इन अलग-अलग टेस्ट की मदद से मायोकार्डियम इंफेक्शन (Myocardium infection) का निदान किया जाता है। हालांकि अगर पेशेंट को पहले से कोई अन्य शारीरिक परेशानी है, तो अन्य बॉडी चेकअप (Body checkup) की भी सलाह दी जा सकती है, जिससे मायोकार्डियम इंफेक्शन या मायोकारडायटिस का इलाज ठीक तरह से किया जा सके।
और पढ़ें : पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी: प्रेग्नेंसी के बाद होने वाली दिल की समस्या के बारे में जान लें
मायोकार्डियम इंफेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Myocardium infection)
मायोकार्डियम इंफेक्शन का इलाज इसके लक्षणों और कारणों को ध्यान में रखकर निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
मेडिकेशन (Medication)-
एंजियोटेनसिन कंवर्टिंग एंजाइम (ACE) इन्हिबिटर्स (Angiotensin-converting enzyme (ACE) inhibitors)-
मायोकार्डियम इंफेक्शन की तकलीफ को कम करने के लिए एनालाप्रिल (Enalapril), केप्टोप्रिल (Captopril), लिसिनोप्रिल (lisinopril) जैसी अन्य दवाएं प्रिस्क्राइब की जा सकती हैं। इन दवाओं के सेवन से हार्ट में ब्लड फ्लो ठीक तरह से होता है और हार्ट मसल्स रिलैक्स भी कर पाते हैं।
एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers [ARBs])-
मायोकारडायटिस के इलाज के लिए लोसार्टन (losartan) एवं वाल्सार्टन (valsartan) जैसी अन्य दवाएं प्रिस्क्राइब की जा सकती हैं। इन दवाओं के सेवन से हार्ट में ब्लड फ्लो ठीक तरह से होता है।
बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers)-
मायोकार्डियम इंफेक्शन के ट्रीटमेंट के दौरान टॉपोरोल-XL (Toprol-XL) या कार्वेडिलोल (Carvedilol) जैसी अन्य मेडिकेशन दी जा सकती हैं। बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers) हार्ट फेल (Heart failure) होने से बचाव में सहायक होती हैं।
ड्यूरेटिक्स (Diuretics)
मायोकार्डियम इंफेक्शन के ट्रीटमेंट के दौरान फ्यूरोसमाइड (Furosemide) जैसे लासिक्स (Lasix) दवा दी जा सकती है। ये दवा सोडियम एवं फ्लूइड रिटेंशन (Fluid retention) में मददगार मानी जाती है।
नोट: दवाओं के नाम और उनसे जुड़ी जानकारी सिर्फ समझने के लिए और ट्रीटमेंट प्रोसेस को जानने के लिए दी गई है। इनमें से किसी भी दवा का सेवन अपनी मर्जी से ना करें।
और पढ़ें : डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी ट्रीटमेंट में एसीई इनहिबिटर्स के बारे में जानें यहां!
मायोकार्डियम इंफेक्शन की स्थिति अगर गंभीर हो, तो ऐसी स्थिति में दवाओं के साथ-साथ निम्नलिखित तरह से भी इलाज की जा सकती है।
- इंट्रावेनस (IV) मेडिकेशन (Intravenous (IV) medications)- इस प्रोसेस से हार्ट को पंप करने में मदद मिलती है।
- वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (Ventricular assist devices)- हार्ट फेल होने से बचाव के साथ-साथ ब्लड पंप में भी सहायता मिलती है।
- इंट्रा-एयरोटिक बलून पंप (Intra-aortic balloon pump)- एक छोटी से ट्यूब की सहायता ब्लड फ्लो को बेहतर बनाया जाता है। इस दौरान एक्स-रे इमेज को ध्यान में रखकर इस प्रक्रिया अपनाई जाती है।
- एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सिजेनेशन (Extracorporeal membrane oxygenation)- अगर किसी पेशेंट में हार्ट फेल होने जैसी स्थिति या लक्षण नजर आते हैं, तो ऐसे में एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सिजेनेशन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रोसेस की मदद से कार्बन डायोक्साइड रिमूव किया जाता है, जिससे ब्लड एवं ऑक्सिजन सप्लाई बेहतर होती है।