- वेट माउंट (wet mount) : आपके डॉक्टर वजाइनल फ्लूइड की जांच माइक्रोस्कोप के जरिए करते हैं। कुछ मामलों में तो माइक्रोस्कोप से देखने पर पारासाइट साफ तौर पर दिखता है, लेकिन अन्य मामलों में सेल्स नजर आते हैं, जो ट्राइकोमोनिएसिस की बीमारी की ओर इशारा करेत हैं।
- विफ टेस्ट (whiff test) : इस बीमारी से ग्रसित आधी महिलाओं में ट्राइकोमोनिएसिस के कारण प्राइवेट पार्ट से बदबूदार बदबू आती है। डॉक्टरी सलाह को बाद वैजाइनल डिस्चार्ज की जांच लैब में की जाती है।
- पीएच लेवल टेस्ट (pH-level test:) : ट्राइकोमोनिएसिस की बीमारी होने पर पीएच लेवल में इजाफा हो जाता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इस बीमारी के होने के कारण हर बार ऐसा ही हो।
एक्सपर्ट इन तमाम टेस्ट को कराकर अन्य बीमारी के होने का भी पता लगाते हैं। क्योंकि इस बीमारी के होने से बैक्टीरियल वेजाइनोसिस (bacterial vaginosis) और वॉल्वो वेजाइनल कैंडिडिआसिस (vulvovaginal candidiasis) जैसी बीमारी का खतरा रहता है। वहीं इन बीमारी के केस में भी इसी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं।
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जानें इस बीमारी का क्या है ट्रीटमेंट, क्या करें व क्या नहीं?
ट्राइकोमोनिएसिस का इलाज समान्य तौर पर ओरल एंटीबायटिक्स मेट्रोनिडाजोल (metronidazole) और टिनिडाजोल (tinidazole) जैसी दवा से बीमारी का इलाज किया जाता है। यह दवाएं मरीज की कंडीशन के अनुसार लार्ज डोज भी एक्सपर्ट सुझा सकते हैं। ऐसा डॉक्टर उस स्थिति में करते हैं जब दवा अपना काम न करे, फिर डॉक्टर ज्यादा डोज सुझाते हैं। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि हमेशा डॉक्टरी सलाह लेकर ही दवा का सेवन करना चाहिए। नहीं तो दवा रिएक्शन भी कर सकती है। जिसका परिणाम काफी हानिकारक होगा। इसके अतिरिक्त डॉक्टर आपको सुझाव दे सकते हैं कि दवा का सेवन करने से 24 से 72 घंटों तक शराब का सेवन न करें।
मेट्रोनिडाजोल दवा का सेवन गर्भावस्था में भी डॉक्टरी सलाह लेकर कर सकते हैं। इस बीमारी के होने के बाद मरीज को शारिरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए। वहीं दोबारा इंफेक्शन से बचाव के लिए जरूरी है कि आपके पार्टनर का फिर से टेस्ट कराने के साथ इलाज किया जाए। जबतक लक्षण रहते हैं तबतक मरीज शारिरिक संबंध नहीं बना सकते हैं। नहीं तो बीमारी के होने की संभावना रहती है।
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संभावित जटिलताओं पर भी एक नजर
यदि इस बीमारी का इलाज न कराया गया तो उस स्थिति में ट्राइकोमोनिएसिस बढ़ जाएगा और जटिलताओं के बढ़ने की भी काफी संभावनाएं होती हैं। जैसे
- एचआईवी होने की संभावना
- सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer)
- ट्यूबल इनफर्टिलिटी (tubal infertility)
- हिस्टेरेक्टॉमी के बाद इंफेक्शन का खतरा (infection after hysterectomy)
वैसी महिलाएं जो गर्भवती हैं और जिन्हें स्ट्रॉबेरी सर्विक्स की बीमारी है तो इसके कारण प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। या फिर लो बर्थ वेट भी हो सकता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के फैलने की संभावना रहती है। इसके कारण महिलाओं को सांस लेने में परेशानी, बुखार, यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (urinary tract infection) जैसी गंभीर बीमारी होने की संभावना रहती है। यदि इस बीमारी का इलाज न कराया गया तो संभावना है कि शारिरिक संबंध बनाने के दौरान आप यह बीमारी अपने पार्टनर को दे दें।