backup og meta

पीरियड डेट ट्रैक करने का आसान तरीका, इसे ऐसे समझें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/11/2023

    पीरियड डेट ट्रैक करने का आसान तरीका, इसे ऐसे समझें

    मासिक धर्म यानी पीरियड कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे माहवारी, मेंस्ट्रुअल साइकिल (एमसी), रजोधर्म और पीरियड्स के नाम से भी जाना जाता है जो महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। आमतौर पर पीरियड डेट हर महीने में एक बार आती है। महिलाओं के शरीर में कुछ तरह के हार्मोनल बदलाव की वजह से गर्भाशय से खून बहता है, जो योनि के अंदरूनी हिस्से से स्त्रावित होता है और इसी खून के बहाव को ही मासिक धर्म कहते हैं। सामान्य तौर पर यह हर 28 से 35 दिनों के अंतराल में एक बार आता है, जो तीन दिनों से लेकर पांच या सात दिनों तक रहता है।

    पीरियड डेट को ऐसे समझें

    मासिक धर्म लड़कियों की किशोरावस्था से शुरू हो जाता है। हालांकि, इसकी शुरुआत महिलाओं में अलग-अलग उम्र में होती है। सामान्य तौर पर लड़कियों को यह 8 से 17 साल तक की उम्र में शुरू हो जाता है, लेकिन बदलते खान-पान और लाइफस्टाइल और पर्यावरण के कारण पीरियड डेट की शुरुआत बहुत जल्द या बहुत देर से भी हो सकती है। कई बार लड़कियों में पीरियड आठ साल के पहले या उसके बाद भी शुरू हो सकते हैं। किसी लड़की को किस उम्र में पीरियड शुरू होंगे यह कई बातों और कारकों पर निर्भर कर सकता है, जैसे- लड़की के जीन की रचना, खान-पान की आदत, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, उसके आस-पास का पर्यावरण आदि।

    यह भी पढ़ेंः पीरियड्स के दौरान कैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए?

    पीरियड डेट से पहले जानें कि पीरियड्स क्यों आते हैं?

    महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स में बदलाव होता है जिसकी वजह से गर्भाशय से खून बहता है जो योनि के अंदरुनी हिस्से से शरीर के बाहर आता है। जब किसी लड़की का जन्म होता है, तो प्राकृतिक तौर पर उसके फैलोपियन ट्यूब में पहले से ही लाखों अपरिपक्‍व अंडाणु मौजूद होते हैं, जिसे ओवा भी कहा जाता है। जब कोई लड़की किशोरावस्था में प्रवेश करती है, तो उसके अंडाशय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन करने लगते हैं और लड़कियों में प्राकृतिक रूप से मौजूद कई अंडे (ओवा) महीने में एक बार इन हार्मोन्स के उत्तेजित (हार्मोनल स्टिमुलेशन) होने की वजह से विकसित होने शुरू कर देते हैं। जिनमें से सिर्फ एक ही अंडा परिपक्व होता है। परिवक्व होकर यह फैलोपियन ट्यूब से बाहर निकलकर गर्भाशय (यूटेरस) में प्रवेश करता है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, तो उसका अस्तर खून और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि अगर अंडा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। लेकिन, अगर वह पुरुष के शुक्राणु से सम्मिलन नहीं होता है, तो वह डिस्चार्ज हो जाता है और योनि से खून के रूप में बहता है जिसे ही मासिक धर्म या पीरियड्स कहा जाता है।

    यह भी पढ़ेंः पीरियड्स क्रैंप की वजह से हैं परेशान? तो ये एक्सरसाइज हैं समाधान

    कोई महिला अपनी अगली पीरियड डेट कैसे ट्रैक कर सकती है?

    अगली पीरियड डेट को ट्रैक करने के लिए सबसे आसान तरीका है कि अपने आ चुके पीरियड डेट पर नजर रखें। सामान्य तौर पर पीरियड डेट आने के पहले दिन से अगले 28 दिनों के बाद अगला पीरियड आता है। जिसमें से पांच दिन पहले या पांच दिनों के बाद भी पीरियड डेट आना पूरी तरह से सामान्य होता है। वैसे तो पीरियड डेट को ट्रैक करने के लिए आज कई तरह के ऐप मौजूद हैं, हालांकि आप सिर्फ एक कैलेंडर के जरिए भी अपनी अगली पीरियड डेट को ट्रैक कर सकती हैं। इसके अलावा आप हमारे ओव्युलेशन कैलक्युलेटर की मदद से अपनी प्रेग्नेंसी के सबसे मजबूत चांसेस का अंदाजा लगा सकती हैं, इसके लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकती हैं।

    ओव्युलेशन कैलक्युलेटर

    ovulation calculator
    आप इस कैलक्युलेटर से भी अपनी अगली पीरियड डेट जान सकती हैं।

    कैलेंडर में अपनी अगली पीरियड डेट को करने के लिए निम्न तरीके अपना सकती हैंः

  • सबसे पहले कैलेंडर में उस तारीख को नोट करें जिस दिन आपकी पीरियड डेट शुरू हुई है।
  • इसके बाद पीरियड डेट शुरू होने के अगले 28 दिन की तारीख को नोट करें।
  • अब इस 28वें दिन की तारीख से पिछले पांच दिन की तारीख और अगले पांच दिन की तारीख भी नोट करें।
  • ऐसा करने से आप इस बात आसानी से अंदाजा लगा सकती हैं कि आपकी अगली पीरियड डेट कब आ सकती है।
  • हालांकि, पीरियड डेट की अगली तारीख तय करने के एकदम सटीक तरीका नहीं पता लगाया जा सकता है, लेकिन इस तरीके से आप खुद को अपने अगले पीरियड डेट के लिए तैयार कर सकती हैं। इसके अलावा, पीरियड डेट आने से पहले अधिकतर महिलाओं को कुछ तरह की शारीरिक अवस्थाएं और बदलाव भी नजर आ सकते हैं, जिनके लक्षणों से भी आप अपने अगले पीरियड डेट को आसानी से ट्रैक कर सकती हैं।

    पीरियड डेट ट्रैक करने के लिए किस तरह के लक्षणों को समझना चाहिए?

    पीरियड डेट ट्रैक करने के लिए महिलाएं किस तरह के लक्षणों का ध्यान रख सकती हैं, यह जानने के लिए हैलो स्वास्थ्य की टीम ने उत्तर प्रदेश के काशी मेडिकेयर हॉस्पिटल की डॉक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट शिप्रा धर से बात की। डॉ. शिप्रा धर के मुताबिक किसी भी महिला की अगली पीरियड डेट कब आएगी, इसे एकदम सटीक तरीके से ट्रैक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, ऐसे कई लक्षण होते हैं जिनकी मदद से महिलाएं अपने अगले पीरियड डेट का अनुमान काफी आसानी से लगा सकती हैं, जिनमें शामिल हैंः

    इन तरह के लक्षणों को माहवारी होने से पहले का समय पीएमएस यानी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कहा जाता है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण पीरियड डेट आने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो सकते हैं जो माहवारी शुरू होने पर अपने आप बंद भी हो जाते हैं या इसके कुछ समय बाद बंद हो जाते हैं।

    यह भी पढ़ेंः PMS Premenstrual Syndrome : पीएमएस (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) क्या है? जानें लक्षण और उपचार

    किन कारणों से अगली पीरियड डेट आने में देरी हो सकती है?

    मासिक धर्म की अगली तारीख कई कारकों पर निर्भर कर सकती है, जिसके कारण अगला पीरियड डेट 28 दिनों के बाद या 28 दिनों से पहले भी आ सकता है। इसके अलावा कई महिलाओं की समस्या भी होती है कि उनके पीरियड डेट सामान्य अंतराल के मुकाबले बहुत जल्दी या बहुत देरी से आते हैं। जिस पर डॉ. शिप्रा धर का कहना है कि “इसके पीछे कारण महिला का बहुत ज्यादा तनाव लेना या वो जिस तरह के पर्यावरण मे रहती हैं हो सकता है।”

    इसके अलावा निम्न स्थितियों के कारण भी माहवारी की अगली तारीख जल्दी या देरी से आ सकती हैं, जिनमें शामिल हैंः

    पीरियड डेट शुरू होने पर किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं?

    सामान्य तौर पर पीरियड डेट शुरू होने के बाद महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में हल्का या बहुत ज्यादा दर्द और ऐंठन शुरू हो जाता है, जो बीच-बीच में कम या ज्यादा होता रहता है। ये लक्षण रक्तस्राव शुरू के बाद धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और फिर खत्म भी हो जाते हैं। इसके अलावा, कई महिलाओं को मासिक धर्म शुरू होने के साथ डायरिया या उल्टी की भी समस्या होने लगती है। कुछ महिलाओं में पीरियड्स शुरू के बाद बहुत ज्यादा खाना खाने की भी इच्छा होती है, जिसके कारण से मासिक धर्म के दौरान वजन बढ़ने की भी संभावना बनी रहती है।

    यह भी पढ़ेंः पीएमएस (PMS) के दौरान ऐसा होना चाहिए खानपान

    माहवारी शुरू होने के बाद ब्लीडिंग कितने दिनों तक होती है?

    माहवारी शुरू होने के बाद ब्लीडिंग अगले 3 दिनों से लेकर 5 या 8 दिनों तक जारी रह सकती है। माहवारी शुरू होने के बाद किसी महिला को ब्लीडिंग कितने दिनों तक हो सकती है, यह सबके लिए अलग हाेता है।

    माहवारी शुरू होने के बाद कितनी मात्रा में ब्लीडिंग होती है?

    अधिकांश महिलाओं का कहना होता है कि पीरियड्स शुरू होने के बाद उन्हें बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है। हालांक, माहवारी के समय होने वाली ब्लीडिंग में सिर्फ खून ही नहीं होता। इसमें नष्ट हो चुके टिशू भी शामिल होते हैं। जिसमें करीब 50 एमएल तक ही खून की मात्रा शामिल होती है।

    अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/11/2023

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement