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हार्ट के मरीजों में वैक्सीन : संक्रमण दिल को कैसे प्रभावित करता है (Flu Impact Heart)
रोग नियंत्रण केंद्र ( Center of Disease Control) द्वारा किए गए अध्ययनों और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harward Medical School), के अनुसार फ्लू (Flu) दिल के दौरे और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। साल 2018 में हुए एक अध्ययन में पाया गया था फ्लू के इंफेक्शन वाले मरीजों में एक सप्ताह के भीतर दिल का दौरा पड़ने का जोखिम 6 गुना अधिक देखा गया था। जिन लोगों को दिल का दौरा या कोरोनरी रोग अंतर्निहित है, उनके लिए एक फ्लू संक्रमण इन अंतर्निहित स्थितियों को बढ़ा सकता है – जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा और हार्ट फेल के कारण (Causes of heart failure) हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है।
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फ्लू के प्रभावित ( Flu infection) होने पर हृदय पर बदाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से हृदय गति, रक्तचाप में वृद्धि और कैटेकोलामाइंस नामक तनाव को बढाने वाला हॉर्मोन और कई दूसरे हाॅर्मोनों में भी वृद्धि होने लगती है। यह हृदय पर अत्यधिक तनाव पैदा करता है, और कमजोर हृदय वाले इससे खुद को जल्दी संभाल नहीं पाते हैं। फ्लू के लक्षण (Flu symptoms), अपर एयरवेज और लोअर एयरवेज (Upper airways or Lower airways) में इंफेक्शन के साथ शुरू होते हैं। इससे रोगी का एयरवेज कंजस्टेड हो जाता है और खांसी व बुखार जैसे लक्षण दिखने लगते हैं, जिससे हार्ट पर भी दबाव पड़ने लगता है। ज्यादातर मामलों में, शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है और लोगों में हार्ट प्रॉब्लम का रिस्क और बढ़ जाता है। कई स्थितियों में हृदय की गति भी रुक (Heart failure) जाती है। भारत में, लोगों फ्लू संक्रमण के अधिक शिकार होते हैं। जिससे उनके हृदय स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हार्ट के मरीजों में वैक्सीन बहुत जरूरी है, लेकिन डॉक्टर द्वारा तय समय पर।