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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) फर्टिलिटी को कर सकता है प्रभावित, जानें क्या करें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/09/2021

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) फर्टिलिटी को कर सकता है प्रभावित, जानें क्या करें

    पॉलीलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक प्रकार का डिसऑर्डर है, जो महिलाओं के हॉर्मोन्स से जुड़ा हुआ है। हाॅर्मोन्स इम्बैलेंस होने से महिलाओं में यह बीमारी होती है। हाॅर्मोन्स में होने वाली अनियमितता की वजह से विभिन्न प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसमें से एक महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर असर भी है। पीसीओएस और फर्टिलिटी के बारे में जानने के लिए इससे जुड़ी विभिन्न कड़ियों को जानना जरूरी है। पीसीओएस और फर्टिलिटी कैसे एक दूसरे से कैसे जुड़ें हैं, जानने से पहले इस बीमारी के बारे में जान लेते हैं।

    क्या है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)? (What is polycystic ovary syndrome)

    हर महीने में एक समय निश्चित समय पर महिला की ओवरी की सतह पर छोटे तरल युक्त सिस्ट जिन्हें फॉलिकल्स (follicles) कहते हैं उत्पन्न होते हैं। इनके निमार्ण में फीमेल सेक्स हाॅर्मोन्स, जिसमें एस्ट्रोजेन (estrogen) भी शामिल है, मदद करते हैं। जिससे मैच्योर एग का उत्पादन होता है। इसके बाद ओवरी अंडे को रिलीज करती है और यह फॉलिकल्स से बाहर निकल आता है।

    महिलाओं में जिन्हें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) या पीसीओएस होता है, उनके शरीर में हाॅर्मोन के इम्बैलेंस की वजह से मैच्योर्ड अंडे का न केवल विकास बाधित होता है, बल्कि वे सामान्य तौर पर रिलीज नहीं हो पाते। बिना मैच्योर्ड एग के न तो ऑव्युलेशन (Ovulation) होता है और ना ही गर्भ ठहरता है। इस प्रकार यह बीमारी इनफर्टिलिटी का कारण बन जाती है। इसके साथ ही टेस्टोस्टेरोन (testosterone) में एकाएक होने वाली वृद्धि के कारण भी महिलाओं के हॉर्मोन में अनियमितता देखने को मिलती है। महिलाओं में भी टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन होता है, लेकिन इसकी मात्रा काफी कम होती है।

    द यूनाइटेड स्टेट्स ऑफिस ऑन वीमेन हेल्थ (ओडब्ल्यूएल) के अनुसार 15 से 44 उम्र की महिलाओं में करीब 5 से 10 फीसदी महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित होती हैं। इनके अनुसार पीसीओएस एक सामान्य बीमारी है और इस बीमारी के कारण होने वाली इनफर्टिलिटी की समस्या का इलाज संभव है।

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    पीसीओएस की बीमारी कैसे कर सकती है फर्टिलिटी को प्रभावित? (Polycystic ovary syndrome and fertility)

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की बात करें, तो ऐसी महिलाएं जिन्हें हाॅर्मोनल इंबैलेंस की वजह से पीसीओएस की समस्या है उन्हें अन्य प्रकार के जोखिमों का भी खतरा रहता है, जैसे:

  • खून में इंसुलिन का लेवल अधिक होना
  • ओवरी के बाहरी शेल (outer shell) का पतला होना
  • ओवरी में छोटी, दर्द रहित, तरल युक्त थैली का बनना
  • एंड्रोजेन (androgens) नामक हाॅर्मोन का काफी मात्रा में बनना
  • ये सभी स्थितियां ऑव्युलेशन (Ovulation) में हस्तक्षेप कर सकती हैं। इसका सबसे प्रमुख लक्षण यही है कि महिलाओं में अनियमित या मिस्ड पीरियड की शिकायत होती है। पीसीओएस और फर्टिलिटी के संबंध की बात करें तो देखा गया है कि पीसीओएस के कारण करीब 70 से 80 फीसदी महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या देखने को मिलती है।

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    जानें पीसीओएस के क्या हैं लक्षण (Symptoms of PCOS)

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

    पीसीओएस और फर्टिलिटी के संबंध के बारे में जानने के बाद जरूरी हो जाता है कि इस बीमारी के लक्षणों को जान लिया जाए। इस बीमारी के लक्षण कई बाद टीनएजर लड़कियों में दिखाई दे जाते हैं तो कुछ मामलों में लड़कियों के व्यस्क होने पर ही इसका पता चलता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) के लक्षणों में निम्न शामिल हैं।

    • वजन का एकाएक बढ़ना और वजन घटाने में परेशानी होना
    • डार्क स्किन होना (अकन्थोसिस निगरिकन्स- acanthosis nigricans) खासतौर पर गर्दन, पेट और जांघ के बीच का भाग (groin), स्तनों के नीचे (underneath the breasts)
    • स्किन टैग की समस्या, खासतौर पर गर्दन और आर्मपिट्स में
    • ऑयली स्किन व एक्ने (severe acne)
    • सिर की सतह पर बालों का कम होना
    • सामान्य की तुलना में अधिक बालों का उगना, आमतौर पर पुरुषों को जहां ज्यादा बाल उगते हैं उन जगहों पर भी पर बाल उगना
    • इसके अलावा फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या के तहत अनियमित व मासिक पीरियड का मिस होना बड़े लक्षणों में से एक है

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या

    पीसीओएस और फर्टिलिटी के लिए ट्रीटमेंट (Treatment for PCOS and Fertility)

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की बात करें तो वर्तमान में पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है, इसलिए ट्रीटमेंट मेनेजमेंट की प्रक्रिया अपनाई जाती है। पीसीओएस के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या होने की स्थिति में ऑव्युलेशन से जुड़ी और मेटॉबॉलिक समस्याओं का एक्सपर्ट उपचार करते हैं। उदाहरण के तौर पर इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance)। महिलाएं जो भविष्य में गर्भवती होना ही नहीं चाहती है उनके लिए हाॅर्मोनल बर्थ कंट्रोल दवा कारगर साबित होती है।

    इसके विपरीत इस बीमारी से ग्रसित महिलाएं यदि चाहें तो वे गर्भवती हो सकती हैं, लेकिन उसके लिए खास ट्रीटमेंट है लेने की जरूरत पड़ सकती है। उपचार की मदद से अनियमित मासिक धर्म को नियमित किया जा सकता है। ताकि एंडोमेट्रियोसिस ( endometriosis) की समस्या से निजात पाया जा सके। इसके लिए आपका डॉक्टर कुछ खास उपचार करने की हिदायत भी दे सकता है। उदाहरण के तौर पर महिलाओं को वजन नियंत्रण में रखने की सलाह दी जाती है। ताकि पीरियड साइकल (period cycle) नियमित किया जा सके और ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल में लाया जा सके। इसके लिए डॉक्टर आपको हेल्दी डायट के साथ रेग्युलर एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं।

    यदि आप जानना चाहती हैं कि आप इस बीमारी से ग्रसित हैं या नहीं तो इसके लिए जरूरी है कि आप अपने पीरियड साइकल (period cycle) पर ध्यान दें। आप चाहें तो इसके लिए डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर कुछ दवाएं भी रिकमंड कर सकते हैं। जो निम्न हैं।

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    एक्सपर्ट देते हैं यह दवा

    • क्लोमीफीन सिट्रेट (क्लोमिड-Clomiphene citrate (Clomid))
    • लेट्रोजोले (Letrozole)
    • गोनाडोट्रोपिन (Gonadotropins)
    • मेटफोरमिन (Metformin)

    बता दें कि पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या से निजात दिलाने के लिए मरीज की स्थिति को ध्यान में रखकर एक्सपर्ट इन दवाओं के माध्यम से मरीज का उपचार करते हैं। बता दें कि डॉक्टर हर मरीज की स्थिति, उम्र को ध्यान में रखकर ही दवा देते हैं। ऐसे में बिना डॉक्टरी सलाह के दवा का सेवन करना  स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के दवा का सेवन नहीं करना चाहिए।

    योग और दर्द नियंत्रण के बारे में जानने के लिए वीडियो देख एक्सपर्ट की लें राय

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या से निजात के लिए सर्जरी की भी पड़ सकती है जरूरत

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या से निजात दिलाने के लिए यदि दवाएं कारगर न साबित हुई तो एक्सपर्ट सर्जरी भी कर सकते हैं। इस सर्जरी को लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग (laparoscopic ovarian drilling ) कहा जाता है। इसे सिर्फ एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम ही अंजाम देती है। पीसीओएस के कारण ओवरी का आउटर शेल ब्लॉक हो जाता है, इस ऑपरेशन के तहत उस आउटर शेल को हटाते हैं। इतना ही नहीं शरीर के आंतरिक पार्ट को देखने के लिए भी लेप्रोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है।

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     अन्य उपायों से भी किया जाता है पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या इलाज (Other measures For PCOS and the infertility Problem)

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या से निजात दिलाने के लिए डायट और एक्सरसाइज की सलाह एक्सपर्ट देते हैं। इसके अलावा एक्यूपंक्चर का इस्तेमाल भी कारगर माना जाता है। यह सुरक्षित व इफेक्टिव तरीकों में से एक है। इस ट्रीटमेंट के तहत मरीज के ओवरी में ब्लड फ्लो सामान्य होता है, ओवेरियन सिस्ट में कमी आती है, हाइपरग्लाइसीमिया (hyperglycemia) को मैनेज में मदद मिलती है, कोर्टिसोल लेवल (cortisol levels) कम होता है। साथ ही वजन नियंत्रण में रखने में भी मदद मिलती है, लेकिन इसे डॉक्टर के सुझाव के बाद व एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या

    पीसीओएस और एंडोमेट्रिओसिस (PCOS and endometriosis)

    यदि आप पीसीओएस और फर्टिलिटी के साथ संघर्ष कर रही हैं और ट्रीटमेंट कराने के बावजूद कोई खास असर नहीं हो रहा तो आपके डॉक्टर दूसरे कारणों की भी जांच कर सकते हैं। जिसमें एक एंड्रोमेट्रिओसिस भी है। एंडोमेट्रिओसिस उस अवस्था को कहते हैं जिसमें यूट्रस की लाइन के पास के टिशू में जहां पेलविस (pelvis) होता है असामान्य रूप से टिशू विकसित हो जाते हैं। जो फेलोपियन ट्यूब को ब्लॉक कर देते हैं या फिर अंडे व स्पर्म को डैमेज करने का कारण बनते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्ट्रेट्रिशियन एंड गायनोकोलॉजिस्ट (American College of Obstetricians and Gynecologists) के अनुसार करीब 40 फीसदी महिलाएं जो इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझती हैं उनमें एंडोमेट्रिओसिस की समस्या रहती है।

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    एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण (Symptoms of endometriosis)

    • हेवी पीरियड
    • स्टूल और यूरिन पास करते समय दर्द का एहसास होना
    • मासिक धर्म के दौरान पेल्विक पेन और संभोग के समय दर्द का एहसास

    सामान्य तौर पर एंडोमेट्रिओसिस की बीमारी से पीड़ित हर व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई दें ऐसा जरूरी नहीं है। इसलिए किसी प्रकार की जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

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    जानें कब लेना चाहिए डॉक्टरी सलाह?

    पीसीओएस और फर्टिलिटी की समस्या होने पर डॉक्टरी सलाह कब लेना चाहिए यह सवाल जरूर आपके दिमाग में आ सकता है, लेकिन आपको बता दें कि यदि आपको पीसीओएस के लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। ताकि समय पर उचित इलाज व ट्रीटमेंट करा सकें  क्योंकि अक्सर महिलाएं इस तकलीफ को सीरियली नहीं लेती और बाद में इसके परिणाम खतरनाक हो जाते हैं। बाद में यह समस्या इनफर्टिलिटी का कारण बन जाती है। यदि आप गर्भवती होना चाहती हैं तो जरूरी है कि जल्द से जल्द पीसीओएस का इलाज कराएं। आपके डॉक्टर आपको फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से मिलने का सुझाव भी दे सकते हैं। पीसीओएस की बीमारी से ग्रसित कई महिलाएं गर्भवती हुई हैं। ऐसे में इसका यह अर्थ नहीं कि यदि किसी महिला पीसीओएस है तो वह गर्भवती नहीं हो सकती है।

    पीसीओएस और फर्टिलिटी के बारे में हमने इस आर्टिकल में काफी कुछ जाना। यह हाॅर्मोन के अनियमितता की वजह से होने वाली समस्या है जो ऑव्युलेशन से भी जुड़ी है, लेकिन इसका इलाज संभव है। समय पर इलाज कराने पर इसका उपचार किया जा सकता है और प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।

    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और पीसीओएस और फर्टिलिटी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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