पिंक और ऑरेंज ब्लीडिंग के पीछे सर्वाइकल फ्लूइड ही माना जाता है, लेकिन अगर ऑरेंज कलर की ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है, तो इसके दो कारण हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल है इंफेक्शन और इम्प्लांटेशन स्पॉटिंग।
इम्प्लांटेशन स्पॉटिंग- गर्भ ठहरने के 10 से 14 दिनों के आसपास पिंक या ऑरेंज कलर की वजायनल स्पॉटिंग होती हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं की हर गर्भधारण कर चुकी महिला ऐसा महसूस करें। ऐसे वक्त में प्रेग्नेंसी टेस्ट अवश्य करना चाहिए।
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इंफेक्शन- अगर ब्लीडिंग के दौरान किसी अन्य कलर की ब्लीडिंग होती है, तो यह इंफेक्शन या सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) की ओर भी इशारा करता है। इसलिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
पीरियड्स के रंग से सेहत का राज: ग्रे कलर का ब्लड आना
अगर महिलाओं को ग्रे कलर की ब्लीडिंग हो रही है, तो इसे बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। क्योंकि ऐसी स्थिति में इंफेक्शन, बुखार, दर्द, खुजली और फाउल ऑडोर की समस्या हो सकती है। अगर आप गर्भवती हैं तो गर्भावस्था के दौरान ग्रे ब्लीडिंग होने पर सतर्क हो जाएं। क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान ग्रे ब्लीडिंग मिसकैरिज की संभावना को व्यक्त करती है। ऐसी स्थिति में बिना देर किए डॉक्टर से मिलना आवश्यक है।
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क्या पीरियड्स के रंग को लेकर सतर्क रहना चाहिए?
किसी भी महिला के हेल्दी होने की निशानी समय पर पीरियड्स होने के साथ-साथ पीरियड्स के रंग हो सकते हैं लेकिन, जिस तरह से रिसर्च में पीरियड्स के रंग या मासिक धर्म के रंग में अलग-अलग बदलाव आते हैं उसे समझना जरूरी हैं।
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डॉक्टर से कब संर्पक करना चाहिए?
निम्नलिखित परिस्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक हो जाता है। अगर-