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सिस्टोलिक हार्ट फेलियर : लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव से सुधर सकती है दिल की यह कंडिशन!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर : लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव से सुधर सकती है दिल की यह कंडिशन!

    हार्ट फेलियर एक गंभीर मेडिकल कंडिशन है। हार्ट फेलियर को कई बार कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure)के नाम भी जाना जाता है। यह तब होता है जब हमारी हार्ट मसल्स उस तरह से ब्लड पंप नहीं कर पाती, जिस तरह से उन्हें करना चाहिए। कुछ स्थितियां जैसे दिल की आर्टरीज का तंग होना (Narrowing Heart Arteries) या हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) हमारे हार्ट को इतना कमजोर या कठोर कर देती हैं कि इन्हें अच्छे से ब्लड पंप करने में परेशानी होती है। हार्ट फेलियर के कई प्रकार हैं जिनमें से एक है सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure)। पाइए, सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) से जुड़ी हर जानकारी विस्तार से।

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) क्या है?

    अगर आपको सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) की समस्या है, तो आपके हार्ट की बायीं वेंट्रिकल (Ventricle), जो अधिकतर ब्लड पंप करती है, बहुत कमजोर पड़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि यह बहुत बड़ी हो जाती हैं और यह वेंट्रिकल्स उस तरह से कॉन्ट्रैक्ट नहीं हो पाती, जैसे उन्हें होना चाहिए। इस वजह से हमारा हार्ट पूरे शरीर में रक्त को पुश के लिए पर्याप्त बल के साथ पंप नहीं कर पाता है। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर एक लेफ्ट-साइडेड हार्ट फेलियर (Left-Sided Heart Failure) का प्रकार है और इसे लेफ्ट-वेंट्रिकल हार्ट फेलियर भी कहा जाता है। जब हमारा हार्ट ब्लड पंप पूरे फाॅर्स के साथ नहीं कर पाता है, जैसे उसे करना चाहिए तो रोगी को पर्याप्त ऑक्सीजन पाने में मुश्किल होती है। जिसके कारण वो सांस लेने में भी परेशानी महसूस करता है। अब जानिए

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) के कारण क्या हैं?

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर

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    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर के कारण (Causes of Systolic Heart Failure)

    हार्ट प्रॉब्लम्स या डिजीज हार्ट फेलियर का कारण बन सकती हैं। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

    हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)

    अगर किसी व्यक्ति को हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो उसके हार्ट को शरीर में ब्लड को पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। जिससे हार्ट मसल्स कठोर हो सकती है या सही से काम नहीं कर पाती हैं। जो इस समस्या का कारण बन सकती है।

    कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease)

    इस समस्या में हार्ट में बहने वाले ब्लड की मात्रा ब्लॉक हो गई होती है या यह सामान्य से कम होती है। इसके कारण भी सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) की समस्या हो सकती है।

    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)

    जब आपके हार्ट मसल डैमेज हो जाते हैं, तो हार्ट सामान्य रूप से ब्लड पंप नहीं कर पाता है। यह भी सिस्टोलिक हार्ट फेलियर का कारण बन सकता है।

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    हार्ट वॉल्व प्रॉब्लम्स (Heart Valve Problems)

    कई बार हार्ट वॉल्व सही तरीके से खुलते या बंद नहीं होते हैं या वो लिकी (Leaky) हो जाते हैं। इन मामलों में दिल को शरीर में ब्लड पंप करना मुश्किल हो जाता है।

     आनुवंशिक कारण (Hereditary Causes)

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure)  आनुवंशिक भी हो सकता है। इसका अर्थ यह है कि अगर यही समस्या आपके परिवार में किसी व्यक्ति को है, तो आपको भी यह होने की संभावना है।

    नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट (National Heart, Lung, and Blood Institute) के अनुसार सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) के यह कारण भी हो सकते हैं, जैसे:

    हार्ट फेलियर के सामान्य कारणों में डायबिटीज या हायपरटेंशन भी हो सकते हैं। यह समस्याएं भी आनुवंशिक हो सकती हैं। जानिए क्या हैं इस हेल्थ कंडिशन के लक्षण?

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    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षणों के बारे में जानें (Symptoms of Systolic Heart Failure)

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर से पीड़ित लोग अधिकतर इस समस्या के लक्षणों को तब तक महसूस नहीं कर पाते हैं, जब तक यह एडवांस्ड न हों। इसका पहला लक्षण हो सकता है, कोई भी काम करते हुए सांस लेने में समस्या होना। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

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    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर का निदान (Diagnosis of Systolic Heart Failure)

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज से लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी जाना जाएगा। रोगी की शारीरिक जांच भी इस समस्या के निदान के लिए जरूरी है। इसके अलावा डॉक्टर रोगी को कुछ आसान टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं, जैसे:

    • ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests) : महत्वपूर्ण पदार्थों के असामान्य लेवल के कारण हार्ट फेलियर हो सकता है। इनके बारे में जानने के लिए इसलिए डॉक्टर रोगी को ब्लड टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं।
    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram): इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
    • चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) : अगर आपको एंलार्जड हार्ट (Enlarged Heart) की समस्या है, तो चेस्ट एक्स-रे से इसका निदान हो सकता है।
    • इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) : इस टेस्ट में साउंड वेव (Sound Wave) का प्रयोग किया जाता है, ताकि हार्ट की वीडियो इमेज बनाई जा सके। हार्ट से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए यह टेस्ट महत्वपूर्ण है।
    • एक्सरसाइज टेस्ट (Exercise test) : इस टेस्ट को स्ट्रेस टेस्ट (Stress Test) भी कहा जाता है। इस टेस्ट से यह मापा जा सकता है आपका दिल कैसे प्रतिक्रिया करता है, जब उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
    • हार्ट कैथेट्रायजेशन (Heart Catheterization) : इस टेस्ट में रोगी के ब्लड वेसल में एक छोटी ट्यूब के माध्यम से डाई इंजेक्टेड की जाती है। हार्ट से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। अब जानिए सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) के उपचार के बारे में।

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    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर का उपचार इस तरह से है संभव (Treatment of Systolic Heart Failure)

    हार्ट फेलियर का कोई इलाज नहीं है लेकिन कुछ उपचार और जीवनशैली में बदलाव से लक्षण सुधर सकते हैं और हार्ट और अधिक मजबूत हो सकता है। सबसे पहले जानते हैं कि इस समस्या से बचने और संपूर्ण स्वास्थ्य को सही रखने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?

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    लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle changes)

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) के उपचार के लिए आपको हार्ट-हेल्दी हैबिट्स को अपनाने के लिए कहा जाएगा, जो इस प्रकार हैं:

    • कम सोडियम का सेवन करना (Eating Less Sodium) : डॉक्टर से जानें कि इसके लिए आपको किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही अपने आहार में पौष्टिक और संतुलित खाद्य पदार्थों को शामिल करना अनिवार्य है।
    • अपने वजन को सही बनाए रखें (Maintaining Moderate Weight) : अपने वजन को सही रखने के लिए अपने खानपान और व्यायाम का ध्यान रखें। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।
    • नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी करना (Regular Physical Activity) : रोजाना कोई न कोई फिजिकल एक्टिविटी अवश्य करें। दिन में कम से कम 30 मिनट व्यायाम के लिए निकालें।
    • धूम्रपान न करना (Avoid Smoking) : अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो आपको धूम्रपान करने से बचना चाहिए।
    • एल्कोहॉल से बचें (Limiting Alcohol Intake) : अगर आप चाहते हैं कि आपका दिल हेल्दी रहे, तो एल्कोहॉल का सेवन करने से बचें या इसे सीमित कर दें
    • स्ट्रेस से बचें (Limit Stress) : स्ट्रेस या तनाव भी आपके हार्ट को नुकसान पहुंचा सकता है। तनाव से बचने के लिए योग या मैडिटेशन करें, सकारात्मक रहें और अगर इस समस्या के कारण आपको अधिक परेशानी हो रही हो, तो डॉक्टर की सलाह लें।
    • पर्याप्त और क्वालिटी नींद लें (Good Quality Sleep) : नींद भी हमारे स्वास्थ्य और दिल के लिए बहुत जरूरी है। रोजाना आठ घंटे की नींद लें। अगर आपको इससे संबंधित कोई समस्या है, तो उस कंडिशन का सबसे पहले इलाज कराएं। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) के उपचार में दवाईयों की सलाह भी दी जाती है,जो इस प्रकार हैं:

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    दवाईयां (Medications)

    इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर आपको एक या एक से अधिक दवाईयां लेने की सलाह दे सकते हैं। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) के उपचार के लिए कुछ दवाईयां इस प्रकार हैं:

    • डायूरेटिक्स (Diuretics) : डायूरेटिक्स को वाटर पिल्स भी कहा जाता है, जो सूजन को कम करने में मददगार होती हैं।
    • एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग-एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin-converting-Enzyme Inhibitors) : एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग-एंजाइम इन्हिबिटर्स का प्रयोग ब्लड वेसल्स को चौड़ा करने और ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है, ताकि हार्ट को काम करने में आसानी हो।
    • बीटा ब्लॉकर्स (Beta-Blockers) : बीटा ब्लॉकर्स का प्रयोग हार्ट रेट को स्लो करने और ब्लड प्रेशर को लो करने में प्रयोग किया जाता है।
    • मिनरलोकोर्टिकॉइड रिसेप्टर एंटागोनिस्ट (Mineralocorticoid Receptor Antagonist) : यह एक तरह का डायूरेटिक्स है, जो शरीर से अतिरिक्त नमक और फ्लूइड को बाहर निकालने और पर्याप्त पोटैशियम की मात्रा को बनाये रखने में मदद करती है।
    • नाइट्रेट और हाइड्रालजाइन (Nitrate and Hydralazine) : नाइट्रेट और हाइड्रालजाइन साथ में काम करके ब्लड वेसल को रिलैक्स करने में मदद करते हैं।
    • डिगॉक्सिन (Digoxin) : यह दवाई हार्ट रेट को कम करती है और हार्ट फेलियर के लक्षणों से आराम दिलाती है।
    • SGLT2 इन्हिबिटर्स (SGLT2 inhibitors) : SGLT2 इन्हिबिटर्स किडनी के ग्लूकोज को वापस रक्त में अवशोषित करने से रोकने के लिए काम करते हैं, जिससे हार्ट फेलियर का खतरा कम हो जाता है। जानिए इस समस्या के लिए कौन सी सर्जरीज की जा सकती हैं?

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    सर्जरी (Surgery)

    कुछ मामलों में, कुछ अंडरलायिंग फैक्टर्स भी सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) का कारण बन सकते हैं। जिनके उपचार के लिए डॉक्टर को सर्जरी करनी पड़ती है। यह सर्जरीज इस प्रकार हैं:

    कार्डियक रीसिंक्रनाइज़ेशन थेरेपी (Cardiac Resynchronization Therapy) : हार्ट समस्या की स्थिति में डॉक्टर कार्डियक रीसिंक्रनाइज़ेशन थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस सर्जरी में पेसमेकर लगाना शामिल होता है। जिससे यह सुनिश्चित होता है कि दिल सही समय पर धड़क रहा है।

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवैस्कुलर डीफिब्रिलेटर (Implantable Cardiovascular Defibrillator) :अन्य सर्जिकल विकल्प है इम्प्लांटेबल कार्डियोवैस्कुलर डीफिब्रिलेटर। इस सर्जरी में एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को लगाया जाता है, ताकि हार्ट को मॉनिटर और रेगुलेट किया जा सके।

    इसके अलावा डॉक्टर कुछ अन्य सर्जरीज़ की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे:

    सिस्टोलिक हार्ट फेलियर

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    यह तो थी सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure)  के बारे में पूरी जानकारी। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर एक गंभीर हार्ट समस्या है, जिसके कई गंभीर लक्षण हो सकते हैं, या कई मामलों में इसका कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है। इस समस्या इसका कोई भी खास इलाज नहीं है, लेकिन सही समय पर हार्ट फेलियर के लक्षणों के निदान और उपचार से इस स्थिति को मैनेज किया जा सकता है। यही नहीं इससे हार्ट फंक्शन को सुधारा और नार्मल किया जा सकता है। रोगी सही उपचार, डॉक्टर की सलाह का पालन करके और जीवनशैली में परिवर्तन से इस समस्या में भी एक नार्मल और क्वालिटी लाइफ जी सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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