गर्भ में लड़के का भ्रूण होने पर ज्यादा भूख लगती है। इस बात को अक्सर आपने सुना होगा। अमेरिका के बॉस्टन में स्थित हावर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डिमिट्रिओस ट्रिचोपोलस ने एक अध्ययन किया। यह अध्ययन ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित हुआ। वहीं ये बात भी निकलकर आई कि जिन महिलाओं के गर्भ में लड़की थी, उन्हें कम भूख का एहसास हुआ।
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यह अध्ययन 244 महिलाओं पर किया गया। अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं के गर्भ में लड़का था उन्होंने दूसरी महिलाओं के मुकाबसे 10 प्रतिशत ज्यादा खाना खाया। प्रोफेसर डिमिट्रिओस ट्रिचोपोलस ने कहा, ‘हमारे अध्ययन में इस परिकल्पना की पुष्टि हुई कि गर्भ में लड़के का भ्रूण वाली महिलाओं को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है।’ ये बात सभी पर लागू होती है, ये कह पानी बहुत मुश्किल है।
मूड में बदलाव (Mood changes)
आपने सुना होगा कहते हैं कि यदि गर्भ में लड़का है तो मूड स्विंग्स नहीं होते लेकिन लड़की है तो मूड स्विंग्स होते हैं। यह सिर्फ एक मिथ है। प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स होते हैं लेकिन ये हार्मोन में होने वाले बदलाव के कारण होते हैं न कि गर्भ में पल रहे बच्चे के कारण होते हैं।
प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग फस्ट ट्राइमेस्टर से शुरू हो जाता है। कुछ महिलाओं में ये थर्ड ट्राइमेस्टर तक होता है। इस कारण से महिलाओं का बिहेवियर कुछ चिड़चिड़ा भी हो सकता है। ऐसा न्यूरोट्रांस्मिटर्स में आए बदलाव के कारण होता है। हार्मोन्स न्यूरोट्रांस्मिटर के स्तर को प्रभावित करते हैं जो मूड में बदलाव करता है। वहीं महिलाओं में शॉर्ट टर्म मैमोरी लॉस की समस्या भी हो सकती है जो मूड स्विंग का लक्षण हो सकती है। इसका बच्चे के लिंग से कोई भी संबंध नहीं है। प्रेग्नेंसी के दौरान सभी महिलाएं के मूड में बदलाव हो, ऐसा जरूरी नहीं है। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से भी राय ले सकती हैं।
गर्भ में लड़का होने पर यूरिन का कलर (Urine color)
प्रेग्नेंसी के दौरान यूरिन का कलर बदल जाता है। कहते हैं अगर यूरिन का कलर डार्क यैलो हो जाता है तो गर्भ में लड़का होगा। हालांकि इसे लेकर कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। डार्क यूरिन डिहाइड्रेशन का इशारा हो सकता है जो जी मिचलाना और उल्टी के कारण हो सकता है। यूरिन के रंग में बदलाव खानपान, मेडिकेशन और सप्लीमेंट्स लेने के कारण भी हो सकता है। इसका गर्भ में लड़का या लड़की होने से कोई लेना देना नहीं होता है।
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पैर के पंजों का ठंडा होना (Cold feet)
बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि पैरों के पंजों का ठंडा होना गर्भ में पल रहे शिशु का लड़का होने का इशारा होता है। हालांकि इसे लेकर भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। खराब ब्लड सर्कुलेशन, डायबिटीज रोग और अत्यधिक ठंडे मौसम के कारण प्रेग्नेंसी में पंजे ठंडे होते हैं। ऐसा होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें।
ब्रेस्ट का साइज (Breast Size)
कहते हैं जब गर्भ में लड़का हो तो एक ब्रेस्ट का साइज दूसरे से ज्यादा होता है। प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव होते हैं जिस वजह से ब्लड फ्लो बढ़ता है। इससे ब्रेस्ट टिश्यू में बदलाव होते हैं जो उन्हें बड़ा महसूस कराते हैं। ब्रेस्ट में सूजन आ जाती है क्योंकि ये डिलीवरी के बाद बच्चे के लिए मिल्क सप्लाई के लिए तैयार होती है। हालांकि ब्रेस्ट साइज को लेकर बच्चे के जेंडर से जुड़ी कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से जानकारी ले सकती हैं।