हम बीसवी सदी में प्रवेश कर चुके हैं। साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि सिर्फ बोलने भर से गाना प्ले हो जाता है, पलकें झपकाने से फोन का लॉक खुल जाता है, और कमरे में जाते ही एसी चालू हो जाता है, लेकिन जब बात महिला और पुरुषों की समानता की आती है तो आज भी ऐसा लगता है कि हम मुगल काल में जी रहे हैं। भले ही आज महिलाएं पुरुषों की तरह जॉब कर रही हैं, सेना में भर्ती हो रही हैं और प्लेन उड़ा रही हैं, लेकिन अगर बात बराबरी की जाए तो हमेशा पुरुषों को बेहतर माना जाता है। 2016 की रिपोर्ट के अनुसार इंडिया में पुरुषों और महिलाओं की सैलेरीज में 50 प्रतिशत का अंतर था। यानी महिलाओं को कम सैलरी पर काम करना पड़ता है। उन्हें उनके एक्सपीरियंस और कैलिबर के अनुसार ना तो प्रमोशन मिलता है और ना ही प्रोफाइल। महिलाओं के साथ असमानता का (Inequality with women) सबसे बड़ा उदाहरण मेडिकल सेक्टर है। इस सेक्टर में सबसे ज्यादा सेक्सिज्म के मामले देखने को मिलते हैं।