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पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस को दूर भगाने के लिए अपनाएं ये एक्सपर्ट टिप्स

Written by परिधी मंत्री · वेलनेस · Seniority


अपडेटेड 29/04/2021

    पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस को दूर भगाने के लिए अपनाएं ये एक्सपर्ट टिप्स

    क्या पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस (Stress during periods) और बढ़ जाता है, तो आप अकेली नहीं हैं। स्ट्रेस का पीरियड्स के साथ एक कनेक्शन है। हर महीने हम महिलाओं की भावनाओं में कई बदलाव आते हैं, पीरियड्स (Menstruation) के साथ हमारे दिलो-दिमाग में भी विचारों की उथल-पुथल रहती है। तनाव का पीरियड्स पर क्या असर पड़ता है, इसे समझना मुश्किल है। लेकिन पीरियड्स और स्ट्रेस का एक दूसरे से संबंध जरूर है। पहले से मौजूद तनाव के बीच, माहवारी के चलते शरीर में हाॅर्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है, जो मानसिक दबाव का कारण बन जाता है और इसका असर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगता है।

    पीरियड्स का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव क्यों पड़ता है? (Periods and mental stress)

    पीरियड्स का नियमित रहना, महिला के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन स्ट्रेस (Stress) का असर ऑव्यूलेशन (Ovulation) की प्रक्रिया पर पड़ता है, इससे शरीर में कई विशेष हाॅर्मोनों का लेवल बदल जाता है। इसके परिणामस्वरूप ओव्यूलेशन में देरी हो सकती है और पीरियड्स का साइकल (Periods cycle) गड़बड़ा सकता है। इसके अलावा, पीरियड्स अनियमित (Regular periods) होने से तनाव और बढ़ जाता है। ऑव्यूलेशन में देरी उन महिलाओं के लिए और भी चिंता का कारण बन जाती है, जो गर्भधारण की योजना बना रही हैं। तकरीबन सभी महिलाओं में हाॅर्मोनों के स्तर में इस तरह के बदलाव आते हैं। हालांकि, इस साइकल के आखिरी दिनों में कुछ महिलाओं में चिड़चिड़ापन, मूड खराब रहना जैसी समस्याएं भी देखी जाती हैं।

    पीएमएस (Premenstrual syndrome) का कारण अब तक ठीक से ज्ञात नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अलग-अलग महिलाओं में पाए जाने वाले आनुवंशिक बदलावों के चलते, उनकी संवेदनशीलता भी अलग होती है, और हाॅर्मोनों में इस बदलाव का असर उनके दिलो-दिमाग पर पड़ता है।

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    पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस (Stress during periods) का असर जीवन के हर पहलू पर

    पिछले एक दशक में पीरियड्स के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरुकता बढ़ी है। आज की जीवनशैली को देखते हुए महिलाओं को अपने जीवन में कई चीजों से निपटना होता है। तनाव, चिंता, चिड़चिड़ापन इन इमोशनल सिन्ड्रोम (Emotional syndrome) का असर आपसी रिश्तों पर पड़ता है, जिससे मेंटल हेल्थ (Mental health) पर प्रभाव पड़ने लगता है। घर और काम के बीच तालमेल बनाने की कोशिश में यह तनाव बढ़ता चला जाता है और प्रोडक्टिविटी कम होने लगती है। इन हल्के लक्षणों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, उदाहरण के लिए अक्सर एक मां अपने बच्चे की छोटी सी शरारत पर आपा खो बैठती है, या महिला बाॅस अपने कर्मचारी पर सारा गुस्सा निकाल देती है। अक्सर इन चीजों को मजाक में टाल दिया जाता है। लेकिन, अगर हम इसकी वास्तविकता पर ध्यान दें, तो यह बेहद दर्दनाक है। असलियत तो यह है कि महिला समझ ही नहीं पाती उसे कैसे इस स्थिति को मैनेज करना चाहिए। इसका एक और पहलू है, इस तरह के तनाव से पीड़ित महिलाओं में माहवारी का चक्र छोटा होता है। खाने-पीने के गलत तरीके या डिप्रेशन भी अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकते हैं। लक्षण गंभीर होने पर महिला को डाॅक्टर की सलाह लेनी पड़ती है, क्योंकि अक्सर महिलाएं समझ ही नहीं पाती कि वे डिप्रेशन से गुजर रही हैं और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

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    पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस कैसे करें मैनेज? (How to manage Stress during periods?)

    जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान गंभीर लक्षण हों, बहुत ज्यादा चिंता या तनाव महसूस हो, उन्हें डाॅक्टर की सलाह लेनी चाहिए। आप इसके लिए कुछ घरेलू उपाय भी अपना सकती हैं। अच्छा होगा कि डाॅक्टर को मिलने से पहले आप पीरियड्स से पहले और बाद में अपने सभी लक्षणों पर ध्यान दें, और फिर डाॅक्टर को इसके बारे में बताएं। इससे डाॅक्टर को सही निदान करने और उपचार की सही योजना बनाने में मदद मिलेगी। आहार और जीवनशैली में बदलाव लाकर भी पीएमएस को ठीक किया जा सकता है। परी की कंज्यूमर इनसाइट्स एंड प्रोडक्ट इनोवेशन की प्रबंधक परिधी मंत्री आपके लिए कारगर सुझाव लेकर लेकर आई हैं। ये आपके लिए मददगार साबित होंगे-

    अगर आप असहज महसूस कर रही हैं तो घरेलू उपाय अपनाएं (Home remedies for Stress Management during Periods)

    पीरियड्स के दौरान कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा असहजता होती है, शुरूआती दिनों में हैवी फ्लो (Heavy flow), क्रैम्प्स (Cramps) या दर्द (Pain) होता है। अगर आप ये सब समस्याएं महसूस कर रही हैं, तो हल्दी वाला गर्म दूध पीएं। इससे दर्द में आराम मिलेगा और मन शांत हो जाएगा।

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    सही पैड चुनें (Select good sanitary pads)

    पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस

    आपके फ्लो, त्वचा, शरीर के वजन को ध्यान में रखते हुए सही पैड चुनें। भारत में गर्मी और उमस भरे मौसम में साॅफ्ट पैड चुनें, ताकि आपको त्वचा पर रैश, इरीटेशन न हो। इसी तरह शुरूआती दिनों में अगर हैवी फ्लो है, तो आप हैवी फ्लो के लिए डिज़ाइन किए गए पैड चुन सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी जरूरत के अनुसार सैनिटरी पैड (Sanitary paid) चुनें। सही पैड का उपयोग करके आप पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस को कंट्रोल कर सकती हैं।

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    पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस को भगाएं (Remove stress during periods)

    सकारात्मक सोचें, अपनी पसंद का म्यूजिक सुनें, सकारात्मक विचार रखें, ऐसी किताबें पढ़ें, जिससे आपके चेहरे पर मुस्कान आए। इस तरह आप पीरियड्स में स्ट्रेस को दूर बनाए रख सकती हैं। अपने मन में नकारात्मक विचार न आने दें, अगर आपके सामने कोई परेशानी आती है तो संतुलन बनाए रखते हुए उसे हल करने की कोशिश करें। पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस और मूड स्विंग्स (Mood swing) होते हैं, इसलिए अपने आप को शांत रखने की कोशिश करें। ऐसी चीजें करें जो आपको खुश रखें।

    अपने काम से 10 मिनट निकालें और कुछ ऐसा करें जो आपको अच्छा लगे जैसे मंत्रों का जाप, खाना, प्रार्थना करना, कुछ खेलना या कुछ देर सो जाना। इस ब्रेक के बाद जब आप फिर से काम करेंगी, तो आप अपने आप में नई एनर्जी महसूस करेंगी। पीरियड्स में स्ट्रेस को भगाने के लिए दिन में कम से कम दो बार ऐसा करें। याद रखें इस दौरान अच्छी और गहरी नींद लेना बहुत जरूरी है।

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    पीरिड्स के दौरान स्ट्रेस को भगाने के लिए जो मन करें खाएं (Eat Whatever you want)

    इस समय आपको कैलोरीज के बारे में नहीं सोचना चाहिए, कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कुछ विशेष चीजें खाने का मन करता है। तो जो मन करें खाएं, बस खाने की मात्रा पर ध्यान जरूर दें। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि कई बार पीरियड्स के साथ कॉन्स्टिपेशन (Constipation) भी आ जाता है। इसलिए ऐसी चीजें न खाएं जो कब्ज का कारण बन सकती हैं। रात के समय सलाद और कच्ची सब्जियां न खाएं, ऐसा कोई भी भोजन जिसे पचाने में ज्यादा समय लगता है, उसकी वजह से आपकी असहजता बढ़ सकती है। हर थोड़ी देर में कम मात्रा में खाएं, इससे आप हल्का महसूस करेंगी, और आपका मन भी शांत रहेगा। खूब पानी पीएं, विटामिन और मिनरल्स से युक्त आहार लें। मौसम में गर्मी और उमस बढ़ने के साथ यह और भी जरूरी हो जाता है। नींबू पानी से भरा फ्लास्क हमेशा अपने पास रखें।

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    यह अच्छी बात है कि आज के दौर पर महिलाओं पर पहले से ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, जिसकी वे हकदार हैं। हमारी मां और दादी को जिन चीजों का सामना करना पड़ा, आज उन चीजों का समाधान किया जा रहा है। पीएमएस का सामना कर रही महिलाओं को मदद मिल रही है। मार्च महीने में माहवारी स्वच्छता दिवस बनाया जाता है और कुछ ब्रांड्स इस पूरे महीने को महिलाओं के हाइजीन के लिए निर्धारित करते हैं। यहां तक कि काॅर्पोरेट्स भी कामकाजी महिलाओं की जरूरतों, उनके तनाव को समझ रहे हैं। महिलाओं के लिए ‘पीरियड लीव’ जैसी अवधारणा पेश की जा रही है। इस दिशा में अभी हमें बहुत काम करना है। महिलाओं को भी समझना चाहिए कि पीरियड्स में स्ट्रेस (Periods stress), उदासी (Sadness), गुस्सा (Anger) या चिंता (Tension) महसूस करना स्वाभाविक है, बस इसमें तालमेल बनाए रखने की कोशिश करें। पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस को आसानी से मैनेज किया जा सकता है।

    पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस को कैसे मैनेज करें इस बारे में अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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