खाने को कुछ समय के लिए मेरिनेट करके रखें। इसे पकाते वक्त आपको जो भी मसाले और हर्ब पसंद है उनका उपयोग करें। गर्म तीखे फूड को अवॉइड करें क्योंकि यह परेशानी को और बढ़ा सकते हैं। ग्रेवीज और सॉसेज मील में फ्लेवर्स एड करने का काम कर सकते हैं। मेटल की जगह मेटल के बर्तनों का उपयोग करें। यह मेटेलिक टेस्ट को कम करने में मद द करेगा। खाने में टेस्ट बढ़ाने के लिए चटनी, अचार आदि का उपयोग करें। दांतों और मुंह को साफ रखें। और पढ़ें: पैंक्रियाटायटिस डायट: जानिए क्या खाना है और क्या नहीं?
वेट लॉस होने पर
कैंसर डायग्नोस होने पर अक्सर लोगों का वजन कम हो जाता है। नेसोफेरिंजियल कैंसर में खाने और निगलने में परेशानी होती है जिससे लोगों को खाने और निगलने में परेशानी होती है और वे खाना कम कर देते हैं और इससे वजन कम हो जाता है। ट्रीटमेंट के बाद वजन बढ़ाना जरूरी होता है। यहां बताए गए टिप्स को नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में शामिल कर वजन को हेल्दी तरीके से बढ़ाया जा सकता है।
खाने और ड्रिंक्स में ज्यादा कैलोरीज का उपयोग करके घटे वजन को बढ़ाया जा सकता है। कैंसर ट्रीटमेंट की वजह से हुए लॉस के लिए मरीज को प्रोटीन की भी अधिक जरूरत होती है ताकि टिशू मसल्स को रिपेयर किया जा सके और इम्यून फंक्शन को ठीक रखा जा सके। इसके लिए सप्लिमेंट्स का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर की मदद से। भले ही खाना अच्छा न लगे लेकिन हर दो घंटे में थोड़ा- थोड़ा खाएं। हर मील में प्रोटीन को शामिल करने की कोशिश करें। एग्स, बीन्स, चिकन, मछली इसका अच्छा ऑप्शन हैं। खाने से पहले बहुत सारा पानी न पिएं। इससे पेट भरा हुआ महसूस होता है और खाना खाने का मन नहीं करता।
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उम्मीद करते हैं कि आपको नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट Nasopharyngeal Cancer diet संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।