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प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस: दिल के इस इंफेक्शन के बारे में कितना जानते हैं आप?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस: दिल के इस इंफेक्शन के बारे में कितना जानते हैं आप?

    वॉल्वुलर हार्ट डिजीज (Valvular Heart Disease) दिल की बीमारियों का एक प्रकार है। यह समस्या तब होती है जब हमारे दिल के चार वॉल्व्स में से एक या अधिक वॉल्व ठीक से काम नहीं करते हैं। जब हार्ट वॉल्व बहुत अधिक नाजुक हो जाते हैं या उनमें कोई और समस्या होती है, तो वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी (Valve Replacement Surgery) एक विकल्प हो सकता है। प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) को कार्डियक वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी का एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर कॉम्प्लीकेशन माना जाता है। आज हम प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के बारे में बात करने वाले हैं। जानिए, प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के बारे में विस्तार से:

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस क्या है? (Prosthetic Valve Endocarditis)

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) को एक या एक से अधिक प्रोस्थेटिक हार्ट वॉल्व में होने वाले इंफेक्शन कहा जाता है। जैसे-जैसे प्रोस्थेटिक वॉल्व का आकार बढ़ता है, वैसे ही प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के होने की संभावना भी बढ़ती जाती है। ऐसा माना जाता है कि एओर्टिक पोजीशन (Aortic Position) में इस समस्या की संभावना माइट्रल पोजीशन (Mitral Position) की तुलना में अधिक होती है। इस समस्या की शुरुआत सर्जरी के दौरान वॉल्व या एन्यूलस (Annulus) में किसी परेशानी की वजह से हो सकती है या यह किसी इंफेक्शन से हेमटोजेनस सीडिंग (Hematogenous Seeding) के परिणामस्वरूप हो सकता है। यह समस्या वॉल्व सर्जरी के बारह महीने या इससे भी अधिक समय के बाद भी पैदा हो सकती है।

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस

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    इस रोग का कारण कोलोनाइज्ड म्यूकोसल (Colonized Mucosal) , त्वचा से उत्पन्न होने वाले ट्रांसिएंट बैक्टेरेमिया (Transient Bacteremia), संक्रमण (Infection), हेमेटोजेनस सीडिंग (Hematogenous Seeding) हो सकता है। यह समस्या वैसे तो दुर्लभ है, लेकिन इसके पंद्रह से लेकर चालीस प्रतिशत मामलों में इसका कारण स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया (Staphylococcus Bacteria) को माना जाता है। यह इंफेक्शन आमतौर पर हेल्थ केयर से सम्बन्धित है, जिसके लक्षण वॉल्व रिप्लेसमेंट के बारह महीनों के अंदर दिखाई दिए जा सकते हैं। जानिए प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के लक्षणों के बारे में:

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    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के लक्षण (Symptoms of Prosthetic Valve Endocarditis)

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) के लक्षण हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकते हैं। जो हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। यही नहीं कुछ लोगों में इसके लक्षण अचानक से देखने को मिलते हैं तो कुछ लोगों में यह धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

    • बुखार (Fever)
    • छाती में दर्द (Chest pain)
    • कमजोरी (Weakness)
    • यूरिन में खून (Blood in Urine)
    • ठंड लगना (Chills)
    • पसीना आना (Sweating)
    • रेड स्किन रैशज (Red Skin Rash)
    • जोड़ों में दर्द और सूजन (Pain and Swelling in Joints)
    • मसल्स में दर्द और कोमलता (Muscle Aches and Tenderness)
    • एब्नार्मल यूरिन कलर (Abnormal Urine Color)
    • थकावट (Fatigue)
    • खांसी (Cough)
    • सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
    • गले में खराश (Sore Throat)
    • साइनस कंजेशन और सिरदर्द (Sinus Congestion and Headache)
    • जी मचलना और उल्टी आना (Nausea or Vomiting)
    • वजन कम होना (Weight loss)

    ऊपर दिए लक्षणों के अलावा भी लोगों में अन्य लक्षण देखने को मिल सकते हैं। अगर इस समस्या का इलाज सही तरीके से न किया जाए, तो प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) जानलेवा हो सकता है। लेकिन इसके लक्षण किसी अन्य समस्या का जैसे भी हो सकते हैं। इसलिए, इसका निदान करना कई बार थोड़ा मुश्किल भी हो सकता है। इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं।

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    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के रिस्क फैक्टर्स (Risk factors of Prosthetic Valve Endocarditis))

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) की समस्या कई जटिलताओं का कारण बन सकती है। इससे जुड़े रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:

    • एओर्टिक रिगर्जिटेशन (Aortic Regurgitation)
    • एओर्टिक स्टेनोसिस (Aortic Stenosis)
    • कोआरक्टेशन ऑफ एओर्टा (Coarctation of Aorta)
    • वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular Septal Defect)
    • माइट्रल रिगर्जिटेशन (Mitral Regurgitation)
    • माइट्रल स्टेनोसिस विद रिगर्जिटेशन (Mitral Stenosis)

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस

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    इन स्थितियों में तुरंत डॉक्टर की सलाह की जरूरत होती है:

  • असमेट्रिकल सेप्टल हाइपरट्रॉफी (Asymmetrical Septal Hypertrophy)
  • पल्मोनरी स्टेनोसिस (Pulmonary Stenosis)
  • अगर आपको पहले कार्डियक सर्जरी हुई हो (Cardiac Surgery)
  • हार्ट डिफेक्ट का ट्रांसकैथेटर ट्रीटमेंट (Transcatheter Treatment of Heart Defects)
  • एरिथमिया के लिए पोस्ट- रेडियोफ्रीक्वेंसी एबलेशन (Post-Radiofrequency Ablation for Arrhythmia)
  • जैसा की पहले बताया गया है कि प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) की समस्या सर्जरी के बाद एकदम या कुछ दिनों के बाद हो सकती है। ऐसे में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया भी अलग-अलग हो सकते हैं। जल्दी इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया वो होते हैं, जो उन सतहों से चिपके रहने में सक्षम होते हैं जो एंडोथेलियलाइज्ड (Endothelialized) नहीं होती हैं। लेकिन फाइब्रोनेक्टिन (Fibronectin) और फाइब्रिनोजेन (Fibrinogen) जैसे होस्ट प्रोटीन के साथ कोटेड हो जाते हैं। लेट इंफेक्शन आमतौर पर उन बैक्टीरिया के कारण होता है जो उन टिश्यूज का पालन करते हैं। जो वॉल्व रिप्लेसमेंट के बाद कई महीनों के बाद एंडोथेलियलाइज्ड (Endothelialized) हो जाते हैं। ये पैथोजन्स उन से अधिक मिलते-जुलते हैं, जो नेटिव वॉल्व एंडोकार्टिटिस (Native Valve Endocarditis) पैदा करते हैं। अब जान लेते हैं इस समस्या के निदान के बारे में।

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    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का निदान (Diagnosis of Prosthetic Valve Endocarditis)

    इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से इसके लक्षणों के बारे में पूछते हैं। इसके बाद डॉक्टर शारीरिक जांच भी कर सकते हैं। डॉक्टर स्टेथोस्कोप की मदद से रोगी के हार्टबीट को सुनते हैं। इसके साथ ही बुखार को भी जांचा जा सकता है। अगर डॉक्टर को यह समस्या होने का संदेह होता है, तो बैक्टीरिया के निदान के लिए ब्लड टेस्ट (Blood Test) की सलाह भी दी जा सकती है। इसके साथ ही एनीमिया (Anemia) को जांचने के लिए कम्पलीट ब्लड काउंट (Complete Blood Count) का प्रयोग भी किया जा सकता है।

    यही नहीं, डॉक्टर हार्ट का एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) या अल्ट्रासाउंड भी करवा सकते हैं इस प्रोसीजर में साउंड वेव्स का प्रयोग कर के इमेज बनाई जाती है। डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)के लिए भी कह सकते हैं ताकि हार्ट की एक्टिविटी को मॉनिटर किया जा सकता है। इमेजिंग टेस्ट्स (Imaging Test) से यह भी पता चल सकता है कि कहीं आपका हार्ट एंलार्ज तो नहीं है। यह जानने के लिए कि कहीं इंफेक्शन शरीर के अन्य अंगों तक तो नहीं फैल गया है, डॉक्टर इन टेस्ट्स कि सलाह भी दे सकते हैं:

    यह तो था प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) के निदान से जुड़े टेस्ट्स और अन्य जानकारियां। अब जान लेते हैं इसके उपचार के बारे में।

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    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का उपचार (Treatment of Prosthetic Valve Endocarditis)

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस से हार्ट को नुकसान हो सकता है। ऐसे में इसका जल्दी निदान और उपचार जरूरी है। इस इंफेक्शन से बचने के लिए किन्हीं मामलों में अस्पताल भी जाना पड़ सकता है। जानिए, किस तरह से संभव है इस समस्या का उपचार?

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    एंटीबायोटिक्स और शुरुआती उपचार (Antibiotics and Initial Treatment)

    प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के उपचार के लिए डॉक्टर ओरल एंटीबायोटिक्स देते हैं, जिन्हें कम से कम चार हफ़्तों तक रोगी को लेना होता है। गंभीर स्थितियों में रोगी के उपचार के लिए अस्पताल में इंट्रावेनस(IV) (intravenous (IV)) का प्रयोग भी किया जा सकता है। इस दवाई के साथ ही डॉक्टर लगातार इस रोग के लक्ष्यों को नोटिस करते हैं।

    Prosthetic Valve Endocarditis

    सर्जरी (Surgery)

    अमेरिकन एकेडेमी ऑफ फैमिली फिसिशन्स (American Academy of Family Physicians) के अनुसार अगर हार्ट वॉल्व डैमेज हो गए हों, तो सर्जरी की जरूरत हो सकती है। सर्जन हार्ट वॉल्व को रिपेयर कराने की सलाह दे सकते हैं। यह वॉल्व आर्टिफिशियल मेटेरियल या एनिमल टिश्यू से बने वॉल्व के साथ रीप्लस किया जा सकता है। सर्जरी उन मामलों में की जाती है, जब एंटीबायोटिक्स काम नहीं करती हैं या अगर मरीज को फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection) हो। क्योंकि, हार्ट में इस इंफेक्शन के मामले में एंटीफंगल दवाईयां हमेशा प्रभावी साबित नहीं होती हैं।

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    यह तो थी प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) के बारे में पूरी जानकारी। प्रोस्थेटिक वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Prosthetic Valve Endocarditis) एक दुर्लभ समस्या है, लेकिन अगर इसका उपचार सही समय पर नहीं होता है, तो यह घातक साबित हो सकती है। इस कंडिशन में एंटीबायोटिक के प्रयोग से अधिकतर लोग ठीक हो जाते हैं, लेकिन रिकवरी कई अन्य चीजों पर भी निर्भर करती हैं जैसे इंफेक्शन के कारण और रोगी की उम्र आदि। यही नहीं, जिन लोगों में इस समस्या का निदान जल्दी हो जाता है उनके जल्दी रिकवर होने की संभावना भी अधिक होती है।

    इसके साथ ही डॉक्टर रोगी को हेल्दी हैबिट्स को फॉलो करने के लिए भी कह सकते हैं। जैसे सही आहार का सेवन, रोजाना व्यायाम, तनाव से बचना, पर्याप्त नींद और आराम करना आदि। इससे भी जल्दी रिकवर होने में मदद मिल सकती है।

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