बच्चों में निमोनिया (Pneumonia)
निमोनिया की बीमारी दुनिया भर में आम बीमारी है और ये बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। छोटे बच्चों में निमोनिया आम होता है और अक्सर सर्दी, खांसी या गले में खराश की समस्या को पैदा करता है। निमोनिया की बीमारी स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया बैक्टीरिया से या फिर कुछ वायरस जैसे कि एडिनोवायरस (Adenovirus), इन्फ्लूएंजा वायरस (Influenza virus), रेस्पायरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory syncytial virus) आदि के कारण फैलता है। निमोनिया के कारण कफ की समस्या के साथ ही हल्का बुखार, सांस फूलना आदि लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं। निमोनिया की जांच चेस्ट एक्स-रे के माध्यम से की जाती है और साथ ही बीमारी को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं।
बच्चों में रेस्पायरेटरी बीमारियां: टीबी की समस्या (Tuberculosis)
आपने अक्सर सुना होगा कि टीबी की बीमारी अक्सर वयस्कों में होती है लेकिन ये बच्चों को भी बीमार कर सकता है। बच्चों में टीबी की बीमारी टीबी जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) के कारण होती है। अगर घर में किसी को टीबी है, तो शंका बनी रहती है कि घर के अन्य सदस्यों को भी टीबी की समस्या हो जाएगी। अगर बच्चों में टीबी का इलाज सही समय पर न कराया जाए, तो मरने की संभावना बढ़ सकती है। टीबी के कारण कफ की समस्या, सांस लेने में समस्या, खांसी, थकान आदि लक्षण नजर आते हैं। टीबी की जांच के लिए बलगम का नमूना लिया जाता है और जांच की जाती है। बच्चों को बीसीजी का टीका इस बीमारी से बचाव के लिए दिया जाता है। अगर आपके बच्चे को लगातार खांसी आ रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इन फैक्टर्स से जुड़ी हो सकती हैं बच्चों में रेस्पायरेटरी बीमारियां (Respiratory diseases in children)
बच्चों में कुछ सांस संबंधित समस्याएं आठ से दस दिनों में अपने आप ठीक हो जाती हैं, वहीं कुछ बीमारियां बिना इलाज के ठीक नहीं होती हैं और साथ ही ये बढ़ती भी जाती हैं। कुछ फैक्टर्स होते हैं, जो सांस संबंधित बीमारियों को बढ़ाने का काम करते हैं। जानिए बच्चों में रेस्पायरेटरी डिजीज को कौन से फैक्टर्स ट्रिगर करते हैं।
- सेकेंड हैंड टबैको स्मोक (Second-hand tobacco smoke)
- इनडोर एयर पॉल्युटेंट्स ( Indoor Air Pollutants)
- आउटडोर एयर पॉल्युटेंट्स ( Outdoor Air Pollutants)
- एलर्जन्स ( Allergens)
- एक्युपेशनल एक्सपोजर (Occupational Exposure)
- डायट एंड न्यूट्रीशन (Diet and Nutrition)
- पोस्ट इंफेक्शियस क्रॉनिक रेस्पायरेटरी डिजीजेज (Post-infectious Chronic Respiratory Diseases)
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सांस लेने में हो रही है समस्या, तो इन बातों का रखें ध्यान!
- ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) या अन्य सांस संबंधी समस्या होने पर बच्चे अक्सर धीमा खाते हैं क्योंकि उनकी इच्छा अधिक नहीं होती है। ऐसे में उन्हें पर्याप्त समय दें।
- बच्चे को पानी के साथ ही इलेक्ट्रोलाइट सॉल्युशन भी दें।
- समय पर नोज ड्रॉप डालना न भूलें क्योंकि इससे बच्चे को बहुत राहत मिलती है।
- बच्चों में रेस्पायरेटरी बीमारियां (Respiratory diseases in children) होने पर म्युकस की समस्या आम हो जाती है। नेजल ओरल एस्पिरेटर की हेल्प से बच्चे की नाक से म्युकस हटाते रहे।
- बच्चे के पास कूल मिस्ट ह्युमिडिफायर रखें ताकि बच्चे को सांस लेने में समस्या न हो।
- बच्चे को साथ लेकर कुछ समय के लिए हॉट रनिंग शॉवर में बैठे ताकि बच्चे को स्टीम मिल सके।
- अगर बच्चा गरारा कर सकता है, तो पानी में नमक मिलाएं और उसे ऐसा करने के लिए कहें।
बच्चों में रेस्पायरेटरी बीमारियां होने पर अपनाएं ये घरेलू उपाय
बच्चे को सांस संबंधित समस्याओं से बचाने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगर आपके बच्चे को खांसी आ रही है, तो उसे हल्के में न लें। ये किसी बड़ी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। लंबे समय तक खांस आना सांस संबंधी बीमारी का संकेत हो सकता है। आपको अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परार्श जरूर करना चाहिए। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।