इसके कारण आपकी एनर्जी कम हो सकती है, नींद में समस्या आ सकती है, आप चिड़चिड़े हो सकते हैं या हमेशा क्रोध महसूस करते हैं। स्ट्रेसफुल सिचुएशन कई इवेंट्स में बाधा बन सकती है। हमारा शरीर एड्रेनालाईन नामक एक हार्मोन रिलीज करता है जो अस्थायी रूप से सांस और हार्ट रेट को तेज करता है और ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बारे में यह जानना भी जरूर है कि स्ट्रेस से शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ सकती है, जो बदले में उन फैक्टर्स से लिंक होता है जिनसे हार्ट को नुकसान हो सकता है जैसे हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) और गुड कोलेस्ट्रॉल (Good cholesterol) को कम करना आदि।
क्रॉनिक स्ट्रेस से हार्ट इनडायरेक्ट तरह से प्रभावित होता है। जब हम परेशान होते हैं, तो हमें नींद नहीं आती। अगर आपका लाइफस्टाइल अनहेल्दी है, तो इससे आपके दिल के स्वास्थ्य को जोखिम हो सकता है। क्रॉनिक स्ट्रेस की समस्या तब होती है, जब स्ट्रेस कांस्टेंट होती है और आपका शरीर एक हफ्ते या दिनों तक इससे प्रभावित रहता है। क्रॉनिक स्ट्रेस से हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की संभावना रहती ,है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है। यह तो थी जानकारी स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बीच के लिंक के बारे में। अब जानिए कि क्या स्ट्रेस को मैनेज करने से हार्ट डिजीज कम या दूर हो सकती हैं?
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स्ट्रेस को मैनेज करने से हार्ट डिजीज (Heart disease) का जोखिम कम हो सकता है?
जैसा कि आप जान ही गए होंगे कि स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) में गहरा सम्बन्ध है। स्ट्रेस को मैनेज करना हमारी सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। नेगटिव मेंटल हेल्थ को हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है। लेकिन, पॉजिटिव साइकोलॉजिकल हेल्थ भी लो हार्ट डिजीज से सम्बन्धित है। नेगटिव मेंटल हेल्थ कंडिशंस में यह सब शामिल है:
- डिप्रेशन (Depression)
- क्रॉनिक स्ट्रेस (Chronic stress)
- एंग्जायटी (Anxiety)
- गुस्सा (Anger)
- जीवन से असंतुष्टि (Dissatisfaction with life)