बर्थ कंट्रोल के तरीकों के कारण
कुछ बर्थ कंट्रोल के तरीके जिनमें पिल, पैच या इंजेक्टेबल कंट्रासेप्टिव आदि शामिल है, वो भी सेक्स हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं। जिससे यौन इच्छाओं और कार्यों पर असर पड़ता है। कुछ महिलाओं में यह इच्छा अधिक होती है, जबकि कई महिलाएं कम इच्छा का अनुभव करती हैं। हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण महिलाओं को सेक्स में भी समस्या होती है। वो योनि में सूखापन या सेक्स संबंधी अन्य समस्याओं का अनुभव करती हैं।
गर्भावस्था
गर्भावस्था में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर अधिक होता है। इससे प्रजनन अंगों तक ब्लड फ्लो बढ़ता है। गर्भावस्था के हार्मोन्स में बदलाव के कारण शारीरिक और मनोवैज्ञानिक बदलाव भी आते हैं। इससे कामेच्छा बढ़ या कम हो सकती है।
और पढ़ें: Testosterone Deficiency: टेस्टोस्टेरोन क्या है?
स्तनपान
स्तनपान के कारण शिशु के जन्म के बाद महीनों तक ओवुलेशन में समस्या आ सकती है। इसका कारण है हार्मोन प्रोलैक्टिन का बढ़ना और एस्ट्रोजेन का कम होना। स्तनपान के दौरान भी अधिकतर महिलाओं को यौन इच्छाओं में कमी रहती है। कुछ महिलाओं को कोई कामेच्छा नहीं होती। यह सामान्य बात है; यौन इच्छा आम तौर पर तब होती है जब बच्चा दूध पीना छोड़ देता है या कम स्तनपान करता है।
पेरिमेनोपॉज /मेनोपॉज
मेनोपॉज के समय या इससे कुछ समय पहले एस्ट्रोजन का लेवल बहुत अधिक होता है और इस समय प्रोजेस्टेरोन के स्तर में गिरावट आती है। मेनोपॉज के बाद जब पीरियड को रुके हुए एक साल से अधिक समय हो गया हो, तो प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन दोनों निम्न स्तर पर स्थिर होते हैं। इन दौरान महिलाएं यौन इच्छाओं में कमी महसूस कर सकती हैं। कुछ अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे योनि में रूखापन। हालांकि लुब्रीकेंट इसमें मददगार साबित हो सकता है। इसके साथ ही आप एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के सप्लीमेंट, पिल या पैच लिया जा सकते हैं। ताकि सेक्स हार्मोन का स्तर सही रहे और आपको सेक्स संबंधी कोई समस्या न हो।
ड्रेनल या ओवरी को निकाल देना
ड्रेनल या ओवरी की सर्जरी के बाद यौन इच्छाओं में कमी होती है। इसके साथ ही ओर्गास्म की आवृत्ति में भी कमी आ सकती है। ऐसा टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण होता है।
और पढ़ें: हार्मोनल ग्लैंड के फंक्शन में है प्रॉबल्म, एंडोक्राइन डिसऑर्डर का हो सकता है खतरा
महिलाओं में हार्मोन्स असंतुलन के लक्षण इस प्रकार हैं
अगर महिलाओं में हार्मोन्स संतुलित न हों तो उससे उन्हें कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। यह समस्याएं कुछ इस प्रकार हैं:
- वजन का अधिक बढ़ना
- अधिक पसीना आना
- बालों का सामान्य से अधिक झड़ना
- अधिक थकावट होना
- मुहांसे
- पाचन सम्बन्धी समस्याएं जैसे कब्ज
- पीरियड में अधिक या कम ब्लीडिंग और पीरियड का असामान्य रूप से आना
- योनि में खुजली या रूखापन
- दिल की धड़कन का बढ़ना या कम हो जाना
- मांसपेशियों में कमजोरी या अकड़न
- जोड़ों में दर्द या सूजन
- तनाव या चिंता
- इनफर्टिलिटी
- पर्पल स्ट्रेच मार्क
आप हार्मोन्स के लक्षणों के बारे में जान लें और अगर कभी आप इन हार्मोन्स के असंतुलन को अनुभव करें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और सही उपचार कराएं।