प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में अनेक बदलाव आते हैं। ट्राइमेस्टर के अनुसार यह अलग-अलग हो सकते हैं। ज्यादातर महिलाओं ने पहले ट्राइमेस्टर प्रेग्नेंसी के दौरान दिक्कतों का सामना किया तो वहीं दूसरा ट्राइमेस्टर प्रेग्नेंसी उन्हें इतना मुश्किल नहीं लगा। आज हम आपको पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर के बारे में बताने जा रहे हैं कि क्यों पहला चरण दूसरे की तुलना में कठिन माना जाता है।
गर्भ में शिशु के विकास के लिए पहला ट्राइमेस्टर प्रेग्नेंसी सबसे ज्यादा अहम होता है। इस अवधि के दौरान शिशु के शरीर का आकार और उसके अंगों का विकास होता है। इसी अवधि के दौरान मिसकैरिज की भी ज्यादातर घटनाएं होती हैं। पहलेा ट्राइमेस्टर प्रेग्नेंसी में शिशु महत्वपूर्ण बदलावों से गुजरता है। इन बदलावों के चलते महिलाओं को भी कई बदलावों का सामना करना पड़ता है। जिसमें उन्हें थकावट, उबकाई आना, स्तनों में सूजन और बार-बार टाॅयलेट जाने की समस्या होती है। पहला ट्राईमेस्टर प्रेग्नेंसी दूसरे के मुकाबले ज्यादा कठिन माना जाता है खासकर उनके लिए जो पहली बार मां बनती हैं। हालांकि, यह सभी लक्षण सामान्य हैं, जिनसे हर महिला को होकर गुजरना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर इस अवधि के दौरान कई महिलाओं को शरीर की ऊर्जा बढ़ने का अहसास होता है और कई महिलाओं को शरीरिक और भावनात्मक रूप से थकावट का अहसास होता है।