क्रॉनिक स्ट्रेस से हार्ट इनडायरेक्ट तरह से प्रभावित होता है। जब हम परेशान होते हैं, तो हमें नींद नहीं आती। अगर आपका लाइफस्टाइल अनहेल्दी है, तो इससे आपके दिल के स्वास्थ्य को जोखिम हो सकता है। क्रॉनिक स्ट्रेस की समस्या तब होती है, जब स्ट्रेस कांस्टेंट होती है और आपका शरीर एक हफ्ते या दिनों तक इससे प्रभावित रहता है। क्रॉनिक स्ट्रेस से हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की संभावना रहती ,है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है। यह तो थी जानकारी स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बीच के लिंक के बारे में। अब जानिए कि क्या स्ट्रेस को मैनेज करने से हार्ट डिजीज कम या दूर हो सकती हैं?

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स्ट्रेस को मैनेज करने से हार्ट डिजीज (Heart disease) का जोखिम कम हो सकता है?
जैसा कि आप जान ही गए होंगे कि स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) में गहरा सम्बन्ध है। स्ट्रेस को मैनेज करना हमारी सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। नेगटिव मेंटल हेल्थ को हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है। लेकिन, पॉजिटिव साइकोलॉजिकल हेल्थ भी लो हार्ट डिजीज से सम्बन्धित है। नेगटिव मेंटल हेल्थ कंडिशंस में यह सब शामिल है:
- डिप्रेशन (Depression)
- क्रॉनिक स्ट्रेस (Chronic stress)
- एंग्जायटी (Anxiety)
- गुस्सा (Anger)
- जीवन से असंतुष्टि (Dissatisfaction with life)
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यह स्थितियां शरीर शरीर में संभावित हानिकारक रिस्पॉन्सेस से जुड़ी हैं जैसे:
पॉजिटिव मेंटल हेल्थ कैरेक्टरिस्टिकस में हैप्पीनेस, ग्रॅटीट्यूट, जीवन से संतुष्टि, माइंडफुलनेस आदि शामिल है। हेल्थ कंडिशंस के पॉजिटिव होने से कई समस्याओं से राहत मिल सकती है। अब जानते हैं कि स्ट्रेस को कैसे मैनेज किया जा सकता है?
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स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health): स्ट्रेस को कैसे करें मैनेज?
स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) का गहरा सम्बन्ध ही नहीं है, बल्कि इसे सम्पूर्ण रूप से हेल्दी रहने में भी मदद मिल सकती है। ऐसे में इसे मैनेज करना बेहद जरूरी है। इन्हें इस तरह से मैनेज किया जा सकता है:
- नियमित रूप से व्यायाम करें। इससे स्ट्रेस (Stress), टेंशन (Tension), एंग्जायटी (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) से राहत मिल सकती है। दिन में कुछ समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालें। योगा (Yoga) और मेडिटेशन करें।
- दोस्तों और परिवार के लिए समय निकालें। सोशल कनेक्शन बनाने और अपने भरोसे के लोगों के साथ समय बिताना बेहद जरूरी है।
- पर्याप्त नींद लें। वयस्कों को रोजाना आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए।
- अपने व्यवहार को पॉजिटिव रखें।
- ऐसे काम करें, जो आपको पसंद हों। इससे आपको नेगेटिव विचारों और चिंताओं से दूर रहने में मदद मिलती है।
- सही आहार लें। सही आहार लेने से आपका शरीर और दिमाग दोनों सही रहेंगे। इसमें आप डॉक्टर या डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं। स्ट्रेस मैनेजमेंट (Stress management) और रिलेक्सेशन क्लासेस (Relaxation classes) से भी आपको मदद मिल सकती है।
उम्मीद है कि स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। कुछ लोग स्ट्रेस से बहुत अधिक परेशान होते हैं, ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है क्योंकि स्ट्रेस (Stress) का इलाज संभव है। स्ट्रेस शार्ट-टर्म प्रॉब्लम्स से लेकर लॉन्ग-टर्म प्रॉब्लम हो सकती है। नियमित रूप से स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक्स से आपको स्ट्रेस के फिजिकल, इमोशनल और बिहेवियरल सिम्पटम्स लक्षणों से बचाव में मदद मिलेगी। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से बात करना न भूलें।
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