शरीर में ब्लैडर (Bladder) की अहम भूमिका होती है। जिस तरह से किडनी फिल्टर का काम करती है, ठीक उसी प्रकार ब्लैडर शरीर के टॉक्सिंस और बेकार पानी को शरीर से बाहर करने का काम करता है। हम सभी दिन में कई बार ब्लैडर की हेल्प से यूरिन पास करते हैं लेकिन कम ही लोगों को ब्लैडर को हेल्दी रखने के बारे जानकारी होती है। ब्लैडर लोअर एब्डॉमन के नीचे स्थित खोखला और गुब्बारेनुमा ऑर्गन होता है। ब्लैडर यूरिन को स्टोर करने का काम करता है। यूरिन (Urine) में वेस्ट के साथ ही एक्ट्रा फ्लूड होता है, जो शरीर के उपयोग लायक नहीं बचता है। इसी कारण से ये यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। कम उम्र में लोगों को ब्लैडर की दिक्कत न के बराबर होती है। उम्र बढ़ने के साथ ही ब्लैडर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत के बारे में जानकारी देंगे। जानिए क्या होती हैं ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं।
ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत (Common Bladder Problems)
ब्लैडर की दिक्कत कई कारणों से हो सकती है। ब्लैडर प्रॉब्लम्स कॉमन होती हैं और आपकी रोजाना की जिंदगी पर असर डालती हैं। ब्लैडर प्रॉब्लम के कारण लोग सोशल इवेंट या बाहर जाने से कतराने लगते हैं। ब्लैडर की परेशानी के कारण रात दिन आपको यूरिन पास करने की चिंता सता सकती है। कुछ शारीरिक कंडीशन भी ब्लैडर पर बुरा असर डालती है। जानिए ब्लैडर की दिक्कत आखिर किन कारणों से होती है।
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यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infections)
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई की समस्या कॉमन है और ये किसी को भी हो सकती है। करीब 50 प्रतिशत महिलाओं को जीवन में एक बार यूटीआई का सामना जरूर करना पड़ता है। अधिक उम्र की महिलाओं में खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। अधिक उम्र में मसल्स कमजोर हो जाती है और ब्लैडर को खाली करना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से यूरिन अधिक समय तक ब्लैडर (Bladder) में रहता है और इंफेक्शन का कारण बन जाता है। अधिक पानी पी कर और एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotic medicines) का सेवन कर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
ब्लैडर इंफेक्शन (Bladder infection)
यूटीआई के प्रकार में ही ब्लैडर इंफेक्शन भी शामिल है। जब बैक्टीरिया ब्लैडर में प्रवेश करता है, तो ब्लैडर इंफेक्शन के लक्षण जैसे कि बार-बार यूरिन होना, यूरिन के दौरान दर्द आदि लक्षण दिखने लगते हैं। जब बैक्टीरिया यूरेथ्रा में पहुंच जाता है, तो वो ब्लैडर की वॉल से जाकर चिपक जाता है और जल्द ही खुद को मल्टीप्लाई करने लगता है। इस कारण से पेट के निचले हिस्से में मरोड़ उठने लगती है। ये इंफेक्शन किडनी या ब्लड में भी पहुंच सकता है। ब्लैडर इंफेक्शन को दूर करने के लिए अधिक मात्रा में पानी के सेवन के साथ ही एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotic medicines) का सेवन करने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर आपको पेन रिलीवर्स भी दे सकते हैं।
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ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत : सिस्टाइटिस (Cystitis)
सिस्टाइटिस (Cystitis) ब्लैडर की इंफ्लामेशन (Inflammation) है। सूजन के कारण इंफेक्शन हो सकता है। जब यूटीआई की समस्या हो जाती है, तो सिस्टाइटिस की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि सिस्टाइटिस हमेशा इंफेक्शन के कारण हो। कई बार कुछ दवाओं और हाइजीन प्रोडक्ट के कारण भी ब्लैडर में सूजन आ जाती है। सिस्टाइटिस के कारण वॉमिटिंग, बार-बार पेशाब लगना, हल्का बुखार, यूरिन में ब्लड आना, सेक्शुअल इंटरकोर्स ( Sexual intercourse) के दौरान दर्द आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कैथेटर का इस्तेमाल, रेडिएशन आदि भी ब्लैडर की सूजन का कारण बन सकता है। कुछ कंडीशन जैसे कि डायबिटीज, एचआईवी, किडनी स्टोन भी ब्लैडर में सूजन पैदा करते हैं। डॉक्टर सिस्टाइटिस का ट्राटमेंट करने से पहले कारण जानने की कोशिस करते हैं। एंटीबायोटिक्स मेडिसिंस, होम केयर या फिर सर्जरी की सहायता से इस समस्या को दूर किया जाता है। आप डॉक्टर से इस बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।
ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive bladder)
ओवरएक्टिव ब्लैडर के कारण बार-बार पेशाब जाना पड़ता है और पेशाब रोकना मुश्किल हो जाता है। ओवरएक्टिव ब्लैडर के कारण रात में भी परेशानी होती है और पेशेंट को बार-बार बाथरूम जाने की जरूरत महसूस होती है। उम्र बढ़ने के साथ ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive bladder) की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स (Neurological disorders), डायबिटीज, यूटीआई, मेनोपॉज के दौरान हॉर्मोनल बदलाव के कारण, ब्लैडर में स्टोन होने के कारण, इंलार्ज्ड प्रोस्टेट के कारण भी समस्या हो सकती है। कुछ मेडिसिन भी इस समस्या को जन्म दे सकती हैं। कैफीन का सेवन कम कर, हेल्दी वेट मेंटेन कर, फिजिकल एक्टिविटी के माध्यम से, क्रॉनिक कंडीशन को मैनेज कर ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
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ब्लैडर कैंसर (Bladder cancer)
ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत (bladder problems) में ब्लैडर कैंसर शामिल है। ब्लैडर कैंसर ब्लैडर की लाइनिंग में पाया जाता है। ब्लैडर कैंसर की शुरुआती स्टेज आमतौर पर पता नहीं चल पाती है। यूरिन में ब्लड आना, फ्रीक्वेंट यूरिनेशन (frequent urge to urinate), यूरिन पास करने के दौरान दर्द (Pain when you urinate), हल्का बैक पेन होना आदि ब्लैडर कैंसर के लक्षणों में शामिल है। ब्लैडर कैंसर का ट्रीटमेंट कैंसर की स्टेज के अनुसार किया जाता है। डॉक्टर कीमोथेरिपी, इम्यूनोथेरिपी और मेडिसिन की सहायता से कैंसर का इलाज करते हैं। कई केसेज में पूरा ब्लैडर हटाने की जरूरत पड़ जाती है।
ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत: इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस (Interstitial cystitis)
इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस ब्लैडर की कंडीशन है, जिसके कारण ब्लैडर में दर्द होता है और यूरिन (Urine) रोकने में भी दिक्कत होती है। महिलाओं को सेक्शुअल इंटरकोर्स में अधिक दर्द का अनुभव होता है और साथ ही पीरियड्स के दौरान अधिक परेशानी होती है। इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस का कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस से बचा नहीं जा सकता है लेकिन इलाज के माध्य से लक्षणों को कम किया जा सकता है। डॉक्टर ओरल मेडिसिन, लाइस्टाइल चेंज, फिजिकल थेरिपी के माध्यम से बीमारी को ठीक करते हैं।
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इन कारणों से पड़ सकता है ब्लैडर हेल्थ पर बुरा असर (Causes of Bladder Problems)
ब्लैडर हेल्थ पर बुरा असर सिर्फ इंफेक्शन के कारण ही नहीं पड़ता है बल्कि अन्य कारण भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कुछ हेल्थ कंडीशन के साथ ही बुरी आदतें भी ब्लैडर को नुकसान पहुंचा सकती है।
- कब्ज (Constipation) की समस्या के कारण स्टूल कोलन में जमा हो जाता है, जो ब्लैडर पर प्रेशर डालता है और ब्लैडर प्रॉब्लम (bladder problems) का कारण बनता है।
- डायबिटीज (Diabetes) के कारण ब्लैडर के आसपास नर्व्स डैमेज हो जाती है। इस कारण से ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत (Bladder problems) हो जाती है।
- फिजिकल एक्टिविटी कम होने के कारण यूरिन लीकिंग की समस्या हो जाती है।
- स्मोकिंग के कारण भी ब्लैडर कैंसर (Bladder cancer) का खतरा बढ़ जाता है। स्मोकिंग शरीर को अन्य जोखिम भी पहुंचाती है।
- कुछ मेडिसिंस के कारण यूरिन लीक की समस्या हो जाती है।
- एल्कोहॉल के कारण ब्लैडर प्रॉब्लम (Bladder problems) हो जाती है।
- कैफीन का अधिक सेवन करने के कारण बार-बार यूरिन पास होती है।
- जो लोग खाने में सोडा, आर्टिफिशियल स्वीटर्नस, स्पाइसी फूड्स, सिट्रस फ्रूट्स और जूस और टमाटर से संबंधित फूड्स का सेवन करने से ब्लैडर संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत है, तो को ऐसे किया जाता है डायग्नोज
बीमारियों के लक्षण को जानने के बाद डॉक्टर बीमारी का पता लगाने के लिए डायग्नोसिस करते हैं। डायग्नोसिस के दौरान यूरिन का सैंपल लिया जाता है ताकि संक्रमण के बारे में जानकारी मिल सके। जानिए ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत (Bladder problem) का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं।
- यूरिन कल्चर ( urine culture)
- ब्लैडर स्ट्रेस टेस्ट (Bladder stress test)
- पैड टेस्ट (Pad test)
- एक्स-रे
- सिस्टोस्कोपिक एक्जाम (Cystoscopic exam)
- सिस्टोयूरेथ्रोग्राम (Cystourethrogram)
इन आदतों को अपनाकर पा सकते हैं ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत से छुटकारा
ब्लैडर की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार बहुत जरूरी है। उम्र बढ़ने के साथ ही ब्लैडर संबंधित समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती हैं। अगर आप ब्लैडर की समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो खानपान में सुधार के साथ ही आपको फिजिकल एक्टिविटी पर भी ध्यान देने की जरूरत हैं। जानिए आपको जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए।
- बार-बार पेशाब आए, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
- पानी का अधिक मात्रा में सेवन करें। दिन में सात से आठ ग्लास पानी जरूर पिएं।
- पेशाब रोकने की गलती न करें। रोजाना दिन में सात से आठ बार बाथरूम जरूर जाएं।
- सेक्स के बाद यूरिनेशन जरूरी है। ऐसा करने से आप बैक्टीरिया के इंफेक्शन की संभावना कम कर सकते हैं।
- बर्थ कंट्रोल (Birth control) जैसे कि डायफ्राम (Diaphragm) इंफेक्शन की संभावना को बढ़ाता है। हो सके तो अन्य बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल करें।
- पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करें। ये पेल्विक मसल्स को मजबूत बनाने का काम करता है।
- खाने में सोडा, अधिक नमक और शक्कर, स्पाइसी फूड न लें। ये ब्लैडर प्रॉब्लम को बढ़ाने का काम कर सकती हैं।
- कैफीन की मात्रा कम कर दें या फिर बिल्कुल न लें।
- स्मोकिंग और एल्कोहॉल को छोड़ दें।
- फिजिकल एक्टिविटी जारी रखें। ऐसा करने से आप बहुत सी शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पा सकती हैं।
उपरोक्त आदतों को अपनाकर आप ब्लैडर से जुड़ी दिक्कत को दूर भगा सकते हैं। बीमारी के लक्षणों को इग्नोर करने की भूल न करें वरना ये आपकी किडनी की सेहत पर भारी पड़ सकता है। आप अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
किडनी से जुड़ी बीमारियों में क्या करें और क्या ना करें? जानने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।