

    यदि आप इस प्रकार की समस्या से ग्रसित हैं तो आपको यह बीमारी होने का खतरा रहता है

    • सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन आपको हुआ हो तो इसकी वजह से
    • असुरक्षित वजाइनल, ओरल और एनल सेक्स करने के कारण
    • मल्टीपल सेक्शुअल पार्टनर के साथ शारिरिक संबंध बनाने के कारण
    • वैसे लोग जिन्हें पहले भी ट्राइकोमोनिएसिस (trichomoniasis) की बीमारी हो चुकी हो

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    जानें इस बीमारी का एक्सपर्ट कैसे लगाते हैं पता?

    स्ट्रॉबेरी सर्विक्स सामान्य तौर पर पेल्विक एग्जामिनेशन के दौरान नहीं दिखता है, लेकिन कोलोनस्कोपी (COLPOSCOPY) से जांच करने के दौरान इस बीमारी का आसानी से पता चलता है। डॉक्टर बस 20 मिनटों में ही जांच कर इस बीमारी का पता लगा लेते हैं। कोलोस्कोप के जरिए सर्विक्स को आसानी से देखा जा सकता है। इसी समय संभव है कि आपका डॉक्टर वजाइना का स्वाब लेकर जांच के लिए भेजे। सामान्य वैजाइनल फ्लूइड (vaginal fluid) का निकलना सामान्य माना जाता है, लेकिन उसकी रंगत में बदलाव आए तो आपको डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है।क्रिमी और बबल युक्त डिस्चार्ज सामान्य नहीं है, ऐसे में आपको एक्सपर्ट की सलाह लेने की आवश्यकता होती है। स्ट्रॉबेरी सर्विक्स के लक्षण इस ओर भी इशारा करते हैं कि आप ट्राइकोमोनिएसिस की जांच करवा लें। इसके अतिरिक्त अन्य लैब में होने वाले जांच को करवाकर इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है, जैसे

  • वेट माउंट (wet mount) : आपके डॉक्टर वजाइनल फ्लूइड की जांच माइक्रोस्कोप के जरिए करते हैं। कुछ मामलों में तो माइक्रोस्कोप से देखने पर पारासाइट साफ तौर पर दिखता है, लेकिन अन्य मामलों में सेल्स नजर आते हैं, जो ट्राइकोमोनिएसिस की बीमारी की ओर इशारा करेत हैं।
  • विफ टेस्ट (whiff test) : इस बीमारी से ग्रसित आधी महिलाओं में ट्राइकोमोनिएसिस के कारण प्राइवेट पार्ट से बदबूदार बदबू आती है। डॉक्टरी सलाह को बाद वैजाइनल डिस्चार्ज की जांच लैब में की जाती है।  
  • पीएच लेवल टेस्ट (pH-level test:) : ट्राइकोमोनिएसिस की बीमारी होने पर पीएच लेवल में इजाफा हो जाता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इस बीमारी के होने के कारण हर बार ऐसा ही हो।
  • एक्सपर्ट इन तमाम टेस्ट को कराकर अन्य बीमारी के होने का भी पता लगाते हैं। क्योंकि इस बीमारी के होने से बैक्टीरियल वेजाइनोसिस (bacterial vaginosis) और वॉल्वो वेजाइनल कैंडिडिआसिस (vulvovaginal candidiasis) जैसी बीमारी का खतरा रहता है। वहीं इन बीमारी के केस में भी इसी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं।

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    जानें इस बीमारी का क्या है ट्रीटमेंट, क्या करें व क्या नहीं?

    ट्राइकोमोनिएसिस का इलाज समान्य तौर पर ओरल एंटीबायटिक्स मेट्रोनिडाजोल (metronidazole)  और टिनिडाजोल (tinidazole) जैसी दवा से बीमारी का इलाज किया जाता है। यह दवाएं मरीज की कंडीशन के अनुसार लार्ज डोज भी एक्सपर्ट सुझा सकते हैं। ऐसा डॉक्टर उस स्थिति में करते हैं जब दवा अपना काम न करे, फिर डॉक्टर ज्यादा डोज सुझाते हैं। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि हमेशा डॉक्टरी सलाह लेकर ही दवा का सेवन करना चाहिए। नहीं तो दवा रिएक्शन भी कर सकती है। जिसका परिणाम काफी हानिकारक होगा। इसके अतिरिक्त डॉक्टर आपको सुझाव दे सकते हैं कि दवा का सेवन करने से 24 से 72 घंटों तक शराब का सेवन न करें।

    मेट्रोनिडाजोल दवा का सेवन गर्भावस्था में भी डॉक्टरी सलाह लेकर कर सकते हैं। इस बीमारी के होने के बाद मरीज को शारिरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए। वहीं दोबारा इंफेक्शन से बचाव के लिए जरूरी है कि आपके पार्टनर का फिर से टेस्ट कराने के साथ इलाज किया जाए। जबतक लक्षण रहते हैं तबतक मरीज शारिरिक संबंध नहीं बना सकते हैं। नहीं तो बीमारी के होने की संभावना रहती है।

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    संभावित जटिलताओं पर भी एक नजर

    यदि इस बीमारी का इलाज न कराया गया तो उस स्थिति में ट्राइकोमोनिएसिस बढ़ जाएगा और जटिलताओं के बढ़ने की भी काफी संभावनाएं होती हैं। जैसे

  • एचआईवी होने की संभावना
  • सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer)
  • ट्यूबल इनफर्टिलिटी (tubal infertility)
  • हिस्टेरेक्टॉमी के बाद इंफेक्शन का खतरा (infection after hysterectomy)
  • वैसी महिलाएं जो गर्भवती हैं और जिन्हें स्ट्रॉबेरी सर्विक्स की बीमारी है तो इसके कारण प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। या फिर लो बर्थ वेट भी हो सकता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के फैलने की संभावना रहती है। इसके कारण महिलाओं को सांस लेने में परेशानी, बुखार, यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (urinary tract infection) जैसी गंभीर बीमारी होने की संभावना रहती है। यदि इस बीमारी का इलाज न कराया गया तो संभावना है कि शारिरिक संबंध बनाने के दौरान आप यह बीमारी अपने पार्टनर को दे दें।

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    शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखे, तो लें डॉक्टरी सलाह

    ट्राइकोमोनिएसिस का इलाज करनेके लिए ओरल एंटीबायटिक्स मेट्रोनिडाजोल (metronidazole) और टिनिडाजोल (tinidazole) का एक डोज सेवन कर बीमारी से एक सप्ताह में निजात पा सकते हैं। देखा गया है कि पांच में से एक व्यक्ति तीन महीने में फिर से इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी से बीमार महिला को तबतक यौन संबंध कायम नहीं करना चाहिए जबतक वो अच्छी तरह से ठीक न हो जाए। शरीर में इस बीमारी के लक्षण न दिखे। वहीं जब बीमारी का पता चल जाए तो आपके पार्टनर को भी टेस्ट कराने की आवश्यकता होती है। नहीं तो बीमारी के फिर से होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती है।

    यह भी संभव है कि इस बीमारी का लक्षण दिखे ही न, ऐसी स्थिति में असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए। संभोग के समय कंडोम का इस्तेमाल कर बीमारी से बचाव संभव है। वहीं बिना डॉक्टरी सलाह के इस बीमारी के निजात पाने के लिए दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। संभव है कि उससे आपकी तबीयत और ज्यादा न बिगड़ जाए।

    इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।

    डिस्क्लेमर

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